भारत एक ऐसा देश है जिसने हमेशा शिक्षा के क्षेत्र में विश्व को मार्गदर्शन देकर विश्वगुरु बनने का काम किया है। भारत में होने वाले लगभग सभी महत्वपूर्ण टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (जैसे CTET, UPTET, HPTET, PSTET इत्यादि) का एक महत्वपूर्ण विषय Child Development & Pedagogy in Hindi होता है। सरकारी स्कूलों में काम करने के इच्छुक उम्मीदवार अक्सर KVS, DSSSB जैसे शिक्षक भर्ती परीक्षा भी देते हैं, जिनके लिए इस विषय की तैयारी करना अनिवार्य हो जाता है। बाल विकास और शिक्षाशास्त्र का उद्देश्य उम्मीदवारों को बालक के व्यवहार, रुचियों में हो रहे निरंतर परिवर्तन का अध्ययन कराना होता है। शिक्षकों के लिए होने वाले भर्तियो में भी बाल विकास और शिक्षाशास्त्र से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं। इस ब्लॉग में उम्मीदवार Child Development & Pedagogy in Hindi के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।
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Child Development and Pedagogy in Hindi
मानव की प्रकृति को देखा जाए तो विकास एक निरंतर प्रक्रिया हैं। बाल अवस्था से लेकर वृद्धावस्था तक इंसान में अलग अलग तरह के बदलवा आते है जैसे शारीरिक, मानसिक, सामाजिक। इन सभी का अध्ययन बाल विकास कहलाता हैं।
बाल विकास और शिक्षाशास्त्र की परिभाषाएं
चाइल्ड डेवलपमेंट एंड पेडागोजी एक ऐसा विषय है, जिसके माध्यम से उम्मीदवार शिक्षक बनने के अपने सपने को पूरा कर सकते हैं, इसकी परिभाषाओं को निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा समझा जा सकता है;
- मुनरो के अनुसार – एक ऐसी परिवर्तन श्रृंखला जिसमें भ्रूणावस्था से लेकर प्रौढ़ावस्था तक गुज़रता हैं उसे विकास कहा जाता हैं।
- हरलॉक के अनुसार- विकास का मतलब बढ़ते रहने से नहीं है बल्कि इसमें प्रौढ़ावस्था के लक्ष्य कि और परिवर्तनों का प्रगतिशील क्रम रहता है। विकास के परिणाम स्वरूप इंसान में अनेक में विशेषताएं और नईम योग्यताएं स्पष्ट होती है।
- ड्रेवर के अनुसार-विकास, प्राणी में होने वाला प्रगति शील, जो किसी लक्ष्य की और लगातार केंद्रित होता है उदाहरणार्थ – “किसी भी जाति में भ्रूण अवस्था से लेकर प्रौढ़ अवस्था तक उत्तरोत्तर परिवर्तन है।
बाल विकास और शिक्षाशास्त्र के उद्देश्य
बाल विकास की प्रक्रिया को रिसर्च का विषय बनाने से पहले मनोवैज्ञानिकों ने कई महत्वपूर्ण उद्देश्य निर्धारित किए हैं। इसका ज्ञान हर अभिभावक और शिक्षक को होना चाहिए क्योंकि इसका पूरा ज्ञान नहीं होने से शिक्षक अपने कर्तव्य को पूरा नहीं कर सकता है।
आइए देखते हैं बाल विकास के उद्देश्य क्या हैं-
- बाल विकास से हर शिक्षक को यह बताया जाता है कि वह संतुलित बाल विकास में किस प्रकार अपना सहयोग दे सकता है।
- बाल विकास के द्वारा बच्चों के विकास में होने वाली विभिन्नताओं के बारे में शिक्षक और अभिभावकों को बताया जाता है।
- इसका प्रमुख उद्देश्य बच्चों के संतुलित विकास के लिए मार्ग बनाना है जिससे वह पूरी तरह विकास को प्राप्त कर सकें।
- बाल विकास की ऐसी योजना तैयार की जाती है जिससे उसके व्यक्तित्व में निखार आय।
