प्राकृतिक चिकित्सा, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के संतुलन को बनाए रखने के लिए प्राकृतिक तरीकों पर जोर देती है, आज के समय में अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गई है। हर वर्ष 18 नवंबर को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस हमें इस बात की याद दिलाता है कि हम अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान प्राकृतिक और सरल उपायों के माध्यम से कैसे कर सकते हैं। यह दिन न केवल प्राकृतिक चिकित्सा के लाभों को समझने का अवसर है, बल्कि यह हमें हमारे जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए भी प्रेरित करता है। इस दिन का उद्देश्य समाज में प्राकृतिक चिकित्सा की पद्धतियों के प्रति जागरूकता फैलाना और लोगों को स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है। आइए, इस ब्लॉग में राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस तिथि, थीम, इतिहास, महत्व और रोचक तथ्य आदि के बारे में जानें।
This Blog Includes:
- राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के बारे में
- राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस का इतिहास
- राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस कब मनाया जाता है?
- राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस की थीम
- राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस का महत्व
- राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस क्यों मनाया जाता हैं?
- राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस कैसे मनाते हैं?
- राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस से जुड़े तथ्य
- FAQs
राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के बारे में
भारत में हर साल 18 नवंबर के दिन राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस मनाया जाता है। 18 नवंबर के दिन ही महात्मा गांधी के द्वारा नेचर क्योर फाउंडेशन ट्रस्ट की आजीवन सदस्यता ली थी। उन्होंने डीड पर अपने हस्ताक्षर किए थे। इस दिवस को मनाने की शुरुआत वर्ष 2018 में हुई थी। राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के दिन औषधि रहित चिकित्सा पद्धति के माध्यम से सकारात्मक मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया जाता है। हर साल राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस का आयोजन आयुष मंत्रालय के द्वारा किया जाता है।
राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस का इतिहास
राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस हर साल 18 नवंबर को मनाया जाता है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने 18 नवंबर 2018 को इस दिन को मनाने की घोषणा की थी। आयुष मंत्रालय का उद्देश्य आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी के सिद्धांतों के आधार पर स्वास्थ्य सेवाओं का प्रचार-प्रसार करना है।
इस दिन की विशेषता यह है कि 18 नवंबर 1945 को महात्मा गांधी ने ऑल इंडिया नेचर क्योर फाउंडेशन ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष के रूप में अपने पद की शुरुआत की थी। महात्मा गांधी का मानना था कि प्राकृतिक चिकित्सा का उपयोग सभी वर्गों के लोगों के स्वास्थ्य को सुधारने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने इस सिद्धांत को लागू करने के लिए विलेख पर अपने हस्ताक्षर भी किए थे।
इस प्रकार, राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस केवल एक दिन नहीं है, बल्कि यह महात्मा गांधी की उस दृष्टि को भी समर्पित है, जिसमें उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने का प्रयास किया। यह दिन लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा के लाभों के प्रति जागरूक करने और इसे अपनाने के लिए प्रेरित करने का भी कार्य करता है।
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राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस कब मनाया जाता है?
