Sarojini Naidu Ka Yogdan: सरोजिनी नायडू का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान क्या था?

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सरोजिनी नायडू का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान

Sarojini Naidu Ka Swatantrata Sangram Mein Yogdan: सरोजिनी नायडू, एक महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, प्रसिद्ध कवयित्री और राजनीतिज्ञ थीं। उन्हें ‘भारत कोकिला’ के नाम से भी जाना जाता है। वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़ी हुई थीं। ”भारत छोड़ो आंदोलन” के नेताओं में से वे एक थीं। वहीं साल 1920 में गांधीजी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया और विभिन्न स्वतंत्रता गतिविधियों में शामिल होने के कारण वे कई बार गिरफ्तार भी हुईं। श्रीमती नायडू ने नमक सत्याग्रह” और असहयोग आंदोलन” में भी हिस्सा लिया था। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय विद्यार्थियों के हितों को भी आगे बढ़ाया तथा महिलाओं को सशक्त बनाने हेतु अथक प्रयास किया। बताना चाहेंगे साल 1947 में उन्हें आज़ाद भारत के संयुक्त प्रांत उत्तर प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। 

इस ब्लॉग में सरोजिनी नायडू का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान (Sarojini Naidu Ka Swatantrata Sangram Mein Yogdan) की संपूर्ण जानकारी दी गई है। 

सरोजिनी नायडू का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान

स्टूडेंट्स के लिए सरोजिनी नायडू का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान (Sarojini Naidu Ka Swatantrata Sangram Mein Yogdan) से जुड़ी जानकारी यहाँ दी गई है:- 

  • सरोजिनी नायडू ने महिलाओं के अधिकारों और उनके सशक्तिकरण की वकालत की।
  • वर्ष 1905 में बंगाल के विभाजन के बाद वह भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुईं।
  • 1915-1918 के बीच उन्होंने महिलाओं को घर से बाहर निकलकर देश की आज़ादी के लिए लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
  • 1917 में, श्रीमती नायडू लंदन में संयुक्त चयन समिति के सामने महिलाओं के मताधिकार की वकालत करने के लिए होम रूल की अध्यक्ष एनी बीसेंट के साथ गईं। उन्होंने लखनऊ संधि के लिए भी समर्थन दिखाया, जो ब्रिटिशों के बेहतर राजनीतिक सुधार के लिए एक संयुक्त हिंदू-मुस्लिम मांग थी।
  • 1917 में सरोजिनी नायडू गांधीजी के सत्याग्रह और अहिंसक आंदोलन में शामिल हुईं।
  • 1919 में, सरोजिनी नायडू ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी वकालत के एक हिस्से के रूप में असहयोग आंदोलन में भी शामिल हो गई। 
  • सरोजिनी नायडू 1925 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसINC की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष बनीं।
  • बताया जाता है कि वर्ष 1930 में भारत में नमक उत्पादन पर ब्रिटिश एकाधिकार के खिलाफ अहिंसक विरोध, नमक सत्याग्रह का नेतृत्त्व करने के लिए गांधीजी ने सरोजिनी नायडू का चयन किया था।
  • सरोजिनी नायडू वर्ष 1931 में भारतीय-ब्रिटिश सहयोग हेतु गोलमेज़ सम्मेलन के अनिर्णायक दूसरे सत्र के लिए गांधीजी के साथ लंदन गई थीं।
  • भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने के कारण, सरोजिनी नायडू को 1941 में कारावास का सामना करना पड़ा।
  • सरोजिनी नायडू ने स्वतंत्रता हेतु भारत के संघर्ष के बारे में जागरूकता बढ़ाने और अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाने के लिए अमरीका  व यूके सहित विभिन्न देशों की यात्राएं की थीं।
  • साल 1947 में भारत की आज़ादी के बाद सरोजिनी नायडू उत्तर प्रदेश की पहली राज्यपाल बनी थीं। 

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FAQs 

स्वतंत्रता आंदोलन में सरोजिनी नायडू का क्या योगदान रहा?

सरोजिनी नायडू ने गांधीजी के अनेक सत्याग्रहों में भाग लिया और ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में वे जेल भी गईं।

सरोजिनी नायडू का असली नाम क्या था?

सरोजिनी चट्टोपाध्याय उनका असली नाम है।

भारत की पहली कोकिला कौन है?

सरोजिनी नायडू , जिन्हें भारत की कोकिला भी कहा जाता है। 

सरोजिनी नायडू को नाइटिंगेल ऑफ इंडिया क्यों कहा जाता है?

उनकी प्रभावी वाणी और ओजपूर्ण लेखनी के कारण नाइटिंगेल ऑफ इंडिया कहा गया।

सरोजिनी नायडू का जन्म कहां हुआ था?

सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को हैदराबाद में एक बंगाली परिवार में हुआ था।

सरोजिनी नायडू क्यों प्रसिद्ध हैं?

सरोजिनी नायडू, एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, सुप्रसिद्ध कवयित्री और राजनीतिज्ञ थीं। उन्हें ‘भारत कोकिला’ के नाम से जाना जाता था।

सरोजिनी नायडू की मृत्यु कैसे हुई थी?

2 मार्च, 1949 को हार्ट अटैक से 70 वर्ष की उम्र में सरोजिनी नायडू का निधन हुआ था।

आशा है कि आपको इस ब्लॉग में सरोजिनी नायडू का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान (Sarojini Naidu Ka Swatantrata Sangram Mein Yogdan) की संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही सामान्य ज्ञान और ट्रेंडिंग इवेंट्स से जुड़े अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें। 

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