मियाँ नसीरुद्दीन कक्षा 11: लेखिका परिचय, सारांश, शब्दार्थ, महत्वपूर्ण प्रश्न

2 minute read
मियाँ नसीरुद्दीन

मियाँ नसीरुद्दीन Class 11: कक्षा 11 की NCERT की पाठ्यपुस्तिका हिंदी आरोह का पाठ – 2 “मियाँ नसीरुद्दीन” परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। “मियाँ नसीरुद्दीन” शब्दचित्र ‘हम-हशमत’ नामक संग्रह से लिया गया है। इस रचना में नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन के व्यक्तित्व, स्वभाव और गुणों का सजीव चित्रण किया गया है। वे अपने पेशे को महज रोज़गार नहीं, बल्कि एक कला के रूप में देखते हैं और उसमें निपुणता प्राप्त करने को गौरव मानते हैं। उनका चरित्र उन लोगों का प्रतीक है, जो अपने कार्य में निपुणता और समर्पण के माध्यम से उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं। सीखने की निरंतरता और अपने हुनर को निखारने का उनका दृष्टिकोण इस रचना को विशेष बनाता है। इस ब्लॉग में मियाँ नसीरुद्दीन कक्षा 11 के बारे में विस्तार से बताया गया है।

मियाँ नसीरुद्दीन की लेखिका – कृष्णा सोबती का परिचय

मियाँ नसीरुद्दीन सुप्रसिद्ध लेखिका कृष्णा सोबती की रचना है। उनका जन्म 1925 ईस्वी में पाकिस्तान के गुजरात नामक स्थान पर हुआ था। उनकी शिक्षा लाहौर, शिमला और दिल्ली में संपन्न हुई। उन्हें साहित्य अकादमी सम्मान, हिंदी अकादमी का शलाका सम्मान, साहित्य अकादमी की महत्तर सदस्यता सहित अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

कृष्णा सोबती की रचनाएँ

कृष्णा सोबती ने उपन्यास, कहानियाँ और संस्मरण जैसी विभिन्न विधाओं में लेखन किया। उनकी रचनाओं ने हिंदी साहित्य में अपनी स्थायी पहचान बनाई है।

मुख्य रचनाएँ:

  • उपन्यास: जिंदगीनामा, दिलोदानिश, ऐ लड़की, समय सरगम
  • कहानी संग्रह: डार से बिछुड़ी, मित्रों मरजानी, बादलों के घेरे, सूरजमुखी औधेरे के
  • शब्दचित्र एवं संस्मरण: हम-हशमत, शब्दों के आलोक में

कृष्णा सोबती का साहित्यिक योगदान

हिंदी कथा साहित्य में कृष्णा सोबती का एक विशिष्ट स्थान है। उनका मानना था कि कम लिखना, लेकिन उत्कृष्ट लिखना महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि उनके लेखन की संक्षिप्तता और गहराई ने पाठकों के बीच उन्हें अलग पहचान दिलाई। उन्होंने हिंदी साहित्य को कई अमर चरित्र दिए, जैसे – मित्रो, शाहनी, हशमत आदि।

भारत-पाक विभाजन पर लेखन करने वाले महान साहित्यकारों में कृष्णा सोबती का नाम अग्रणी है। यशपाल के “झूठा सच”, राही मासूम रज़ा के “आधा गाँव” और भीष्म साहनी के “तमस” की तरह ही उनका “जिंदगीनामा” विभाजन संबंधी साहित्य में एक महत्वपूर्ण कृति मानी जाती है।

संस्मरण विधा में उनकी कृति “हम-हशमत” विशेष महत्व रखती है। इसमें उन्होंने अपने ही दूसरे व्यक्तित्व “हशमत” के रूप में एक अनूठा प्रयोग किया, जो हिंदी साहित्य में एक अलग मिसाल है।

उनकी भाषा शैली बहुआयामी थी। उन्होंने हिंदी कथा-भाषा को एक नया स्वर, ताजगी और विविधता प्रदान की। उनकी रचनाओं में संस्कृतनिष्ठ तत्समता, उर्दू की लयात्मकता और पंजाबी की जिंदादिली का अनूठा समन्वय देखने को मिलता है, जिससे उनका साहित्य अद्वितीय बन जाता है।

मियाँ नसीरुद्दीन पाठ का सारांश (Miya Nasiruddin Summary in Hindi)

मियाँ नसीरुद्दीन पाठ का सारांश (Miya Nasiruddin Summary in Hindi) इस प्रकार है:

