नीली क्रांति जिसने मछलीपालन को दी ऊचाईयां

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Nili Kranti

अगर कृषि गलत हो जाती है, तो हमारे देश में और कुछ भी सही होने का मौका नहीं होगा।” – एम। एस। स्वामीनाथन नीली क्रांति  का संबंध मत्य्स्पालन से है यानी मछली के उत्पाद को बढावा देना और किसानो की इनकम दोगुनी करना हैं। नीली क्रांति की शुरुआत दुनिया में 1960 में हुई थी, उस समय मछली पालन पीक पर था। भारत में मत्स्यपालन को बढावा देने के लिए सरकार ने एक इंडिपेंडेंट मिनिस्ट्री बनाई है विश्व में मत्स्यपालन में दूसरा स्थान है।भारत में इसके अच्छे परिणाम नज़र आए निर्यात में काफी इजाफा हुआ हैं Nili Kranti से भारत मत्य्स्पालन में आत्मनिर्भर बन गया हैं और आज हम कई टन निर्यात करने में सक्षम हैं। आज भी भारत में ऐसे कई जल स्तोत्र है जिन्हें उपयोग में नहीं लिया गया है ।आज के हमारे इस ब्लॉग हम भारत में Nili Kranti और Nili Kranti 2.0  के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे । 

क्रांति की परिभाषा क्या है?

नीली क्रांति के बारे में बात करने से पहले जाने कि क्रांति क्या है। क्रांति को अंग्रेजी में Revolution कहा जाता है। पहली से चली आ रही किसी भी चीज़ में एक पॉजिटिव परिवर्तन को क्रांति कहते हैं।

विश्वस्तर पर नीली क्रांति 

जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया, नीली क्रांति की शुरुआत 1960 के मध्य दशक में हुई थी उसके बाद से विश्व भर में मछली पालन में तेजी आई है। मछली पालन उद्योग हर वर्ष 9% की दर से औसतन बढ़ रहा है और इसमें सबसे ज्यादा विकास करने वाले देशों में भारत भी शामिल है। चीन ने नीली क्रांति की शुरुआत की थी, मछली पालन पुराने समय से चल रहा है मछली उत्पादन में लगभग चीन का हिस्सा दो तिहाई है। अभी के समय में विश्व में मछली उत्पादन 50 मिलियन टन पहुंच गया है। जो 1950 में केवल  2 मिलियन टन था। एशिया का विश्व में 90% मछली पालन में योगदान है। यह विश्व में लोगों को रोजगार के भी अवसर प्रदान करता है। मछली और समुद्री खाद्य, खाद्य वस्तुओं सबसे ज्यादा खरीदी जाती है। विकासशील देशों  के द्वारा 53% व्यापार किया जाता है। 10 सबसे ज्यादा मुख्य मछली प्रजातियां जिन्हें मत्स्यपालन में पकड़ा जाता है, साल्मन श्रिम्प्स आदि इसमें शामिल है।

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भारत में नीली क्रांति (Nili Kranti)

भारत नीली क्रांति में विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश  हैं । भारत में मछली पालन को बढावा देने के लिए  सरकार ने कई योजनाऍ बनाई है।जिसके बारे में हम आगे विस्तार से  बात करेंगे। भारत में नीली क्रांति  की शुरुआत 7वी  पंचवर्षीय योजनामें हुई , जिसकी शुरुआत 1985-1989 तक थी।सेंट्रल मरीन फिशरीज प्रोग्राम की शुरुआत  8वी पंचवर्षीय योजना के तहत की गयी। तूतीकोरिन, कोच्चि, पोरबंदर, और पोर्ट ब्लेयर फिशिंग पोर्ट बनाए गए।मछली पालन में सुधर के लिए रिसर्च सेंटर भी खोले गए। मछली पालन में भारत का  जीडीपी में लगभग 1% और कृषि GDP में 5% का योगदान है।

