हल्दीघाटी का युद्ध, त्याग और बलिदान की गाथा

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हल्दीघाटी का युद्ध

भारत की भूमि पर कई महान युद्ध हुए जैसे – तराईन, प्लासी, खानवा और पानीपत का युद्ध। एक ऐसा ही बहुचर्चित  युद्ध था जिसे Haldighati ka Yudh कहा जाता है। ये केवल राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण युद्ध था। महारणा प्रताप ने अकबर की अधीनता कभी स्वीकार नहीं, लेकिन राजस्थान के सभी राज्यों ने अकबर की अधीनता स्वीकार करी थी। महाराणा प्रताप एक पराक्रमी, सहासी और स्वाभिमानी राजा थे जिन्होंने कभी भी मेवाड़ का सर नहीं झुकने दिया। महाराणा प्रताप हमेशा से अकबर की आँख में खटकते थे। आज हम इस ब्लॉग में बात करेंगे कि Haldighati ka Yudh क्या था, कैसे महान योद्धा ने अपना जीवन मात्रभूमि के लिए न्योछावर कर दिया। आईए जानते हैं।

कब हुआ था 18 जून 1576
किनके बीच हुआ था बादशाह अकबर और राजपूत शासक महाराणा प्रताप सिंह
कहां लड़ा गया हल्दीघाटी

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इतिहास का सबसे विध्वंसक युद्ध

हल्दीघाटी का युद्ध बादशाह अकबर और राजपूत राजा महाराणा प्रताप के बीच लड़ा गया था। महाराणा प्रताप की सेना का नेतृत्व हाकिम हकीम खां और अकबर की सेना का नेतृत्व मान सिंह ने किया था। 1526 में महाराणा  प्रताप और अकबर के बीच गोगुन्दा के पास अरावली की पहाड़ी मैं युद्ध हुआ था। जिसमें अकबर के 80 हज़ार से ज्यादा सैनिक और राजपूत के पास उनके मुकाबले केवल 20 हज़ार सैनिक थे। इस युद्ध एक खासियत यह भी थी की इसमें सिर्फ राजपूतों ने ही नहीं बल्कि वनवासी, ब्राह्मण, वैश्य आदि ने भी इस महान युद्ध में अपना बलिदान दिया था।

महाराणा प्रताप जाति और धर्म से उठ कर योग्यता को तरजीह देते थे। इसमें इतिहासकार अल बदायूं भी शामिल था। अल बदायूं ने महाराणा प्रताप के शोर्य और पराक्रम की जमकर तारीफ़ की हैं। 18 जून 1526 को रोज़ की तरह महारणा प्रताप अपने घोड़े चेतक पर निरिक्षण कर रहे थे और मोलेला गाँव में मानसिंह ने डेरा डाला था। यह युद्ध करीब 3 घंटे तक चला लड़ाई में अकबर की सेना ज्यादा होते हुए भी राजपूतों के सेना के सामने मुगलों की हालत खस्ता हो गई थी। राजपूतों की सेना आखिरी समय तक डटी रही। महाराणा प्रताप ने घायल होने के बावजूद भी अकबर से सामने समर्पण नहीं किया था। राजपूतों की सहायता से महाराणा प्रताप युद्द से किसी तरह से निकल गए, और मुगल सम्राट अकबर का राजपूत योद्धा, महाराणा प्रताप को पकड़ने का सपना अधूरा ही रह गया था।

गुरिल्ला पद्धति

महाराणा प्रताप की सेना ने गुरिल्ला पद्धति से युद्ध करके अकबर की सेना में भगदड़ मचा दी। अकबर की विशाल सेना लगभग पांच किलोमीटर पीछे हट गई। जहां खुले मैदान में महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच 3 घंटे तक युद्ध चला था।

