कायरोप्रैक्टर कैसे बनें?

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chiropractor kaise bane

कायरोप्रैक्टिक एक वैकल्पिक उपचार पद्धति है। इसका उपयोग मांसपेशियों, हड्डियों, जोड़ों और इनसे जुड़े टिशू जैसे कि कार्टिलेज, टेंडन्स और लिगामेंट्स में होने वाले दर्द के इलाज के लिए किया जाता है। यह शरीर के नर्वस सिस्टम और हड्डियों के तंत्र में आने वाले विकारों का, बिना ऑपरेशन किए जाने वाले उपचार का एक प्रकार है। कायरोप्रैक्टिक चिकित्सा में बिना किसी सर्जरी या दवा के हड्डी तंत्र को सही स्वरुप में लाने के लिए कायरोप्रैक्टर थेरेपिस्ट हाथों की मदद से रीढ़ की हड्डी पर दबाव डालते हैं। दवाब डालने की प्रक्रिया से शरीर स्वयं दर्द को ठीक कर लेता है। यह दबाव इसलिए उपयोग किया जाता है ताकि टिश्यू में किसी दुर्घटना जैसे गिरने से चोट लगने या पीठ को बिना सहारा दिए बैठने आदि कारण से जोड़ों को हिलाने-डुलाने में होने वाली परेशानी को दूर किया जा सके। आइए और विस्तार से जानते हैं कि chiropractor kaise bane।

कोर्स कायरोप्रैक्टिक
स्किल्सदर्द के छेत्र की पहचान करना, समय प्रबंधन स्किल, टीमवर्क स्किल, दृढ़ता और धीरज 
योग्यतआभौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान विषय से 12वीं और बैचलर डिग्री को प्राप्त करना आवश्यक है।
प्रवेश परीक्षाएंIELTS, TOEFL
करियर स्कोप सरकारी अस्पताल, क्लीनिक एंड हेल्थ डिपार्टमेंट, नर्सिंग होम वृद्धाश्रम, सैन्य अस्पताल
शुरुआती सैलेरी20 से 25 हजार रुपए/महीना

कायरोप्रैक्टर कौन होते हैं?

काइरोप्रैक्टिक एक ऐसी उपचार पद्धति है जिसमें काइरोप्रैक्टर नामक थेरेपिस्ट अपने हाथों के प्रयोग से आपको हड्डियों, मांसपेशियों और जोड़ों की परेशानियों में राहत प्रदान करते हैं।

“वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ़ काइरोप्रैक्टिक” के अनुसार काइरोप्रैक्टिक का अर्थ है “मानव शरीर के हड्डियों के तंत्र में किसी तरह की परेशानी तथा इन परेशानियों से शरीर के नर्वस तंत्र और सामान्य स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभाव के उपचार और बचाव से जुड़ा एक स्वास्थ्य संबंधी पेशा जिसमें रीढ़ की हड्डी के एडजस्टमेंट और अन्य जोड़ों तथा मुलायम टिश्यू पर हाथों से दबाव डाल कर उपचार करने पर ज़ोर दिया जाता है।”

कायरोप्रैक्टर (हाड वैद्य) करियर को क्यों चुनें?

कायरोप्रैक्टर अपने हाथों के प्रयोग से हड्डियों, मांसपेशियों और जोड़ों की परेशानियों में राहत प्रदान करते हैं। Chiropractor kaise bane के साथ-साथ आपको यह करियर क्यों चुनना चाहिए बताने के लिए कुछ कारण नीचे दिए गए हैं-