यह पाठ प्रसिद्ध लेखक कृष्णा सोबती के “हम-हशमत” नामक संग्रह से लिया गया है, जिसमें खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन के व्यक्तित्व, रुचियों और स्वभाव का शब्दचित्र प्रस्तुत किया गया है। मियाँ नसीरुद्दीन दिल्ली के ऐतिहासिक मटियामहल इलाके में एक छोटी-सी लेकिन प्रतिष्ठित दुकान चलाते हैं, जहाँ वे वर्षों से तंदूरी रोटियाँ और अन्य पारंपरिक व्यंजन बनाते आ रहे हैं। वे अपने पेशे को मात्र जीविका का साधन नहीं, बल्कि एक कला मानते हैं, जिसे उन्होंने अपने पूर्वजों से सीखा और इसे संजोकर रखा है। उनका दावा है कि वे छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने में निपुण हैं, जिससे उनके गहरे व्यावहारिक अनुभव, समर्पण और कठिन परिश्रम का पता चलता है।

लेखिका जब एक दिन मटियामहल के गद्वैया मोहल्ले में घूम रही थीं, तब उन्होंने मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान पर आटे का ढेर लगा देखा और उनकी जिज्ञासा बढ़ी। बातचीत के दौरान मियाँ नसीरुद्दीन अपने स्वभाव के अनुसार व्यंग्यपूर्ण और स्पष्टवादी शैली में उत्तर देते हैं। वे अखबारों और उसमें लिखने-पढ़ने वालों को व्यर्थ बताते हैं और तर्क देते हैं कि असली हुनर किताबों से नहीं, बल्कि प्रयोग, अनुभव और सतत अभ्यास से आता है। वे अपने खानदानी हुनर पर गर्व करते हुए बताते हैं कि उनके पिता मियाँ बरकत और दादा मियाँ कल्लन भी शाही बावर्चीखाने में नानबाई थे। उनका कहना है कि जिस तरह एक बच्चा धीरे-धीरे अक्षर सीखकर ऊँची कक्षाओं तक पहुँचता है, उसी प्रकार उन्होंने भी बर्तन धोने, भट्ठी जलाने और आटा गूंधने से शुरुआत कर अपने हुनर को निखारा।

मियाँ नसीरुद्दीन के हाव-भाव और बातचीत का अंदाज व्यंग्यात्मक होने के साथ-साथ आत्मसम्मान से भरा हुआ है। वे बताते हैं कि उनके पूर्वजों ने बादशाह के लिए एक विशेष व्यंजन तैयार किया था, जो न तो आग में पका था और न ही पानी में बना था। जब लेखिका ने उस बादशाह का नाम जानना चाहा, तो वे झुंझला उठे और टाल-मटोल करने लगे। इससे यह स्पष्ट होता है कि वे अपनी परंपरा और खानदानी शान के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं, लेकिन उसमें कुछ अतिशयोक्ति भी हो सकती है।

बदलते समय को लेकर मियाँ नसीरुद्दीन खिन्न नजर आते हैं। वे नई पीढ़ी के खान-पान की आदतों और जीवनशैली पर कटाक्ष करते हुए कहते हैं कि पहले के लोग स्वाद, शुद्धता और गुणवत्ता को प्राथमिकता देते थे, जबकि आजकल केवल दिखावा और सस्ता भोजन पसंद किया जाता है। वे मानते हैं कि अब मेहनतकश लोगों की कद्र नहीं रही और लोग तंदूरी रोटी जैसी मोटी और भारी रोटियाँ ज्यादा पसंद करने लगे हैं, जिससे परंपरागत व्यंजनों का महत्व कम हो गया है।

“मियाँ नसीरुद्दीन” पाठ पारंपरिक व्यवसायों, पुराने हुनर और व्यावहारिक दक्षता के महत्व को रोचक व व्यंग्यपूर्ण शैली में प्रस्तुत करता है। यह पाठ यह संदेश देता है कि किसी भी कार्य में निपुणता केवल किताबी ज्ञान से नहीं आती, बल्कि उसे सीखने, समझने और पूर्ण समर्पण के साथ अभ्यास करने से ही वास्तविक कुशलता प्राप्त होती है। इसके माध्यम से लेखक ने बदलते सामाजिक मूल्यों और पारंपरिक कौशल की अनदेखी पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा किया है।

मियाँ नसीरुद्दीन कक्षा 11 pdf

मियाँ नसीरुद्दीन पाठ के शब्दार्थ

मियाँ नसीरुद्दीन Class 11 के पाठ के शब्दार्थ इस प्रकार हैं:

शब्दअर्थ
साहबों-दोस्तोंसम्मानित व्यक्तियों और मित्रों का समूह
अपन-हमस्वयं
हज़ारों-अनगिनतबहुत अधिक
मसीहा-देवदूतउद्धारकर्ता, रहनुमा
धूमधड़क्काशोरगुल, भीड़भाड़
नानबाई/नानवाईतरह-तरह की रोटी बनाने और बेचने वाला
लुत्फआनंद
अंदाज़ढंग, तरीका
आड़े-तिरछेबेढंग
निहायतबिल्कुल
पटापटपट-पट की आवाज़
सनते-मलतेधीरे-धीरे सुनना और समझना
काइयाँधूर्त, चालाक
पेशानीमाथा, मस्तक
तेवरमुद्रा, हाव-भाव
पंचहज़ारीपाँच हज़ार सैनिकों का अधिकारी
अखबारनवीसपत्रकार
खुराफ़ातशरारत
निठल्लाखाली, काम न करने वाला
किस्मप्रकार
इल्मजानकारी, ज्ञान, विद्या
हासिलप्राप्त
कंचे-पुतलीआँखों की पुतली
तरेरकरतानकर, घूरकर देखना
नगीनासाजनगीना जड़ने वाला
आईनासाजदर्पण बनाने वाला
मीनासाजमीनाकारी करने वाला
रफूगरफटे कपड़े जोड़ने वाला
रंगरेजकपड़ा रंगने वाला
तंबोलीपान लगाने वाला
फरमानाकहना, आदेश देना
खानदानीपारिवारिक
पेशाधंधा, व्यवसाय
वालिदपिता
उस्तादगुरु
अख्तियार करनाअपनाना
हुनरकला, विशेष योग्यता
मरहूमजिसकी मृत्यु हो चुकी हो
ठीयाजगह
लमहाक्षण
आलाश्रेष्ठ, उत्तम
नसीहतसीख, शिक्षा
बजा फरमानाठीक बात कहना
कश खींचनासाँस खींचना
अलिफ-बे-जीमफारसी लिपि के अक्षर
शागिर्दशिष्य
परवान करनाउन्नति की तरफ़ बढ़ना
मदरसास्कूल
कच्चीपहली कक्षा से पहले की पढ़ाई
जमातकक्षा, श्रेणी
दागनाप्रश्न करना
मैंजेकुशल तरीके से
जिक्रवर्णन
बहुतेरेबहुत अधिक
चक्कर काटनाघूमते रहना
जहाँपनाहराजा
रंग लानामजेदार बात कहना
बेसब्रीअधीरता
रुखाईउपेक्षित भाव
इत्ताइतना
गढ़ीरची हुई
करतबकार्य, कौशल
लौंडियालड़की
रूमालीएक प्रकार की रोटी जो रूमाल की तरह बड़ी और बहुत पतली होती है
जहमत उठानातकलीफ़, झंझट, कष्ट
कूच करनामृत्यु होना
मोहलतकार्य विशेष के लिए मिलने वाला समय
मजमूनमामला, विषय
शाही बावर्चीखानाराजकीय भोजनालय
बेरुखीउपेक्षा
बाल की खाल उतारनाअधिक बारीकी में जाना
खिसियानी हँसीशर्म से हँसना
वक्तसमय
खिल्ली उड़ानामज़ाक उड़ाना
रुक्का भेजनासंदेश भेजना
बिटर-बिटरएकटक
अंधड़तीव्र रेतीली आँधी
आसारसंभावना
महीनपतली
कौंधनाप्रकट होना
गुमशुदाभूली हुई
कद्रदानकला के पारखी

मियाँ नसीरुद्दीन पाठ के प्रश्न और उत्तर

मियाँ नसीरुद्दीन पाठ के प्रश्न और उत्तर इस प्रकार हैं:

मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा क्यों कहा गया है ?

उत्तर: मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा इसलिए कहा गया है क्योंकि वे साधारण नानबाई नहीं थे, बल्कि अपने पेशे को एक कला मानते थे। वे खानदानी नानबाई थे और उनके पास छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने का हुनर था। उनके लिए रोटी बनाना सिर्फ आजीविका का साधन नहीं था, बल्कि यह उनकी पारंपरिक कला और परंपरा का हिस्सा था। वे अपने पेशे को गर्व और आत्मसम्मान के साथ निभाते थे और इसे आगे बढ़ाने में रुचि रखते थे। उनका आत्मविश्वास और कारीगरी उन्हें अन्य नानबाइयों से अलग और श्रेष्ठ बनाते थे।

लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास क्यों गई थीं?

उत्तर: लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास एक पत्रकार के रूप में गई थीं। उनका उद्देश्य मियाँ नसीरुद्दीन की नानबाई कला और उनके खानदानी पेशे की विशेषताओं के बारे में जानकारी प्राप्त करना था, ताकि वे इस अद्भुत पारंपरिक कला को लेख के रूप में प्रकाशित कर सकें। वे यह समझना चाहती थीं कि कैसे मियाँ नसीरुद्दीन इस पेशे को एक साधारण काम से बढ़कर एक कला के रूप में देखते हैं और कैसे वे अपने पूर्वजों से मिली इस विरासत को संजोए हुए हैं।

बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी क्यों खत्म होने लगी?