हर साल राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस हर साल 18 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य प्राकृतिक चिकित्सा और योग के लाभों के प्रति जागरूकता फैलाना है।
राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस की थीम
फिलहाल राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस 2024 की थीम निर्धारित नहीं की गई है। वर्ष 2023 के लिए इस दिवस की थीम “समग्र स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक चिकित्सा” रखी गई थी।
राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस का महत्व
राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस का महत्व विभिन्न दृष्टिकोणों से अत्यधिक है, जो स्वास्थ्य, कल्याण और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सहायक है –
- स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता: यह दिन प्राकृतिक चिकित्सा के लाभों के प्रति लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और प्राकृतिक उपचार विधियों की जानकारी प्रदान करता है।
- प्राकृतिक चिकित्सा का प्रचार: प्राकृतिक चिकित्सा, जैसे कि योग, आयुर्वेद, होम्योपैथी, और यूनानी चिकित्सा, का प्रचार-प्रसार करने के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है। इससे लोग इन पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रेरित होते हैं।
- महात्मा गांधी की दृष्टि: इस दिन का आयोजन महात्मा गांधी की दृष्टि को सम्मानित करने के लिए किया जाता है। गांधीजी ने प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से स्वास्थ्य को सुधारने और आम जनमानस के लाभ के लिए प्रयास किया था।
- जीवनशैली में बदलाव: राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस लोगों को एक स्वस्थ और संतुलित जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करता है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
- प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण: यह दिन प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और उनकी उपयोगिता को समझाने का कार्य करता है, जिससे पर्यावरण को संरक्षित करने में मदद मिलती है।
- समाज में सहयोग: यह दिवस समाज में एकजुटता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है, जिससे लोग एक-दूसरे की भलाई के लिए प्राकृतिक चिकित्सा के लाभों को साझा कर सकते हैं।
- स्वास्थ्य नीति में सुधार: इस दिन के माध्यम से सरकार और स्वास्थ्य संस्थाएं प्राकृतिक चिकित्सा को स्वास्थ्य नीतियों में शामिल करने के लिए विचार कर सकती हैं, जिससे समग्र स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत किया जा सके।
- शोध और विकास: यह दिवस प्राकृतिक चिकित्सा में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करने का अवसर प्रदान करता है, जिससे नए उपचार विधियों और तकनीकों का विकास संभव हो सके।
राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस क्यों मनाया जाता हैं?
राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस का आयोजन मुख्यतः प्राकृतिक चिकित्सा के महत्व और इसके लाभों को समाज के बीच फैलाने के उद्देश्य से किया जाता है। इस दिन का प्रमुख उद्देश्य लोगों के बीच अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखना है, जो प्राकृतिक चिकित्सा के विभिन्न उपायों और पद्धतियों के माध्यम से संभव होता है। आयुष मंत्रालय द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन इस उद्देश्य से किया जाता है कि लोग प्राकृतिक चिकित्सा की पद्धतियों और सिद्धांतों के बारे में शिक्षित हो सकें।
इस दिन, लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा में आहार और जीवनशैली के कुछ प्राथमिक नियमों के बारे में जानकारी दी जाती है, जो स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक होते हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर प्राकृतिक चिकित्सा में प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने के तरीकों के बारे में बताया जाता है, जैसे कि शुद्धिकरण अनुष्ठान, पानी, सूर्य और मिट्टी से संबंधित अभ्यास।
यह दिन लोगों को यह भी बताता है कि रोकथाम प्राकृतिक चिकित्सा में एक केंद्रीय भूमिका निभाती है। इसके माध्यम से स्वास्थ्य समस्याओं के आने से पहले ही उनके निवारण पर जोर दिया जाता है। अंत में, यह दिवस उन सभी पद्धतियों के बारे में जागरूक करता है जो प्राकृतिक चिकित्सा में योगदान करती हैं, जैसे कि शरीर, पर्यावरण और जीवनशैली के आधार पर उपचार। इस प्रकार, राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस का आयोजन लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांतों और प्रथाओं के प्रति जागरूक करने, उन्हें स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करने और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।
राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस कैसे मनाते हैं?
राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस हर साल भारत में हर साल 18 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों में प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति जागरूकता फैलाना है। इस दिन को मनाने के लिए विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं:
- राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के दिन कई जगहों पर योग और ध्यान के सत्र आयोजित किए जाते हैं। इनमें मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का महत्व बताया जाता है।
- इस दिन प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ अपने ज्ञान को साझा करने के लिए सेमिनार और कार्यशालाओं का आयोजन करते हैं। इन सेमिनार्स में लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा के विभिन्न तरीकों के बारे में बताया जाता है।
- राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के दिन कई स्थानों पर प्राकृतिक चिकित्सा उत्पादों और तकनीकों की प्रदर्शनी लगाई जाती है। इस दिन नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर भी लगाए जाते हैं।
- भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की तरफ से इस दिन का प्रचार प्रसार बड़े स्तर पर किया जाता है ताकि लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा के महत्व को समझाया जा सके। इनमें सोशल मीडिया, रेडियो, और टीवी के माध्यम से भी इस दिन के महत्व को बढ़ावा दिया जाता है।
- प्राकृतिक चिकित्सा के संस्थान इस दिन विशेष आयोजन करते हैं। इन आयोजनों में कि परामर्श सत्र और स्वास्थ्य पर चर्चा, जिससे लोग प्राकृतिक चिकित्सा की अवधारणा को समझाया जाता है।
राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस से जुड़े तथ्य
राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस से जुड़े तथ्य नीचे दिए गए हैं:
- राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस हर साल 18 नवंबर को मनाया जाता है।
- इसकी शुरुआत भारत सरकार द्वारा 2018 में की गई थी। इसका उद्देश्य प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देना और इसके फायदों के बारे में लोगों को जागरूक करना था।
- राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के लिए इस तिथि को चुनने का मुख्य कारण 18 नवंबर 1945 को महात्मा गांधी ने पुणे के यरवदा आश्रम में प्राकृतिक चिकित्सा के केंद्र की स्थापना करना था। गांधीजी प्राकृतिक चिकित्सा के बड़े समर्थक थे और खुद भी इसका पालन करते थे।
- प्राकृतिक चिकित्सा का उद्देश्य रोगों का उपचार बिना दवाओं के प्राकृतिक तरीकों से करना है। इस चिकित्सा में योग, ध्यान, आहार प्रबंधन, जल चिकित्सा, मड थेरेपी (मिट्टी चिकित्सा), और अन्य प्राकृतिक तकनीकें शामिल हैं।
- भारत में प्राकृतिक चिकित्सा को एक वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में मान्यता प्राप्त है। इसे आयुष मंत्रालय के अंतर्गत रखा गया है। यह आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, और होम्योपैथी की तरह एक मान्यता प्राप्त चिकित्सा पद्धति है।
- प्राकृतिक चिकित्सा की विधि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने, शरीर की सफाई, और संतुलन बनाए रखने पर जोर देती है। इसके द्वारा बीमारियों को जड़ से खत्म करने का प्रयास किया जाता है न कि सिर्फ लक्षणों को दबाने का।
- राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस का उद्देश्य लोगों को एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है।
- इस दिन देश भर में योग और प्राकृतिक चिकित्सा पर जागरूकता अभियान, कार्यशालाएँ, और शिविर आयोजित किए जाते हैं। इनमें लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा के महत्व और लाभों को समझाया जाता है।
- राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस का उद्देश्य लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति जागरूक करना और एक स्वस्थ, दवामुक्त जीवन की ओर बढ़ावा देना है।
FAQs
जल चिकित्सा, मालिश चिकित्सा, मिट्टी चिकित्सा, उपवास चिकित्सा, आहार चिकित्सा इत्यादी प्राकृतिक चिकित्सा के कुछ बुनियादी उपचार पद्धती हैं। निवारक, सहायक एवं पुनर्वास चिकित्सा के रूप में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के विभिन्न क्रमों की प्रभावकारिता को अनुसंधान ने प्रमाणित किया है।
प्राकृतिक चिकित्सा – उपवास चिकित्सा, संस्कृत में ‘व्रत’ का अर्थ है ‘दृढ़ संकल्प’ और ‘उपवास’ का अर्थ है ‘ईश्वर के निकट’। उपवास पूर्ण या आंशिक हो सकता है, जिसके लिए कोई उपवास करता है, और उपवास की अवधि के अनुसार यह लंबा या रुक-रुक कर हो सकता है। स्वास्थ्य संरक्षण के लिए उपवास एक महत्वपूर्ण उपचार पद्धति है।
भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा आयुर्वेद के सिद्धांतों से प्रेरणा लेती है और उन्हें आधुनिक समय के अनुसार ढालती है। भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा के जनक महात्मा गांधी को व्यापक रूप से माना जाता है।
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