  • कायरोप्रैक्टर्स की सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया में भी भारी डिमांड है। Ibisworld.com की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में 67,736 कायरोप्रैक्टर्स हैं। वहीं Statista.com की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार यूके में 3,300 कायरोप्रैक्टर्स हैं।
  • सरकारी अस्पतालों में भी नौकरी कर सकते हैं।
  • लाइसेंस प्राप्त करते ही कायरोप्रैक्टर सरकारी और प्राइवेट दोनों सेक्टर में कार्य कर सकते हैं।
  • शोधकर्ताओं को रीढ़ की हड्डी के समायोजन या हेरफेर के कारण कमर, गर्दन और कंधों के दर्द से लेकर अस्थमा, कार्पल टनल सिंड्रोम, फाइब्रोमायल्जिया और सिरदर्द जैसी परेशानियों में होने वाले लाभ के बारे में अध्ययन कराया जाता है।
  • हाथों से की जाने वाली थेरेपी से होने वाले लाभ के वैज्ञानिक सबूतों की 2010 में की गयी समीक्षा के अनुसार रीढ़ की हड्डी का समायोजन कमर दर्द, माइग्रेन और गर्दन से संबंधित सिरदर्द, गर्दन दर्द, कंधों के दर्द व घुटनों के दर्द और मोच से जुड़े विकार में मदद करता है।

कायरोप्रैक्टर के काम

कायरोप्रैक्टर्स हमारे शरीर के तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) और हड्डियों के तंत्र में आने वाले किसी विकार का बिना किसी ऑपरेशन के उपचार करते हैं। आमतौर पर कायरोप्रैक्टर्स चिकित्सा के उपयोग से रीढ़ की हड्डी और इसके आस-पास के क्षेत्र में उपचार करते हैं। विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि आमतौर पर कमर के निचले हिस्से में दर्द के इलाज के लिए कायरोप्रैक्टर थेरेपी का प्रयोग किया जाता है। इसके साथ-साथ लंबर हर्नियेटेड डिस्क (यह स्लिप डिस्क का ही एक प्रकार है, यह परेशानी रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में होती है) के इलाज में रेडिक्यूलोपेथी के लिए कायरोप्रैक्टर थेरेपी का इस्तेमाल होता है। गर्दन दर्द जैसी अन्य परेशानियों के लिए कायरोप्रैक्टर द्वारा हाथों से की जाने वाली थेरेपी उपयोग की जाती है। 

कायरोप्रैक्टर के स्किल्स

एक हाड वैद्य की नौकरी जिम्मेदारी, ईमानदारी, आत्मविश्वास और विशिष्ट स्किल्स की मांग करती है और केवल रोजमर्रा के काम में उन स्किल्स के जरिए खुद को एक सफल कायरोप्रोक्टिक के रूप में स्थापित कर सकता है। नीचे कायरोप्रैक्टर की स्किल्स दी गई हैं-

  • दर्द के क्षेत्र की पहचान करना – उस क्षेत्र का पता लगाने और पता लगाने की क्षमता जहां दर्द उत्पन्न होता है और बना रहता है।
  • आधुनिक उपचार तकनीकों का उपयोग – आधुनिक उपचार तकनीक से परिचित होना चाहिए।
  • दृढ़ता और धीरज – रोगियों को सुनने और समय देने के लिए अपार संयम रखें।
  • पारस्परिक स्किल – रोगियों के साथ संबंध विकसित करने और उनके विश्वास और विश्वास का निर्माण करने की क्षमता का होना।
  • समय प्रबंधन स्किल – समय की पाबंदी, लंबे समय तक काम करने और दबाव को संभालने की क्षमता का होना।
  • टीम वर्किंग स्किल – अन्य चिकित्सकों और विशेषज्ञों के साथ काम करने की क्षमता।

कायरोप्रैक्टर बनने के लिए स्टेप बाय स्टेप गाइड

Chiropractor kaise bane जानने के लिए जरूरी है कि पढ़ाई पूरी करें और फिर लाइसेंस प्राप्त करें। इसके लिए नीचे दिए गए स्टेप्स को जानें-

