एक देश की ताकत का आंकलन उसकी सेना और एजुकेशन से लगता है। देश की ताकत और सुरक्षा तब और मजबूत हो जाती है, जब ये दोनों समानांतर रूप से काम करें। अगर आप DRDO के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते है कि DRDO Kya hai, DRDO की फुल फॉर्म, डीआरडीओ का काम क्या है, डीआरडीओ का उद्देश्य क्या है इस प्रकार ही हर जानकारी आपको इस ब्लॉग से प्राप्त होगी। यदि आपके पास इस ब्लॉग से सम्बंधित किसी भी प्रकार का सवाल है, तो आप नीचे कमेंट सेक्शन में अपना सवाल पूछें या इस ब्लॉग से सम्बंधित अपनी राय दें।
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DRDO ने जूनियर रिसर्च फेलो के पद के लिए 07 पदों पर भर्ती जारी की है। चयनित उम्मीदवारों को डीजीआरई चंडीगढ़ में नियुक्त किया जाएगा। उम्मीदवारों का चयन एक व्यक्तिगत इंटरव्यू के माध्यम से किया जाएगा। चयनित उम्मीदवारों को 31,000 रुपये का मासिक वेतन मिलेगा। उम्मीदवार एप्लीकेशन फॉर्म DRDO की आधिकारिक वेबसाइट https://www.drdo.gov.in/ से डाउनलोड कर सकते हैं। वॉक-इन इंटरव्यू के लिए आपको इस पते ‘द डायरेक्टर, डिफेन्स जिओइंफॉर्मेटिक्स रिसर्च इस्टैब्लिशमेंट (DGRE), हिम परिसर, सेक्टर 37A, चंडीगढ़ (UT)’ पर जाना होगा।
DRDO की फुल फॉर्म
DRDO की फुल फॉर्म डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाईजेशन है। जिसे हिंदी में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के नाम से जाना जाता है।
DRDO क्या है?
DRDO की स्थापना 1958 में हुई थी ये भारत की रक्षा से जुड़े रिसर्च का काम और रक्षा शक्ति को मजबूत बनाने में काफी बड़ा योगदान है। इसकी स्थापना भारत की शैन्य शक्ति को मजबूत बनाने के लिए की गयी थी। यह संगठन भारतीय रक्षा मंत्रालय की एक सब्सिडरी ईकाई के रूप में काम करता है। इसका उद्देश्य “बालस्य मूलं विज्ञानम् “ है यानी शक्ति का आधार विज्ञान है। इसे अंग्रेज़ी में “Strength’s Origin is Science” कहते है। इसके वर्तमान में चेयरमैन डॉ. समीर वी कामत हैं।
DRDO भारत का सबसे बड़ा रिसर्च संगठन है। इसकी स्थापना 10 छोटे प्रयोगशालाओं से हुई है। DRDO ने 1960 में अपना पहला प्रोजेक्ट (सरफेस-टू-एयर मिसाइल) में मिसाइलों की पहली परियोजना इंडिगो के नाम से शुरू की , कुछ समय बाद इसे बंद कर दिया। 1970 के दशक में शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल को विकसित किया गया। इसका मुख्यालय दिल्ली के राष्ट्रपति भवन के निकट ही, सेना भवन के सामने DRDO भवन में स्थित है। इसकी एक प्रयोगशाला महात्मा गाँधी मार्ग पर नार्थ वेस्ट दिल्ली में स्थित है।
DRDO के काम
DRDO का कार्य देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। ये जल, थल, नभ, सेनाओं की रक्षा जरूरतों के अनुसार विश्व स्तरीय हथियार और यंत्र का प्रोडक्शन करती है। DRDO मिलिट्री टेक्नोलॉजी के बहुत से क्षेत्रों में भी काम करती है। इसके अलावा साइबर, अंतरिक्ष, लाइफ साइंस, कृषि और परिक्षण के क्षेत्र में भी तेजी ला रहा है। ताकि देश की सुरक्षा को मजबूत किया जा सके।
DRDO के प्रोजेक्ट्स
DRDO के द्वारा विकसित किए गए प्रमुख प्रोजेक्ट्स और टेक्नोलॉजी की लिस्ट काफी लंबी है। भारत की सुरक्षा के लिए DRDO द्वारा तैयार की गयी अग्नि, प्रथ्वी, नाग, त्रिशूल और आकाश मिशाइल भी इसी लिस्ट में शामिल है-
भारत की मिसाइल प्रणाली | |
मिसाइल | विशेषताएँ |
अग्नि- I | सिंगल स्टेज, सॉलिड ईंधन, मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल। इसमें सॉलिड प्रोपल्शन बूस्टर और एक लिक्विड प्रोप्लशन अप्पर का उपयोग किया गया है। 700-800 किमी. की दूरी तय करता है। |
अग्नि- II | मध्यम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM)। 2000 किमी. से अधिक की दूरी तय करता है। |
अग्नि- III | दो चरणों वाली मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM)।वारहेड कॉन्फिगरेशन की एक विस्तृत शृंखला को सपोर्ट करती है। 2,500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करता है। |
