विश्व जनसंख्या दिवस

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विश्व जनसंख्या दिवस

हर दिन हर पल बढ़ रहे जनसंख्या के भार को हर साल महसूस करने के लिए मनाया जाता है विश्व जनसंख्या दिवस । आने वाली 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाएगा,, इस दिन को मनाने के पीछे कारण , हर सेकंड बढ़ रही आबादी के मुद्दे पर लोगों का ध्यान खींचना है। इस दिन की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की शासी परिषद द्वारा पहली बार 1989 में तब हुई जब आबादी का आंकड़ा करीब 500 करोड के आस-पास पहुंच गया था । संयुक्त राष्ट्र की गवर्निंग काउंसिल के फैसले के अनुसार, वर्ष 1989 में विकास कार्यक्रम में, विश्व स्तर पर समुदाय की सिफारिश के द्वारा यह तय किया गया कि हर साल 11 जुलाई विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाएगा ।

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विश्व जनसंख्या दिवस क्यों मनाया जाता है

समुदायिक लोगों के जननीय स्वास्थ्य समस्याओं की ओर महत्वपूर्णं ध्यान दिलाना संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालक परिषद का लक्ष्य है क्योंकि खराब स्वास्थ्य का ये मुख्य कारण है साथ ही पूरे विश्व में गर्भवती महिलाओं की मृत्यु का भी कारण है। ये आम हो गया है कि एक बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया में रोजाना लगभग 800 महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। जननीय स्वास्थ्य और परिवार नियोजन की ओर विश्व जनसंख्या दिवस का अभियान पूरे विश्व के लोगों के ज्ञान और कौशल को बढ़ाता है।

लगभग 18 मिलीयन  ( 1 crore 80 lakh) युवा अपने जननीय वर्ष में प्रवेश कर रहें है और ये बहुत जरुरी है कि जननीय स्वास्थ्य के मुख्य भाग की ओर उनका ध्यान दिलाया जाये। ये ध्यान देने योग्य है कि 1 जनवरी 2014 को विश्व जनसंख्या 7,137,661,1,030 तक पहुँच गयी। सच्चाई के बारे में लोगों को जागरुक बनाने के लिये ढ़ेर सारे क्रियाकलाप और कार्यक्रम के साथ सालाना विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की योजना बनायी जाती है।

इस विशेष जागरुकता उत्सव के द्वारा, परिवार नियोजन के महत्व जैसे जनसंख्या मुद्दे के बारे में जानने के लिये कार्यक्रम में भाग लेने के लिये लोगों को बढ़ावा देना, लैंगिक समानता, माता और बच्चे का स्वास्थ्य, गरीबी, मानव अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, लैंगिकता शिक्षा, गर्भनिरोधक दवाओं का इस्तेमाल और सुरक्षात्मक उपाय जैसे कंडोम, जननीय स्वास्थ्य, नवयुवती गर्भावस्था, बालिका शिक्षा, बाल विवाह, यौन संबंधी फैलने वाले इंफेक्शन आदि गंभीर विषयों पर विचार रखे जाते हैं।

ये बहुत जरुरी है कि 15 से 19 वर्ष के किशोरों के बीच लैंगिकता से संबंधित मुद्दे को सुलझाया जाये क्योंकि एक आँकड़ों के अनुसार ये देखा गया कि इस उम्र के लगभग 15 मिलीयन महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया साथ ही 4 मिलीयन ने गर्भपात कराया।

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वर्ल्ड पॉपुलेशन डे की थीम

विश्व जनसंख्या दिवस 2021 की थीम है- अधिकार और विकल्प उत्तर हैं: चाहे बेबी बूम हो या बस्ट, प्रजनन दर में बदलाव का समाधान सभी लोगों के प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों को प्राथमिकता देना है।

सीएमओ डॉ बीकेएस चौहान कहना है कि बीते वर्षों की भांति इस वर्ष भी 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जायेगा। इस खास दिन के पहले दंपति संपर्क पखवाड़ा मनाया जायेगा। जो 27 जून से शुरू होकर 10 जुलाई तक चलेगा। वही 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के साथ ही पूरे प्रदेश में विश्व जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा की शुरुआत की जाएगी। जो 31 जुलाई तक चलेगा।

  • परिवार नियोजन के नोडल अधिकारी डा संजय कुमार बताते है कि 27 जून से 10 जुलाई तक दंपति संपर्क पखवाड़ा चलेगा।
  •  इसके साथ ही विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई का मनाया जायेगा, इस अवसर पर जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े की शुरूआत होगी जो 31 जुलाई तक चलेगा। 
  • इस दौरान आशा अपने-अपने कार्य क्षेत्र की आबादी में योग्य दंपति को चिन्हित करेंगी। 
  • योग्य दंपति यानि जिनको परिवार नियोजन के बारे में परामर्श की आवश्यकता है। 
  • लक्षित दंपति को परिवार नियोजन के लिए बास्केट ऑफ चॉइस के बारे में बताया जायेगा। 
  • आवश्यकता पड़ने पर टेली काउंसिलिंग की भी मदद ली जाएगी।

