चंद्रयान-2 की असफलता की तारीख (Chandrayaan-2 Failure Date) 6 सितंबर 2019 थी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इस मिशन को 22 जुलाई 2019 को GSLV एमके III-एम1 प्रक्षेपण रॉकेट के माध्यम से सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। यह मिशन भारत का दूसरा चंद्र मिशन था, जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरना और वहां के वातावरण का अध्ययन करना था। हालांकि, चंद्रयान-2 मिशन पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया और 6 सितंबर 2019 को, दुर्भाग्यवश, लैंडर चांद की सतह पर उतरने के कुछ ही मिनट पहले दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस ब्लॉग में, हम विस्तार से जानेंगे कि चंद्रयान-2 का मिशन कब और कैसे असफल हुआ और इसके पीछे क्या कारण थे।
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कैसे हुआ चंद्रयान-2 का मिशन फेल?
चंद्रयान-2 मिशन को आंशिक रूप से सफल माना जाता है, क्योंकि यह पूरी तरह से विफल नहीं हुआ था। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर आज भी चंद्रमा का चक्कर लगा रहा है और उसका अध्ययन कर रहा है। ISRO ने इस मिशन को 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया था, वहीं 6-7 सितंबर की आधी रात को चंद्रयान-2 के लैंडर को चांद की सतह पर उतरना था। आधी रात को भी देशभर की नजरें ISRO के मिशन चंद्रयान-2 पर टिकी हुई थीं। लेकिन चांद पर लैंडिंग से पहले विक्रम लैंडर से सभी संपर्क टूट गए थे। 7 सितंबर को तड़के पौने 3 बजे के करीब लैंडर की क्रैश लैंडिंग हो गई। जिससे चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक लैंड नहीं कर सका।
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चंद्रयान-2 की असफलता के कारण
चंद्रयान-2 की असफलता के मुख्य कारणों में निम्नलिखित शामिल थे:
- लैंडर के इंजन में थ्रस्ट कम होने से वो नियंत्रण खो बैठा और चंद्रमा की सतह पर कठोर लैंडिंग हुई, जिसके कारण वो क्रैश हो गया।
- लैंडर से भेजे जा रहे डेटा में गड़बड़ी के कारण वैज्ञानिकों को लैंडर की स्थिति और गति का सही अनुमान लगाने में मुश्किल हुई।
- चंद्रमा की सतह पर धूल की अधिकता के कारण लैंडर के सेंसर गलत जानकारी दे रहे थे, जिसके कारण गलत निर्णय लिए गए।
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