अग्नि- IV | सॉलिड प्रोपल्शन द्वारा संचालित दो चरणों वाली मिसाइल।रोड मोबाइल लॉन्चर से फायर कर सकते हैं। 3,500 किमी. से अधिक की दूरी तय कर सकता है। यह स्वदेशी रूप से विकसित रिंग लेज़र गायरो और समग्र रॉकेट मोटर से बनी हुई है। |
अग्नि- V | तीन चरणों वाली सॉलिड ईंधन, स्वदेशी अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM)। 1.5 टन परमाणु वारहेड ले जाने में सक्षम। नेविगेशन और मार्गदर्शन, वारहेड और इंजन के संदर्भ में नवीनतम एवं सबसे डेवलप एडिशन। इसके सेना में शामिल होने के बाद भारत भी अमेरिका, रूस, चीन, फ्राँस और ब्रिटेन जैसे देशों के एक विशेष क्लब में शामिल हो गया है, जिनके पास अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता है। 5,000 किमी. से अधिक की दूरी तय करती है। |
त्रिशूल | सभी मौसम में सतह-से-आकाश में वार करने में सक्षम, तुरंत प्रतिक्रिया वाली इस मिसाइल को निम्न स्तर के हमले का मुकाबला करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। |
आकाश | एक साथ कई लक्ष्यों को भेदने की क्षमता के साथ सतह-से-आकाश में वार करने वाली मध्यम दूरी की मिसाइल है। एक से अधिक वारहेड ले जाने में सक्षम है। उच्च-ऊर्जा, सॉलिड प्रोपल्शन और रैम-रॉकेट फेंकने वाली प्रणाली से बना है। |
नाग | यह तीसरी पीढ़ी की ‘दागो और भूल जाओ’ (Fire and Forget) 4-8 किमी. की दूरी की क्षमता के साथ टैंक भेदी मिसाइल है। स्वदेशी रूप से इसे एक एंटी-वेपन के रूप में विकसित किया गया है जो उड़ान मार्गदर्शन के लिये सेंसर फ्यूजन टेक्नोलॉजी को नियोजित करती है। हेलीना (HELINA) नाग का हवा से सतह पर वार करने वाला संस्करण है जो ध्रुव हेलीकाप्टर के साथ इंटीग्रेटेड है। |
पृथ्वी | IGMDP के तहत स्वदेशी तौर पर निर्मित पहली बैलिस्टिक मिसाइल हैं। सतह-से-सतह पर वार करने वाली बैटल फील्ड मिसाइल।150 किमी. से 300 किमी. तक की दूरी की क्षमता। |
ब्रह्मोस | सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल। इसे निजी जॉइंट वेंचर के रूप में रूस के साथ विकसित किया गया है। मल्टी-प्लेटफॉर्म क्रूज़ विभिन्न प्रकार के प्लेटफार्मों से आक्रमण कर सकता है। 2.5-2.8 मैक की गति के साथ विश्व की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में से एक है। एक बार लक्ष्य साधने के बाद इसे कंट्रोल सेंटर से मार्गदर्शन की आवश्यकता नही होती है इसलिये इसे ‘दागो और भूल जाओ’ (Fire and Forget) मिसाइल भी कहा जाता है। |
निर्भय | सबसोनिक मिसाइल, ब्रह्मोस का पूरक। भूमि, समुद्र और वायु पर कई प्लेटफाॅर्मो से लॉन्च किये जाने में सक्षम। 1,000 किमी. तक की पहुँच है। |
सागरिका | पनडुब्बी-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM)। भारत की परमाणु ऊर्जा संचालित अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बी के साथ इंटीग्रेटेड है। 700 किमी. की दूरी तय करती है। |
शौर्य | K-15 सागरिका का एक प्रकार है। पनडुब्बी- परमाणु-सक्षम मिसाइल। भारत की दूसरी,आक्रमण क्षमता को बढ़ाने का लक्ष्य। |
धनुष | सी-बेस्ड, कम दूरी, तरल प्रणोदक बैलिस्टिक मिसाइल। पृथ्वी II का नौसेना एडिशन। अधिकतम 350 किमी. की दूरी तय कर सकती है। |
अस्त्र | सॉलिड प्रोपल्शन का उपयोग करते हुए व्यू-रेंज से परे हवा-से-हवा में वार करने वाली मिसाइल। आकार और वज़न के मामले में DRDO द्वारा विकसित सबसे छोटे हथियारों में से एक है। लक्ष्य खोजने के लिये एक्टिव रडार साधक।इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-माप क्षमता। 80 किमी. की रेंज में हेड-ऑन मोड में सुपरसोनिक गति से दुश्मन के विमान को रोकने और नष्ट करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। |
प्रहार | यह भारत की नवीनतम 150 किमी. की दूरी की क्षमता के साथ सतह-से-सतह पर वार करने वाली मिसाइल है। इसका प्राथमिक उद्देश्य अन-गाइडेड पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर और निर्देशित पृथ्वी मिसाइल वेरिएंट के मध्य की खाई को जोड़ना है। |
DRDO कैसे जॉइन करें?