उत्तर: जब लेखिका ने मियाँ नसीरुद्दीन से उनके खानदानी पेशे के संदर्भ में किसी बादशाह का नाम पूछा, तो वे असहज हो गए और उनकी बातचीत में रुचि कम होने लगी। इसका मुख्य कारण यह था कि वे जो भी बातें बता रहे थे, वे केवल सुनी-सुनाई कहानियाँ थीं, जिनका कोई ठोस प्रमाण नहीं था। वे बादशाह से जुड़ी अपनी डींगों को सिद्ध नहीं कर सकते थे, और जब लेखिका ने वास्तविकता की पड़ताल की, तो उन्हें असहज महसूस हुआ। इसीलिए उन्होंने बातचीत को बदलने की कोशिश की और विषयांतर कर दिया।

मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अंधड़ के आसार देख यह मज़मून न छेड़ने का फ़ैसला किया – इस कथन के पहले और बाद के प्रसंग का उल्लेख करते हुए इसे स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: इस कथन के पहले लेखिका ने देखा कि जब वे मियाँ नसीरुद्दीन से उनके खानदानी पेशे और परिवार के बारे में पूछना चाहती थीं, तो वे किसी को भट्टी सुलगाने के लिए पुकारने लगे। जब लेखिका ने पूछा कि ये लोग कौन हैं, तो मियाँ ने बताया कि वे उनके कारीगर हैं। इसके बाद लेखिका के मन में विचार आया कि वे मियाँ नसीरुद्दीन से उनके परिवार के बारे में पूछें, जैसे – “क्या आपके बेटे-बेटियाँ भी इस काम में हैं?” लेकिन जैसे ही उन्होंने उनके चेहरे पर बेरुखी देखी और किसी दबे हुए अंधड़ (भावनात्मक उथल-पुथल) के संकेत पाए, तो उन्होंने यह प्रश्न न पूछने का निर्णय लिया। इससे यह पता चलता है कि मियाँ नसीरुद्दीन के जीवन में कुछ ऐसा था, जिसे वे छिपाना चाहते थे या जिससे वे व्यथित थे।

पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखिका ने कैसे खींचा है?

उत्तर: लेखिका ने मियाँ नसीरुद्दीन का शब्दचित्र बहुत प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। वे लगभग सत्तर वर्ष के थे और एक अनुभवी कारीगर की तरह दिखाई देते थे। जब लेखिका ने उनकी दुकान में झाँका, तो उन्होंने मियाँ नसीरुद्दीन को चारपाई पर बैठे बीड़ी पीते हुए देखा। उनके चेहरे पर मौसमों की मार झलक रही थी, उनकी आँखों में एक अनोखा काइयाँ भोलापन था, और उनकी पेशानी पर एक अनुभवी नानबाई के तेवर स्पष्ट दिखाई देते थे। उनका आत्मविश्वास उनके हाव-भाव में झलकता था, और वे अपने खानदानी पेशे पर गर्व महसूस करते थे। लेखिका ने उन्हें एक जिंदादिल इंसान के रूप में प्रस्तुत किया, जो अपने काम के प्रति समर्पित था और अपनी कला की कद्र करता था।
पर मँजे हुए कारीगर के तेवर।

मियाँ नसीरुद्दीन की कौन-सी बातें आपको अच्छी लगीं?

उत्तर: मियाँ नसीरुद्दीन की निम्नलिखित बातें प्रभावशाली लगीं:
आत्मविश्वास से भरा व्यक्तित्व – वे अपने पेशे और कला पर पूरा गर्व करते थे।
काम के प्रति रुचि एवं लगाव – वे नानबाई के काम को केवल जीविका का साधन नहीं, बल्कि एक कला मानते थे।
सटीक उत्तर देने की कला – वे संवाद कौशल में निपुण थे और रोचक तरीके से बातें करते थे।
विविधता और निपुणता – वे छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने में माहिर थे।
कारीगरों के प्रति सम्मान – वे अपने शागिर्दों को उचित वेतन और सम्मान देते थे, जिससे उनकी नेतृत्व क्षमता भी झलकती थी।

तालीम की तालीम ही बड़ी चीज़ होती है – यहाँ लेखक ने तालीम शब्द का दो बार प्रयोग क्यों किया है? क्या आप दूसरी बार आए तालीम शब्द की जगह कोई अन्य शब्द रख सकते हैं? लिखिए।

उत्तर: यहाँ ‘तालीम’ शब्द का दो बार प्रयोग अलग-अलग अर्थों में किया गया है:
पहला ‘तालीम’ व्यावसायिक शिक्षा या कौशल प्रशिक्षण को दर्शाता है।
दूसरा ‘तालीम’ शिक्षा या पढ़ाई-लिखाई को संदर्भित करता है।
यदि हम दूसरी बार आए ‘तालीम’ शब्द की जगह कोई अन्य शब्द रखें, तो वाक्य इस प्रकार होगा:
“कौशल की शिक्षा ही बड़ी चीज होती है।”की जगह शब्द रख सकते हैं – ‘तालीम की शिक्षा’।

मियाँ नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं जिसने अपने खानदानी व्यवसाय को अपनाया। वर्तमान समय में प्रायः लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं। ऐसा क्यों?

