Indian Constitution in Hindi : भारत का संविधान…जो हर भारतीय के लिए महत्वपूर्ण

1 minute read
Indian Constitution in Hindi

Indian Constitution in Hindi : भारत का संविधान लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्षता के लिए महत्वपूर्ण है। संविधान को संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को पारित किया गया था। इसके बाद 26 जनवरी 1950 से भारत में संविधान लागू हुआ था। यह दिवस भारत में हर साल गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत सरकार अधिनियम 1935 को भारत के संविधान का मूल आधार माना जाता है। UPSC के एग्जाम के अलावा अन्य परीक्षाओं के लिहाज से संविधान काफी महत्वपूर्ण है, इसलिए स्टूडेंट्स को संविधान क्या है (Indian Constitution in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए, जोकि इस ब्लाॅग में विस्तार से दी जा रही है।

भारतीय संविधानIndian Constitution in Hindi
किसके द्वारा पारित हुआ  संविधान सभा
बनने में समय2 वर्ष 11 माह 18 दिन
लागू होने की तिथि26 जनवरी 1950
निर्माताडाॅ. भीमराव आंबेडकर।

भारत का संविधान क्या है?

भारत का संविधान (Indian Constitution in Hindi) देश का सर्वोच्च कानून है। यह भारत के शासन के लिए रूपरेखा है और सरकारी संस्थानों की संरचना, शक्तियों और कर्तव्यों को स्थापित करता है। भारत का संविधान दुनिया में सबसे लंबे लिखित संविधान के रूप में जाना जाता है। संविधान भारत का सर्वोच्च कानून है और यह रिटेन डाक्यूमेंट है। भारतीय संविधान, सरकार और उसके संगठनों की संरचना, प्रक्रियाओं, शक्तियों, कर्तव्यों और नागरिकों के अधिकारों को निर्धारित करता है। sansad.in के अनुसार, संविधान में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं और इसमें लगभग 145,000 शब्द थे और यह अब तक का सबसे बड़ा संविधान है।

संविधान के प्रत्येक अनुच्छेद पर संविधान सभा के सदस्यों द्वारा बहस की गई, जिससे संविधान के निर्माण के लिए 2 वर्ष और 11 महीने की अवधि में 11 सत्रों में और 167 दिनों के दौरान बैठक हुई थीं। भारत के संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार, संघ की संसद की परिषद में राष्ट्रपति और दो सदन होते हैं, जिन्हें कॉउंसिल ऑफ स्टेट्स (राज्य सभा) और हॉउस ऑफ द पीपल (लोकसभा) के रूप में जाना जाता है।

यह भी पढ़ें- Essay on Constitution of India in Hindi: जानिए परीक्षाओं में पूछे जाने वाले भारत के संविधान पर निबंध

संविधान (Indian Constitution in Hindi) का इतिहास क्या है?

1928 में सर्वदलीय सम्मेलन ने भारत का संविधान तैयार करने के लिए लखनऊ में एक समिति बुलाई, जिसे नेहरू रिपोर्ट के नाम से जाना गया। 1857 से 1947 तक भारत का अधिकांश भाग सीधे ब्रिटिश शासन के अधीन था। स्वतंत्रता के बाद यह स्पष्ट हो गया कि एक नया संविधान बनाने की आवश्यकता है। लेकिन इसके लिए पूरे भारत को संघ में लाने की जरूरत थी। इसका मतलब यह था कि रियासतों को बल या कूटनीति से भारतीय संघ का हिस्सा बनने के लिए राजी करने की आवश्यकता थी। 

सरदार वल्लभभाई पटेल और वी पी मेनन ने यह अविश्वसनीय कार्य किया। ऐसा होने तक भारत अभी भी कानूनी तौर पर अंग्रेजों के अधीन था, लेकिन भारत के संविधान ने 26 जनवरी 1950 को प्रभावी होने पर भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 और भारत सरकार अधिनियम 1935 को निरस्त कर दिया। भारत ब्रिटिश क्राउन का प्रभुत्व समाप्त हो गया और संविधान के साथ एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया।