युद्ध के बाद बना कलाई, रक्तकलाई

इस युद्ध में कम से कम 18,000 सैनिकों का खून बहा था। महाभारत के बाद Haldighati ka Yudh सबसे विनाशकारी युद्ध माना जाता है । कहां जाता है इससे पहले अकबर ने महाराणा प्रताप को 6 बार अपने अधीन होने का निमंत्रण दिया था लेकिन एक राजपूताना और पराक्रमी होने के कारण अधीनता कभी स्वीकार नहीं की। महाराणा प्रताप अपने घोड़े चेतक पर युद्ध भूमि में आए जो बिजली की रफ़्तार से तेज़ भागता था। अकबर की सेना का नेतृत्व मानसिंह कर रहे थे जो हाथी लेकर सामने आए। हाथी की सूड़ पर तलवार बंधी हुई थी। चेतक सीधा मानसिंह के हाथी के मस्तक पर चढ़ गया। उतरते वक़्त चेतक का पैर हाथी की सूड में बंधी तलवार से कट गया था। इस युद्ध के बाद जगह-जगह खून ही खून बिखरा हुआ था। जिसने काफी लोगों को विचिलित कर दिया।

208 किलो के भार के साथ किया सामना

कहा जाता है कि महाराणा प्रताप ने युद्ध के दौरान अपने सीने पर लोहे, ताम्बा और पीतल से बना 72 किलो का कवच पहना था और साथ ही 81 किलो का भला भी था। उनके कमर पर 2 तलवार बंधी हुई थी। ये भी कहां जाता हैं की एक वार से ही  घोड़े के दुकड़े कर देते थे।

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चेतक की वीरता 

रणबीच चौकड़ी भर-भर कर
चेतक बन गया निराला था
राणाप्रताप के घोड़े से
पड़ गया हवा का पाला था
जो तनिक हवा से बाग हिली
लेकर सवार उड जाता था
राणा की पुतली फिरी नहीं
तब तक चेतक मुड जाता था
गिरता न कभी चेतक तन पर
राणाप्रताप का कोड़ा था
वह दौड़ रहा अरिमस्तक पर
वह आसमान का घोड़ा था
था यहीं रहा अब यहाँ नहीं
वह वहीं रहा था यहाँ नहीं
थी जगह न कोई जहाँ नहीं
किस अरि मस्तक पर कहाँ नहीं
निर्भीक गया वह ढालों में
सरपट दौडा करबालों में
फँस गया शत्रु की चालों में
बढते नद सा वह लहर गया
फिर गया गया फिर ठहर गया
बिकराल बज्रमय बादल सा
अरि की सेना पर घहर गया।
भाला गिर गया गिरा निशंग
हय टापों से खन गया अंग
बैरी समाज रह गया दंग
घोड़े का ऐसा देख रंग

श्याम नारायण पाण्डेय

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हल्दीघाटी युद्ध के परिणाम

Haldighati Yudh के बाद मेवाड़, चित्तौड़, कुंभलगढ़, उदयपुर, गोगंडा जैसे क्षेत्र अकबर के अधीन आ गए थे। राजपूतों की शक्ति कमज़ोर पढ़ गई थी, क्योंकि अधिकतर राजपूतों ने मुगलों की आधितना स्वीकार कर ली थी। हल्दीघाटी के युद्ध के बाद भी पराक्रमी महाराणा प्रताप ने अधीनता स्वीकार नहीं की और राजपूतों को साथ लाने का प्रयास करते रहे। कई इतिहासकारों का मानना हैं कि युद्ध में न तो अकबर की जीत हुई थी न ही महाराणा प्रताप की। हल्दीघाटी के युद्ध के बाद मुगलों का शासन काफी बढ़ गया था।