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नीली क्रांति के जनक 

भारत में नीली क्रांति का जनक हीरालाल चौधरी और डॉक्टर अरुण कृष्णन को माना जाता है।भारत में नीली क्रांति  की शुरुआत 7वी पंचवर्षीय योजना जिसकी शुरुआत 1985-1989 तक हुई थी।सेंट्रल मरीन फिशरीज प्रोग्राम की शुरुआत  8वी पंचवर्षीय योजना के तहत की गयी।

नीली क्रांति का रिजल्ट

एफएफडीए यानी Fish Farmers Development Agency भारत ने मत्स्य पालन, विपणन और निर्यात अपनाकर मछली पालन में अभूतपूर्व सुधार किया है। भारत के मत्स्यपालन, पशु पालनऔर डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह ने एक पुस्तक जारी की , आइए जानते हैं मछली पालन के आंकड़ों के बारे में।

  1. यह मछली पालन आप लोगों का 13 वा एडिशन है जिसने मछली पालन के विभिन्न पहलुओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई हैं। इसका 12 वा एडिशन 2014 में जारी किया गया था।
  2. मछली पालन में सुधार और विकास के लिए अगले 5 वर्षों में 25000 करोड़ का निवेश किया जाएगा यह मछली पालन क्षेत्र में किसानों की आय दोगुनी करने में एक बड़ी भूमिका निभाएगा।
  3. भारत में मछली पालन की विकास दर 14% है और बेहतर करने के प्रयास किए जा रहे हैं ।
  4. 2017-2018  के दौरान भारत में मछली उत्पादन 8.90 मिलियन मीट्रिक टन और समुद्री एरिया से 3.69 मीट्रिक टन उत्पादन, 12.59 मिलियन मेट्रिक टन का उत्पादन किया गया है।
  5. 2016-17 की तुलना में 2017-2018 मछली पालन औसतन नहीं है। भारत अंतर्देशीय कैप्चर फिशरीज में भी विश्व में दूसरा स्थान हासिल किया है।
  6. 1950-51 मछली उत्पादन में अंतर्देशीय मछली उत्पादन का 29% रहा था। 2017-2018 में बढ़कर 71% हो गया।
  7. इस दौरान आंध्र और तमिलनाडु में झींगा मछली का उत्पादन काफी बढ़ा है ,आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले को ‘भारत की झींगा राजधानी ‘ कहा जाता है ।
  8. आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा 34.50 लाख टन अंतर्देशीय मछली का उत्पादन किया  है, गुजरात में समुद्री मछलियों का सबसे ज्यादा उत्पादन हुआ है (7.01 )
  9. 2017-18 में 13,77,243.70 मछली निर्यात की गई है जिसका मूल्य 45,106.90 करोड़ है।
  10. 2017-18 में समुद्री मछली उत्पादक के निर्यात में 21.35% प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।

       Check Out: विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें- हरित क्रांति 

मत्स्यपालन के लिए योजनाएं-

कृषि के लिए कई योजनाएं है, लेकिन अभी तक जल क्षेत्र में काम कर रहे फार्मर्स के लिए कोई योजना नहीं बनी थी जिससे कि उन्हें उत्पादन बढ़ाने में प्रोत्साहन मिलता, 2019 के बजट में मछली पालन के लिए एक योजना शुरू की गई आइए बात करते हैं इसके बारे में-

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना

आत्मनिर्भर भारत की ओर एक कदम बढ़ाने के लिए 20, यूरो 50 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा यह आज तक मछली पालन के क्षेत्र में सबसे बड़ा निवेश है। 12,340 करोड़ का निवेश समुद्री अंतर्देशीय मछली पालन और जली कृषि के लिए आवंटित किया गया है, वही 7,710 इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए दिया गया है। मछुआरों  को लोन की सुविधा आसानी से दी जाएगी, जिससे मत्स्य पालन और जलीय क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा । जल क्षेत्र में काम कर रहे मछुआरों को भी बीमा कवरेज के अंदर सरकार शामिल करना चाहती है। इस योजना को प्रधानमंत्री ने ‘नीली क्रांति” का नाम दिया है।