भारतीय संविधान के डेवलपमेंट में रेगुलेटिंग एक्ट 1773, पिट्स इंडिया एक्ट 1784, 1813 का चार्टर एक्ट, 1833 का चार्टर एक्ट, 1853 का चार्टर एक्ट, भारत सरकार अधिनियम 1858, भारतीय परिषद् अधिनियम 1861, भारत परिषद् अधिनियम 1892, मॉर्ले-मिंटो सुधार 1909, मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार 1919, भारत सरकार अधिनियम 1935, भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 सहायक थे।

संविधान की प्रस्तावना के बारे में

Indian Constitution in Hindi में संविधान की प्रस्तावना बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इसको भारतीय संविधान की आत्मा कहा जाता है। यह संविधान का एक अभिन्न अंग है और 1946 में जवाहरलाल नेहरू द्वारा संवैधानिक संरचना का वर्णन करते हुए उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया गया था। 22 जनवरी 1947 को संविधान की प्रस्तावना को अपनाया गया है जो कि इस प्रकार हैः

हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी , पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए और उसके समस्त नागरिकों को: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, श्रद्धा और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता, प्राप्त कराने के लिए और उन सब में, व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित कराने वाली, बंधुता बढ़ाने के लिए, दृढ़ संकल्पित होकर अपनी संविधानसभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।

Preamble to the Constitution of India in Hindi

भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक कब हुई थी?

6 दिसंबर, 1946 को संविधान सभा का गठन हुआ था और सभा ने 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन में 166 बैठकें आयोजित करके संविधान निर्माण की प्रक्रिया को पूरा किया था। 

9 दिसंबर 1946 को भारत की संविधान सभा की पहली बैठक हुई थी। इस बैठक ने स्वतंत्र भारत की पहली संसद के रूप में कार्य किया और इसका मुख्य कार्य भारत के लिए एक संविधान का मसौदा तैयार करना था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान सेनानी, वकील, विद्वान थे और वह संविधान सभा के पहले अध्यक्ष चुने गए।

शरुआत में इसमें 389 सदस्य थे, लेकिन भारत और पाकिस्तान में देश के विभाजन के बाद, जब कुछ सदस्य पाकिस्तान चले गए तो यह संख्या घटकर 299 रह गई। 

इन 299 में से 229 ब्रिटिश भारतीय प्रांतों से थे जबकि शेष 70 रियासतों से थे। सबसे उम्रदराज़ सदस्य सच्चिदानंद सिन्हा को विधानसभा का पहला अध्यक्ष (अस्थायी) चुना गया। बाद में डॉ. राजेंद्र प्रसाद को राष्ट्रपति और हरेंद्र कुमार मुखर्जी को उपराष्ट्रपति चुना गया। बी एन राव को संवैधानिक सलाहकार बनाया गया था।

प्रथम सत्र में जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि ‘इस सभा का पहला कार्य नए संविधान के माध्यम से भारत को स्वतंत्र कराना, भूखे लोगों को खाना खिलाना और जनता को कपड़े पहनाना तथा प्रत्येक भारतीय को उसके अनुसार अपना विकास करने का पूरा अवसर देना है।

13 दिसंबर, 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ प्रस्‍तुत किया गया था जिसने संविधान के निर्माण के लिए सटीक दर्शन एवं मार्गदर्शक सिद्धांत प्रदान किए और बाद में ‘भारत के संविधान की प्रस्तावना’ का रूप ले लिया था।

22 जनवरी 1947 को संविधान की प्रस्तावना को अपनाया गया। इसने भारत के संविधान को आकार दिया है। प्रस्तावना संविधान के उद्देश्यों को भी बताती है। इसके अलाव भारत के राष्ट्रीय ध्वज को भी 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था और यह 15 अगस्त 1947 को भारत के प्रभुत्‍व का आधिकारिक ध्वज बन गया।

15 अगस्त 1947 को ही ब्रिटिश साम्राज्य की सत्ता भारत को सौंपी गई और यह अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों के सहयोग से संभव हो पाया।

