जानिए कौन थे महान क्रांंतिकारी मार्टिन लूथर किंग, जिनके योगदान को आज भी किया जाता है याद

1 minute read
मार्टिन लूथर किंग

“अक्लमंदी और चरित्र- शिक्षा का सच्चा उद्देश्य है” 20वीं शतब्दी के महान राजनीतिज्ञों और आध्यात्मिक नेताओं में से एक मार्टिन लूथर किंग जूनियर इस धरती पर मौजूद हर पीड़ित के लिए दृढ़ता का चेहरा थे। वो अमेरिका के उन कुछ सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक नेताओं में से एक हैं जिन्होंने मानवाधिकारों के लिए काम किया और समाज में मौजूद जातीय रुकावटों का नाश भी किया। ये ब्लॉग मार्टिन लूथर किंग जूनियर की प्रेरक लाइफ और शिक्षा के बारे में बहुत कुछ बताने वाला है।

मार्टिन लूथर किंग का बचपन और शुरुआती शिक्षा

मार्टिन लूथर किंग
Courtesy: Success Story

15 जनवरी, 1929 को एक आध्यात्मिक परिवार में मार्टिन लूथर किंग सीनियर और अल्बर्टा किंग ने मार्टिन लूथर किंग जूनियर को जन्म दिया। जन्म के समय माइकल नाम दिया गया था। अटलांटा, जॉर्जिया के उपनगर में पले-बढ़े मार्टिन ने जातीय मतभेद का सामना भी किया, जो समाज और कनून दोनों में गहराई तक समाया हुआ था। हालांकि उनकी मां ने उसके स्कूल जाने से पहले ही उसे लिखना-पढ़ना सिखा दिया था लेकिन मार्टिन लूथर किंग जूनियर की असल शिक्षा तब शुरू हुए जब उन्होंने 5 साल की उम्र में डेविड टी हॉवार्ड एलीमेंट्री स्कूल में दाखिला लिया। एक मेधावी छात्र मार्टिन वाक-पटुता के लिए जाना जाता था। वो 15 साल की उम्र में बुकर टी वाशिंगटन हाई स्कूल से ग्रेजुएट होने से पहले कई सालों तक स्कूल की वाद-विवाद टीम का हिस्सा रहे। मार्टिन लूथर किंग जूनियर की एजुकेशन का ये एक बेहद खास हिस्सा है क्योंकि इतनी कम उम्र में ग्रेजुएट होना आम बिलकुल नहीं था।

अगर पेड़ नहीं बन सकते तो झाड़ी बनो, हाइवे नहीं बन सकते तो पगडंडी बनो। सूरज नहीं बन सकते तो सितारा बनो। जीतना या हारना आकार से जुड़ा हुआ नहीं है। जो करो उसमें बेस्ट बनो। 

उच्चा शिक्षा और आध्यात्मिक पढ़ाई

मार्टिन लूथर किंग
Courtesy: DCMP.org

मार्टिन लूथर किंग जूनियर की स्कूली शिक्षा के अंत के दौरान उनको अपने शैक्षणिक हॉरिजन को बढ़ाने का मौका मिला क्योंकि बहुत सारे छात्र विश्व युद्ध -2 में भर्ती के लिए दाखिला ले रहे थे। उन्होंने मोरहाउस कॉलेज में हाईस्कूल के छात्रों के लिए होने वाले टेस्ट दिया जिससे उन्हें सीधे ही एडमिशन मिल जाता। टेस्ट पास करने के बाद मार्टिन ने बीए सोशियोलॉजी की डिग्री ली और कॉलेज कि फुटबाल टीम का हिस्सा भी बनें। अपने ग्रेजुएशन के आखिरी साल में उन्होंने मिनिस्ट्री में जाने की सोची। लेकिन कॉलेज में बहुत अच्छे छात्र ना माने जाने वाले किंग ने पेन्सिल्वेनिया के क्रोजर थियोलॉजी सेमिनारी (Crozer Theological Seminary) के बाद,तीन साल की थियोलॉजी की पढ़ाई करने की सोची। ये तीन साल मार्टिन लूथर किंग जूनियर के लिए अहम साबित हुए क्योंकि उनका मन सामाजिक कार्यों में लग चुका था और उन्होंने ऐसा करने के लिए भक्ति का रास्ता चुना। 

1951 में खत्म हुए बैचलर ऑफ डिवनिटी (Bachelors of Divinity in) के दौरान मार्टिन को कई सारे जाने-माने लोगों को जानने का मौका मिला जैसे महात्मा गांधी ,  जिन्होंने उनके विचारों को जीवन भर के लिए बदल दिया। किंग ने आध्यात्मिक एक्टिविटी पर फोकस करते हुए बोस्टन यूनिवर्सिटी से सिस्टमेटिक थियोलॉजी में डाक्टरल स्टडीज भी शुरू की। ये क्वालिटी एजुकेशन ने ही मार्टिन को अपने विचार खुलकर सामने रखेने और लोगों के साथ जुड़ने में मदद की। ये वो शिक्षा ही थी जिसने बराबरी, न्याय और दूसरे सामाजिक कार्यकर्ताओं जैसे महात्मा गांधी के विचारों को उनके मन में जगह दी और इसमें कोई शक नहीं है कि अमेरिका में जातीय बराबरी की जड़ें मार्टिन लूथर किंग जूनियर जैसे लोगों के प्रयासों के बाद से ही पनपी।

“एक पुरुष का अनुमान इस बात से नहीं लगाया जाता है कि वो आराम और सुविधा के लिए कहां खड़ा है बल्कि इस बात से लगाया जाता है कि वो चुनौती और विवादों के समय कहां खड़ा था।” 

यह भी पढ़ें: BA के बाद क्या करें?