लक्ष्य

  • 2024-2025 तक मछली पालन में 70लाख टन की वृद्धि करना।
  • 2024-25 मछली निर्यात से होने वाली इनकम को 1,00,000 करोड़ रुपए करना
  • इसमें होने वाले नुकसान को 20 से 25% घटाकर 10% करना।
  • मछली पालन के क्षेत्र में 55 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदाकरने का लक्ष्य हैं।

MGNREGA

इसके तहत कृषि तालाबों का विकास किया जाएगा जहां मछली पालन कार्य हो रहा है।

Nili Kranti 2.0

Nili Kranti 2.0 इसका उद्देश्य मछलीपालन के विकास और प्रबंधन पर है। इसमें समुद्री मत्स्यपालन में गहरे समुद्र में मछलियां पकड़ना, अंतर्देशीय मछली पालन और नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड कार्य कर रहा हैं । नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड कृषि और कृषक कल्याण मंत्रालय के अंदर इंडिपेंडेंट संगठन के रूप में कार्य करता है इसकी स्थापना 2006 में की गई थी। इसका उद्देश्य मछली उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाना है। वर्तमान में पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंदर काम करता है।

इसका लक्ष्य मछुआरों और मत्स्यपालन करने वालेको आर्थिक रूप से सक्षम बनाना है। इसमें सुरक्षा और पर्यावरण संबंधी चिंताओं का भी ध्यान रखा जाएगा।

आइए जाने  इसका उद्देश्य क्या है-

  • देश में खाद्य और पोषण सुरक्षा बढ़ाना
  • मछुआरों और मछली उत्पादकों की आय को दुगनी करना जिसमें उत्पादकता बढ़ाने के बाद  मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर ई-कॉमर्स और अन्य टेक्नोलॉजीज का उपयोग करना ।
  • मछली पालन क्षेत्र को एक मॉडर्न उद्योग में तब्दील करना ,जिसमें नई टेक्नोलॉजी और प्रक्रियाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। 

ई- गोपाला ऐप

यह किसानों के लिए काफी उपयोगी है जिसमें नस्ल सुधार ,बाजार और सूचना पोर्टल शामिल है ।

  1. सही आयुर्वेदिक दवा , एथेनॉल पशु चिकित्सा दवा का उपयोग करना और जानवरों के उपचार के बारे में जानकारी दी जाएगी।
  2. पशु किसानों के लिए टीकाकरण गर्भावस्था निदान आदि के लिए तारीखें नियत की जाएंगी।
  3. विभिन्न सरकारी योजनाओं और अभियानों के बारे में सूचना दी जाएगी।
  4. प्रजनन सेवाओं की क्वालिटी के बारे में और पशु पोषण के लिए किसानों सहायता करेगी।

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FAQs

भारत में नीली क्रांति के जनक किसे कहा जाता है?

भारत में नीली क्रांति का जनक डॉक्टर अरुण कृष्णन और हीरालाल चौधरी को माना जाता है।

नीली क्रांति का क्या उद्देश्य है?

नीली क्रांति का उद्देश्य है कि भारत में मत्स्य पालन को बढ़ावा देना और साथ ही जलीय  क्षेत्र के किसानों की आय को दुगनी करना।

मंत्री मत्स्य योजना क्या है?

भारत में मछली पालन को बढ़ाने के लिए । प्रधानमंत्री मस्त से संपदा योजना शुरू की  गई।

 प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना में  कौन सी मोबाइल एप लांच की गई है?

ई- गोपाला मोबाइल ऐप।

उम्मीद है, आपको Nili Kranti से सम्बंधित सभी जानकारियां मिल गयी होंगी।  इसी तरह कई महत्त्वपूर्ण ब्लॉग आप Leverage Edu की साइट पर पढ़ सकते है।

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