- बाल विकास में उन्हें बच्चों के शरीर में होने वाले परिवर्तनों और समस्याओं के बारे में जिसे दूर किया जा सके।
- बाल विकास का उद्देश्य बच्चों को शारीरिक मानसिक एवं सामाजिक रूप से श्रेष्ठा प्रदान करना है जिससे राष्ट्र के विकास में योगदान दे सकें। इन सब से यह पता चलता है कि बाल विकास का उद्देश्य बच्चों के लिए हर तरफ से विकास के मार्ग खोलना है साथ ही उनकी बाधाओं को दूर करना ,जिससे वह संतुलित रूप से जीवन व्यतीत कर सकें और समाज में अपना योगदान दे सकें।
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चाइल्ड डेवलपमेंट एंड पेडागोजी का स्कोप
चाइल्ड डेवलपमेंट एंड पेडागोजी की परिभाषा को जानने के बाद आपको इसके स्कोप के बारे में जान लेना चाहिए, जिन्हें निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है;
- मानसिक विकास-इसके अंदर बच्चों की क्रियाओं के आधार पर बच्चों के मानसिक विकास का अध्ययन किया जाता है। बच्चों में कई तरह के परिवर्तन आने लगते हैं जो उनके मानसिक विभाग में नजर आते हैं। जैसे-गुस्सा आना, नई चीजों का अध्ययन करना आदि।
- शारीरिक विकास – शारीरिक विकास में भ्रूणावस्था से लेकर प्रौढ़ावस्था तक अध्ययन करना शामिल है, और शारीरिक विकास में आ रही बाधाओं का कारण ढूॅंढ़नाऔर उसका हल निकालना ।
- सामाजिक विकास –बाल विकास के अन्दर बालकों के सामाजिक व्यहवार का अध्ययन किया जाता हैं । लोगों के प्रति गुस्सा, प्यार व्यक्त करना आपनी उम्र के हिसाब से सही व्यहवार करना संतुलित विकास दिखाता हैं ।
- भावनात्मक विकास – अगर बालक अपनी उम्र के हिसाब से खुद को व्यक्त नहीं कर पाता तो वो संतुलत विकास नही हैं। इसमें क्रोध , प्रेम, उत्तेजना आदि का अध्ययन किया जाता हैं ।
- भाषा विकास – बालक अलग अलग तरह की शब्दों का उच्चारण करता हैं जैसे 1 से 9 की उम्र तक शबदोंच्चारण 118 शब्द शब्द होने चाहिए अगर ऐसा हैं नहीं हैं तो बाल विकास ठीक से नहीं हो रहा हैं ।
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चाइल्ड डेवलपमेंट एंड पेडागोजी का सिलेबस
चाइल्ड डेवलपमेंट एंड पेडागोजी का सिलेबस कुछ इस प्रकार है, जो आपको इसके बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराएगा;
चाइल्ड डेवलपमेंट ऑन इंटेलीजेंस थिओरीज़ | कांसेप्ट ऑफ डेवलपमेंट | चाइल्ड डेवलपमेंट ऑन सोशल नीड्स |
बेसिक कांसेप्ट ऑफ CDP | एस्पेक्ट्स ऑफ CDP | कॉग्नीशन एंड इमोशन |
सोशलाइज़ेशन प्रोसेस | इम्पोर्टेन्ट थेओरीज़ ऑफ चाइल्ड डेवलपमेंट | चाइल्ड डेवलपमेंट ऑन लर्निंग |
डेवलपमेंट एंड इट्स रिलेशन टू लर्निंग | इन्फ्लुएंस ऑफ हेरीडिटी एंड एनवायरनमेंट | चिल्ड्रन थिंकिंग |
कंस्ट्रक्ट्स एंड क्रिटिकल पर्सपेक्टिव पिएगेट, कोहलबर्ग | प्रिंसिपल्स ऑफ चाइल्ड डेवलपमेंट | मेथड ऑफ टीचिंग |
चाइल्ड डेवलपमेंट एंड पेडागोजी के लिए आवश्यक बुक्स
चाइल्ड डेवलपमेंट एंड पेडागोजी के लिए आवश्यक बुक्स के बारे में जानने के लिए नीचे दी गयी टेबल पर एक नज़र अवश्य डालें;
S.NO. | Child Development and Pedagogy Books | लेखक |
1. | भाषा और शिक्षण शास्त्र | कमल देव वर्मा |
2. | बाल विकास एवं शिक्षण शास्त्र पेपर 1 एंड 2 | रेनू त्यागी |
3. | लुसेंट हिंदी | – |
Child Development & Pedagogy in Hindi Questions
