अगले 3 वर्षों में स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों में क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें पढ़ सकेंगे छात्र

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केंद्र सरकार ने 19 जनवरी 2024 को सभी शैक्षिक संस्थाओं को यह आदेश दिया है कि आने वाले तीन वर्षों में सभी हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स और स्कूलों को अपने लर्निंग मटेरियल को भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराना होगा। सरकार के निर्देश के अनुसार, अगले तीन साल में स्कूलों और यूजीसी, एआईसीटीई, एनसीईआरटी, एनआईओएस, इग्नू जैसे उच्च शिक्षा नियामकों और आईआईटी, केंद्रीय विश्वविद्यालयों और एनआईटी जैसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुखों को सभी कोर्स के लिए भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री उपलब्ध करानी होगी। 

केंद्र द्वारा दिए गये निर्देश के अनुसार, स्कूल और हयार इंस्टीट्यूट्स को अपने कोर्स की किताबों को संविधान की आठवीं अनुसूची में दी गई सभी क्षेत्रीय भाषाओं में प्रिंट कराना होगा। यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रमुख सिफारिश के अनुसार लिया गया है। शिक्षा मंत्रालय के एक बयान के अनुसार स्थानीय भाषाओं में कंटेंट को बनाने से इस बहुभाषी संपत्ति को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही स्थानीय भाषाओं में पाठ्य सामग्री मिलने से 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में भी मदद मिलेगी।

क्षेत्रीय भाषा सीखने में सुविधा के लिए, सरकार ईकुंभ पोर्टल पर कोर्स की पुस्तकों का ट्रांसलेशन करके अपलोड कर रही है। अपलोड की कई किताबों में लॉ, मेडिकल , इंजीनियरिंग आदि कोर्सेज की किताबें भी शामिल हैं। 

नई शिक्षा नीति क्या है?

नई शिक्षा नीति (NEP in Hindi) 2020 को प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी मिलने के बाद लागू किया गया है। New Education Policy in Hindi का मुख्य उद्देश्य भारत में एजुकेशन को ग्लोबल लेवल पर लाना है, जिससे भारत एक महाशक्ति बन सके। New Education Policy के तहत स्कूल से लेकर कॉलेज तक की शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है। इसके तहत नाॅलेज के साथ ही उनकी हेल्थ और स्किल डेवलपमेंट करना भी शामिल है।

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