DRDO के लिए अलग-अलग पोस्ट के लिए जॉइनिंग प्रोसेस अलग-अलग है। हालाँकि आप GATE, SET, CEPTAM के माध्यम से भी DRDO जॉइन कर सकते हैं।
GATE की परीक्षा से DRDO जॉइन करें
GATE के माध्यम से भी उम्मीदवार DRDO में भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं। उम्मीदवारों के पास आवेदन करने के लिए GATE पास होना आवश्यक है। DRDO उम्मीदवार द्वारा GATE और इंटरव्यू में प्राप्त अंको के माध्यमों से साइंटिस्ट B की भर्ती करता है और जो भी इच्छुक उम्मीदवार साइंटिस्ट बनना चाहते है वे डीआरडीओ के एप्पलीकेशन फॉर्म को GATE के माध्यम से भर सकते है। पेपर होने के बाद चयनित उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा। यदि वह इंटरव्यू में पास हो जाते है तो उन्हें भर्ती कर लिया जाएगा।
CEPTAM के माध्यम से DRDO जॉइन करें
यदि आप CEPTAM के माध्यम से DRDO में आवेदन करना चाहते है तो इसके लिए पहले आपको लिखित परीक्षा देनी होगी, जिसमें 2 टियर में आपको परीक्षा देनी होगी। यदि आप पहली टियर की परीक्षा को पास कर लेते है तो आप दूसरे टियर की परीक्षा में बैठ सकते हैं।
- टियर– 1 में आपको ऑब्जेक्टिव टाइप के प्रश्न दिए जायेंगे, जो 150 अंक के होंगे। इसके लिए आपको 2 घंटे का समय दिया जाएगा।
- टियर–2 में आपसे 100 प्रश्न पूछे जाएंगे। टियर 2 में भी ऑब्जेक्टिव टाइप के प्रश्न होंगे और इसको हल करने के लिये आपको 1 घंटे 30 मिनट का समय दिया जाएगा।
SET के माध्यम से DRDO जॉइन करें
DRDO की यह परीक्षा दो चरणों में होती है, जिसमें पहले आपको रिटर्न परीक्षा देनी होगी, उसके बाद इंटरव्यू होता है। DRDO में आपके द्वारा प्राप्त अंको को आगे नहीं बढ़ाया जाता है, बल्कि इंटरव्यू में उम्मीदवारों को स्क्रीनिंग के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें अंतिम सेलेक्शन इंटरव्यू पर डिपेंड करता है कि उम्मीदवार की परफॉर्मेंस कैसी है यदि आप अच्छे से अपना इंटरव्यू देते है तो आपका सेलेक्शन हो जायेगा। यह एग्जाम 3 घंटे का होता है जिसमें 500 मार्क्स के 150 ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न पूछे जाते हैं।
DRDO में जॉब प्रोफाइल्स
DRDO समय समय पर कई पदों के लिए भर्ती निकालता रहता है। जिसमें अलग-अलग योग्यता के हिसाब से नौकरी के विकल्प निकलते हैं। इस संस्था में आप क्लर्क, स्टेनोग्राफर, फायर इंजन ड्राइवर, जूनियर रिसर्च फेलो और रिसर्च एसोसिएट जैसी नौकरियाँ अपनी योग्यता के आधार पर पा सकते है।
DRDO की मुख्य संस्थाएँ
DRDO अंतरगर्त आने वाली संस्थाओं की सूची नीचे दी गई है-
- एडवांस्ड न्यूमेरिकल रिसर्च एंड एनालिसिस ग्रुप- हैदराबाद
- एडवांस्ड सिस्टम्स लेबोरेटरी- हैदराबाद
- एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट- आगरा
- ऐरोनोटिकल डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट- बेंगलुरू
- अवार्ड रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट- पुणे
- सेंटर फॉर एयरबोर्न सिस्टम- बेंगलुरू
- सेंटर फॉर आर्टिफीसियल इंटेलिजेन्स एंड रोबोटिक्स- बेंगलुरू
- सेंटर फॉर फायर एक्सप्लोसिव एंड एनवायरनमेंट सैफ्टी- दिल्ली
- कॉम्बैट व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट- चेन्नई
- डिफेन्स फूड रिसर्च लेबोरेटरी- मैसूर
- टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेटरी- चंडीगढ़
DRDO के मुख्य मुद्दे