  • प्री मेडिकल की पृष्ठभूमि प्राप्त करें – यह आमतौर पर जीव विज्ञान जैसे सब्जेक्ट से बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री अर्जित करके किया जा सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप सही रास्ते का चुनाव कर रहे हैं, आप जिस कायरोप्रैक्टिक कार्यक्रम में नामांकन करना चाहते हैं, उसके लिए प्रवेश आवश्यकता की जाँच करें। 
  • कायरोप्रैक्टिक कार्यक्रम के डॉक्टर में नामांकन करें –  अधिकांश D.C या डॉक्टर ऑफ़ कायरोप्रैक्टिक प्रोग्राम दोहरे-डिग्री विकल्प प्रदान करते हैं, जिसमें आवेदक अपना D.C अर्जित करते हुए किसी अन्य क्षेत्र में स्नातक या मास्टर की उपाधि प्राप्त कर सकते हैं। यह कार्यक्रम आम तौर पर चार साल तक चलता है।
  • अपने राज्य द्वारा लाइसेंस प्राप्त करें – सभी राज्यों के कायरोप्रैक्टर्स को लाइसेंस की आवश्यकता होती है। जबकि आवश्यकताएं राज्य द्वारा अलग होती हैं, सभी कायरोप्रैक्टर्स को लाइसेंस प्राप्त करने के लिए नेशनल बोर्ड ऑफ कायरोप्रैक्टिक एक्जामिनर्स परीक्षा के सभी चार भागों को पास करने की आवश्यकता होती है। भाग I कायरोप्रैक्टिक स्कूल के दूसरे वर्ष के दौरान लिया जाता है, भाग II तीसरे वर्ष में लिया जाता है और भाग III और IV को बैचलर्स होने के छह से नौ महीने के भीतर लेने की आवश्यकता होती है।
  • कानूनी आवश्यकताओं को पास करें – कुछ राज्य आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच और राज्य-विशिष्ट न्यायशास्त्र परीक्षा लेते है। कुछ राज्य व्यक्तिगत संदर्भों पर ध्यान देते हैं। सुनिश्चित करें कि आवेदक लाइसेंस के लिए क्या करें। 
  • अपना लाइसेंस चालू रखें – सभी राज्यों को कंटिन्यूइंग एजुकेशन क्लास के साथ अपने लाइसेंस को चालू रखने के लिए एक कायरोप्रैक्टिक की आवश्यकता होती है। कुछ राज्य आपको इसे ऑनलाइन करने की अनुमति देते हैं। कंटिन्यूइंग एजुकेशन क्लास के कुछ उदाहरण एक्यूपंक्चर, ऑटोमोबाइल दुर्घटना वसूली और पोषण हैं। 

कायरोप्रैक्टर बनने के लिए कोर्स

डॉक्टर ऑफ कायरोप्रैक्टिक डिग्री प्रोग्राम में 4,200 घंटे का क्लासरूम स्टडी, लैबोरेटरी वर्क और क्लिनिकल एक्सपीरियंस शामिल है। चार वर्षों में से, पहले दो वर्ष नीचे दिए गए कुछ विषयों पर ज्ञान प्रदान किया जाता हैं:

अगले दो वर्षों का पाठ्यक्रम रीढ़ की हड्डी के दर्द के प्रबंधन के लिए हेरफेर और समायोजन तकनीक पर केंद्रित है। वे प्रयोगशाला निदान विधियों के साथ-साथ न्यूरोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स, जेरियाट्रिक्स, फिजियोथेरेपी और पोषण पर नैदानिक ज्ञान भी जमा करते हैं। यहां उन क्षेत्रों की सूची दी गई है जो एक हाड वैद्य को सीखना चाहिए:

रीढ़ की हड्डी में रोगबायोमैकेनिज्म
वर्टेब्रल सबलक्सेशन कॉम्प्लेक्सबोन पैथोलॉजी
गति-स्थानिक/निर्धारण अवधारणाइमेजिंग तकनीक
मैनिपुलेशन प्रक्रिया

आप AI Course Finder की मदद से भी अपनी रुचि के अनुसार कोर्सेज का चयन कर सकते हैं।

दुनिया की टॉप यूनिवर्सिटीज

Chiropractor kaise bane जानने के लिए दुनिया की टॉप यूनिवर्सिटीज की लिस्ट नीचे दी गई है-