राजस्थान ने पाठ्यक्रम बदला 

नए शोध के बाद राजस्थान के पाठ्यक्रम में हल्दीघाटी के युद्ध का नया इतिहास पढ़ाया जाएगा। जिसमें महाराणा प्रताप हल्दीघाटी को युद्ध का विजेता बताया गया। अब तक इतिहास में इस युद्ध को बेनतीजा बताया जाता रहा था। राजस्थान के शिक्षा मंत्री ने तर्क दिया। अगर अकबर Haldighati ka Yudh जीतता तो फिर छह बार मेवाड़ पर हमले क्यों करता? हर बार हारने के कारण वह बार-बार हमले कर रहा था। मीरा ग‌र्ल्स कॉलेज के प्रो. चंद्रशेखर शर्मा द्वारा किए गए रिसर्च के मुताबिक ही प्रदेश का शिक्षा विभाग बच्चों को पढ़ाए जाने वाले इतिहास में बदलाव कर रहा है।

Source:Dr.Vivek Bindra:Motivational Speaker

MCQs

1.चेतक (घोड़ा)  की छतरी कहां स्थित है?
कोटा 
(a)उदयपुर
(b)जयपुर
(c)बसवाडा 

उत्तर -(b ) उदयपुर

2. महाराणा प्रताप के पास कुंवर मान सिंह को सम्राट अकबर द्वारा अपना दूत बनाकर भेजा गया था ?
(a) 1572 
(b) 1573 
(c) 1574 
(d) 1576 

उत्तर -(b ) 1573

3. गुरिल्ला युद्ध पद्धति कहा जाता है ?
(a) छापामार युद्ध को
(b) भाला युद्ध को
(c) मल युद्ध को
(d) उपर्युक्त सभी को

उत्तर -(d )  छापामार युद्ध को

4. महाराणा उदयसिंह ने अपना उत्तराधिकारी अपने बड़े पुत्र प्रताप के स्थान पर किसने किया था ?
(a) जगमाल सिंह को 
(b) शक्ति सिंह को
(c) संग्राम सिंह को
(d) रतन सिंह को

 उत्तर -(a) जगमाल सिंह को 

5. हल्दीघाटी का युद्ध किस नदी के किनारे हुआ?
(a) माही नदी
(b) बनास नदी 
(c) चंबल नदी
(d) उक्त से कोई नहीं

उत्तर -(b ) बनास नदी

6. प्रताप की बंदोली में स्थित छतरी किस बांध के किनारे बनी हुई है?
(a) जवाई बांध
(b) जाखम बांध
(c) बेजड़ बांध
(d) केजड़ बांध 

उत्तर -(d) केजड़ बांध 

7. हल्दीघाटी के युद्ध में राणा प्रताप की सैनिक राज्य का मुख्य कारण है ?
(a) कुशल नेतृत्व की कमी
(b) सैनिकों में लापरवाही
(c) परंपरागत युद्ध शैली 
(d) उक्त में से कोई नहीं

उत्तर -(c)  परंपरागत युद्ध शैली 

8. मेवाड़ राज्य की संकट कालीन राजधानी क्या थी ?
(A) गोगुंदा
(b) चावंड 
(c) कोल्यारी
(d) कुंभलगढ

उत्तर -(b)चावंड 

9. महाराणा प्रताप को हराने के लिए अंतिम वेतन के रूप में अकबर ने किसे भेजा ?
(a) भगवान दास
(b) टोडरमल
(c) मानसिंह
(d) जगन्नाथ कछवाहा 

उत्तर -(d)जगन्नाथ कछवाहा 

FAQs

हल्दीघाटी का युद्ध कब और कहां हुआ था?

हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 को गोगुडा के निकट अरावली पहाड़ी की हल्दीघाटी शाखा के मध्य युद्ध हुआ था।

हल्दीघाटी के युद्ध के बाद क्या हुआ था?

इस युद्ध के बाद मेवाड़, चित्तौड़, गोगुंडा, कुंभलगढ़ और उदयपुर पर मुगलों का कब्जा हो गया था।

हल्दीघाटी की मिट्टी हल्दी क्यों है?

हल्दीघाटी अरावली पर्वतमाला का एक क्षेत्र है, जो राजस्थान में राजसमंद और पाली जिलों को जोड़ता है। यहां पाए जाने वाली पीली मिट्टी की वजह से इसका नाम हल्दी घाटी है।

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