उत्तर: आज के समय में लोग अपने पारंपरिक व्यवसायों को अपनाने से कतराते हैं, इसके कई कारण हैं:
तकनीकी प्रगति और आधुनिक शिक्षा – लोग पढ़-लिखकर सफेदपोश नौकरियों को प्राथमिकता देते हैं।
कम आर्थिक लाभ – पारंपरिक व्यवसायों में अधिक मेहनत के बावजूद अपेक्षाकृत कम आमदनी होती है।
नए करियर विकल्प – आज के युवाओं के पास डिजिटल मार्केटिंग, आईटी, चिकित्सा, इंजीनियरिंग आदि जैसे कई नए विकल्प उपलब्ध हैं।
सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रभाव – लोग पारंपरिक व्यवसायों को हेय दृष्टि से देखने लगे हैं, जिससे नई पीढ़ी इनसे दूरी बना रही है।

हालांकि, कुछ लोग अभी भी पारंपरिक व्यवसायों को संजोए हुए हैं और उन्हें आधुनिक तकनीकों के साथ नया रूप दे रहे हैं।

मियाँ, कहीं अखबारनवीस तो नहीं हो? यह तो खोजियों की खुराफ़ात है – अखबार की भूमिका को देखते हुए इस पर टिप्पणी करें।

उत्तर: “अखबारनवीस” शब्द पत्रकारों के लिए प्रयुक्त होता है। समाचार-पत्र समाज को सूचित और जागरूक करने का महत्वपूर्ण साधन है। यह जनता की आवाज़ बनकर न्याय दिलाने में सहायक होता है। लेकिन, आधुनिक समय में कुछ समाचार-पत्र सनसनीखेज़ खबरें प्रकाशित कर तथ्यों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने लगे हैं, जिससे उनकी विश्वसनीयता प्रभावित हुई है। मियाँ नसीरुद्दीन का यह कथन पत्रकारों की खोजी प्रवृत्ति पर कटाक्ष करता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उन्हें पत्रकारिता से परहेज था।

बच्चे को मदरसे भेजने के उदाहरण द्वारा मियाँ नसीरुद्दीन क्या समझाना चाहते थे?

उत्तर: मियाँ नसीरुद्दीन ने उदाहरण दिया कि अगर बच्चा सीधे तीसरी कक्षा में बैठ जाए, तो पहली और दूसरी कक्षा का क्या होगा? इसका तात्पर्य यह था कि किसी भी कार्य को पूरी प्रक्रिया से सीखना आवश्यक होता है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए कि उन्होंने पहले बर्तन धोना, भट्ठी बनाना और भट्ठी को आँच देना सीखा, तब जाकर रोटी पकाने का सही हुनर आया। इसी तरह, बिना छोटे स्तर से शुरू किए सीधे बड़े स्तर पर जाने से कार्य की मूलभूत समझ नहीं आती।

स्वयं को खानदानी नानबाई साबित करने के लिए मियाँ नसीरुद्दीन ने कौन-सा किस्सा सुनाया?

उत्तर: मियाँ नसीरुद्दीन ने अपने खानदानी पेशे को श्रेष्ठ साबित करने के लिए एक दिलचस्प किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा कि उनके बुजुर्गों से एक बादशाह ने ऐसी चीज़ बनाने के लिए कहा, जो न आग से पके और न पानी से बने। मियाँ ने दावा किया कि उनके पूर्वजों ने उस अनोखी चीज़ को बनाया और बादशाह ने उसे खूब पसंद किया। लेकिन जब लेखक ने उस चीज़ का नाम पूछा, तो मियाँ ने रहस्य बनाए रखते हुए बताया कि “वह हमें नहीं बताएँगे!” यह किस्सा उनके चतुराई भरे व्यक्तित्व को दर्शाता है, जिसमें वे अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए रहस्यमयी ढंग से बात करते हैं।

बादशाह का नाम पूछे जाने पर मियाँ बिगड़ क्यों गए?

उत्तर: मियाँ नसीरुद्दीन अपने खानदानी पेशे और अपने बुजुर्गों की श्रेष्ठता को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत कर रहे थे। वे इस बात को साबित करना चाहते थे कि उनके पूर्वज शाही बावर्चीखाने में कार्यरत थे। लेकिन जब लेखक ने बादशाह का नाम पूछा, तो वे असहज हो गए क्योंकि उन्हें स्वयं इस बारे में जानकारी नहीं थी। इससे उनकी कहानी पर संदेह हो सकता था, इसलिए वे गुस्से में आ गए और बहस करने लगे।

पाठ के अंत में मियाँ अपना दर्द कैसे व्यक्त करते हैं?