पखवाड़ा के दौरान हर जिले, ब्लाक और गांव में मोबाईल पब्लिसिटी वैन से परिवार नियोजन का सन्देश जोर शोर से प्रचारित और प्रसारित किया जाएगा। 

  • इस बार के कार्यक्रम में डिजिटल प्लेटफार्म जैसे व्हाट्सएप, एसएमएस आदि की पूरी मदद ली जाएगी। 
  • वही विश्व जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा का शुभारंभ जिले स्तर पर किसी माननीय से कराये जाने की योजना है। 
  • साथ ही पात्र लाभार्थी को दो महीने के लिए गर्भनिरोधक गोली और कंडोम वितरित किया जाएगा। 
  • इस दौरान अंतरा और आयूसीडी को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। 
  • हर इच्छुक लाभार्थी के लिए पुरुष या महिला नसबंदी की पूर्व पंजीकरण की भी सुविधा होगी।

विश्व की जनसंख्या कितनी है 

विश्व की आबादी अब 6 अरब को पार कर गई है। आबादी में अधिकांशतः वृद्धि दुनिया के सबसे गरीब देशों में हो रही है, जो कि बढ़ती आबादी के संकट का सामना करने के लिए सक्षम नहीं हैं। इन देशों में बीस प्रतिशत पाँचवीं कक्षा तक स्कूलविश्व विश्व जनसंख्या दिवस जाने योग्य बच्चे स्कूलों में जाते ही नहीं हैं। निरन्तर बढ़ती हुई आबादी से पृथ्वी की क्षमता पर दबाव बढ़ता ही जा रहा है, जिससे खाद्यान्न और पानी की मांग बढ़ रही है। धरती के बढ़ते तापमान, समुद्र के जल स्तर में बढ़ोतरी, बाढ़ और तूफानों में बढ़ोतरी होने से करोड़ों लोगों का जीवन दुष्प्रभावित हो रहा है। बढ़ती जनसंख्या के लिए शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार, भोजन एवं पानी की व्यवस्था करना हमारे लिए चिन्ता का विषय है। इस तरह एक तरफ जनसंख्या बढ़ती जा रही है, दूसरी तरफ संसाधन घटते जा रहे हैं।

प्रजातंत्र का मूल आधार बहुमत है। बहुमत कभी-कभी शासन नीति या अर्थ नियंत्रण नीति के स्थान पर जाति, सम्प्रदाय आदि एकता के आधार पर निर्धारित हो जाता है, जिसके फलस्वरूप वे उस संगठन को जनसंख्या नियंत्रण को त्यागकर भी कायम रखना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में विश्व की इस समस्या का समाधान और भी जटिल हो जाता है। धार्मिक एवं साम्प्रदायिक संगठन और वोट बैंकों की नीति भी जनसंख्या नियंत्रण की समस्या के समाधान में बाधक हैं।

भारत  

भारत देश तेजी से उभरता हुआ देश है। यह विकास की राह पर भी आगे बढ़ रहा लेकिन आने वाले समय में आबादी और अधिक होगी। अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2100 तक भारत चीन को पछाड़ कर सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा।  हालंाकि लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक सदी के आखिरी छोर तक आबादी  घटकर 1 अरब 10 करोड़ रह जाएगी।

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विश्व जनसंख्या दिवस का इतिहास

11 जुलाई को सालाना पूरे विश्व में विश्व जनसंख्या दिवस के रुप में एक महान कार्यक्रम मनाया जाता है। पूरे विश्व में जनसंख्या मुद्दे की ओर लोगों की जागरुकता को बढ़ाने के लिये इसे मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालक परिषद के द्वारा वर्ष 1989 में इसकी पहली बार शुरुआत हुई। लोगों के हितों के कारण इसको आगे बढ़ाया गया था जब वैश्विक जनसंख्या 11 जुलाई 1987 में लगभग 5 अरब (बिलीयन) के आसपास हो गयी थी।

2012 विश्व जनसंख्या दिवस उत्सव के थीम (विषय) के द्वारा पूरे विश्व भर में ये संदेश “प्रजनन संबंधी स्वास्थय सुविधा के लिये सार्वभौमिक पहुँच” दिया गया था जब पूरे विश्व की जनसंख्या लगभग 7,025,071,966 थी। लोगों के चिरस्थायी भविष्य के साथ ही ज्यादा छोटे और स्वस्थ समाज के लिये सत्ता द्वारा बड़े कदम उठाये गये थे। प्रजनन संबंधी स्वास्थ देख-रेख की माँग और आपूर्ति पूरी करने के लिये एक महत्वपूर्णं निवेश किया गया है। जनसंख्या घटाने के द्वारा सामाजिक गरीबी को घटाने के साथ ही जननीय स्वास्थ्य बढ़ाने के लिये कदम उठाये गये थे।

