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उत्तर: “ऊधो, तुम हौ अति बड़भागी” — इस कथन के माध्यम से सूरदास ने उन लोगों पर व्यंग्य किया है जो कृष्ण-प्रेम से वंचित हैं और केवल ज्ञान या तर्क के आधार पर जीवन जीते हैं। गोपियाँ उद्धव से कहती हैं कि तुम बड़े भाग्यशाली हो जो कृष्ण के साथ रहते हो, परंतु उनके प्रेम से वंचित हो। यह व्यंग्य उन लोगों पर है जो ईश्वर के समीप रहकर भी प्रेम-भाव को नहीं समझते।
सूरदास इसके माध्यम से यह संदेश देते हैं कि प्रभु-प्रेम ही जीवन की सच्ची पूँजी है। चाहे उसमें तड़प और वेदना हो, फिर भी वही जीवन को सार्थकता प्रदान करता है। जो व्यक्ति ईश्वरीय प्रेम से दूर हैं, वे वास्तव में अभागे और अधूरे हैं।
अन्य प्रश्न
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