उत्तर: मियाँ नसीरुद्दीन ने गहरी साँस लेते हुए कहा— “उतर गए वे ज़माने और गए वे कद्रदान जो पकाने-खाने की कद्र करना जानते थे! मियाँ अब क्या रखा है… निकाली तंदूर से-निगली और हज़म!” उनके इस कथन में बीते समय के प्रति गहरी उदासी झलकती है। वे यह कहना चाहते हैं कि पहले भोजन को कला की तरह सराहा जाता था, लेकिन अब लोगों की रुचि केवल खाना खाने तक सीमित रह गई है। यह एक व्यापक संदेश है कि आधुनिकता के प्रभाव में पारंपरिक कलाएँ धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही हैं।

मियाँ नसीरुद्दीन का पत्रकारों के प्रति क्या रवैया था?

उत्तर: उनका मानना था कि अखबार पढ़ने और छापनेवाले दोनों ही बेकार होते हैं। आज पत्रकारिता एक व्यवसाय है, जो नई से नई खबर बढिया से बढ़िया मसाला लगाकर पेश करते हैं। कभी-कभी तो खबरों को धमाकेदार बनाने के लिए तोड़-मरोड़ डालते हैं। मियाँ की नज़र में काम करना अखबार पढ़ने से कहीं अधिक अच्छा काम है। बेमतलब के लिखना, छापना और पढ़ना उनकी नज़र में निहायत निकम्मापन है। इसलिए उन्हें अखबारवालों से परहेज है।

‘मियाँ नसीरुद्दीन’ शब्द चित्र का प्रतिपाद्य बताइए।

उत्तर: इस अध्याय में लेखिका ने खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन के व्यक्तित्व, रुचियों और स्वभाव का वर्णन करते हुए यह बताया है कि मियाँ नसीरुद्दीन नानबाई का अपना काम अत्यन्त ईमानदारी और मेहनत से करते थे। यह कला उन्होंने अपने पिता से सीखी थी। वे अपने इस कार्य को किसी भी कार्य से हीन नहीं मानते थे। उन्हें अपने खानदानी व्यवसाय पर गर्व है। वे छप्पन तरह की रोटियाँ बना सकते थे। वे काम करने में विश्वास रखते हैं। लेखिका का संदेश यही है कि हर काम को गंभीरता व मेहनत से करना चाहिए। कोई भी व्यवसाय छोटा या बड़ा नहीं होता।

पंचहजारी अंदाज से क्या अभिप्राय है?

पंचहजारी अंदाज-बड़े सेनापतियों जैसा अंदाज। मुगलों के समय में पाँच हजार सिपाहियों के अधिकारी को पंचहजारी कहते थे। यह ऊँचा पद होता था। नसीरुद्दीन में भी उस पद की तरह गर्व व अकड़ थी।

मियाँ ने लेखिका को घूरकर क्यों देखा?

मियाँ नसीरुद्दीन को शक था कि कहीं लेखिका अखबार वाली तो नहीं हैं। वे उन्हें खुराफाती मानते हैं जो खोज करते रहते हैं। इस कारण उन्होंने लेखिका को घूरकर देखा।

मियाँ ने किन-किन खानदानी व्यवसायों का उदाहरण दिया? क्यों?

मियाँ ने नगीना साज़, आईनासाज़, मीना साज़, रफूगर, रंगरेज व तेली-तंबोली व्यवसायों का उदाहरण दिया। उन्होंने लेखिका को समझाया कि इन लोगों के पास नानबाई का ज्ञान नहीं है। खानदानी पेशे को अपने बुर्जुगों से ही सीखा जाता है।

मियाँ किस सोच में खो गए?

मियाँ से जब अद्भुत चीज के बारे में पूछा गया तो वे सोच में पड़ गए। वास्तव में मियां को ऐसी चीज के बारे में पता ही नहीं था। उन्होंने अपने बुजुर्गों की प्रशंसा के लिए यह बात कह दी थी।

मियाँ किस बात का दावा करते हैं?

मियाँ इस बात का दावा करते हैं कि खानदानी नानबाई कुछ भी पका सकता है। रोटी आँच से पकती है, झूठ से नहीं।

मियाँ किस बात से भड़क उठे?

मियाँ ने बताया कि उनके पूर्वज बादशाह के नानबाई थे तो लेखिका ने उनसे बादशाह का नाम पूछा। इस बात पर भड़क उठे।

तुनकी क्या है? इसकी विशेषता बताइए?

तुनकी विशेष प्रकार की रोटी है। यह पापड़ से भी अधिक पतली होती है।

मियाँ के आगे क्या काँध गया?

मियाँ को अपने पुराने जमाने के दिन याद आने लगे जब लोग उनकी दुकान से तरह-तरह की रोटियाँ लेने आते थे।

मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान कहाँ स्थित थी?

मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान जामा मस्जिद के पास मटिया महल के गद्वैया मोहल्ले में थी।

अखबार वालों के बारे में उनकी क्या राय है?

अखबार वालों के बारे में मियाँ की राय पूर्वाग्रह से ग्रस्त है। वे अखबार बनाने वालों के साथ-साथ अखबार पढ़ने वालों को भी निठल्ला मानते हैं। इससे लोगों को कोई फायदा नहीं मिलता।

मियाँ नसीरुद्दीन पाठ के MCQs

1. ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ नामक पाठ की लेखिका का नाम है-
A. महादेवी वर्मा
B. कृष्णा सोबती
C. सुभद्रा कुमारी चौहान
D. अमृता प्रीतम


उत्तर – B

2. ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ नामक पाठ में किसके व्यक्तित्व का शब्द-चित्र अंकित किया गया है?
A. मियाँ नसीरुद्दीन के दादा का
B. मियाँ नसीरुद्दीन के पिता का
C. मियाँ नसीरुद्दीन का
D. मियाँ नसीरुद्दीन के भाई का

उत्तर – C

3.मियाँ नसीरुद्दीन किस कला में प्रवीण थे?
A. वस्तुकला
B. चित्रकला
C. भाषण-कला|
D. रोटी बनाने की कला

उत्तर – D

4. मियाँ नसीरुद्दीन कैसे इंसान का प्रतिनिधित्व करते थे?
A. चालाक इंसान का
B. त्यागशील इंसान का
C. जो अपने पेशे को कला का दर्जा देते हैं
D. जो अपने खानदान का नाम डुबोते हैं

उत्तर – C

5. जब लेखिका गढ़ैया मुहल्ले से गुजर रही थी तो उसे एक दुकान से कैसी आवाज़ सुनाई दी?”
A. पटापट की
B. नृत्य करने की
C. गीत की
D. रोने की

उत्तर – A

6. पटापट आटे के ढेर को सानने की आवाज़ को सुनकर लेखिका ने क्या सोचा था?
A. पराँठे बन रहे हैं
B. सेवइयों की तैयारी हो रही है
C. दाल को तड़का लग रहा है
D. हलवा बनाया जा रहा है

उत्तर – B

7. मियाँ नसीरुद्दीन कितने प्रकार की रोटी बनाने के लिए मशहूर हैं?
A. बत्तीस
B. चालीस
C. छयालीस
D. छप्पन

उत्तर – D

8. लेखिका ने मियाँ नसीरुद्दीन से सबसे पहले कौन-सा प्रश्न किया था?
A. आप से कुछ सवाल पूछने थे?
B. आप से रोटियाँ बनवानी थीं?
C. आप क्या कर रहे हैं?
D. आपका नाम क्या है?

उत्तर – A

9. मियाँ नसीरुद्दीन ने लेखिका को क्या समझा था?
A. अभिनेत्री
B. नेत्री
C. अखबारनवीस
D. कवयित्री

उत्तर= C

10. मियाँ नसीरुद्दीन ने अखबार के विषय में क्या कहा था?
A. खोजियों की खुराफात
B. धार्मिक लोगों का प्रयास
C. आय का साधन
D. प्रसिद्धि का आसान तरीका

उत्तर – A

11. अखबार बनाने वाले और अखबार पढ़ने वाले दोनों को मियाँ नसीरुद्दीन ने क्या कहा था?
A. कामकाजी
B. निठल्ला
C. ईमानदार
D. बेईमान

उत्तर – B

12. लेखिका के अनुसार नसीरुद्दीन का खानदानी पेशा क्या था?
A. नगीनासाज
B. आईनासाज
C. रंगरेज
D. नानबाई

उत्तर – D

13. मियाँ नसीरुद्दीन अपना उस्ताद किसे मानते हैं?
A. अपने वालिद को
B. अपने दादा को
C. अपने मामा को
D. अपने नाना को

उत्तर – A

14. मियाँ नसीरुद्दीन के वालिद का नाम था-
A. मियाँ शाहरुख
B. मियाँ अखतर
C. बरकत शाही
D. मियाँ कल्लन

उत्तर – C

15. मियाँ नसीरुद्दीन के दादा का क्या नाम था?
A. मियाँ कल्लन
B. मियाँ बरकत शाही
C. मियाँ दादूदीन
D. मियाँ सलमान अली

उत्तर – A

16. ‘काम करने से आता है, नसीहतों से नहीं’ ये कथन किसका है?
A. लेखिका का
B. नसीरुद्दीन के दादा का
C. नसीरुद्दीन के पिता का
D. नसीरुद्दीन का

उत्तर – D

17. ‘तालीम की तालीम भी बड़ी चीज़ होती है’-इस वाक्य में दूसरी बार प्रयुक्त तालीम का क्या अर्थ है-
A. शिक्षा
B. शिक्षा का ज्ञान
C. उपदेश
D. नसीहत

उत्तर – B

18. ‘कोई ऐसी चीज खिलाओ जो न आग से पके, न पानी से बने’ ये शब्द किसने कहे थे?
A. बादशाह सलामत
B. मियाँ नसीरुद्दीन
C. लेखिका
D. मियां कल्लन

उत्तर – A

Miyan Naseeruddin|Explanation | Class 11|मियाँ नसीरुद्दीन | Aaroh NCERT |Alpana Verma
Source: Alpana Verma

FAQs

मियाँ नसीरुद्दीन कौन थे?