A विफलता से बचने के लिए प्रेरणा
B लक्ष्यों को प्राप्त करने पर व्यक्तिगत संतुष्टि
C बाह्य कारक
D इनमे से कोई नहीं
उत्तर – (B)लक्ष्यों को प्राप्त करने पर व्यक्तिगत संतुष्टि
A 12 वर्ष
B 13 वर्ष
C 15वर्ष
D 10 वर्ष
उत्तर – (A) 12 वर्ष
A अल्फ्रेड बिने
B रॉबर्ट स्टर्नबर्ग
C मुनरो
D चार्ल्स डार्विन
उत्तर – (A)अल्फ्रेड बिने
A प्रत्येक बच्चे के संपर्क में रहना
B सामूहिक गतिविधियों के बजाय व्यक्तित्व अधिगम पर ध्यान देना
C किताबी पढ़ाई पर ध्यान देना
D विद्यार्थियों के द्वारा प्रश्न पूछने के कारण उsत्पन्न माधव की अनदेखी करनाp
उत्तर – (A)-प्रत्येक बच्चे के संपर्क में रहना
A किशोरावस्था के बाद
B प्रौढ़ावस्था में
C बाल अवस्था में
D शैशवावस्था में
उत्तर- (D)प्रौढ़ावस्था में
A परीक्षण और त्रुटि
B शास्त्री कंडीशनिंग
C इंस्ट्रुमेंटल कंडीशनिंग
D इनसाइट
उत्तर (A)परीक्षण और त्रुटि
A शिशु चरण
B प्रारंभिक बचपन
C उत्तर बालयावस्था
D किशोरावस्था
उत्तर (B)प्रारंभिक बचपन
A 6 से 14 वर्ष
B 12 से 15 वर्ष
C 8 से 10 वर्ष
D 6 से 12 वर्ष
उत्तर-(A)6 से 14 वर्ष
A 125
B 150
C 85
D 70
उत्तर- (A) 125
A”यह किसका कथन है।मुनरो
B स्केनर
C डेविस
D गुडवर्थ
उत्तर-(B) स्केनर
शिक्षण-कार्य की प्रक्रिया का विधिवत यानि कि सिलसिलेवार तरीके से अध्ययन करना ही शिक्षाशास्त्र या शिक्षणशास्त्र (Pedagogy) कहलाता है।
CheckOut: CTET Syllabus in Hindi
आशा है कि इस ब्लॉग ने Child Development & Pedagogy in Hindi के बारे में सभी आवश्यक जानकारी प्रदान की होगी है। यदि आप ऐसी किसी प्रतियोगिता की तैयारी कर रहे हैं और आपको सहायता की आवश्यकता है, तो Leverage Edu के हमारे विशेषज्ञों से संपर्क करें, जो आपको इस पेपर में सफल होने के लिए टिप्स और ट्रिक्स प्रदान करेंगे! अपना 30 मिनट का निःशुल्क करियर परामर्श सत्र बुक करें और अपना करियर व्यवस्थित करें!
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बच्चों के विकास के बारे में आप ने बहुत ही प्रशंसनीय जानकारी लिखी है। धन्यवाद !
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धन्यवाद बलराम, ऐसे ही आप हमारी वेबसाइट पर बने रहें।
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This is the best information because of your great writing skills and knowledge. I got to learn a lot by visiting this page.
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इस ब्लॉग को सराहने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार।
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7 comments
बच्चो के नजरिये से एवं विकास को ध्यान में रख कर ये ब्लॉग बनाया गया है।
संक्षिप्त में समझाने का सबसे बेहतर तरीका। इसे पीडीएफ में बनाया मैंने धन्यवाद इस सामग्री के लिए..
आपका धन्यवाद, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।
बच्चों के विकास के बारे में आप ने बहुत ही प्रशंसनीय जानकारी लिखी है। धन्यवाद !
धन्यवाद बलराम, ऐसे ही आप हमारी वेबसाइट पर बने रहें।
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इस ब्लॉग को सराहने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार।