जलसंधि एक प्रकार की भौगोलिक विशेषता है, जिसे जलडमरूमध्य भी कहा जाता है। बता दें कि यह एक ऐसा संकीर्ण जलमार्ग होता है, जो दो बड़े जल स्त्रोतों जैसे- समुद्र, महासागर, खाड़ी या झीलों को जोड़ता है। देखा जाए तो इसका आकार आमतौर पर डमरू जैसा होता है, जिसके दोनों सिरों पर बड़े जल भाग होते हैं। इस मार्ग से जहाज और नौकाएं एक जलाशय से दूसरे जलाशय तक यात्रा कर पाती हैं। बताना चाहेंगे जलसंधि से संबंधित प्रश्नों को UPSC जैसी कई प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछा जाता है। इसलिए इस लेख में जलसंधि किसे कहते हैं, की विस्तृत जानकारी दी गई है जिसके लिए आपको इस लेख को अंत तक पढ़ना पड़ेगा।
This Blog Includes:
जलसंधि किसे कहते हैं?
जलसंधि या जलडमरूमध्य पानी का एक पिंड होता है जो दो बड़े जलस्रोतों को जोड़ता है। इसमें से नौकाएं गुज़रकर एक बड़े जलाशय से दूसरे बड़े जलाशय तक जा सकती हैं। जलसंधि का भौगोलिक आकार डमरू जैसा होता है, जिसके दो बड़े जलीय भागों के मध्य में जलसंधि होती है। इसका उपयोग आर्थिक क्षेत्र में स्थित देशों के बीच समुद्र के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय परिवहन के लिए किया जाता है।
जलसंधि का महत्व
जलसंधि के महत्व और विशेषताओं को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है, जो इस प्रकार हैं –
- अंतरराष्ट्रीय शिपिंग का एक बड़ा हिस्सा जलसंधियों से होकर गुजरता है।
- आर्थिक दृष्टि से इनका महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि ये जलमार्ग समुद्री व्यापार के लिए शॉर्टकट प्रदान करते हैं।
- जलसंधियों की चौड़ाई इतनी होती है कि नौकाएं और बड़े जहाज सुरक्षित रूप से यात्रा कर सकें।
- बता दें कि इसका निर्माण प्राकृतिक प्रक्रियाओं जैसे टेक्टोनिक प्लेट मूवमेंट के माध्यम से हुआ है।
- किसी जलसंधि पर नियंत्रण रखने वाला देश वैश्विक व्यापार और नौसैनिक रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- जलसंधियाँ महासागर धाराओं को प्रभावित कर जलवायु को संतुलित करती हैं।
- देखा जाए तो जलसंधि एक समृद्ध पारिस्थितिक तंत्र का आधार होती हैं, जिससे समुद्री जीवन, इकोसिस्टम और समुद्री खाद्य श्रृंखला को समर्थन मिलता है।
भारत की प्रमुख जलसंधियों के नाम
जलसंधि किसे कहते हैं जानने के साथ ही भारत की प्रमुख अंतरराष्ट्रीय जलसंधियां और उनके स्थान के बारे में जानेंगेः
सिंधु जलसंधि
अंतरराष्ट्रीय पुनर्गठन और विकास बैंक (विश्व बैंक) के तत्वावधान में 1960 में सिंधु जल समझौता हुआ था। इस संधि पर करांची में पाकिस्तान के तत्कालीन फिल्ड मार्शल मोहम्मद अयूब खान और भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने साइन किए थे।
इसमें भारत को 3 पूर्वी नदियों-रावी, सतलुज और ब्यास के पानी का विशेष उपयोग लगभग 33 मिलियन एकड़-फीट (MAF) की संयुक्त मात्रा के साथ दिया गया था। सिंधु नदी, चिनाब, रावी, झेलम, ब्यास और सतलुज सिंधु प्रणाली का हिस्सा हैं।
महाकाली संधि (भारत-नेपाल)
भारत और नेपाल ने फरवरी, 1996 में महाकाली संधि की थी। महाकाली नदी पर पंचेश्वर बहुउद्देश्यीय परियोजना इस संधि का केंद्रस्थ है। इसके अलावा इसमें सारदा बैराज, टनकपुर बैराज और पंचेश्वर बांध परियोजना शामिल है।
भारत-बांग्लादेश जलसंधि
17-20 मार्च, 2010 के बीच नई दिल्ली में जेआरसी की 37वीं बैठक हुई जिनमें बांग्लादेश के साथ जल संसाधन क्षेत्र में सहयोग के संबंध में विभिन्न मामलों पर चर्चा की गयी। गंगा जल/ गंगा नदी जल के बंटवारे पर 12 दिसंबर 1996 को भारत और बांग्लादेश के प्रधान मंत्रियों के बीच भारत-बांग्लादश जल संधि पर हस्ताक्षर किया था जिसे भारत-बांग्लादेश जल संधि के नाम से जाना जाता है। इसके प्रबंधन के लिए एक संयुक्त नदी आयोग (JRC) का गठन किया गया।
भारत-चीन जलसंधि (ब्रह्मपुत्र)
2002 में भारत सरकार ने चीन के साथ भारत आने वाली यालुजंगबू/ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन के द्वारा भारत को जल विज्ञान की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए 5 वर्षों के एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किया था। समझौता ज्ञापन को वर्ष 2008, 2013 और 2018 में अपडेट किया गया था और 5 जून 2023 को यह समाप्त हो गया है।
यह भी पढ़ें- उत्तर प्रदेश की नदियां कौन-कौन सी हैं?
