ICOR in Hindi: वृद्धिशील पूंजी उत्पादन अनुपात क्या होता है?

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ICOR in Hindi

ICOR in Hindi: आईसीओआर यानी वृद्धिशील पूंजी उत्पादन अनुपात (Incremental Capital Output Ratio) एक महत्वपूर्ण आर्थिक मापदंड है, जिसका उपयोग विकासशील देशों में आर्थिक वृद्धि और पूंजी निवेश की प्रभावशीलता को समझने के लिए किया जाता है। यह मापता है कि एक अतिरिक्त यूनिट पूंजी निवेश से उत्पादन में कितनी वृद्धि होती है। बता दें कि UPSC परीक्षा में अर्थशास्त्र और भारतीय अर्थव्यवस्था से संबंधित प्रश्नों के अंतर्गत यह विषय (ICOR in Hindi) आता है। इसलिए इस ब्लॉग में आपको आईसीओआर (Incremental Capital Output Ratio in Hindi) के बारे में विस्तार से बताया गया है। 

ICOR क्या है?

आईसीओआर (ICOR in Hindi) का पूरा नाम Incremental Capital-Output Ratio है, जिसे हिंदी में वृद्धिशील पूँजी-उत्पादन अनुपात कहा जाता है। यह आर्थिक मापदंड है जो यह बताता है कि किसी अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त उत्पादन प्राप्त करने के लिए कितनी अतिरिक्त पूंजी की आवश्यकता है। यदि आईसीओआर अधिक है, तो इसका मतलब है कि उत्पादन बढ़ाने के लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता होगी, और यदि आईसीओआर कम है, तो उत्पादन बढ़ाने के लिए कम पूंजी की आवश्यकता होगी। 

ICOR को वर्ष 1939 में हैरोड-डोमर ग्रोथ थ्योरी (Harrod–Domar model) से विकसित किया गया था। इसका उद्देश्य यह समझना है कि 1% ज्यादा उत्पादन प्राप्त करने के लिए कितनी अतिरिक्त पूंजी की आवश्यकता होगी। 

ICOR का इतिहास और उत्पत्ति

ICOR का सिद्धांत सबसे पहले 1950 के दशक में Ragnar Nurkse और W.A. Lewis जैसे अर्थशास्त्रियों द्वारा प्रस्तुत किया गया। इसे भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू और उनके आर्थिक सलाहकारों द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था की योजना बनाने में अपनाया गया। ICOR की मदद से यह मापने की कोशिश की गई कि पूंजी निवेश के कितने यूनिट से उत्पादन में कितना बदलाव आता है, जिससे आर्थिक नीतियों को बेहतर तरीके से आकार दिया जा सके।

ICOR की गणना कैसे की जाती है?

ICOR (ICOR in Hindi) की गणना का सूत्र है:

आईसीओआर = पूंजी में वृद्धि (Increment in Capital) / उत्पादन में वृद्धि (Increment in Output)

जहां:

पूंजी में वृद्धि (Increment in Capital): यह उस पूंजी का अतिरिक्त निवेश है जो किसी निश्चित समय अवधि में किया गया है।

उत्पादन में वृद्धि (Increment in Output): यह उस उत्पादन की वृद्धि है जो समय के साथ अर्थव्यवस्था में हुई है, जैसे कि GDP में वृद्धि।

वृद्धिशील पूंजी उत्पादन अनुपात (ICOR) का उदाहरण

उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि देश X का ICOR (वृद्धिशील पूंजी उत्पादन अनुपात) 10 है। इसका मतलब है कि $1 का अतिरिक्त उत्पादन प्राप्त करने के लिए $10 का पूंजी निवेश करना पड़ता है।

अब, अगर पिछले साल देश X का ICOR 12 था, तो इसका मतलब है कि इस साल देश X अपनी पूंजी का उपयोग पहले से अधिक कुशल तरीके से कर रहा है, क्योंकि अब उसे $1 के उत्पादन के लिए कम पूंजी ($10) का निवेश करना पड़ रहा है, जबकि पिछले साल उसे $12 की पूंजी निवेश करनी पड़ती थी।

साधारण शब्दों में, ICOR के कम होने का मतलब है कि देश X अब अपनी पूंजी से अधिक उत्पादन प्राप्त कर पा रहा है, यानी वह अपनी पूंजी का बेहतर इस्तेमाल कर रहा है।

ICOR कैसे और क्यों महत्वपूर्ण है?