Mega UniConnect, दुनिया का पहला और सबसे बड़ा यूनिवर्सिटी फेयर जहाँ आपको मिल सकता है स्टडी अब्रॉड रेप्रेज़ेंटेटिव्स से बात करने का मौका। 

टॉप भारतीय यूनिवर्सिटीज

हाड वैद्य बनने के लिए यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करनी ज़रूरी है, नीचे टॉप भारतीय यूनिवर्सिटीज की लिस्ट दी गई है-

  • होली एंजल्स कॉलेज ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन, मुंबई
  • इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन एंड रिसर्च , कोलकाता
  • एम्स दिल्ली
  • नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस
  • बीएचयू
  • पारूल यूनिवर्सिटी
  • मणिपाल एकेडमी ऑफ़ हाईयर एजूकेशन
  • लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी

योग्यता

कायरोप्रैक्टिक एक विशेष पेशेवर पाठ्यक्रम होने के लिए कई वर्षों के अध्ययन और घंटों के कठोर प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। नीचे योग्यता दी गई है-

  • कायरोप्रैक्टिक कोर्स के लिए नामांकन करने के लिए, छात्रों को भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान विषय के साथ अपनी कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा पूरी करनी होगी।
  • कायरोप्रैक्टिक पाठ्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए, उम्मीदवार को किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से बैचलर्स डिग्री पूरी करनी चाहिए।
  • स्नातक पाठ्यक्रम में छात्रों को अंग्रेजी और सामाजिक विज्ञान के साथ समान विज्ञान विषयों का अध्ययन करना होता है।
  • एक उम्मीदवार कायरोप्रैक्टिक कोर्स या तो 5 साल के इंटीग्रेटेड प्रोग्राम के माध्यम से कर सकता है जो 3 साल के बैचलर्स प्रोग्राम और 2 साल के स्नातकोत्तर कार्यक्रम, या 4 के डॉक्टरेट कार्यक्रम को जोड़ता है।
  • विदेश में पढ़ने के लिए इंग्लिश लैंग्वेज टेस्ट जैसे IELTS, TOEFL के अंक।
  • SOP और LOR

क्या आपको IELTS और TOEFL की तैयारी में मदद और एक उचित मार्गदर्शन चाहिए, तो आज ही Leverage Live पर रजिस्टर करें और अपने टेस्ट में उमदा प्रर्दशन करें।

आवेदन प्रक्रिया

Chiropractor kaise bane को और अच्छे से जानने के लिए यूनिवर्सिटीज की आवेदन प्रक्रिया इस प्रकार है:

  • कायरोप्रैक्टिक के लिए आवेदन करने के लिए विद्यार्थी को आवेदन फॉर्म भरने की आवश्यकता होती है।
  • विद्यार्थी को चाहिए कि वह आवश्यक दस्तावेजों के साथ अपनी योग्यता और सारी अन्य आवश्यक जानकारी फॉर्म में भर कर जमा करें।
  • आवेदन करने के लिए विद्यार्थी अपने यूनिवर्सिटी के एप्लीकेशन फॉर्म पर क्लिक करें।
  • अगर आवेदक रजिस्टर्ड नहीं है तो आवेदक को सबसे पहले अपने मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी से खुद को रजिस्टर कराना होगा।
  • एप्लीकेशन फॉर में पूछे जा रहे सभी आवश्यक जानकारी जैसे नाम, पता, क्वालिफिकेशन आदि को भरना होता है।
  • आवेदन पत्र पूरा भरने के बाद अंत में एप्लीकेशन फी जमा करना होता है, और इसी के साथ फॉर्म भी जमा हो जाता है।
  • कुछ यूनिवर्सिटी एप्लीकेशन के बाद इंटरव्यू भी लेती है जिसके बाद वे विद्यार्थी को सेलेक्ट करती है।
  • सारे प्रोसेस को पूरा करने के बाद विद्यालय में एडमिशन ले कर पढ़ाई पूरा करने के बाद लाइसेंस प्राप्त करें।

