निदा फ़ाज़ली उर्दू भाषा की एक लोकप्रिय प्रसिद्ध उर्दू शायर थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं में मुख्य रूप से “प्रेम, जीवन, और समाज के विभिन्न विषयों” पर बेबाकी लिखा। निदा फ़ाज़ली एक ऐसे लोकप्रिय शायर थे, जिनकी शायरियों ने सदैव युवाओं को प्रेरित करने का काम किया। निदा फ़ाज़ली के शेर, शायरी और ग़ज़लें विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थियों को उर्दू साहित्य की खूबसूरती और साहित्य की समझ से परिचित करवाने का काम करती हैं। साथ ही निदा फ़ाज़ली की रचनाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी कभी अपने मूल समय में थीं। इस ब्लॉग के माध्यम से आप चुनिंदा Nida Fazli Shayari पढ़ पाएंगे, जो आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का सफल प्रयास करेंगी।
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निदा फ़ाज़ली का जीवन परिचय
निदा फ़ाज़ली का मूल नाम “मुक़्तदा हसन निदा फ़ाज़ली” था। 12 अक्तूबर 1938 को निदा फ़ाज़ली का जन्म दिल्ली में हुआ था। निदा फ़ाज़ली के पिता मुर्तजा हसन बैदी एक शायर थे, इसी कारण निदा फ़ाज़ली का साहित्य के प्रति एक गहरा जुड़ाव था। निदा फ़ाज़ली ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली में रहकर प्राप्त की, जिसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में MA की उपाधि प्राप्त की। अपनी शिक्षा को पूरा करने के बाद निदा फ़ाज़ली ने अपना साहित्य का सफ़र वर्ष 1950 में शुरू किया।
निदा फ़ाज़ली जी की रचनाओं में “चेहरे”, “आँखों भर आकाश”, “तुम इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल हो”, और “दिल की तन्हाई को आवाज़ बना लेते हैं” आदि बेहद लोकप्रिय हैं। निदा फ़ाज़ली की अधिकांश रचनाएं “प्रेम, जीवन, और समाज” पर आधारित होती थीं। साहित्य के क्षेत्र में निदा फ़ाज़ली को उनके साहित्यिक योगदान के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म श्री, और पद्म भूषण जैसे पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया। अपने समय के एक महान कवि, नाटककार निदा फ़ाज़ली का निधन 8 फ़रवरी 2016 को महाराष्ट्र के मुंबई में हुआ था।
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निदा फ़ाज़ली की शायरी – Nida Fazli Shayari
निदा फ़ाज़ली की शायरी पढ़कर युवाओं में साहित्य को लेकर एक समझ पैदा होगी, जो उन्हें उर्दू साहित्य की खूबसूरती से रूबरू कराएगी, जो इस प्रकार है –
“कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
-निदा फ़ाज़ली
कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता…”
“हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी
-निदा फ़ाज़ली
जिस को भी देखना हो कई बार देखना…”
“धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
-निदा फ़ाज़ली
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो…”
“अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं
-निदा फ़ाज़ली
रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं…”
“बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
-निदा फ़ाज़ली
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है…”
“बहुत मुश्किल है बंजारा-मिज़ाजी
-निदा फ़ाज़ली
सलीक़ा चाहिए आवारगी में…”
“पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है
-निदा फ़ाज़ली
अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं…”
“कहाँ चराग़ जलाएँ कहाँ गुलाब रखें
-निदा फ़ाज़ली
छतें तो मिलती हैं लेकिन मकाँ नहीं मिलता…”
“ये शहर है कि नुमाइश लगी हुई है कोई
-निदा फ़ाज़ली
जो आदमी भी मिला बन के इश्तिहार मिला…”
“ग़म है आवारा अकेले में भटक जाता है
-निदा फ़ाज़ली
जिस जगह रहिए वहाँ मिलते-मिलाते रहिए…”
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मोहब्बत पर निदा फ़ाज़ली की शायरी
मोहब्बत पर निदा फ़ाज़ली की शायरियाँ जो आपका मन मोह लेंगी –
“होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
-निदा फ़ाज़ली
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है…”
“वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में
-निदा फ़ाज़ली
जो दूर है वो दिल से उतर क्यूँ नहीं जाता…”
“तुम से छुट कर भी तुम्हें भूलना आसान न था
-निदा फ़ाज़ली
तुम को ही याद किया तुम को भुलाने के लिए…”
“दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती
-निदा फ़ाज़ली
ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती…”
“हर एक रंग तिरे रूप की झलक ले ले
-निदा फ़ाज़ली
कोई हँसी कोई लहजा कोई महक ले ले…”
“मिरी तलाश तिरी दिलकशी रहे बाक़ी
-निदा फ़ाज़ली
ख़ुदा करे कि ये दीवानगी रहे बाक़ी…”
“तू इस तरह से मिरी ज़िंदगी में शामिल है
-निदा फ़ाज़ली
जहाँ भी जाऊँ ये लगता है तेरी महफ़िल है…”
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निदा फ़ाज़ली के शेर
निदा फ़ाज़ली के शेर पढ़कर युवाओं को निदा फ़ाज़ली की लेखनी से प्रेरणा मिलेगी। निदा फ़ाज़ली के शेर युवाओं के भीतर सकारात्मकता का संचार करेंगे, जो कुछ इस प्रकार हैं;
“दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता
दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए…”
-निदा फ़ाज़ली
“दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है…”
-निदा फ़ाज़ली
“सब कुछ तो है क्या ढूँडती रहती हैं निगाहें
क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता…”
-निदा फ़ाज़ली
“नक़्शा उठा के कोई नया शहर ढूँढिए
इस शहर में तो सब से मुलाक़ात हो गई…”
-निदा फ़ाज़ली
“फ़ासला नज़रों का धोका भी तो हो सकता है
वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो…”
-निदा फ़ाज़ली
“इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे
रौशनी ख़त्म न कर आगे अँधेरा होगा…”
-निदा फ़ाज़ली
“गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया
होते ही सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया…”
-निदा फ़ाज़ली
“बदला न अपने-आप को जो थे वही रहे
मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे…”
-निदा फ़ाज़ली
“जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनिया
बच्चों के स्कूल में शायद तुम से मिली नहीं है दुनिया…”
-निदा फ़ाज़ली
“यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो…”
-निदा फ़ाज़ली
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निदा फ़ाज़ली की दर्द भरी शायरी
निदा फ़ाज़ली की दर्द भरी शायरियाँ कुछ इस प्रकार हैं –
“हम लबों से कह न पाए उन से हाल-ए-दिल कभी
और वो समझे नहीं ये ख़ामुशी क्या चीज़ है…”
-निदा फ़ाज़ली
“उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न था
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला…”
-निदा फ़ाज़ली
“कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई
आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई…”
-निदा फ़ाज़ली
“उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा
वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा…”
-निदा फ़ाज़ली
“एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक
जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा…”
-निदा फ़ाज़ली
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निदा फ़ाज़ली की प्रेरणादायक शायरी
निदा फ़ाज़ली की प्रेरणादायक शायरी पढ़कर आप निदा फ़ाज़ली की लेखनी के बारे में आसानी से जान पाएंगे, साथ ही ये शायरी आपको जीवनभर प्रेरित करने का भी काम करेंगी। Nida Fazli Shayari कुछ इस प्रकार है-
“कोशिश भी कर उमीद भी रख रास्ता भी चुन
फिर इस के ब’अद थोड़ा मुक़द्दर तलाश कर…”
-निदा फ़ाज़ली
“बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो
चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे…”
-निदा फ़ाज़ली
“घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए…”
-निदा फ़ाज़ली
“यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो…”
-निदा फ़ाज़ली
“हर एक बात को चुप-चाप क्यूँ सुना जाए
कभी तो हौसला कर के नहीं कहा जाए…”
-निदा फ़ाज़ली
“सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो…”
-निदा फ़ाज़ली
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निदा फ़ाज़ली की गजलें
निदा फ़ाज़ली की गजलें आज भी प्रासंगिक बनकर बेबाकी से अपना रुख रखती हैं, जो नीचे दी गई हैं-
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता
तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो
जहाँ उमीद हो इस की वहाँ नहीं मिलता
कहाँ चराग़ जलाएँ कहाँ गुलाब रखें
छतें तो मिलती हैं लेकिन मकाँ नहीं मिलता
ये क्या अज़ाब है सब अपने आप में गुम हैं
ज़बाँ मिली है मगर हम-ज़बाँ नहीं मिलता
चराग़ जलते ही बीनाई बुझने लगती है
ख़ुद अपने घर में ही घर का निशाँ नहीं मिलता
-निदा फ़ाज़ली
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो
कहीं नहीं कोई सूरज धुआँ धुआँ है फ़ज़ा
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो
यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
-निदा फ़ाज़ली
यह भी पढ़ें : पढ़िए निदा फ़ाज़ली की वो रचनाएं, जो आपका परिचय साहित्य के सौंदर्य से करवाएगी
बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता
बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता
सब कुछ तो है क्या ढूँढती रहती हैं निगाहें
क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता
वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में
जो दूर है वो दिल से उतर क्यूँ नहीं जाता
मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा
जाते हैं जिधर सब मैं उधर क्यूँ नहीं जाता
वो ख़्वाब जो बरसों से न चेहरा न बदन है
वो ख़्वाब हवाओं में बिखर क्यूँ नहीं जाता
-निदा फ़ाज़ली
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आशा है कि इस ब्लॉग में आपको Nida Fazli Shayari पढ़ने का अवसर मिला होगा। Nida Fazli Shayari को पढ़कर आप उर्दू साहित्य के क्षेत्र में निदा फ़ाज़ली के अतुल्नीय योगदान से परिचित हो पाए होंगे। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।