जानिए 30 साल की उम्र में दुनिया जीतने वाले महान सिकंदर का इतिहास

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Sikandar History in Hindi

“वो सिकंदर ही दोस्तों कहलाता है, हारी बाज़ी को जीतना जिसे आता है” यह गाना आपको याद ही होगा। यह दुनिया के विश्वविजेता सिकंदर की सच्चाई है। दुनिया जीतना किसे कहते हैं यह कोई बस सिकंदर से ही सीखे। उन्होंने मात्र 30 साल की उम्र में दुनिया जीतकर अपना नाम इतिहास के सुनहरे अक्षरों में दर्ज करवा लिया। उस समय पूरी दुनिया मानों बस उसी के इशारे पर थी। इस बीच जहाँ एक तरफ पूरी दुनिया सिकंदर से प्रभावित थी, वहीं महान सिकंदर भारत के राजा पोरस से प्रभावित थे। इस बारे में अधिक जानने के लिए ये लेख अंत तक पढ़ें। Sikandar History in Hindi के इस ब्लॉग में आप पढ़ेंगे आखिर क्या था महान सिकंदर का इतिहास और उसने इतने कम उम्र में कैसे की दुनिया फ़तेह।

उससे पहले सिकंदर से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी आप नीचे दिए गए तालिका में देख सकते हैं।

नामअलेक्सेंडर तृतीय
उपनामसिकंदर
पिताफिलिप द्वितीय
माताओलिम्पिया
सौतेली माताक्लेओपटेरा
पत्नीरोक्जाना
नानानिओप्टोलेमस
जन्म दिन20 जुलाई 356 ईसा पूर्व
जन्म स्थानपेला में
शौकगणित, विज्ञान और दर्शन शाश्त्र में रूचि थी
घोड़े का नाम बुसेफेल्स
मृत्यु13 जून 323 ईसा पूर्व
मृत्यु का कारणमलेरिया (इतिहासकारों के मुताबिक)
मृत्यु का स्थानबेबीलोन

सिकंदर का शुरूआती जीवन

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Source : Wikipedia

Sikandar History in Hindi के ब्लॉग के माध्यम से आपको सिकंदर के शुरूआती जीवन के बारे में बताया जाएगा। तो आईये जान लेते हैं कि अलेक्जेंडर (जिसे सिकंदर भी कहा जाता था) का जन्म 20 जुलाई 356 ईसा पूर्व में “पेला” में हुआ था, जो की प्राचीन नेपोलियन की राजधानी थी। अलेक्जेंडर फिलिप द्वितीय का पुत्र था, जो मेक्डोनिया और ओलम्पिया के राजा थे और इसके पड़ोसी राज्य एपिरुस की राजकुमारी ओलिम्पिया उनकी माँ थी। वहीं एलेक्जेंडर की एक बहन भी थी।

सिकंदर की प्रारंभिक शिक्षा

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सिकंदर ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने रिश्तेदार दी स्टर्न लियोनीडास ऑफ़ एपिरुस से ली थी, जिसे फिलिप ने अलेक्जेंडर को गणित, घुड़सवारी और धनुर्विध्या सिखाने के लिए नियुक्त किया था। सिकंदर के नए शिक्षक लाईसिमेक्स थे, जिन्होंने उसे युद्ध की शिक्षा दीक्षा दी। जब वह 13 वर्ष का हुआ, तब फिलीप ने सिकंदर के लिए एक निजी शिक्षक एरिसटोटल की नियुक्ति की। एरिस्टोटल को भारत में अरस्तु कहा जाता हैं। अगले 3 वर्षों तक अरस्तु ने सिकंदर को साहित्य की शिक्षा दी और वाक्पटुता भी सिखाई। Sikandar History in Hindi में सिकंदर कम उम्र से ही बहुत धुरंधर था।

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युद्ध कौशल का था माहिर

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12 वर्ष की उम्र में सिकंदर ने घुड़सवारी बहुत अच्छे से सीख ली थी और ये उन्होंने अपने पिता को तब दिखाई, जब सिकंदर ने एक प्रशिक्षित घोड़े ब्युसेफेलास को काबू में किया, जिस पर और कोई नियंत्रण नहीं कर पा रहा था। पहले तो वह घोड़ा सिकंदर के काबू से बाहर रहा लेकिन अंत में सिकंदर ने उसपर काबू पा लिया। सिकंदर के पिता को उसपे गर्व हुआ था। उसके बाद सिकंदर ने अपने जीवन के कई युद्धों में बुसेफेल्स की सवारी की,और अंत तक वो घोड़ा उनके साथ ही रहा। 340 ईसा पूर्व में जब सिकंदर जब 16 वर्ष का था तो उसके कौशल को देख उसे मेक्डोनिया राज्य पर अपनी जगह शासन करने के लिए छोड़ दिया था।