29 अगस्त 1947 को संविधान का मसौदा विभिन्न जातियों, क्षेत्रों, धर्मों, इत्‍यादि के 299 प्रतिनिधियों द्वारा तैयार किया गया था और इसमें महिला व पुरुष दोनों शामिल थे। मसौदा समिति (ड्राॅफ्टिंग कमिटी) और उसके सदस्य भारतीय संविधान के निर्माण में इस समिति के विभिन्‍न चरणों और संविधान सभा के विचार-विमर्श के दौरान काफी प्रभाव रखते थे।

26 नवंबर 1949 को संविधान दिवस या राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में जाना जाता है। भारत के संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में यह दिवस मनाया जाता है। 

इसका अंतिम सत्र 24 जनवरी 1950 को आयोजित किया गया था। डॉ. बी आर आंबेडकर के नेतृत्व वाली मसौदा समिति ने संविधान का एक विस्तृत मसौदा प्रस्तुत किया था। 

भी पढ़ें- Samvidhan Gk in Hindi: भारतीय संविधान से जुड़े 50 महत्वपूर्ण प्रश्न, इनको शामिल करें अपनी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में

संविधान सभा की अंतिम बैठक कब हुई?

Indian Constitution in Hindi : 26 जनवरी 1950 को भारत में संविधान लागू होने से पहले 24 जनवरी 1950 को आखिरी बार संविधान सभा की बैठक हुई थी। इस बैठक में हुए 3 बड़े कामों ने देश को नई दिशा दी थी। इस आखिरी बैठक में संविधान सभा के सदस्यों ने संविधान लागू करने के लिए मंजूरी दी थी। इसमें भारत के राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत का चयन किया गया था। 

बैठक में संविधान सभा के चेयरमैन डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि ‘जन गण मन’ को राष्ट्रगान बनाया गया है। इसके बाद राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिटर्निंग ऑफिसर बनाए गए। उस समय संविधान सभा के सचिव एचवीआर अयंगर ने बताया कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए सिर्फ डॉ. राजेंद्र प्रसाद का एक ही नाॅमिनेशन था तो सभी ने सर्वसम्मति से डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर सहमति दी और वह देश के पहले राष्ट्रपति बन गए।

संविधान सभा की कितनी समितियां थीं?

स्वतंत्र भारत के लिए संविधान निर्माण के विभिन्न विभागों को देखने के लिए संविधान सभा द्वारा अलग-अलग समितियां बनाई गईं। संविधान सभा की कुल 22 समितियां थीं। इनमें से केवल 8 ही सबसे महत्वपूर्ण समितियां थीं, जबकि शेष छोटी और सहायक समितियां थी। 

संविधान सभा की महत्वपूर्ण समितियां और उनके अध्यक्ष

संविधान सभा की महत्वपूर्ण समितियां और उनके अध्यक्ष इस प्रकार हैंः

क्रमांकसमिति का नामअध्यक्ष
1प्रक्रिया संबंधी नियम समितिराजेन्द्र प्रसाद
2संचालन समितिराजेन्द्र प्रसाद
3वित्त और कर्मचारी समितिराजेन्द्र प्रसाद
4क्रेडेंशियल समितिअल्लादी कृष्णास्वामी अय्यारी
5हाउस कमेटीबी पट्टाभि सीतारामय्या
6व्यापार समिति का आदेशके.एम. मुन्सि
7राष्ट्रीय ध्वज पर तदर्थ समितिराजेन्द्र प्रसाद
8संविधान सभा के कार्यों पर समितिजी.वी. मावलंकर।

संविधान का कार्य क्या है?

