Bhukamp Kaise Aata Hai: क्या आप जानते हैं कि भूकंप एक प्राकृतिक घटना है जो बिना किसी चेतावनी के घटती है और इसमें धरती का तीव्र रूप से हिलना और इसमें जमीन तथा इसके ऊपर मौजूद संरचनाओं का बुरी तरह से हिलना शमिल है। साधारण भाषा में भूकंप का अर्थ है- पृथ्वी का कंपन। पृथ्वी के भीतर ऊर्जा निकलने के कारण तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो सभी दिशाओं में फैलकर भूकंप लाती हैं। वहीं भूकप के कारण हर साल दुनियाभर में काफी जान-माल की हानि होती है।
भूकंप के बारे में हम सभी को जानकारी होनी चाहिए ताकि हम स्वयं और अपने आसपास के लोगों की रक्षा कर सकें। इसके अतिरिक्त स्कूली परीक्षाओं के अलावा विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में प्राकृतिक आपदाओं से संबधित प्रश्न अकसर पूछे जाते हैं। इसलिए इस लेख में भूकंप क्या है और भूकंप कैसे आता है (Bhukamp Kaise Aata Hai) के बारे में बताया गया है।
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भूकंप क्या है? Earthquake in Hindi
भूकंप एक प्राकृतिक घटना है, जिसमें पृथ्वी के अंदर से ऊर्जा के निकलने के कारण तरंगें उत्पन्न होती हैं जो सभी दिशाओं में फैलकर पृथ्वी को कंपित करती हैं। ऐसा गतिशील स्थल-मंडलीय अथवा भूपटल प्लेटों के संचरित दबाव के मुक्त होने के कारण होता है।
भूकंप कैसे आता है? Bhukamp Kaise Aata Hai
आपको बता दें कि पृथ्वी की परत 7 बड़ी प्लेटों में बटी हुई है जो कि 50 मील मोटाई वाली होती है, जो पृथ्वी के आंतरिक तथा अनेक छोटी प्लेटों के ऊपर धीमी गति से लगातार गतिशील रहती हैं। भूकंप मूलतः विवर्तनिक (Tectonics) होते हैं अर्थात् जमीन में आने वाले झटकों के होने के लिए गतिशील (मूविंग) प्लेटें जिम्मेदार हैं। यानी जब दो प्लेटें ऊर्जा के कारण आपस में टकराती हैं या एक-दूसरे से दूर जाती हैं तो तनाव बढ़ता है। तब ज्यादा दबाव बनने पर ये प्लेटें अचानक खिसक जाती हैं तो इससे धरती में कंपन पैदा होता है अर्थात् भूकंप आता है।
वह स्थान जहाँ से ऊर्जा निकलती है, भूंकप का उद्गम केंद्र कहलाता है। इसे अवकेंद्र भी कहा जाता है। वहीं भूतल पर वह बिंदु जो उद्गम केंद्र के समीपतम होता है, अधिकेंद्र कहलाता है। अधिकेंद्र पर ही सबसे अधिक तरंगों को महसूस किया जाता है।
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भूकंप के कारण
सभी प्राकृतिक भूकंप स्थलमंडल (Lithosphere) में ही आते हैं। स्थलमंडल पृथ्वी के धरातल से 200 किमी तक की गहराई वाले भाग को कहते हैं। वहीं भूकंप से उत्पन्न तरगों को भूकंपीय तरगें कहा जाता है, जो पृथ्वी की सतह पर गति करती हैं। बुनियादी तौर पर भूकंपीय तरंगें दो प्रकार की हैं;-
- भूगर्भिक तरंगें (Body waves) – यह तरंगें उद्गम केंद्र से ऊर्जा के मुक्त होने के दौरान पैदा होती हैं और पृथ्वी के अंदरूनी भाग से होकर सभी दिशाओं में आगे बढ़ती हैं। इसलिए इन्हें भूगर्भिक तरंगें कहा जाता है। ये तरंगें भी दो प्रकार की होती हैं। इन्हें ‘P’ तरंगें व ‘S’ तरंगें कहा जाता है।
‘P’ तरंगें तीव्र गति से चलने वाली तरंगें हैं और धरातल पर सबसे पहले पहुँचती हैं। हैं। इन्हें ‘प्राथमिक तरंगें’ भी कहा जाता है। बता दें कि ‘P’ तरंगें ध्वनि तरंगों जैसी होती हैं। ये गैस, तरल व ठोस-तीनों प्रकार के पदार्थों से गुजर सकती हैं।
जबकि ‘S’ तरंगें धरातल पर कुछ समय अंतराल के बाद पहुँचती हैं। ये ‘द्वितीयक तरंगें’ कहलाती हैं। ‘S’ तरंगों के विषय में एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि ये केवल ठोस पदार्थों के ही माध्यम से चलती हैं। ‘S’ तरंगों की यह एक महत्वपूर्ण विशेषता है। - धरातलीय तरंगें (Surface waves) – भूगर्भिक तरंगों एवं धरातलीय शैलों के मध्य अन्योन्य क्रिया के कारण नई तरंगें उत्पन्न होती हैं जिन्हें धरातलीय तरंगें कहा जाता है। ये तरंगें धरातल के साथ-साथ चलती हैं।