मार्टिन लूथर किंग जूनियर के जीवन से सीखने लायक सबक

मार्टिन लूथर किंग
Courtesy: Pinterest

मार्टिन लूथर किंग जूनियर जैसे महान व्यक्तित्व और दूरदर्शी लोगों के जीवन से जुड़े पाठ कुछ उदाहरणों या सिद्धांतों में नहीं समाए होते हैं। उनका पूरा जीवन ही दूसरों के लिए उदाहरण होता है। एक आदर्श समाज बनाने के लिए अपने शब्दों और कामों के जरिए मार्टिन ने कुछ मानक तय किए थे तक लोग उन्हें फॉलो कर सकें। मार्टिन लूथर किंग जूनियर की ज्ञानवर्धक यात्रा और शिक्षा की खोज के साथ, कुछ और चीजें भी हैं जो हम उनके जीवन से सीख सकते हैं:

बदलाव की मांग और इसके लिए काम करने से घबराओ नहीं

कठिन बाधाओं के सामने घुटने टेक देना आसन है और कई बार ये अकेला विकल्प लगता है। जातीय भेदभाव यूएसए (USA) के बनने के समय से ही उसमें समाया हुआ था और अपनी जड़ें मजबूत कर चुका था। ऐसा लगता था मानो कानून भी इससे अछूता नहीं था। इस स्थिति में नेताओं ने अपनी दृढ इच्छा से वो मांगा, जिस पर उनका अधिकार था। मार्टिन लूथर किंग ने भी बदलाव की मांग पूरे जोश के साथ की। और जैसा कि हम सब जानते हैं कि इन कोशिशों का अद्भुत पुरस्कार भी मिला। 

सपने देखने की हिम्मत (Dare to Dream)

मार्टिन लूथर किंग
Courtesy: Hollywood Reporter

“मेरा सपना था कि एक दिन ये राष्ट्र उठे और अपने सम्प्रदाय के असल अर्थ को जिए- हम इन सत्यों को स्वयंसिद्ध मानते हैं कि सारे मनुष्य एक जैसे होते हैं।”

लोगों के दिलों में बसे मार्टिन लूथर किंग जूनियर के किसी भी दूसरे संदेशों से पहले सपने देखने का विचार अहम है। बिना किसी नफरत और पक्षपात के सभी के लिए बेहतर कल का सपना देखना ही यूएसए (USA) में जातीय आजादी का कारण बना। ऐसे सपनों की ताकत ने ही सत्ता की कमान कमजोर लोगों के हाथों में दी है जिसके साथ साथ लोग हर दिन बेहतर कल की आशा करते हैं। काम करना जितना जरूरी है, सपने देखना भी उतना ही जरूरी है। 

जितना आपने लिया है दुनिया को उससे ज्यादा देने के लिए तैयार रहें (Be Ready to Give to the World More Than you Take)

“जीवन कितना लंबा है से ज्यादा जरूरी है कि वो कितना अच्छा है। “

हालांकि मार्टिन लूथर किंग को नस्लीय बराबरी के ए जाना जाता है लेकिन उनका काम इससे भी ज्यादा रहा है। एक पादरी के रूप में रंग और संप्रदाय पर ध्यान दिए बिना ही उन्होंने इंसानों की बेहतरी के लिए काम किया। दयालुता रोज किया जाने वाला काम है, भगवान के इन्हीं शब्दों का ध्यान करते हुए उन्होंने अपना सर्वोत्तम प्रयास किया। उन्होंने वो देने पर विश्वास किया जो उनके पास था और वो भी दिया जिसकी उन्हें खुद जरूरत थी।  

यह भी पढ़ें: Success Stories in Hindi

विपरीत परिस्थितियों में न्याय के लिए मजबूती से खड़े रहें

नस्लीय समानता के लिए काम करने के दौरान मार्टिन लूथर किंग खूब विरोध का सामना किया। विरोध करने वालों ने उनको धमकियां दीं और उनके घर पर बम से हमला तक किया गया। कानून के साथ इन विरोधों का सामना करते हुए उन्होंने अपने विचारों को कभी नहीं छोड़ा। एक शांति मार्च के दौरान हमले में मारे जाने तक वह अपने लोगों के लिए खड़े रहे। 

बुराई से नफरत करो, बुरे करने वालों से नहीं

नस्लीय समानता के लिए काम करते हुए ये समझना जरूरी हो गया था कि अंतिम लक्ष्य अतीत का बदला लेना बिलकुल नहीं बल्कि इस प्रथा को खत्म करना था। दिलों की नफरत समानता बनाने में बाधा बन सकती है इसलिए मार्टिन लूथर किंगने काम के लिए सबसे अच्छे विकल्प को चुना, ये थे अहिंसा और प्यार। उनके विरोध में गोरे लोगों के लिए भी प्यार ही नजर आता था और उनके आन्दोलन के सफल होने के पीछे भी यही कारण था। इसके मूल में द्वेष की बजाय करूणा और क्षमा की वजह से हर तरह से प्रगतिवादी कदम था। 

यह भी पढ़ें: ये हैं 10 Motivational Books जो देगी आपको आत्मविश्वास

FAQs 

मार्टिन लूथर किंग ने शांति के लिए क्या किया?

नस्लवाद के खिलाफ अहिंसक अभियान

मार्टिन लूथर किंग का पूरा नाम क्या था?

माइकल लूथर किंग, जूनियर

मार्टिन लूथर किंग जूनियर को क्या कहा जाता है?

अमेरिका के गांधी

आशा करते हैं कि आपको मार्टिन लूथर किंग का ब्लॉग अच्छा लगा होगा। ऐसे ही इसी तरह और अन्य तरह के ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए।

प्रातिक्रिया दे

Required fields are marked *

*

*