देश में अंग्रेजों के खिलाफ अनगिनत युद्ध हुए, और कई तो ऐसे भी युद्ध थे कि जिन्होंने इतिहास में खुद को दर्ज करवा लिया था। अंग्रेजों के खिलाफ Buxar ka Yudh का युद्ध बहुत ही महत्वपूर्ण युद्ध इसलिए भी था क्योंकि यह ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में और 200 साल के लिए मजबूत करने वाला था। इस युद्ध में अपनों की गद्दारी से भी यह युद्ध हार गए थे। चलिए, बारीकी से जानते हैं Buxar ka Yudh कैसे हुआ I
This Blog Includes:
Buxar ka Yudh क्या था?
बक्सर का युद्ध 22 अक्टूबर 1764 में लड़ा गया था। अंग्रेजी सेना का नेतृत्व कर रहे थे हेक्टर मुनरो, उनसे अवध के नवाब शुजाउद्दौला की सेना, उसके साथ मुगल सम्राट शाहआलम द्वितीय और बंगाल का नवाब मीर कासिम का युद्ध हुआ, इसमें भीषण खुनी संघर्ष हुआ था। वैसे इस युद्ध की नींव इसके एक वर्ष पहले, यानि 1763 में ही तैयार हो गई थी। यह युद्ध ईस्ट इंडिया कंपनी के वर्चस्व के लिए काफी महत्वपूर्ण युद्ध था, जिसने अंग्रेजों को अगले दो सौ वर्षों के लिए भारत के शासक के रूप में स्थापित कर दिया। Buxar ka Yudh हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो गया था। बताते चलें, Buxar ka Yudh जब हुआ तो उस समय बंगाल के गवर्नर हेनरी वेंसीटार्ट थे।
Check out: 135+ Common Interview Questions in Hindi
Buxar Yudh के मुख्य कारण
प्लासी के युद्ध (1757) के बाद अंग्रेजों ने मीर जाफर को उसके दामाद मीर कासिम की जगह बंगाल का नवाब बनाया लेकिन वह अपनी रक्षा और पद के लिए पूरी तरह से ईस्ट इंडिया कंपनी पर निर्भर था। उसे ईस्ट इंडिया कंपनी की मनमानी को पूरा करते रहना पड़ता था। उसने खुले हाथों से धन खर्च किया लेकिन प्रशासन नहीं संभाल पाया। सेना के खर्च, जमींदारों की बगावत से स्थिति बहुत ख़राब हो गई थी। लगान की वसूली में भी गिरावट आ गई थी। ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी दस्तक का दुरूपयोग कर रहे थे और वह इसे कुछ रुपयों के लालच के लिए बेच देते थे जिससे चुंगी टैक्स प्रभावित होता था। बंगाल का खजाना खाली होता जा रहा था। उसके बाद अंग्रेजों ने मीर जाफर को नवाब के पद से हटाकर उसके दामाद मीर कासिम को 1760 में उसकी जगह नवाब बना दिया था। Buxar ka Yudh ऐसे ही जन्मा था।
Check out: सबसे ज़्यादा तनख्वाह वाली सरकारी नौकरियाँ
ऐसा रहा था Buxar ka Yudh
दोनों सेनाए बिहार में बलिया से लगभग 40 किमी दूर बक्सर में भिड़ी थीं। युद्ध प्रारम्भ होने से कुछ देर पहले ही अंग्रेज़ों ने अवध के नवाब की सेना से असद ख़ाँ, साहूमल (रोहतास का सूबेदार) और जैनुल अबादीन को धन का लालच देकर अलग कर दिया था। युद्ध के बाद मीर क़ासिम को भागना पड़ा था। युद्ध के कुछ महीनों बाद दिल्ली के पास ही 1777.में अज्ञात अवस्था में उसकी मृत्यु हो गई। Buxar ka Yudh काफी मायनों में अपनों की गद्दारी से भी हारा गया था।
Check Out: कोरोना के खिलाफ ऐसे रखेंगे ख्याल तो जरूर जीतेंगे यह वॉर
Buxar ka Yudh परिणाम
शुजाउद्दौला की सेना, उसके साथ मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय और बंगाल का नवाब मीर कासिम की संयुक्त सेना अंग्रेजी सेना के सामने मात्र 3 घंटे ही टिक सकी और उन्हें मुंह की खानी पड़ी। अंग्रेजी सेना शुरुआत से ही ब्रिटिश सेना पर हावी थी. बक्सर के इस युद्ध में ब्रिटिश हुकूमत से यह महत्वपूर्ण चीज़ें मिली और उसने अपनी ताकत का परिचय दिया था जिसके बाद उसे अगले 200 वर्षों तक भारत पर राज किया – Buxar ka Yudh ब्रिटिश सेना ने आसानी से जीत लिया था, वो ऐसे जाने –
- बिना किसी अतिरिक्त महनत के ईस्ट इंडिया कंपनी को पूरा अवध मिल गया था।
- अवध के नवाब शुजाउद्दौला की हालत इतनी कमज़ोर हो गई थी कि उन्हें 1765 में अंग्रेजों के सामने झुकना पड़ा।
- मुग़ल सम्राट शाह आलम को भी अंग्रेजों के सामने समर्पण करना पड़ा था, क्योंकि बंगाल अब उनके कब्ज़े में था और अवध भी कंपनी के पास था और शाह आलम अंग्रेजों का पेंशनभोगी हो गया था।
