टर्निंग पॉइंट्स ए पी जे अब्दुल कलाम : जानिए डॉ. कलाम के जीवन के उन क्षणों के बारे में जिन्होंने उन्हें अब्दुल कलाम बनाया 

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टर्निंग पॉइंट्स ए पी जे अब्दुल कलाम

मिसाइल मैन’ कहे जाने वाले भारत रत्न, मशहूर वैज्ञानिक डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के बेहतरीन कामों से आज पूरी दुनिया परिचित है। अब्दुल कलाम ने भारत को प्रगतिशील बनाने में सबसे अहम भूमिका निभाई थी। वे बेहद ही गरीब परिवार से संबंध रखते थे। गरीब होते हुए भी उन्होंने यह मुकाम हासिल किया और भारत के 11वें राष्ट्रपति भी बने। 

डॉ. कलाम को लेखन में भी काफी रूचि थी। उन्होंने  अपने जीवन में बहुत सी कविताएं और किताबें लिखीं थीं।   टर्निंग पॉइंट्स ए पी जे अब्दुल कलाम, डॉ. कलाम की बहुत चर्चित किताब है। उन्होंने इसमें अपने जीवन के उन क्षणों के बारे में बताया है जिन्होंने उनका जीवन बदल दिया। यहाँ टर्निंग पॉइंट्स ए पी जे अब्दुल कलाम के  बारे में बताया जा रहा है। 

टर्निंग पॉइंट्स ए पी जे अब्दुल कलाम

यहाँ डॉ. कलाम के जीवन के टर्निंग पॉइंट्स के बारे में बताया जा रहा है : 

इंडियन एयरफोर्स के एग्जाम में असफल होना 

इंडियन एयरफोर्स के एग्जाम में फेल होना डॉ. कलाम के जीवन की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक था।  वे भारतीय वायुसेना में पायलट बनना चाहते थे। इसका एग्जाम देने के लिए वे ऋषिकेश गए। लेकिन वे इस परीक्षा को पास नहीं कर पाए। निराश होकर वे गंगा के तट पर आत्महत्या के उद्देश्य से पहुँच गए। वहां उनकी मुलाकात स्वामी शिवानंद से हुई। उन्होंने उनसे कहा कि वे निराश न हों और ऐसा सोचें कि भगवान ने उन्हें किसी और ज़रूरी काम के लिए चुना है। डॉ. कलाम ने स्वामी शिवानंद की बात मानी और अपने जीवन को नया रुप देने लगे। 

रॉकेट इंजीनियर बनना 

डॉ. कलाम ने रॉकेट इंजीनियर के पद के लिए ICSR (इंडियन कमेटी फॉर स्पेस एंड रिसर्च) में एक साक्षात्कार दिया था, जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर विक्रम साराभाई ने की थी। जिसमें डॉ. कलाम शामिल हुए, वहां उन्हें 1962 में नए उद्घाटन किए गए भारतीय अंतरिक्ष और अनुसंधान संगठन (इसरो) में एक रॉकेट इंजीनियर के रूप में नियुक्त किया गया था। इस घटना को भी डॉ. कलाम अपने जीवन की बड़ी घटनाओं में से एक मानते हैं।  

भारत के मिसाइल कार्यक्रम में भाग लेना 

भारत के मिसाइल कार्यक्रम में  भाग लेना भी डॉ. कलाम के जीवन का एक बड़ा टर्निंग पॉइंट माना जाता है। वर्ष 1982 में रक्षा सचिव डॉ. वी.एस. की देखरेख में भारत का मिसाइल कार्यक्रम शुरू हुआ।  अरुणाचलम को भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय में भेजा गया, जो उस समय हैदराबाद में रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल), जो भारत में मिसाइल प्रणालियों के विकास के लिए मातृ प्रयोगशाला थी, में निदेशक के पद पर आर.वेंकटरमण थे।

पीएम के द्वारा आवेदन अस्वीकार किया जाना 

जुलाई 1992 में डॉ. कलाम को प्रधानमंत्री का वैज्ञानिक सलाहकार बनाया गया। 1993 में उनसे मद्रास विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में पद ग्रहण करने का अनुरोध किया गया। क्योंकि डॉ. कलाम की रूचि अध्ययन अध्यापन के कार्यों में बहुत थी। उन्होंने पीएम से नियुक्ति के लिए अनुमति दिए जाने का अनुरोध किया लेकिन उन्होंने उनका आवेदन अस्वीकार कर दिया। इसका कारण उनका राष्ट्रीय महत्व के कई कामों में भागीदार होना था। डॉ. कलाम इसे भी अपने जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों में से एक मानते हैं।  

डॉ. कलाम द्वारा परमाणु परिक्षण कार्यक्रम का सफल होना 

वर्ष 1998 में  भारत ने सारी दुनिया के सामने परमाणु का सफल परीक्षण करके पूरी दुनिया को हिला दिया था।  इस कार्यक्रम की अगुवाई डॉ. कलाम के द्वारा की गई थी। इस कार्यक्रम की सफलता ने डॉ. कलाम को बहुत यश दिलाया। इसे भी डॉ. कलाम अपने जीवन का एक टर्निंग पॉइंट ही मानते हैं।  

प्रधानमंत्री का वैज्ञानिक सलाहकार चुना जाना 

1998 का अंत डॉ. कलाम के जीवन में एक अन्य महत्वपूर्ण टर्निंग प्वाइंट लेकर आया, जब उन्हें कैबिनेट मंत्री के पद पर भारत सरकार का प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) नियुक्त किया गया। यह उनके जीवन के सबसे बड़े पलों में से एक था। प्रधानमंत्री का वैज्ञानिक सलाहकार बनने के बाद उन्हें देश के कई बड़े वैज्ञानिक प्रोजेक्ट्स में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का मौका मिला।  

राष्ट्रपति पद के लिए चुना जाना 

वर्ष 2002 में डॉ. कलाम के जीवन का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट आया जब उन्हें अटल बिहार वाजपेई की केंद्र सरकार द्वारा भारत के राष्ट्रपति पद के लिए नामित किया गया और वे भारी समर्थन के साथ भारत के 11वें राष्ट्रपति चुने गए। 

आशा है आपको टर्निंग पॉइंट्स ए पी जे अब्दुल कलाम, पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य मोटिवेशन ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें। 

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