Aditya L1 Mission Parts | आदित्य एल-1 मिशन में क्या-क्या है शामिल, यहां जानिये सब कुछ

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Aditya L1 Mission Parts
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ISRO द्वारा आज 2 सितंबर, 2023 को भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1 मिशन 11 बजकर 50 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्‍पेस सेंटर से लॉन्‍च कर दिया गया है, लेकिन Aditya L1 Mission Parts के बारे में भी जानन जरूरी है। यहां हम सूर्य मिशन अपने साथ किन पेलोड को ले जा रहा है और उनके पार्ट्स क्या हैं के बारे में जानेंगे।

आदित्य-एल1 के डिवाइस को सौर वातावरण खास तौर पर क्रोमोस्फीयर और कोरोना के ऑब्सेर्वे करने के लिए ट्यून किया गया है। इन-सीटू डिवाइस एल1 पर स्थानीय वातावरण का निरीक्षण करेंगे। इस यान पर कुल सात पेलोड हैं जिनमें से चार सूर्य की रिमोट सेंसिंग करते हैं और तीन इन-सीटू ओवरव्यू करते हैं।

आदित्य-एल1 मिशन के प्रमुख विज्ञान उद्देश्य

  1. भारत के सूर्य मिशन आदित्य L-1 की लागत INR 378 करोड़ की है।
  2. लैंग्रेज पॉइंट सूर्य और पृथ्वी के बीच ग्रेविटी सिस्टम का वह पॉइंट है, जहां छोटी सी चीज रखी जाती है, ताकि वह ग्रेविटी के  खिंचाव से आसानी चले। 
  3. अंतरिक्ष में एक स्थान पर रह कर किसी वस्तु को चलने के लिए सेंट्रिपेटल बल की आवश्यकता होती है।
  4. L 1 पॉइंट पृथ्वी से 1.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर है। 
  5. सूर्य से पृथ्वी की दूरी करीब 150 मिलियन किलोमीटर की है। 
  6. सूर्य से पृथ्वी की तय दूरी और L -1 पॉइंट से पृथ्वी के दूरी के अनुसार L-1 पॉइंट से सूर्य की दूरी करीब 147.5 मिलियन किलोमीटर है। 
  7. ISRO आदित्य L-1 सूर्य मिशन को लैंग्रेज पॉइंट के चारों ओर प्रभावमंडल में स्थापित किया जाएगा।
  8. इस पॉइंट से सूर्य में हो रही एक्टिविट्स को देखा जा सकता है, जिसका फायदा मिशन को पूरा करने में होगे। 
  9. सूर्य के कोर का तापमान 27 मिलियन डिग्री फारेनहाइट होता है।
  10. सूरज के प्रकाश मंडल कोर से ज्यादा ठंडा होता है, जिसका तापमान 6,000 डिग्री सेल्सियस होता है।
  11. आकाश में गैलेक्सी के अतिरिक्त कई आकाशगंगा है। इस मिशन तहत हम विभिन्न तारों के बारे में भी जानकारी लें पाएंगे।
  12. Aditya L1 के 7 पेलोड में से 4 पेलोड जो हैं वे सूर्य का निरीक्षण करेंगे।

Aditya L1 Launch : सौर्य मिशन क्यों महत्वपूर्ण है?

Aditya L1 Mission Parts जानने के साथ ही सौर्य मिशन क्यों महत्वपूर्ण क्यों के बारे में जानना चाहिए, जोकि इस प्रकार बताया जा रहा हैः

  • अंतरिक्ष साइंस की फील्ड में भारत चंद्रमा और मंगल ग्रह पर यान भेजकर सफलता पा चुका है और अब सूर्य के पास यान भेजकर अपनी स्पेश शक्ति का प्रदर्शन करेगा।
  • यह निरंतर दृश्य सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव की वास्तविक समय पर निगरानी करने में सक्षम बनाता है।
  • जर्मनी, अमेरिका और यूरोपीय स्पेश एजेंसी के बाद भारत सूर्य के पास अंतरिक्ष यान भेजने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। 
  • आदित्य-एल1 का प्राथमिक उद्देश्य क्रोमोस्फीयर और कोरोना सहित सूर्य के ऊपरी वायुमंडल के गतिशील व्यवहार का अध्ययन करना है।

आदित्य एल-1 मिशन कौन से पेलोड ले जा रहा है?

Aditya L1 Mission Parts की जानकारी इस प्रकार दी जा रही हैः

पेलोड (Payload)क्षमता (Capability)
रिमोट सेंसिंग पेलोड (Remote Sensing Payloadsविज़िबल एमिशन एमिशन लाइन करोनाग्राफ (वीईएलसी) Visible Emission Line Coronagraph(VELC)कोरोना/इमेजिंग एवं स्पेक्ट्रोस्कोपी (Corona/Imaging & Spectroscopy)
सौर पराबैंगनी इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) (Solar Ultraviolet Imaging Telescope (SUIT))फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर इमेजिंग – संकीर्ण और ब्रॉडबैंड (Photosphere and Chromosphere Imaging- Narrow & Broadband)
(सौर निम्न ऊर्जा एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS)) (Solar Low Energy X-ray Spectrometer (SoLEXS))सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर: सूर्य-जैसा-तारा अवलोकन (Soft X-ray spectrometer: Sun-as-a-star observation)
उच्च ऊर्जा L1 कक्षीय एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS) (High Energy L1 Orbiting X-ray Spectrometer (HEL1OS))हार्ड एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर: सूर्य-जैसा-तारा अवलोकन (Hard X-ray spectrometer: Sun-as-a-star observation)
इन-सीटू पेलोड (In-situ Payloads)आदित्य सौर पवन कण प्रयोग (एएसपीईएक्स) (Aditya Solar wind Particle Experiment(ASPEX))सौर पवन/कण विश्लेषक प्रोटॉन और भारी आयन दिशाओं के साथ (Solar wind/Particle Analyzer Protons & Heavier Ions with directions)
आदित्य के लिए प्लाज्मा विश्लेषक पैकेज (PAPA) (Plasma Analyser Package For Aditya (PAPA))सौर पवन/कण विश्लेषक इलेक्ट्रॉन और भारी आयन दिशाओं के साथ (Solar wind/Particle Analyzer Electrons & Heavier Ions with directions)
उन्नत त्रि-अक्षीय उच्च रिज़ॉल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर (Advanced Tri-axial High Resolution Digital Magnetometers)इन-सीटू चुंबकीय क्षेत्र (बीएक्स, बाय और बीजेड)(In-situ magnetic field (Bx, By and Bz))

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