Check Out: जानिए भारत में गुलाबी क्रांति कैसे शुरु हुई
युद्ध के बाद संधि
बक्सर के युद्ध के बाद इलाहाबाद में दो संधि हुई और इसके बाद बंगाल, बिहार, उड़ीसा और झारखंड की दीवानी ईस्ट इंडिया कंपनी को मिल गई। Buxar ka Yudh और संधि होने बाद वहां द्वैध शासन शुरू हो गया।
Check Out: रेलवे परीक्षा 2021- पात्रता, परीक्षा पैटर्न, अनुसूचीऔर चयन प्रक्रिया
इलाहाबाद की प्रथम संधि
इलाहाबाद की प्रथम संधि 12 अगस्त 1765 को ईस्ट इंडिया कंपनी और शाह आलम द्वितीय के बीच हुई। इस संधि के बाद मुग़ल सम्राट शाह आलम से ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी प्राप्त हुई।
- ईस्ट इंडिया कंपनी ने अवध के नवाब से कड़ा और इलाहाबाद के जिले लेकर मुग़ल सम्राट शाह आलम द्वितीय को दे दिया।
- कंपनी ने मुग़ल सम्राट को 26 लाख वार्षिक पेंशन देना स्वीकार किया।
Check Out: पीली क्रांति
इलाहाबाद की द्वितीय संधि
इलाहाबाद की द्वितीय संधि ईस्ट इंडिया कंपनी और शुजाउद्दौला के बीच संपन्न हुई। इस संधि की कुछ शर्ते थी जो निम्नलिखित हैं:
- इलाहाबाद और कड़ा को छोड़कर अवध का बाकी क्षेत्र शुजाउद्दौला को वापस कर दिया गया।
- अवध की सुरक्षा के लिए कंपनी ने अंग्रेजी सेना की एक टुकड़ी अवध में स्थापित की जिसका पूरा खर्च अवध के नवाब को उठाना था।
- ईस्ट इंडिया कंपनी को अवध में टैक्स मुक्त व्यापार करने की सुविधा प्राप्त हो गई।
- शुजाउद्दौला को बनारस के राजा बलवंत सिंह से पहले की तरह ही लगान वसूल करने का अधिकार दे दिया गया हालांकि इस युद्ध में बलवंत सिंह ने अंग्रेजों का साथ दिया था।
Check Out: Fashion Designer Kaise Bane
बंगाल में लगा द्वैध शासन
युद्ध के बाद इलाहाबद में संधि हुई और उसके बाद सत्ता का अंत हो गया और उसके बाद ऐसी व्यवस्था पैदा हुई जो शासन के उत्तरदायित्व से मुक्त थी।
ईस्ट इंडिया कंपनी के रोबर्ट क्लाइव ने द्वैध शासन की स्थापना की जिसका मतलब था दोहरी नीति अथवा दोहरा शासन, इसमें दीवानी तथा भू राजस्व करने का अधिकार ईस्ट इंडिया कंपनी के पास था लेकिन प्रशासन का भार नवाबों के कंधे पर आ गया था। Buxar ka Yudh काफी मायनों में अंग्रेजी सेना पहले ही जीत चुकी थी।
Check Out: स्किल डेवलपमेंट के ये कोर्स, सफलता की राह करेंगे आसान
द्वैध शासन की विशेषता
उत्तरदायित्व रहित अधिकार, तथा अधिकार रहित उत्तरदायित्व। इस योजना के तहत सैनिक संरक्षण, व्यापार नीति को कंपनी ने अपने हाथों में लिया लेकिन लगान वसूल करने एवं न्याय के लिए भारतीय अधिकारीयों को नियुक्त कर दिया। लगान वसूलने के लिए मोहम्मद रजा खान को बंगाल का तथा शिताब राय को बिहार का दीवान बनाया। कंपनी द्वारा वसूले गए राजस्व में से प्रतिवर्ष 26 लाख सम्राट को तथा 53 लाख रूपये बंगाल के नवाब को शासनकाल के लिए दिया जाता था और बाकी बचे हुए राजस्व को कंपनी अपने पास रखती थी। यह शासन व्यवस्था बाद में बुरी तरह ढह गई। द्वैध शासन व्यवस्था से कृषि को भी काफी नुकसान हुआ था। राजस्व वसूली सबसे अधिक बोली लगाने वालो को ही दी जाती थी और 1770 के बंगाल के अकाल ने किसानों की कमर तोड़ दी थी। Buxar ka Yudh कई मायनों में अंग्रेजों के लिए फायदे का सौदा था।
Check it: IAS Kaise Bane?
पूछे गए सवाल
Buxar ka Yudh पर हम आप के लिए कुछ सवाल लाएं हैं, देखते हैं आपको इनमें से कितनों के उत्तर पता होंगे –
उत्तर: 1764
उत्तर: 1757
उत्तर: हेक्टर मुनरो
उत्तर: हेनरी वेंसीटार्ट
उत्तर: 2, इलाहाबाद संधि
उत्तर: शाह आलम II
उत्तर: ईस्ट इंडिया कंपनी
Check out: UPSC Syllabus in Hindi [Revised 2021]
इस ब्लॉग में आपने जाना कि Buxar ka Yudh भारत के इतिहास के लिए क्यों बहुत महत्वपूर्ण था। आपको Buxar ka Yudh का यह ब्लॉग अच्छा लगा होगा । इतिहास से संबधित और भी ब्लॉग Leverage Edu की साइट पर उपलब्ध है।