शिक्षा एक ऐसी व्यवस्था है जो किसी भी सभ्यता को महान बनाने का काम करती है। शिक्षा समाज में संतुलन बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण साधन है। हर वर्ग और जाति के लोगों को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है, क्योंकि यह भारत में रहने वाले प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है। आज के इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि आदिवासी समाज में शिक्षा का क्या महत्व है। इस विषय पर विस्तार से जानकारी पाने के लिए ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़ें।
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आदिवासी समाज का गौरवमयी इतिहास
आदिवासी समाज एक ऐसा समाज है जिसने भारत राष्ट्र की मूल सनातन पहचान की रक्षा के लिए, प्रकृति के प्रति आस्था रखकर पर्यावरण संरक्षण के लिए सर्वस्व न्यौछावर करके, अपना अहम योगदान दिया है। समाज की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए हर व्यक्ति को शिक्षित होना पड़ता है। आदिवासी समाज को भी आधुनिकता के इस समय में मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अधिकाधिक संख्या में शिक्षित होना आवश्यक है।
“जल, जंगल-जमीन का मंत्र जिनका, वो समाज आदिवासी है
प्रकृति के प्रति आस्था है जिनकी, वो समाज आदिवासी है
हैं मौसम बसंत का, अब कलियों पर फूल खिलने की बारी है
ये समाज भी शिक्षा पाने का बराबर का अधिकारी है….”
-मयंक विश्नोई
आदिवासी समाज में शिक्षा का महत्व
आदिवासी समाज में शिक्षा का महत्व जानने के लिए हम वर्तमान समय में भारत की स्थिति को देख सकते हैं। आप यह जान सकते हैं कि आज आदिवासी समाज में शिक्षा का महत्व क्या है और आदिवासी समाज में शिक्षा का स्तर कैसे बढ़ रहा है। आज वर्तमान में भारत की राष्ट्रपिता भी एक महिला हैं जो कि आदिवासी समाज से ही आती हैं।
आज़ादी का अमृतमहोत्स्व आदिवासी समाज के लिए कई प्रकार की संभावनाओं को साथ लेकर आया हैं जिसका उद्देश्य आदिवासी समाज को मुख्य धारा से जोड़ना हैं। नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से आप इसको और अधिक सरलता से समझ सकते हैं-
- आदिवासी समाज में शिक्षा का महत्व कुछ इस प्रकार बढ़ा है कि आज इस समाज के लोग भी मुख्यधारा से जुड़ पा रहे हैं।
- प्रारंभिक शिक्षा से लेकर स्नातक स्तर तक और भी अन्य कोर्स हैं जिनमें आदिवासी समाज के बच्चों को आरक्षण देकर उन्हें शिक्षा के प्रति जागरूक किया जा रहा है।
- आज भारत सरकार के सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत कई प्रकार की योजनाओं का लाभ सीधा आदिवासियों तक पहुँच रहा है। जिसके कारण आर्थिक रूप से कमजोर लोग भी शिक्षित हो पा रहें हैं।
- आदिवासी समाज को मुख्य धारा में लाने के लिए विद्यालयों और शिक्षकों की संख्या में बढ़ोत्तरी की गयी है।
- छात्रवृत्ति के माध्यम से विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को आर्थिक सहायता दी जा रही हैं जिससे छात्र अपनी पढ़ाई पर खर्चा कर सकें।
- पढ़ाई पूरी करने के बाद आदिवासी समाज के युवाओं को रोजगार पाने के लिए भी मार्गदर्शित किया जाता है।
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शिक्षित होकर देश की प्रगति में योगदान देता आदिवासी समाज
देश के विकास और अखंडता में हर वर्ग के लोगों ने अपना योगदान दिया है, जिसमें से एक आदिवासी समाज भी है, जिसका जीवंत उदाहरण भारत की राष्ट्रपति महोदया महामहिम श्रीमति द्रौपदी मुर्मू जी हैं। आदिवासी समाज की महिला होने के साथ-साथ आज वह देश के सबसे बड़े संविधानिक पद पर हैं। जिन्होंने अपने जीवन में अनेकों दुःख देखे, अनेकों बार परस्थितियों ने उन्हें तोड़ना चाहा, पर उनके हौसलों और परिश्रम करने की इच्छा शक्ति ने कभी हार नहीं मानी। सब कुछ सहकर भी वह दृढ़ता से खड़ी रहीं और भारत की प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनीं।
“सपनों के टूटकर बिखरने पर या एक हार के मिलने पर
खुशियों से कहीं बिछड़ने पर, बचता नहीं कुछ मिटने पर
यह सब सहकर भी जो जीत का जज़्बा रखता है
वही मनुष्य शिक्षा के बल पर प्रेरित समाज को करता है….“
-मयंक विश्नोई
भारत की प्रथम आदिवासी महिला महामहिम राष्ट्रपति श्रीमति द्रौपदी मुर्मू जी आदिवासी समाज के लिए प्रेरणा का स्त्रोत तो हैं ही, साथ ही वह देश के हर उस नागरिक की प्रेरणा हैं जो कि अपने सपनों को पूरा करने का सामर्थ रखता है। साथ ही वह उन लोगों की भी प्रेरणा हैं जो अपनी साधना के बल पर संघर्ष करके समाज में परिवर्तन लाते हों।
भारत में आदिवासियों की शैक्षिक स्थिति
भारत में आदिवासी समुदायों की शैक्षिक स्थिति अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है। यद्यपि पिछले कुछ वर्षों में स्थिति में सुधार हुआ है, फिर भी ये सुधार थोड़ा धीमा है। आदिवासी शिक्षा की स्थिति में सुधार के लिए प्रयासों की आवश्यकता है। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के साथ-साथ समाज के प्रत्येक व्यक्ति को आदिवासी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए योगदान देना चाहिए। शिक्षा ही वह माध्यम है जिससे आदिवासी समुदाय सामाजिक और आर्थिक विकास की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति कर सकते हैं।
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देश में शिक्षा का स्तर बढ़ने के क्या लाभ हैं?
देश में शिक्षित लोगों के बढ़ने से परिवर्तन का माहौल बनता है जिसके कारण जनता जागरूक होती है, इसी जागरूकता के साथ ही इंसान सही-गलत का अंतर समझ सकता है। शिक्षित व्यक्ति स्वयं के साथ-साथ समाज का भी हित करता है। शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारने का भी काम करती है। शिक्षा ही किसी भी देश की संस्कृति और सभ्यता का संरक्षण करती है।
आशा है कि इस ब्लॉग में आपको आदिवासी समाज में शिक्षा का महत्व के बारे में जानकारी मिल गयी होगी। इसी प्रकार के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu केसाथ जुड़ें रहे।
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शिक्षा जन जन तक पहुंचाना है।
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शिक्षा जन जन तक पहुंचाना है।