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भूकंप के प्रकार
भूकंप के प्रकार (Bhukamp Kaise Aata Hai) इस प्रकार हैं:-
- विवर्तनिक भूकंप – पृथ्वी पर सामान्यतः विवर्तनिक (Tectonic) भूकंप ही अधिक आते हैं। ये भूकंप घरातल के किनारे चट्टानों के सरक जाने के कारण उत्पन्न होते हैं।
- ज्वालामुखीकन्य भूकंप – एक विशिष्ट वर्ग के विवर्तनिक भूकंप को ही ज्वालामुखीजन्य (Volcanic) भूकंप समझा जाता है। ये भूकंप अधिकांशतः सक्रिय ज्वालामुखी क्षेत्रों तक ही सीमित रहते हैं।
- नियात भूकंप – खनन क्षेत्रों में कभी-कभी अत्यधिक खनन कार्य से भूमिगत खानों की छत ढह जाती है, जिससे हल्के झटके महसूस किए जाते हैं। इन्हें नियात (Collapse) भूकंप कहा जाता है।
- विस्फोट भूकंप – कभी-कभी परमाणु व रासायनिक विस्फोट से भी धरती में कंपन होता है। इस तरह के झटकों को विस्फोट (Explosion) भूकंप कहते हैं।
- बाँध जनित भूकंप – जो भूकंप बड़े बाँध वाले क्षेत्रों में आते हैं. उन्हें बाँध जनित (Reservoir induced) भूकंप कहा जाता है।
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कैसे की जाती है भूकंप की माप?
भूकंपीय घटनाओं का मापन भूकंपीय तीव्रता के आधार पर अथवा आघात की तीव्रता के आधार पर किया जाता है। वहीं भूकंपीय तीव्रता की मापनी ‘रिक्टर स्केल’ (Richter scale) के नाम से जानी जाती है। इस मापनी के अनुसार भूकंप की तीव्रता 0 से 10 तक होती है। यह भूकंप से हुई प्रत्यक्ष हानि द्वारा निर्धारित की जाती है। ध्यान दें कि इसकी गहनता 1 से 12 तक होती है।
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भूकंप के प्रभाव
भूकंपीय आपदा से होने वाले प्रभाव निम्नलिखित हैं:-
- भूमि का हिलना
- हिमस्खलन
- सुनामी
- भूस्खलन
- धरातलीय विस्थापन
- मृदा द्रवण
- बाढ़ का खतरा
- इमारतों का टूटना तथा ढांचों का ध्वस्त होना
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भूकंप के आने के बाद क्या करें?
भूकंप के आने के बाद निम्नलिखित बिंदुओं का पालन करें:-
- भूकंप के बाद आने वाले झटकों के लिए तैयार रहें।
- शांत रहें, रेडियो/टी.वी. को चालू करें तथा इस पर आने वाली हिदायतों का पालन करें।
- समुद्र-तट तथा नदी के निचले किनारों से दूर रहें।
- पानी, गैस तथा बिजली के स्विचों को बंद कर दें।
- बुरी तरह क्षतिग्रस्त बिल्डिंगों के अंदर दोबारा न घुसें तथा टूटे-फूटे ढांचों के पास न जाएं।
FAQs
भूकंप का अर्थ पृथ्वी के कंपन से होता है। यह एक प्राकृतिक घटना है, जिसमें पृथ्वी के अंदर से ऊर्जा के निकलने के कारण तरंगें उत्पन्न होती हैं जो सभी दिशाओं में फैलकर पृथ्वी को कंपित करती हैं।
भूकंप पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटों के आपसी टकराव या खिसकने के कारण आता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत में सबसे बड़ा भूकंप 15 जनवरी 1934 को बिहार में आया था, जिसकी तीव्रता 8.1 रिक्टर स्केल पर मापी गई थी।
भूकंप से उत्पन्न तरगों को भूकंपीय तरगें कहा जाता है, जो पृथ्वी की सतह पर गति करती हैं तथा इन्हें ‘सिस्मोग्राफ’ (Seismographs) से मापा जाता है।
चीन के अलावा फिलीपींस, ईरान, तुर्की, पेरु, नेपाल और अफगानिस्तान जैसे देशों में भूकंप अधिक आते हैं।
यह 1-10 के पैमाने पर भूकंप की तीव्रता को रिकॉर्ड करता है।
आशा है कि आपको इस लेख में भूकंप क्या है और भूकंप के प्रकार (Bhukamp Kaise Aata Hai, Earthquake in Hindi) से संबंधित संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही UPSC और सामान्य ज्ञान से जुड़े अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।