जैसे-जैसे मेक्डोनियन आर्मी ने थ्रेस में आगे बढ़ना शुरू किया, मेडी की थ्रेशियन जनजाति ने मेक्डोनिया के उत्तर-पूर्व सीमा पर विद्रोह कर दिया, जिससे देश के लिए खतरा बढ़ गया। सिकंदर ने सेना इकट्ठी की और इसका इस्तेमाल विद्रोहियों के सामने शुरू किया,और तेज़ी से कारवाही करते हुए मेडी जनजाति को हरा दिया, और इनके किले पर कब्ज़ा कर लिया और इसका नाम उसने खुद के नाम पर एलेक्जेंड्रोपोलिस रखा। 2 वर्ष बाद 338 ईसा पूर्व में फिलिप ने मेकडोनीयन आर्मी के ग्रीस में घुसपैठ करने पर अपने बेटे को आर्मी में सीनियर जनरल की पोस्ट दे दी। इस युद्ध में ग्रीक की करारी हार हुई और इससे सिकंदर का नाम पूरे विश्व में होने लगा।

अलेक्जेंडर का सत्ता अधिग्रहण

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336 ईसा पूर्व में सिकंदर की बहन ने मोलोस्सियन के राजा से शादी की, इसी दौरान एक महोत्सव में पौसानियास ने राजा फिलिप द्वितीय की हत्या कर दी। अपने पिता की मृत्यु के समय सिकंदर 19 वर्ष का था और उसमें सत्ता हासिल करने का जोश और जूनून चरम पर था। उसने मेकडोनियन आर्मी के शस्यागार के साथ जनरल और फ़ौज को इकट्ठा किया, जिनमें वो सेना भी शामिल थी जो केरोनिया से लड़ी थी। सेना ने सिकंदर को सामन्ती राजा घोषित किया और उसकी राजवंश के अन्य वारिसों की हत्या करने में मदद की।

ओलिम्पिया ने भी अपने पुत्र की इसमें मदद की,उसने फिलिप और क्लेओपटेरा की पुत्री को मार दिया और क्लेओपटेरा को आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर दिया। सिकंदर के मेक्डोनिया के सामन्ती राजा होने के कारण उसे कोरिंथियन लीग पर नियंत्रण ही नहीं मिला बल्कि ग्रीस के दक्षिणी राज्यों ने फिलिप द्वितीय की मृत्यु का जश्न मनाना भी शुरू कर दिया और उन्होंने विभाजित और स्वतंत्र अभिव्यक्ति शुरू की। Sikandar History in Hindi में सिकंदर के सत्ता में आते ही उसने पूरी दुनिया में अपना दबदबा कायम कर लिया था।

विजय अभियान

सिकंदर जब अपने उतरी अभियान को खत्म करने के करीब था,तब उसे यह खबर मिली की ग्रीक राज्य के शहर थेबेस ने मेक़डोनियन फ़ौज को अपने किले से भगा दिया हैं, अन्य शहरों के विद्रोह के डर से सिकंदर ने अपनी सेना के साथ दक्षिण का रुख किया। इन सब घटनाक्रमों के दौरान ही सिकंदर के जनरल परनियन ने एशिया की तरफ अपना मार्ग बना लिया है। अलेक्जेंडर और उसकी सेना थेबेस में इस तरह से पहुंची कि वहां की सेना को आत्म-रक्षा तक का मौका नहीं मिला।

वहीँ सिकंदर से एथेंस के साथ ग्रीक के अन्य शहर भी उसके साथ संधि करने को तैयार हो गए। 334 ईसा पूर्व में सिकंदर ने एशियाई अभियान के लिए नौकायन शुरू किया और उस वर्ष की वसंत में ट्रॉय में पंहुचा। सिकंदर ने ग्रेंसियस नदी के पास पर्शियन राजा डारियस तृतीय की सेना का सामना किया, उन्हें बुरी तरह से पराजित किया। 333 ईसा पूर्व की गर्मियों में सिकंदर की सेना और डारियस की सेना के मध्य एक बार फिर से युद्ध हुआ। हालांकि सिकंदर की सेना में ज्यादा सैनिक होने के कारण उसकी फिर से एक तरफा जीत हुई, और सिकंदर ने खुद को पर्शिया का राजा घोषित कर दिया।

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सिकंदर का अगला लक्ष्य इजिप्ट को जीतना था, गाज़ा की घेराबंदी करके सिकंदर ने आसानी से इजिप्ट पर कब्ज़ा कर लिया। 331 ईसा पूर्व में उसने अलेक्जांद्रिया शहर का निर्माण किया और ग्रीक संस्कृति और व्यापार के लिए उस शहर को केंद्र बनाया। उसके बाद सिकंदर ने गौग्मेला के युद्ध में पर्शिया को हरा दिया। पर्शियन आर्मी की हार के साथ ही सिकंदर बेबीलोन का राजा, एशिया का राजा और दुनिया के चारो कोनो का राजा बना गया। सिकंदर का अगला लक्ष्य पूर्वी ईरान था, जहाँ उसने मेक्डोनियन कालोनी बनाई और अरिमाज़ेस में 327 किलों पर अपना कब्ज़ा जमाया। प्रिंस ओक्जियार्टेस को पकड़ने के बाद उसने प्रिंस की बेटी रोक्जाना से विवाह कर लिया. Sikandar History in Hindi में उसका विजय अभियान कई वर्षों तक नहीं टूट पाया था।

