भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को पिछले वर्ष देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। वे देश के सबसे कद्दावर किसान नेता थे। उन्होंने अपना सारा जीवन किसानों के लिए संघर्ष करने में लगा दिया। किसानों के लिए किए गए अनेक कल्याणकारी कार्यों के कारण ही उन्हें किसानों का मसीहा कहा जाता था। यहाँ भारत के पांचवे प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्म कब हुआ था और उनका संक्षिप्त जीवन परिचय दिया जा रहा है।
चौधरी चरण सिंह का जन्म कब हुआ था?
चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसम्बर, 1902 को संयुक्त प्रान्त ( अब उत्तर प्रदेश) के गाजियाबाद जिले ( तब का मेरठ जिला ) के नूरपुर नामक गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम चौधरी मीर सिंह था।
चौधरी चरण सिंह की पारिवारिक पृष्ठभूमि
चौधरी चरण सिंह का जन्म मेरठ जिले के नुरपुर गांव में एक मध्यमवर्गीय जाट परिवार में हुआ था। इनका परिवार खेती से जुड़ा हुआ था। इनके पूर्वज महाराजा नाहर सिंह ने 1857 की क्रान्ति में भाग लिया था। महाराजा नाहर सिंह हरियाणा के बल्लभगढ़ के निवासी थे। महाराजा नाहर सिंह को अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करने के अपराध में ब्रिटिश सरकार के द्वारा पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक में फांसी पर चढ़ा दिया। तब अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई को जारी रखने के लिए महाराजा नाहर सिंह के समर्थक और चौधरी चरण सिंह के दादाजी उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर के पूर्ववर्ती क्षेत्र में आकर बस गए।
शिक्षा
चौधरी चरण सिंह ने प्राथमिक शिक्षा अपने गांव में ही प्राप्त की थी। इसके बाद वे मैट्रिक करने के लिए मेरठ के सरकारी कॉलेज में पढ़ने चले गए। उन्होंने यहाँ से ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने एमए की डिग्री प्राप्त की। पोस्ट ग्रेजुएट हो जाने के बाद भी चौधरी चरण सिंह ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और क़ानून की डिग्री प्राप्त करने के बाद गाजियाबाद में वकालत स शुरू कर दी।
किसान नेता के रूप में मिली पहचान
चौधरी चरण सिंह ने उत्तर प्रदेश में भूमि सुधार के लिए सराहनीय कार्य किया था। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में जोत अधिनियम, 1960 को लाने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। इसके अलावा उन्होंने ‘जमींदारी उन्मूलन अधिनियम’, ‘पटवारी राज से मुक्ति’ और चकबंदी अधिनियम में भी अपना अहम योगदान दिया था।
दो सप्ताह से भी कम समय के लिए रहे प्रधानमंत्री
चौधरी चरण सिंह पहले कांग्रेस पार्टी में थे लेकिन उन्होंने बाद में कांग्रेस से त्यागपत्र देकर जनता पार्टी की सदस्यता ले ली। लेकिन जल्द ही जनता पार्टी से भी इस्तीफ़ा दे दिया और वर्ष 1979 में इंदिरा गांधी के समर्थन से देश के पांचवे प्रधानमंत्री बने। किन्तु वे संसद में अपना बहुमत सिद्ध कर पाते, इससे पूर्व ही इंदिरा गांधी ने अपना समर्थन वापस ले लिया। इस कारण से चौधरी चरण सिंह को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा। बता दें कि चौधरी चरण सिंह केवल 13 दिनों के लिए देश के प्रधानमंत्री पद पर रहे थे।
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