19 दिसंबर 1929 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपने लाहौर अधिवेशन में ऐतिहासिक ‘पूर्ण स्वराज’ प्रस्ताव पारित किया था। जिसके बाद 26 जनवरी 1930 को एक सार्वजनिक घोषणा की गई थी, जिसमें एक ऐसा दिन जिसे कांग्रेस पार्टी ने भारतीयों से ‘स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में मनाने का आग्रह किया था। कांग्रेस ने लाहौर अधिवेशन में “पूर्ण स्वराज” का प्रस्ताव पारित किया गया था। इस अधिवेशन में पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वतंत्रता या पूर्ण स्वराज का संकल्प लिया था। इस अधिवेशन में पंडित नेहरू ने घोषणा की थी। पूर्ण स्वराज का नारा पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दिया था।
पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लोगों के लिए मील का पत्थर था। इस प्रस्ताव को वर्ष 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पारित किया गया था। इसे “पूर्ण स्वराज” का प्रस्ताव भी कहा जाता है और इसे महात्मा गांधी और पंडित नेहरू के नेतृत्व में पारित किया गया।
पूर्ण स्वराज के प्रस्ताव
- कांग्रेस ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन का आगाज किया। इस आंदोलन के द्वारा लोगों को ब्रिटिश लॉ और नीतियों के खिलाफ प्रेरित किया गया था।
- इस प्रस्ताव में भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से पूरी तरह से स्वतंत्रता चाहिए थी, न कि सीमित सुधार चाहिए।
- यह प्रस्ताव भारत की जनता को पूर्ण स्वतंत्रता के संघर्ष करने के लिए प्रेरित करता था। इसमें सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन और अन्य जन आंदोलनों भी शामिल थे।
- इस प्रस्ताव का उद्देश्य ब्रिटिश शासन को खत्म कर भारत को पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान करना था।
- यह प्रस्ताव भारत के राजनीतिक आंदोलन को एक नई दिशा प्रदान करने में महत्वपूर्ण साबित हुआ।
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पूर्ण स्वराज दिवस कब मनाया गया?
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा 19 दिसंबर 1929 को ऐतिहासिक ‘पूर्ण स्वराज’ प्रस्ताव को लाहौर सत्र में पारित किया था।
- 26 जनवरी 1930 को कांग्रेस पार्टी ने भारतीयों से ‘स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में मनाने का आग्रह किया था।
- नेहरू जी ने रावी नदी के तट पर 31 दिसंबर, 1929 को तिरंगा फहराया और “पूर्ण स्वराज” या पूरा स्वराज्य की मांग की थी।
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FAQs
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने।
पंडित जवाहरलाल नेहरू का।
बाल गंगाधर तिलक ने दिया था।
26 जनवरी 1930 को।
दादाभाई नौरोजी ने।
1906 के कलकत्ता में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में किया था।
गांधी ने 1908 में।
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