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सिकंदर का भारत पर आक्रमण

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328 ईसा पूर्व में सिकंदर भारत में पोरस की सेना से भिड़ा, दोनों की सेना में भयंकर युद्ध हुआ, सिकंदर की सेना ने अपना पूरा जोर लगा दिया था। आखिर में सिकंदर की जीत हुई। सिकंदर पोरस के पराक्रम से बहुत प्रभावित हुआ और उसे वापिस राजा बना दिया। सिकंदर ने सिन्धु के पूर्व की तरफ बढ़ने की कोशिश की, लेकिन उसकी सेना ने आगे बढने से मना कर दिया और वापिस लौटने को कहा। 325 ईसा पूर्व में सिकंदर ने ठीक होने के बाद अपनी सेना के साथ उत्तर की तरफ पर्शियन खाड़ी के सहारे का रुख किया, उस समय बहुत से लोग बीमार पड़ गए, कुछ चोटिल हो गए, तो कुछ की मृत्यु हो गई। अपने नेतृत्व और प्रभाव को बनाए रखने के लिए उसने पर्शिया के प्रबुद्ध लोगों को मेक्डोनिया के प्रबुद्ध लोगों से मिलाने का सोचा, जिससे एक शासक वर्ग बनाया जा सके। इसी क्रम में उसने सुसा में उसने मेक्डोनिया के बहुत से लोगो को पर्शिया की राजकुमारियों से शादी करवाई।

सिकंदर ने जब 10 हजार की संख्या पर्शियन सैनिक अपनी सेना में नियुक्त कर लिए, तो उसने बहुत से मेक्डोनियन सैनिको को निकाल दिया। इस कारण सेना का बहुत बड़ा हिस्सा उससे खफा हो गया और उनहोंने पर्शियन संस्कृति को अपनाने से भी मना कर दिया। सिकंदर ने तब 13 पर्शियन सेना नायकों को मरवाकर मेक्डोनीयन सैनिकों का क्रोध शांत किया। इस तरह सुसा में पर्शिया और मेक्डोनिया के मध्य सम्बन्धों को मधुर बनाने के लिए किया जाने वाला आयोजन सफल नहीं हो सका। Sikandar History in Hindi में सिकंदर की टक्कर के राजा सिर्फ पोरस ही थे, जिन्होंने सिकंदर को अपनी हार सामने याद दिला थी।

सिकंदर द्वारा जीती गई लड़ाईयां

सिकंदर द्वारा जीती गई लड़ाईयां इस प्रकार हैं:

वर्षकिसको हरायाजीत
2 अगस्त 338 BCThebans, Athenians और अन्य Greek शहर1-0
335 BCGetae, Thracians2-0
335 BCIllyrians3-0
335 BCThebans4-0
334 BCAchaemenid Empire5-0
334 BCAchaemenid Empire, Milesians6-0
334 BCAchaemenid Empire7-0
333 BCAchaemenid Empire8-0
332 BCAchaemenid Empire, Tyrians9-0
332 BCAchaemenid Empire10-0
331 BCAchaemenid Empire11-0
331 BCUxians12-0
330 BCAchaemenid Empire13-0
329 BCSogdians14-0
329 BCScythians15-0
327 BCSogdians16-0
327- 326 BCAspasians17-0
326 BCAśvaka18-0
326 BCPorus19-0
326-325 BCMalli20-0

सिकंदर की मृत्यु कैसे हुई?

सिकंदर की मृत्यु
Source : Wikipedia

कुछ इतिहासकारों के मुताबिक सिकंदर की मृत्यु 13 जून 323 BC में मलेरिया रोग के कारण बेबीलोन में हुई थी, उस समय सिकंदर की उम्र मात्र 32 वर्ष थी। Sikandar History in Hindi की कहानी उनकी मृत्यु तक ही नहीं रुकी, बल्कि इसने पूरी दुनिया को उनकी कहानी सुनाई। इतिहासकारों का मानना है कि जब सिकंदर से पूछा गया था कि उसके मरने के बाद किसको उसकी गद्दी दी जाए तो उसने कहा था कि “जो सबसे शक्तिशाली योद्धा है उसे मेरी गद्दी दी जाए।”

FAQs

सिकंदर का धर्म क्या था?

अलेक्जेंडर में पारंपरिक पारंपरिक ग्रीक ओलंपियन मान्यताओं (जो हमें बहुत कुछ नहीं बताती है, क्योंकि ग्रीक धर्म बहुत व्यवस्थित या केंद्रीकृत नहीं था)। हालांकि वह खुद को कुछ महत्व का धार्मिक व्यक्ति था।

सिकन्दर की मृत्यु कैसे हुई?

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि सिकंदर की मृत्यु 13 जून 323 BC में मलेरिया रोग के कारण बेबीलोन में हुई थी।

सिकंदर भारत कब आया?

सिकंदर भारत में 328 ईसा पूर्व में आया था।

हमेशा आशा है, Sikandar History in Hindi का यह ब्लॉग आपको अच्छा लगा होगा। इतिहास से संबंधित अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए बने रहिए Leverage Edu के साथ।

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