DRDO kya hai जानने के साथ-साथ यह भी जानिए इनके पास मुख्य मुद्दे क्या हैं, जो इस प्रकार हैं:
- वर्ष 2016-17 के दौरान रक्षा संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने DRDO की परियोजनाओं के लिए अपर्याप्त राशि के बजटीय समर्थन पर अपनी चिंता व्यक्त की थी।
- स्टैंडिंग कमिटी का कहना था कि 2011-12 के कुल रक्षा बजट में DRDO का हिस्सा 5.79 प्रतिशत था, जो 2013-14 में घटकर 5.34 प्रतिशत रह गया था।
- DRDO के प्रति सरकार की ढीली रेवेन्यू कमिटमेंट्स के कारण भविष्य की टेक्नोलॉजी से जुड़े कई मुख्य प्रोजेक्ट्स कुछ फंसे हुए हैं।
- DRDO महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में कम मैनपावर के चलते आर्म्ड फोर्सेज के साथ सही तालमेल की कमी से भी जूझ रहे हैं।
- लागत में वृद्धि और प्रोजेक्ट कार्यों में देरी ने DRDO की प्रतिष्ठा को थोड़ा नुकसान पहुंचाया है।
- DRDO की स्थापना के 60 साल बाद भी भारत अपने डिफेंस टूल्स का एक बड़ा हिस्सा इम्पोर्ट करता है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, 2013-17 की अवधि में ग्लोबल लेवल पर हथियारों और डिफेंस टूल्स के इम्पोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 12 फीसदी रही है।
DRDO के चेयरपर्सन
DRDO के चेयरपर्सन के नाम टेबल के माध्यम से नीचे दिए गए हैं-
नाम | कब से | कब तक |
एन बंद्योपाध्याय | 25 मार्च 1996 | 31 मार्च 1998 |
एम.बी. सिंह | 01 अप्रैल 1998 | 30 सितंबर 1999 |
डॉ. ए.के. दत्ता | 01 अक्टूबर 1999 | 31 मई 2000 |
डॉ. राम कुमार | 01 जून 2000 | 31 मई 2001 |
डॉ. ए.के. दत्ता | 01 जून 2001 | 31 अगस्त 2001 |
रमेश कुमार | 08 मई 2002 | 30 अप्रैल 2003 |
डब्ल्यू सेल्वमूर्ति | 01 मई 2003 | 14 सितंबर 2004 |
रमेश कुमार | 15 सितंबर 2004 | 14 सितंबर 2007 |
एस.सी. नारंग | 15 सितंबर 2007 | 27 मार्च 2012 |
वी भुजंगा राव | 28 मार्च 2012 | 27 मार्च 2013 |
राजवंत बी सिंह | 28 मार्च 2013 | 27 मार्च 2016 |
एम एच रहमान | 28 मार्च 2016 | 07 जून 2016 |
डॉ ललित कुमारी | 08 जून 2016 | 08 जून 2018 |
सुधीर गुप्ता | 09 जून 2018 | 21 जून 2020 |
आर. अप्पावुराजी | 22 जून 2020 | NA |
डॉ. समीर वी कामत | 26 अगस्त 2022 | अभी तक |
FAQs
डीआरडीओ भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय का आर एंड डी विंग है, जो अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों और महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए भारत को सशक्त बनाने के लिए हथियार और सुरक्षा उपलब्ध करवाता है।
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गैनाइज़ेशन भारत की रक्षा से जुड़े रिसर्च कार्यों के लिये देश की अग्रणी संस्था है। यह संगठन भारतीय रक्षा मंत्रालय की एक ईकाई के रूप में काम करता है।
डीआरडीओ के वर्तमान अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी हैं।
DRDO की स्थापना 1958 में हुई थी।
DRDO का मुख्यालय नई दिल्ली में है।
डीआरडीओ की स्थापना जिवाजी राव सिंधिया ने की थी।
डीआरडीओ का मोटो “बलस्य मूलं विज्ञानम्“ है।
आशा है कि इस ब्लॉग से आपको DRDO Kya Hai से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। यदि आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं, तो 1800 572 000 पर कॉल करके Leverage Edu एक्सपर्ट्स के साथ 30 मिनट का फ्री सेशन बुक करें।