किसी देश का संविधान लिखित नियमों का एक समूह होता है जिसे किसी देश में एक साथ रहने वाले सभी लोगों द्वारा स्वीकार किया जाता है। संविधान के कार्य इस प्रकार हैंः

  • शासन की संरचना को स्पष्ट करना।
  • एक आदर्श शासन संरचना का निर्माण करना।
  • सरकार के उद्देश्यों को स्पष्ट करना।
  • नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा करना।
  • राज्यों को वैचारिक समर्थन और वैधता देना।
  • यह एक अच्छा समाज बनाने की लोगों की आकांक्षाओं को व्यक्त करना।
  • यह एक स्तर का विश्वास है जो विभिन्न प्रकार के लोगों के लिए एक साथ रहने के लिए आवश्यक है।
  • यह सरकार की शक्तियों पर सीमा तय करता है और हमें बताता है कि नागरिकों के अधिकार क्या हैं।
  • संविधान सर्वोच्च कानून है जो किसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों के बीच संबंध और लोगों और सरकार के बीच संबंध निर्धारित करता है।

यह भी पढ़ें- 30+ Constitution Day Wishes 2024 : संविधान दिवस के अवसर पर अपने परिजनों को भेजें ये विशेष शुभकामना संदेश

संविधान का महत्व क्या है?

संविधान का महत्व भारत में बहुत है क्योंकि यह तय करता है कि समाज में निर्णय लेने की शक्ति किसके पास है। यह तय करता है कि सरकार का गठन कैसे होगा। एक सरकार अपने नागरिकों पर क्या थोप सकती है, इस पर कुछ सीमाएं भी हो सकती हैं। लोगों के मौलिक अधिकार संविधान की देन हैं और इससे यह तय होता है कि सरकार को समाज की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम बनाता है। संविधान सरकार की शक्तियों को सीमित कर सकता है और लोगों द्वारा राजतंत्र बनाने का अधिकार देता है।

भारत के संविधान की विशेषता क्या है?

भारत के संविधान (Indian Constitution in Hindi) की विशेषताएं इस प्रकार हैंः

भारत का संविधान दुनिया में सबसे बड़ा है। जब इसकी शुरुआत 26 जनवरी 1950 को हुई तो इसमें 395 अनुच्छेद थे जो 8 अनुसूचियों के साथ 22 भागों में विभाजित थे। समय के साथ इसमें 25 भागों और 12 अनुसूचियों में 448 लेख शामिल हो गए। हमारा संविधान विशेष है क्योंकि यह अमेरिकी संविधान की तरह सख्त और ब्रिटिश संविधान की तरह फ्लेक्सिबल नहीं है। यह दोनों का मिश्रण है।

भारत में सरकार की शक्तियां केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच बंटी हुई हैं। संविधान तीन राज्य शाखाओं- कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका की शक्तियों को बांटता है। भारत का संविधान अपने नागरिकों को मौलिक अधिकार देता है। इन अधिकारों के साथ-साथ 11 जिम्मेदारियों की एक सूची भी है, जिन्हें मौलिक कर्तव्य कहा जाता है। इन कर्तव्यों में राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान के प्रति सम्मान दिखाना, देश की एकता और अखंडता को बढ़ावा देना और सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा करना जैसे कार्य शामिल हैं।

संविधान की वजह से ही भारत एक गणतंत्र के रूप में कार्य करता है, जिसका अर्थ है कि यह किसी तानाशाह या राजा द्वारा शासित नहीं है और यहां सरकार लोगों द्वारा, लोगों के लिए और लोगों की बनाई हुई होती है। 

यह भी पढ़ें : कैसे अस्तित्व में आया संविधान दिवस

भारत के संविधान पर 10 लाइन

भारत के संविधान (Indian Constitution in Hindi) पर 10 लाइन इस प्रकार हैंः

  • डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का निर्माता माना जाता है।  
  • भारतीय संविधान नियमों की पुस्तक है।
  • संविधान की नींव भारत सरकार अधिनियम, 1935 में निहित है। 
  • संविधान सभा पहली बार 5 दिसंबर, 1946 को बुलाई गई।
  • भारत के संविधान को तैयार करने में लगभग तीन साल लगे।  
  • 26 जनवरी 1950 को कानूनी रूप से लागू किया गया। 
  • भारत का राष्ट्रीय प्रतीक 8 जनवरी 1950 को अपनाया गया था।
  • शुरुआत में हिंदी और अंग्रेजी में लिखा गया, संविधान का प्रत्येक पृष्ठ कलात्मक रूप से डिजाइन किया गया था।
  • संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे। 
  • भारत के संविधान में आज तक कुल 100 से भी अधिक अमेंडमेंट किए गए हैं। 