ICOR यह मापता है कि किसी देश को उत्पादन बढ़ाने के लिए कितनी पूंजी की आवश्यकता होती है। अगर ICOR ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि उत्पादन बढ़ाने के लिए ज्यादा पूंजी चाहिए, और अगर कम है, तो कम पूंजी में ज्यादा उत्पादन हो सकता है। यह सरकारों और नीति बनाने वालों को यह समझने में मदद करता है कि उन्हें किस क्षेत्र में अधिक पूंजी लगानी चाहिए ताकि विकास हो सके। इस तरह, ICOR किसी देश के आर्थिक विकास को समझने और उसे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है।

ICOR का महत्व 

आईसीओआर (ICOR in Hindi) का महत्व बहुत है क्योंकि यह किसी देश या क्षेत्र के आर्थिक विकास को समझने में मदद करता है। ICOR का महत्व नीचे दिए गए बिन्दुओ के माध्यम से समझिए:-

  • ICOR यह बताता है कि उत्पादन बढ़ाने के लिए कितनी पूंजी निवेश करनी चाहिए। यदि ICOR कम है, तो इसका मतलब है कि कम पूंजी में अधिक उत्पादन हो सकता है, और यदि ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि अधिक पूंजी की आवश्यकता है।
  • ICOR यह दिखाता है कि पूंजी निवेश कितने प्रभावी तरीके से उत्पादन बढ़ा रहा है। यह निवेश की दक्षता को मापने का एक तरीका है।
  • ICOR सरकारों और नीति निर्माताओं को यह समझने में मदद करता है कि आर्थिक विकास के लिए किस क्षेत्र में पूंजी निवेश करना सबसे प्रभावी होगा।
  • ICOR का उपयोग दीर्घकालिक विकास योजनाओं में किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पूंजी निवेश सही तरीके से किया जा रहा है और अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी रहे।
  • ICOR के माध्यम से यह समझा जा सकता है कि कोई देश अपनी पूंजी का उपयोग किस प्रकार से कर रहा है और वैश्विक स्तर पर उसकी प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति क्या है।

ICOR के लाभ 

आईसीओआर (ICOR in Hindi) के लाभ निम्नलिखित है:

  • ICOR यह दिखाता है कि अर्थव्यवस्था में निवेश कितने प्रभावी ढंग से हो रहा है। कम ICOR का मतलब है कि कम पूंजी में अधिक उत्पादन हो रहा है, जिससे निवेश की दक्षता बढ़ती है।
  • ICOR का उपयोग यह समझने के लिए किया जाता है कि निवेश और आर्थिक विकास कैसे जुड़े हुए हैं। नीति निर्माता इसे देखकर यह जान सकते हैं कि निवेश रणनीतियाँ कितनी प्रभावी हैं।
  • ICOR निवेशकों को यह समझने में मदद करता है कि कहाँ निवेश ज्यादा प्रभावी हो रहा है, जिससे वे संसाधनों का सही तरीके से उपयोग कर सकें।
  •  ICOR का उपयोग विभिन्न देशों या क्षेत्रों की तुलना करने के लिए किया जाता है ताकि यह समझा जा सके कि किस क्षेत्र में निवेश अधिक प्रभावी है।
  • ICOR से यह पता चलता है कि किस नीति या क्षेत्र में निवेश अधिक प्रभावी है, जिससे विकास के लिए सर्वोत्तम नीतियों की पहचान हो सकती है।

ICOR की सीमाएं

ICOR की एक बड़ी आलोचना यह है कि यह नई अर्थव्यवस्था को सही तरीके से नहीं समझ पाता। आजकल की अर्थव्यवस्था डिज़ाइन, ब्रांडिंग, अनुसंधान और विकास (R&D), और सॉफ़्टवेयर जैसी चीजों पर आधारित है, जिन्हें मापना या रिकॉर्ड करना मुश्किल होता है। इसके अलावा, मशीनरी, भवन, और कंप्यूटर जैसी भौतिक संपत्तियों को भी निवेश और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में शामिल करना कठिन हो जाता है। साथ ही, सॉफ़्टवेयर-एज़-ए-सर्विस (SaaS) जैसे ऑन-डिमांड सेवाओं ने अब कंपनियों को बड़ी संपत्तियों में निवेश करने की जरूरत को कम कर दिया है। इन सभी कारणों से अब कंपनियां कुछ चीजों पर खर्च करती हैं, जिन्हें पहले पूंजी निवेश माना जाता था, लेकिन अब वे खर्च के रूप में मानी जाती हैं। 

ICOR को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्व

ICOR को प्रभावित करने वाले तत्व निम्नलिखित हैं:-

  1. पूंजी की गुणवत्ता (Quality of Capital)
  2. प्रौद्योगिकी (Technology)
  3. श्रमिकों की दक्षता (Labor Efficiency)
  4. प्रबंधन और नीति (Management and Policy)
  5. पूंजी की बर्बादी (Capital Wastage)
  6. बुनियादी ढांचा (Infrastructure)
  7. निवेश का प्रकार (Type of Investment)
  8. विदेशी निवेश (Foreign Investment)
  9. प्राकृतिक संसाधन (Natural Resources)
  10. शिक्षा और कौशल (Education and Skills)

ICOR और GDP के बीच अंतर 

ICOR और GDP के बीच अंतर इस प्रकार है:- 

ICORGDP
पूरा नामIncremental Capital-Output RatioGross Domestic Product
परिभाषायह बताता है कि उत्पादन बढ़ाने के लिए कितनी पूंजी की आवश्यकता है।यह एक देश की कुल आर्थिक गतिविधियों का माप है, जिसमें सभी वस्तुएं और सेवाएं शामिल हैं।
मापने का तरीकापूंजी के अतिरिक्त निवेश और उत्पादन के अतिरिक्त उत्पादन के बीच अनुपात।कुल मूल्य जो एक देश के भीतर एक निश्चित अवधि में उत्पादित होता है।
उद्देश्ययह समझने में मदद करता है कि किसी अर्थव्यवस्था को विकास के लिए कितनी पूंजी की आवश्यकता है।यह देश की आर्थिक स्थिति और विकास दर का माप है।
संबंधितउत्पादन वृद्धि के लिए पूंजी निवेश की दक्षता को मापता है।देश के समग्र आर्थिक स्वास्थ्य और विकास को दर्शाता है।
प्रभावउच्च ICOR का मतलब है कि अधिक पूंजी निवेश की आवश्यकता है।GDP बढ़ने का मतलब है कि अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ रहा है और उत्पादन बढ़ रहा है।
उदाहरणअगर ICOR 4 है, तो इसका मतलब है कि उत्पादन बढ़ाने के लिए 1 यूनिट पूंजी के लिए 4 यूनिट उत्पादन की आवश्यकता है।यदि एक देश का GDP 5% बढ़ता है, तो इसका मतलब है कि उस देश का कुल उत्पादन 5% बढ़ा है।

ICOR का विकासशील और विकसित देशों पर प्रभाव

ICOR (Incremental Capital Output Ratio in Hindi) का प्रभाव विकासशील और विकसित देशों पर अलग-अलग होता है, क्योंकि इन देशों की अर्थव्यवस्था और विकास की स्थिति अलग होती है।

विकासशील देशों पर ICOR का प्रभाव

  • विकासशील देशों में ICOR ज्यादा होता है, इसका मतलब है कि इन देशों में उत्पादन बढ़ाने के लिए ज्यादा पूंजी की जरूरत होती है। क्योंकि इन देशों में तकनीकी और उत्पादन की प्रक्रिया उतनी विकसित नहीं होती।
  • उच्च ICOR की वजह से इन देशों में विकास के लिए जरूरी पूंजी निवेश नहीं हो पाता, जिससे विकास धीमा हो सकता है।
  • इन देशों में अक्सर कृषि और कच्चे माल का अधिक उत्पादन होता है। 