ये विकास के लिये एक बड़ी चुनौती थी, जब वर्ष 2011 में पूरे धरती की जनसंख्या 7 बिलीयन के लगभग पहुँच गयी थी। वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के संचालक परिषद के फैसले के अनुसार, ये अनुशंसित किया गया था कि हर साल 11 जुलाई को वैश्विक तौर पर समुदाय द्वारा सूचित करना चाहिये और आम लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने के लिये विश्व जनसंख्या दिवस के रुप में मनाना चाहिये तथा जनसंख्या मुद्दे का सामना करने के लिये वास्तविक समाधान पता करना चाहिये। जनसंख्या मुद्दे के महत्व की ओर लोगों का जरुरी ध्यान केन्द्रित करने के लिये इसकी शुरुआत की गयी थी।

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विश्व जनसंख्या दिवस कैसे मनाया जाता है

बढ़ती जनसंख्या के मुद्दों पर एक साथ कार्य करने के लिये बड़ी संख्या में लोगों के ध्यानाकर्षण के लिये विभिन्न क्रियाकलापों और कार्यक्रमों को आयोजित करने के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। सेमिनार, चर्चा, शैक्षिक प्रतियोगिता, शैक्षणिक जानकारी सत्र, निबंध लेखन प्रतियोगिता, विभिन्न विषयों पर लोक प्रतियोगिता, पोस्टर वितरण, गायन, खेल क्रियाएँ, भाषण, कविता, चित्रकारी, नारें, विषय और संदेश वितरण, कार्यशाला, लेक्चर, बहस, गोलमोज चर्चा, प्रेस कॉन्प्रेंस के द्वारा खबर फैलाना, टीवी और न्यूज चैनल, रेडियो और टीवी पर जनसंख्या संबंधी कार्यक्रम आदि कुछ क्रियाएँ इसमें शामिल हैं। कॉन्प्रेंस, शोधकार्य, सभाएँ, प्रोजेक्ट विश्लेषण आदि को आयोजित करने के द्वारा जनसंख्या मुद्दों का समाधान करने के लिये विभिन्न स्वास्थ्य संगठन और जनसंख्या विभाग एक साथ कार्य करते हैं।

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ज्यादा जनसंख्या वाले देश 

जनसंख्या में भारत का विश्व में चीन के बाद दूसरा स्थान है। 1901 में भारत की जनसंख्या 23 ।8 करोड़ थी जो बढ़कर 2001 में 107 ।7 करोड़ हो गई है। देश में प्रतिवर्ष 1 ।7 करोड़ के लगभग लोग जनसंख्या में जुड़ जाते हैं जो आस्ट्रेलिया की वर्तमान जनसंख्या के बराबर है। देश में प्रतिदिन 10,००० से अधिक शिशु जन्म लेते हैं। जन्म दर की अपेक्षा मृत्यु दर में तीव्र कमी, औसत आयु में वृद्धि, अकाल मृत्यु एवं महामारियों पर नियंत्रण, साक्षरता में कमी, उष्ण जलवायु, लड़का होने की चाह और बाल विवाह इत्यादि जनसंख्या वृद्धि के मुख्य कारण रहे हैं। सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में प्रति हजार पुरूषों के पीछे स्त्रियों की संख्या 933 है। कुल जनसंख्या का 33 प्रतिशत भाग कार्यशील हैं। 40 करोड़ लोग आज भी गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे हैं। पाँच करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हैं।

2011 में लगभग 125 करोड़ जनसंख्या थी जो आज  लगभग 135 करोड़ के आसपास भारत की जनसंख्या हो गयी है

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कैसे बिगड़ रहा है जनसंख्या संतुलन

उदाहरण के तौर पर 1727 में जब तात्कालिक महाराजा ने जयपुर को बसाया था तब यह शहर 5 लाख की आबादी के हिसाब से प्लान किया गया था और उस समय के ही बुनियादी ढांचे में अब 31 लाख लोग रह रहे हैं । चूंकि जगह उतनी ही है और लोग बढ़ रहे हैं तो फिर चाहे पानी हो या सड़क, हर समस्या बढ़ती ही जा रही है ।

  • बढ़ती जनसंख्या की समस्या के कारण उत्पादन में वृद्धि के बावजूद भी भोजन की उपलब्धता में कमी आ रही है ।
  • भोजन की गुणवत्ता और असमान वितरण के कारण भूख और मृत्यु ।
  • बढ़ती जनसंख्या के प्रति व्यक्ति चिकित्सा व शिक्षा की सुविधाएं और सेवाएं घट रही हैं ।
  • लगातार बिजली और पीने योग्य पानी की कमी बढ़ती जा रही है ।
  • जहां एक ओर सरकार के कर्ज में वृद्धि हो रही है, वहीं महंगाई  भी बढ़ती जा रही है ।
  • रोजगार के अवसर घट रहे हैं और विकास का लाभ लोगों को नहीं मिल पाता है ।
  • औद्योगिक और शहरी कचरा  बढ़ रहा है, साथ ही वायु प्रदूषण बढ़ रहा है ।
  • जनसंख्या विस्फोट से प्राकृतिक संसाधनों की कमी हो रही है, वहीं ग्लोबल वार्मिंग का असर बढ़ने प्रकृति का ऋतु चक्र बिगड़ गया है । उत्तराखण्ड जैसी प्राकृतिक आपदाएं इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है ।

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