मियाँ नसीरुद्दीन एक ऐसे बातूनी नानबाई थे जो स्वयं को सभी नानबाइयों से श्रेष्ठ साबित करने के लिए खानदानी और बादशाह के शाही बावर्ची खाने से ताल्लुक रखने वाले कहते थे। वे इतने काइयाँ थे कि बस जो वे कहें उसे सब मान लें, कोई प्रश्न न पूछे।

खानदानी नानबाई से क्या अभिप्राय है?

नानबाई उस व्यक्ति को कहते हैं जो कई तरह की रोटियाँ बनाने और बेचने का काम करता है। यहाँ मियाँ नसीरुद्दीन नामक खानदानी नानबाई का जिक्र हुआ है।

मियाँ नसीरुद्दीन के खानदान का पैसा क्या था?

नसीरुद्दीन का खानदानी पेशा नानबाई बनाने का था। वह अपनी आजीविका के लिए एक दुकान चलाते थे, जहाँ पर वह नानबाई बनाते थे। नानबाई एक विशेष प्रकार की रोटी होती है, जिसको बनाने की कला में नसीरुद्दीन को महारत हासिल थी।

मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा क्यों कहा गया है?

मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा कहा गया है क्योंकि वे साधारण नानबाई नहीं हैं। वे खानदानी नानबाई हैं। अन्य नानबाई रोटी केवल पकाते हैं, पर मियाँ नसीरुद्दीन अपने पेशे को कला मानते है। उनके पास छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने का हुनर है।

मियाँ नसीरुद्दीन के पिता का क्या नाम था?

उनका पिता का नाम मियाँ शराफत था।

मियाँ नसीरुद्दीन किस कला में प्रवीण थे?

मियाँ नसीरुद्दीन अपने मसीहाई अंदाज से रोट्री पकाने की कला और उसमें अपनी खानदानी महारत बताते हैं। वे ऐसे इंसान का भी प्रतिनिधित्व करते हैं जो अपने पेशे को कला का दर्जा देते हैं और करके सीखने को असली हुनर मानते हैं।

‘मियाँ नसीरुद्दीन’ किस लिए मशहूर थे?

मियाँ नसीरुद्दीन एक ऐसे बातूनी नानबाई थे जो स्वयं को सभी नानबाइयों से श्रेष्ठ साबित करने के लिए खानदानी और बादशाह के शाही बावर्ची खाने से ताल्लुक रखनेवाले कहते थे। वे इतने काइयाँ थे कि बस जो वे कहें उसे सब मान लें, कोई प्रश्न न पूछे।

मियाँ नसीरुद्दीन कितने प्रकार की रोटियां बनाना जानते थे?

मियाँ नसीरुद्दीन अपने पेशे को कला मानते है। उनके पास छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने का हुनर है।

मियाँ नसीरुद्दीन सिर हिलाते समय कैसे दिखे?

कभी-कभी पंचहजारी अंदाज में सिर हिलाते हैं 1 वे कभी दूसरे आदमी के सामने आँखों के कंचे फेरते हैं, कभी आँखें तरेरते हैं। बीड़ी के कश खींचने में वे माहिर हैं। बातों में वे बड़ी लंबी-लंबी फेंकते हैं।

संबंधित आर्टिकल

नमक का दरोगा हिंदी कक्षा 11 का संपूर्ण व्याख्या और प्रश्नस्पीति में बारिश NCERT कक्षा 11
जामुन का पेड़ कक्षा 11गलता लोहा कक्षा 11 NCERT
राजस्थान की रजत बूंदें कक्षा 11भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ लता मंगेशकर

आशा करते हैं कि आपको मियाँ नसीरुद्दीन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली होगी। ऐसे ही अन्य हिंदी ब्लॉग के लिए बने रहें Leverage Edu के साथ।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*

7 comments
    1. आपका धन्यवाद, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।

    1. शंकर जी, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।

    2. आपका धन्यवाद, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।

  1. अच्छी तरह से समझाया गया
    धन्यवाद👍👍

    1. शंकर जी, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।

    2. आपका धन्यवाद, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।

  1. अच्छी तरह से समझाया गया
    धन्यवाद👍👍