प्रमुख सुर्खियां
- पंचायती राज भारत में ग्रामीण स्थानीय स्वशासन की एक प्रणाली है।
- संविधान के 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 के माध्यम से पंचायती राज संस्थान को स्थापित किया गया।
- भारत सरकार पंचायती राज को और अधिक मजबूत करने के लिए नए कदम उठाने के बारे में सोच रही है।
ब्रिटिश काल में पंचायती राज की स्थिति
- ब्रिटिश काल में पंचायती राज की स्वायत्तता समाप्त हो गई और वे कमजोर हो गए।
- वर्ष 1882 में स्थानीय संस्थाओं का आवश्यक ढांचा प्रदान किया गया।
- वर्ष 1907 में स्थानीय स्वशासन संस्थाओं को मजबूत करने के लिए सी.ई.एच. होबहाउस की अध्यक्षता में रॉयल कमीशन की स्थापना की गई।
73वें और 74वें संशोधन की विशेषताएं
- इन संशोधनों ने संविधान में दो नए भागों को शामिल किया- भाग IX ‘पंचायत’ (जिसे 73वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया) और भाग IXA ‘नगरपालिकाएँ’ (जिसे 74वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया)।
- लोकतांत्रिक प्रणाली की बुनियादी इकाइयों के रूप में ग्राम सभाओं (ग्राम) और वार्ड समितियों (नगर पालिका) को रखा गया जिनमें मतदाता के रूप में पंजीकृत सभी वयस्क सदस्य शामिल होते हैं।
- उन राज्यों को छोड़कर जिनकी जनसंख्या 20 लाख से कम हो ग्राम, मध्यवर्ती (प्रखंड/तालुक/मंडल) और ज़िला स्तरों पर पंचायतों की त्रि-स्तरीय प्रणाली लागू की गई है (अनुच्छेद 243B)।
- सभी स्तरों पर सीटों को प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा भरा जाना है [अनुच्छेद 243C(2)]।
- अनुसूचित जातियों (SCs) और अनुसूचित जनजातियों (STs) के लिये सीटों का आरक्षण किया गया है तथा सभी स्तरों पर पंचायतों के अध्यक्ष के पद भी जनसंख्या में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अनुपात के आधार पर आरक्षित किये गए हैं।
- उपलब्ध सीटों की कुल संख्या में से एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिये आरक्षित हैं।
- SCs और STs के लिये आरक्षित स्थानों में से एक तिहाई सीटें इन वर्गों की महिलाओं के लिये आरक्षित हैं।
- सभी स्तरों पर अध्यक्षों के एक तिहाई पद भी महिलाओं के लिये आरक्षित हैं (अनुच्छेद 243D)।
- प्रतिनिधियों के लिये एक समान पाँच वर्षीय कार्यकाल निर्धारित किया गया है और कार्यकाल की समाप्ति से पहले नए निकायों के गठन के लिये निर्वाचन प्रक्रिया पूरी करना आवश्यक है।
- निकायों के विघटन की स्थिति में छह माह के अंदर निर्वाचन कराना अनिवार्य है (अनुच्छेद 243E)।
- मतदाता सूची के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण के लिये प्रत्येक राज्य में स्वतंत्र चुनाव आयोग होंगे (अनुच्छेद 243K)।
- आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिये योजनाएँ तैयार करने और इन योजनाओं (इनके अंतर्गत वे योजनाएँ भी शामिल हैं जो ग्यारहवीं अनुसूची में सूचीबद्ध विषयों के संबंध में हैं) को कार्यान्वित करने के लिये पंचायतों को शक्ति व प्राधिकार प्रदान करने के लिये राज्य विधान मंडल विधि बना सकेगा (अनुच्छेद 243G)।
- पंचायतों और नगर पालिकाओं द्वारा तैयार की गई योजनाओं को समेकित करने के लिये 74वें संशोधन में एक ज़िला योजना समिति (District Planning Committee) का प्रावधान किया गया है (अनुच्छेद 243ZD)।
- राज्य सरकारों से बजटीय आवंटन, कुछ करों के राजस्व की साझेदारी, करों का संग्रहण और इससे प्राप्त राजस्व का अवधारण, केंद्र सरकार के कार्यक्रम एवं अनुदान, केंद्रीय वित्त आयोग के अनुदान आदि के संबंध में उपबंध किये गए हैं (अनुच्छेद 243H)।
- प्रत्येक राज्य में एक वित्त आयोग का गठन करना ताकि उन सिद्धांतों का निर्धारण किया जा सके जिनके आधार पर पंचायतों और नगरपालिकाओं के लिये पर्याप्त वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी (अनुच्छेद 243I)।
- संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची पंचायती राज निकायों के दायरे में 29 कार्यों को शामिल करती है।
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