विश्व की प्रमुख जलसंधि
विश्व की प्रमुख जलसंधि की जानकारी नीचे दी गई सूची इस प्रकार हैं –
जलसंधि का नाम | किन देशों के बीच स्थित है | किन दो जल निकायों को जोड़ती है |
ओट्रान्टो जलसंधि | इटली और अल्बानिया | एड्रियाटिक सागर और आयोनियन सागर |
बाब अल-मन्देब जलसन्धि | जिबूती, यमन और सोमाली प्रायद्वीप के इरिट्रिया | अदन की खाड़ी और लाल सागर |
फॉर्मोसा जलसंधि | चीन और ताइवान | दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर |
कुक जलसंधि | न्यूज़ीलैंड | तस्मान सागर और दक्षिण प्रशांत महासागर |
युकाटन जलसंधि | मेक्सिको और क्यूबा | मेक्सिको की खाड़ी और कैरेबियन सागर |
टार्टरी जलसंधि | रूस (पूर्वी रूस-सखालिन द्वीप समूह) | ओखोटस्क सागर और जापान सागर |
मेसिना जलसंधि | इटली और सिसिली | मध्य भूमध्य सागर के भीतर टायरानियन सागर और आयोनियन सागर |
बास जलसंधि | तस्मानिया द्वीप और मुख्य भूमि ऑस्ट्रेलिया | ग्रेट ऑस्ट्रेलियन बाइट और तस्मान सागर |
होर्मुज जलसंधि | ईरान और ओमान | ओमान की खाड़ी और फारस की खाड़ी |
जमैका चैनल | जमैका और हिसपनिओला | कैरेबियन सागर और उत्तरी अटलांटिक |
हडसन जलसंधि | बाफिन द्वीप और लैब्राडोर प्रायद्वीप | हडसन की खाड़ी और लैब्राडोर सागर |
मोज़ाम्बिक चैनल | मोज़ाम्बिक और मेडागास्कर | हिंद महासागर |
सुंडा जलसंधि | इंडोनेशिया का जावा द्वीप अपने सुमात्रा द्वीप के साथ। | जावा सागर और हिंद महासागर |
फ्लोरिडा जलसंधि | क्यूबा और अमेरिका | मेक्सिको की खाड़ी और अटलांटिक महासागर |
उत्तर चैनल | आयरलैंड और स्कॉटलैंड | आयरिश सागर और अटलांटिक महासागर |
दस डिग्री चैनल | कार निकोबार द्वीप समूह और छोटा अंडमान | अंडमान सागर और बंगाल की खाड़ी |
बोस्फोरस जलसंधि | यूरोप को एशिया से विभाजित करता है | काला सागर से मर्मारा सागर तक |
पाक जलसंधि | भारत और श्रीलंका | उत्तर-पूर्व में बंगाल की खाड़ी और दक्षिण-पश्चिम में पाक खाड़ी/अरब सागर |
बेरिंग जलसंधि | अमेरिका से एशिया | आर्कटिक महासागर और पूर्वी प्रशांत महासागर |
जिब्राल्टर की खाड़ी | स्पेन और मोरक्को | अटलांटिक महासागर और भूमध्य सागर |
कोरिया जलसंधि | जापान और दक्षिण कोरिया | पूर्वी चीन सागर और जापान सागर |
मलक्का जलसंधि | मलेशिया और सुमात्रा | पूर्व में प्रशांत महासागर और पश्चिम में हिंद महासागर |
बोनिफेसिओ जलसंधि | फ्रांस का कोर्सिका द्वीप और इटली का सार्डिनिया द्वीप | टायरहेनियन सागर और भूमध्य सागर |
डेविस जलसंधि | ग्रीनलैंड और कनाडा के बीच | बाफिन खाड़ी और लैब्राडोर सागर |
FAQs
भारत और श्रीलंका के बीच पाक जल संधि है।
विश्व की सबसे छोटी जल संधि बेरिंगल जल संधि है।
पाक जल संधि 19 सितंबर 1960 को हुई थी।
जलसंधि एक प्रकार की भौगोलिक विशेषता है, जिसे जलडमरूमध्य भी कहा जाता है। बता दें कि यह एक ऐसा संकीर्ण जलमार्ग होता है, जो दो बड़े जल स्त्रोतों जैसे- समुद्र, महासागर, खाड़ी या झीलों को जोड़ता है।
विश्व की प्रमुख जलसंधि मलक्का, पाक, जिब्राल्टर, बेरिंग, डोवर, सिंधु जलसंधि हैं।
मलक्का जलसंधि
आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको जलसंधि किसे कहते हैं के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। प्रतियोगी परीक्षा जैसे UPSC में पूछे जाने वाले क्वैश्चंस के बारे में अधिक जानकारी के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।