आप Leverage Finance की मदद से विदेश में पढ़ाई करने के लिए अपने कोर्स और विश्वविद्यालय के अनुसार एजुकेशन लोन भी पा सकते हैं।

आवश्यक दस्तावेज

विदेशी विश्वविद्यालय में एडमिशन लेने के लिए नीचे दिए गए दस्तावेज होने आवश्यक हैं-

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करियर स्कोप

Chiropractor kaise bane यह जानने के बाद एक हाड वैद्य के पास नौकरी के पर्याप्त अवसर होते हैं। अभ्यास के लिए लाइसेंस प्राप्त करने के बाद वे सरकारी और निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम आदि में काम कर सकते हैं। वे अपना क्लिनिक स्थापित कर सकते हैं और एक निजी प्रैक्टिस शुरू कर सकते हैं। यहां उन क्षेत्रों की सूची दी गई है जहां एक हाड वैद्य काम कर सकता है:

  • सरकारी अस्पताल
  • क्लीनिक एंड हेल्थ डिपार्टमेंट 
  • नर्सिंग होम
  • वृद्धाश्रम
  • सैन्य अस्पताल
  • निजी अस्पताल
  • शिक्षकों के रूप में प्रशिक्षण संस्थान में
  • औद्योगिक घरानों और कारखानों में
  • स्पोर्ट्स एकैडमी

सैलरी

एक कायरोप्रैक्टर की औसत आय उसकी स्किल्स, तकनीक और अनुभव पर निर्भर करती है। किसी भी अन्य प्रोफेशन की तरह, शुरुआत में उसकी कमाई कम होगी लेकिन वर्षों के साथ वह अनुभव प्राप्त करेगा और उसकी कमाई में भी वृद्धि होगी। वह सरकारी अस्पताल में नौकरी करता है, तो उसे सरकारी वेतनमान मिलेगा। निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में शुरुआत में उन्हें INR 20-25 हजार प्रति माह वेतन मिलेगा। लेकिन कुछ सालों के अनुभव से वह एक महीने में 50 हजार रुपये तक कमा सकते हैं। निजी प्रैक्टिस में नाम बनाने पर वह और कमा सकते हैं। एक अनुभवी हाड वैद्य एक हड्डी रोग विशेषज्ञ या न्यूरोलॉजिस्ट के सहयोग से काम करता है और फिर वह घंटे के हिसाब से अपने परामर्श के लिए शुल्क ले सकता है। Glassdoor.com के अनुसार कायरोप्रैक्टर की सालाना एवरेज सैलरी USD 71,454 (INR 53.59 लाख) और यूके में GBP 42,027 (INR 42.02 लाख) होती है।

FAQs

एक कायरोप्रैक्टर क्या करता है?

कायरोप्रैक्टर एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर है जो मुख्य रूप से मनुष्यों में न्यूरोमस्कुलर विकारों के निदान और उपचार से संबंधित है।

कायरोप्रैक्टर बनने के लिए बारहवीं कक्षा में कौन से विषय से पढ़ना चाहिए?

किसी भी अन्य चिकित्सा पाठ्यक्रम की तरह, कायरोप्रैक्टर (हाड वैद्य) बनने के लिए आपके पास बारहवीं कक्षा में भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान होना चाहिए।

भारत में कायरोप्रैक्टर (हाड वैद्य) कैसे बन सकते हैं?

एक उम्मीदवार या तो पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड मास्टर्स प्रोग्राम या बारहवीं कक्षा पूरी करने के बाद तीन वर्षीय स्नातक डिग्री का विकल्प चुन सकता है।

आशा कहते हैं कि आपको chiropractor kaise bane यह पता चल गया होगा। यदि आप विदेश में काइरोप्रेक्टिक कोर्स करना चाहते हैं तो हमारे Leverage Edu एक्सपर्ट्स से 1800 572 000 पर कॉल कर आज ही 30 मिनट का फ्री सेशन बुक कीजिए।

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