न्यू एजुकेशन पाॅलिसी (NEP) आने के बाद एजुकेशन में काफी बदलाव हो रहे हैं। अब आने वाले नए एकेडमिक सेशन (2024-25) में पूरे देश की 300 से ज्यादा यूनिवर्सिटीज 4 वर्षीय अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम लागू हो सकता है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) के मुताबिक, हालांकि यह नियम अनिवार्य नहीं होगा, स्टूडेंट्स अपने अनुसार कोर्स चुन सकते हैं।
स्टूडेंट्स के पास FYUP या फिर 3 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम को कंप्लीट करने का ऑप्शन रहेगा। स्टूडेंट्स को रिसर्च स्पेशलाइजेशन के साथ 4 वर्षीय अंडरग्रेजुएट ‘UG ऑनर्स‘ डिग्री मिलेगी। एकेडमिक सेशन 2023-24 की शुरुआत में देश भर के 105 यूनिवर्सिटी द्वारा 4 वर्षीय प्रोग्राम शुरू किया गया था।
इन भारतीय यूनिवर्सिटी में पहले ही शुरू हो चुका प्रोग्राम
4 वर्षीय अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम शुरू करने वाले में 19 सेंट्रल यूनिवर्सिटी, 24 राज्य स्तरीय यूनिवर्सिटी, 44 डीम्ड यूनिवर्सिटी और 18 प्राइवेट यूनिवर्सिटी शामिल हैं। इनमें दिल्ली यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जम्मू सेंट्रल यूनिवर्सिटी, विश्व भारती यूनिवर्सिटी, राष्ट्रीय संस्कृत यूनिवर्सिटी और मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू यूनिवर्सिटी शामिल हैं।
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प्रोग्राम की क्रेडिट सरंचना और सिलेबस इंटरनेशनल स्ट्रैंडर्ड के अनुसार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय छात्रों के बीच विदेश में पढ़ाई करने का रुझान हर साल बढ़ रहा है। आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2022 तक 6 लाख से अधिक भारतीय छात्रों ने विदेश में हायर स्टडी के अवसर तलाशे थे। इसलिए इस प्रोग्राम की क्रेडिट संरचना और सिलेबस इंटरनेशनल स्ट्रैंडर्ड के अनुसार तय है, जिससे स्टूडेंट्स को विदेश में पढ़ाई का फायदा मिलेगा।
UGC के बारे में
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) 28 दिसंबर, 1953 को अस्तित्व में आया और विश्वविद्यालय में शिक्षा, परीक्षा और अनुसंधान के रेगुलेशंस के समन्वय और रखरखाव के लिए 1956 में संसद के एक अधिनियम द्वारा भारत सरकार की काॅंस्टिट्यूशनल बाॅडी बन गया। यह यूनिवर्सिटी और काॅलेजों को ग्रांट देता है।
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