भारत के संविधान के बारे में रोचक तथ्य

संविधान के बारे में रोचक तथ्य इस प्रकार हैंः

  • भारतीय संविधान नियमों की पुस्तक है।
  • भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को प्रभावी हुआ।
  • भारतीय संविधान सरकारी तंत्र को सुचारु रूप से चलाने के लिए मार्गदर्शन एवं संचालन करता है।
  • भारतीय संविधान ने अन्य देशों के संविधानों को प्रभावित किया है।
  • भारतीय संविधान अपने सभी नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सुनिश्चित करने पर जोर देता है।
  • भारतीय संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक को एक ही पैमाने पर देखता है।
  • संविधान ने न्यायपालिका को एक स्वतंत्र संस्था के रूप में रखा है।
  • भारत का संविधान इसकी सर्वोच्चता बताता है जिसे संसद खत्म नहीं कर सकती।
  • भारतीय संविधान में वर्तमान में इसमें 104 संशोधनों के बाद 12 अनुसूचियों के साथ 448 अनुच्छेद हैं।
  • भारत का संविधान नागरिकों को कई महत्वपूर्ण अधिकार देता है।
  • भारत का संविधान 2 साल, 11 महीने और 18 दिन में पूरा हुआ था।
  • भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने से पहले डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने 60 देशों के संविधान का अध्ययन किया था।
  • भारत का संविधान अलबामा के संविधान के बाद दूसरा सबसे लंबा सक्रिय संविधान है।
  • हमारे संविधान ने अपनी स्थापना के बाद से कई संशोधनों का अनुभव किया है।
  • संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को संसद भवन में हुई थी।
  • हमारे संविधान ने देश के प्रत्येक नागरिक को कुछ मौलिक अधिकार प्रदान किए हैं।
  • भारत को एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बने रहने के लिए हमारा संविधान आवश्यक है।
  • संविधान सभा के 389 सदस्यों ने इसका मसौदा (ड्राॅफ्ट) तैयार किया था।

FAQs

भारतीय संविधान का जनक किसे कहते हैं?

डॉ. भीमराव अंबेडकर।

संविधान क्या है?

भारत का संविधान भारत का सर्वोच्च कानून है और यह रिटेन डाक्यूमेंट है।

संविधान की प्रस्तावना का स्रोत क्या है?

प्रस्तावना संविधान की पृष्ठभूमि के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा दिए गए उद्देश्य प्रस्ताव का रिजल्ट है। 

भारतीय संविधान में कितने मौलिक अधिकार हैं?

संविधान के तहत प्रत्येक नागरिक को 6 मौलिक अधिकार दिए गए हैं।

संबंधित ब्लाॅग्स

संविधान सभा के अध्यक्ष कौन थे?भारत के संविधान से जुड़े प्रश्न और उत्तर
जानिए संविधान कितने दिन में बना थाभारतीय संविधान से जुड़े 50 महत्वपूर्ण प्रश्न
भारत का संविधान किसने बनायाभारतीय संविधान के जनक बी आर अंबेडकर से जुड़े कुछ तथ्य 
डॉ भीमराव अंबेडकर ने संविधान में क्या लिखा था?भारत का संविधान किसने लिखा और कब लिखा?
भारत का संविधान कितने पेज का है?‘संविधान निर्माता’ डाॅ. भीम राव आंबेडकर का जन्म
संविधान सभा ने हिंदी को दिया था ‘आधिकारिक भाषा’ का दर्जाजानिए कैसे अस्तित्व में आया संविधान दिवस

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको संविधान क्या है (Indian Constitution in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। एग्जाम की तैयारी और बेहतर करने व UPSC में पूछे जाने वाले क्वैश्चंस के बारे में अधिक जानकारी के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*