विकसित देशों पर ICOR का प्रभाव

  • विकसित देशों में ICOR कम होता है, इसका मतलब है कि उत्पादन बढ़ाने के लिए कम पूंजी की जरूरत होती है। यहां तकनीकी उन्नति और उच्च उत्पादकता होती है।
  • इन देशों में काम करने की क्षमता ज्यादा होती है, और नई तकनीकों का उपयोग भी होता है, जिससे उत्पादन कम पूंजी में बढ़ता है।
  • विकसित देशों में पूंजी का सही तरीके से उपयोग किया जाता है, जिससे कम निवेश में ज्यादा उत्पादन होता है।

FAQs

ICOR क्या है?

ICOR (Incremental Capital Output Ratio) एक आर्थिक मापदंड है, जो यह दर्शाता है कि उत्पादन में वृद्धि करने के लिए कितने अतिरिक्त निवेश की आवश्यकता होती है।

ICOR का पूर्ण रूप क्या है?

ICOR का पूर्ण रूप है वृद्धिशील पूंजी उत्पादन अनुपात (Incremental Capital-Output Ratio)। यह एक आर्थिक संकेतक है जिसका उपयोग यह जानने के लिए किया जाता है कि किसी अर्थव्यवस्था में पूंजी निवेश से उत्पादन में कितनी वृद्धि हो रही है।

ICOR का उपयोग कौन करता है और क्यों?

ICOR का उपयोग सरकार, आर्थिक विशेषज्ञ, उद्योग, और अंतरराष्ट्रीय संगठन करते हैं। सरकारें इसका उपयोग यह समझने के लिए करती हैं कि विकास दर बढ़ाने के लिए कितना निवेश जरूरी है और कौन-सी नीतियाँ प्रभावी हो सकती हैं। 

ICOR को कैसे मापा जाता है?

ICOR (Incremental Capital Output Ratio) को मापने के लिए एक साधारण फॉर्मूला है:-
ICOR = निवेश में वृद्धि / उत्पादन में वृद्धि

क्या ICOR की गणना में कोई मुश्किलें आती हैं?

ICOR की गणना में कठिनाइयाँ होती हैं, जैसे कि सही डेटा की कमी, निवेश और उत्पादन के बीच सीधा संबंध न होना, और दीर्घकालिक प्रभावों का न आना। इसके अलावा आर्थिक अस्थिरता और विभिन्न प्रकार के निवेश भी। 

ICOR को क्यों मापा जाता है?

ICOR का उपयोग यह समझने के लिए किया जाता है कि किसी देश में या उद्योग में आर्थिक वृद्धि के लिए कितने निवेश की आवश्यकता है। यह निवेश की प्रभावशीलता का भी आकलन करता है।

ICOR का कैसे सुधार किया जा सकता है?

ICOR को सुधारने के लिए उच्च तकनीक, बेहतर संसाधन प्रबंधन, और निवेश के अधिक प्रभावी उपयोग की आवश्यकता होती है। इसका उद्देश्य उत्पादन बढ़ाने के लिए निवेश को अधिक दक्ष बनाना है।

ICOR और GDP के बीच क्या संबंध है?

ICOR का उपयोग यह समझने के लिए किया जाता है कि GDP वृद्धि के लिए कितने पूंजी निवेश की आवश्यकता है। अगर ICOR कम है, तो इसका मतलब है कि GDP बढ़ाने के लिए कम निवेश की आवश्यकता है। यदि ICOR ज्यादा है, तो अधिक निवेश की जरूरत होगी।

ICOR का अन्य आर्थिक मापदंडों से क्या संबंध है?

ICOR अन्य आर्थिक मापदंडों, जैसे उत्पादन, पूंजी की उपलब्धता, और श्रम उत्पादकता से जुड़ा हुआ होता है। यह देश की विकास दर और निवेश की प्रभावशीलता का संकेत देता है। इसे निवेश-उत्पादन अनुपात (Investment-Output Ratio) भी कहा जाता है।

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आशा है कि आपको इस ब्लॉग में वृद्धिशील पूंजी उत्पादन अनुपात (ICOR in Hindi) से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही UPSC से जुड़े अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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