Asirgarh ka Kila: मध्य प्रदेश में स्थित इस ऐतिहासिक किले के बारे में 

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Asirgarh ka Kila

असीरगढ़ मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में असीरगढ का ऐतिहासिक क़िला बहुत प्रसिद्ध है। असीरगढ़ क़िला बुरहानपुर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में सतपुड़ा पहाड़ियों के शिखर पर समुद्र सतह से 250 फ़ुट की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ Asirgarh ka Kila का सम्पूर्ण इतिहास बताया गया है।  

किला Asirgarh ka Kila 
स्थापना 15वीं शताब्दी 
संस्थापक शासक आसा अहीर 
सम्बंधित प्रदेश मध्य प्रदेश 
सम्बंधित नगर बुरहानपुर 
सम्बंधित राजवंश टाक राजवंश 

Asirgarh ka Kila का इतिहास 

असीरगढ़ के किले का निर्माण 15वीं शताब्दी में आसा अहीर ने करवाया था। इस किले में मुग़ल बादशाह जहांगीर ने अपने बेटे प्रिंस को जेल में रखा था। कहा जाता है कि असीरगढ़ किला 15वीं शताब्दी की शुरुआत में आसा अहीर नाम के राजा ने बनवाया था। उनकी हत्या खानदेश के नासिर खान ने कर दी थी। नासिर खान के वंशज मीरान बहादुर खान (1596-1600) ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की और मुगल सम्राट अकबर और उनके बेटे दानियाल को श्रद्धांजलि देने से इंकार कर दिया। 1599 में अकबर ने बुरहानपुर की ओर कूच किया और शहर पर कब्ज़ा कर लिया। इसके बाद अकबर ने असीरगढ़ किले को घेर लिया और 17 जनवरी 1601 को उस पर कब्ज़ा कर लिया। द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध के दौरान 18 अक्टूबर 1803 में असीगढ़ के पेट्टा पर कब्ज़ा कर लिया। 

असीरगढ़ के किले की स्थापत्य कला 

Asirgarh ka Kila किस स्थापत्य शैली में बना इसके बारे में नीचे विस्तार से बताया जा रहा है:

  • किले की वास्तुकला मुगलों से प्रभावित थी, जिसमें इस्लामी, फारसी, तुर्की और भारतीय शैलियों का मिश्रण था। जल आपूर्ति प्रदान करने के लिए तीन मानव निर्मित तालाब हैं।
  • यहां एक मंदिर है जिसे गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है, जो हिंदू देवता शिव को समर्पित है । एक स्थानीय किंवदंती है कि भारतीय महाकाव्य महाभारत का एक पात्र अश्वत्थामा, हर सुबह भगवान शिव की पूजा करने और फूल चढ़ाने के लिए इस मंदिर में आता था।
  • किले के अंदर मीनारों वाली एक खंडहर मस्जिद है जिसे असीर मस्जिद के नाम से जाना जाता है। हिंदू और मुस्लिम वास्तुकला के अलावा, कुछ खंडहर ब्रिटिश मूल के हैं और ब्रिटिश कब्रें भी हैं। अंग्रेजों के जाने के बाद यह किला वीरान हो गया है।

असीरगढ़ के किले से जुड़े रोचक तथ्य 

असीरगढ़ के किले से जुड़े रोचक तथ्य नीचे दिए गए हैं:

  • असीरगढ़ के किले में ही मुग़ल बादशाह जहांगीर ने अपने बेटे प्रिंस को कैद कराया था।  
  • हाल ही में असीरगढ़ के किले की खुदाई हुई में एक जेल मिली है।  
  • असीरगढ़ के किले की खुदाई में रानी का एक महल प्राप्त हुआ है।  
  • यह महल 20 फ़ीट तक गहरा है और इसके अंदर एक स्वीमिंग पूल भी मिला है। 
  • असीरगढ़ किले की एक महत्वपूर्ण कथा है इस किले की कमान एक महिला ने संभाली हुई थी। फूलमती, एक सामान्य महिला, ने अपनी निर्णयक और योग्यता के साथ किले की सुरक्षा का भार संभाला हुआ था और युद्ध के समय अपनी वीरता से चमक दिखाई। उनकी कथा आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है और उन्हें समर्पित किया जाता है।
  • असीरगढ़ किला ने साहित्यिक और कला क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसमें महाकाव्य, जिसमें किले का इतिहास और उसकी महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन किया गया है, भारतीय साहित्य का अमूल्य भंडार है। 

असीरगढ़ के अंदर स्थित दर्शनीय स्थल 

यहाँ असीरगढ़ के अंदर स्थित दर्शनीय स्थलों के बारे में बताया जा रहा है : 

गूफाएँ और सुरंग

किले के अंदर और चारों ओर गूफाएँ और सुरंग हैं, जो किले की सुरक्षा के लिए बनाई गई थीं। इन सुरंगों के माध्यम से, आप दुर्ग के विभिन्न हिस्सों में आसानी से पहुंच सकते हैं, और यहाँ से अपने दुश्मनों के हमलों से बचने का मौका मिलता था।

दर्शनीय प्राचीन संरचनाएँ

असीरगढ़ किले के भीतर आपको कई प्राचीन संरचनाएँ दिखाई देंगी, जैसे कि बड़े मंदिर, समाधियाँ, और किले के प्रमुख भवन। ये सभी संरचनाएँ उस समय की जीवनशैली और कला का प्रमुख प्रतीक हैं और आपको उस समय के भारतीय समाज से रूबरू कराती है।

प्राकृतिक सौंदर्य

किले का परिधान गहरे हरे रंगों में लिपटा हुआ है और यहाँ के चारों ओर के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के लिए एक आकर्षण है। जब आप किले की ऊँचाइयों से नीचे देखते हैं, तो आपको डीवानशाह जिले की प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव होता है, जिसमें वन, झीलें, और हिल झूल मशहूर हैं।

असीरगढ़ किले का महत्व

असीरगढ़ किला का महत्व भारतीय इतिहास में बेहद महत्वपूर्ण है। इसका निर्माण 15वीं शताब्दी में आसा अहीर ने करवाया था। यह किला सिर्फ राजकीय दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और कला के प्रति भी महत्वपूर्ण था।

इस किले के अंदर की संरचनाएँ और उनकी विशेष शैली ने किले को एक अद्वितीय कला का केंद्र बना दिया, और इसका प्रभाव भारतीय संस्कृति पर भी पड़ा।

FAQs

असीरगढ़ के किले का निर्माण कब हुआ था? 

असीरगढ़ के किले का निर्माण 14वीं शताब्दी के मध्य में हुआ था। 

असीरगढ़ का शासक कौन था?

असीरगढ़ की कहानी नासिर ख़ां और आसा अहीर से भी पुरानी है। नौवीं से बारहवीं शती तक असीरगढ़ में ‘टाक’ नामक राजपूत राजवंश की सत्ता थी। इस वंश के एक शासक ने 1191 में मुहम्मद ग़ौरी के विरुद्ध पृथ्वीराज चौहान का साथ दिया था।

अकबर का असीरगढ़ अभियान क्या था? 

अकबर ने खानदेश के शासक मीरन बहादुर को हराया। उसने 1601 ई में असीरगढ़ किला जीता। इसे अकबर की अंतिम विजय अभियान कहा गया था।

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Asirgarh ka Kila का सम्पूर्ण इतिहास जानने को मिल गया होगा। इसी प्रकार के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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