परीक्षा में ऐसे लिखें पहले स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे पर निबंध

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मंगल पांडे पर निबंध

क्या आप जानते हैं “स्वतंत्रता संग्राम के पहले शहीद” कौन थे? अगर नहीं, तो ये लेख आपके लिए है। बता दें कि देशभक्ति की भावना से प्रेरित क्रांतिकारियों, स्वतंत्रता सेनानियों और आम नागरिकों की मदद से ही 15 अगस्त 1947 को भारत को ब्रिटिश शासन से आज़ादी मिली। भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु, सुभाषचंद्र बोस जैसे वीरों ने क्रांतिकारी गतिविधियों से ब्रिटिश शासन को हिला दिया। इन्हीं वीरों में से एक थे मंगल पांडे जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपना जीवन भारत देश को आजाद करने के लिए समर्पित कर दिया। मंगल पांडे आज और हमेशा युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेंगे। ऐसे में कई बार प्रतियोगी परीक्षाओं में विद्यार्थियों को मंगल पांडे पर निबंध लिखने को दिया जाता है। ऐसे में मंगल पांडे पर एक सूचनात्मक निबंध कैसे लिखें, आईये इस लेख में जानते हैं। इस ब्लॉग में आपको 100, 200 और 500 शब्दों में मंगल पांडे पर निबंध के कुछ सैम्पल्स दिए गए हैं। उन सैम्पल्स को पढ़ने से पहले जान लेते हैं आखिर कौन थे मंगल पांडे?

मंगल पांडे कौन थे?

पहले स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे एक ऐसा नाम है, जो भारतीय इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। देशभक्ति की भावना में ओतप्रोत होकर, उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत देश की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। मंगल पांडे, भारतीय स्वतंत्रता के पहले युद्ध यानी 1857 के विद्रोह के सबसे प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे। अन्याय के खिलाफ लड़ने के उनके साहस और धैर्य के लिए सम्मानित करने के लिए उन्हें “शहीद मंगल पांडे” के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे महान वीर का जन्म, उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के एक छोटे से गाँव के हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। मात्र 22 वर्ष की आयु में ही वह 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री में सिपाही बन गए। जिसके बाद उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ कई लड़ाईयां लड़ी। वह एक महान क्रांतिकारी थे जिन्हें 1857 के विद्रोह की शुरुआत करने का श्रेय दिया जाता है। उनकी बहादुरी और बलिदान ने ही भारत में स्वतंत्रता की भावना को प्रेरित किया।

यह भी पढ़ें : 1857 का विद्रोह क्या था?

मंगल पांडे पर 100 शब्दों में निबंध 

मंगल पांडे पर निबंध 100 शब्दों में इस प्रकार से है:

मंगल पांडे भारत के इतिहास के महान क्रांतिकारी थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका। मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई, 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था। 22 वर्ष की आयु में ही वह 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री में शामिल हो गए और स्वतंत्रता की भावना से हमेशा प्रेरित रहे। वहीं 29 मार्च 1857 उन्होंने अंग्रेज़ों के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत की, जो पूरे भारत में फैल गया। वहीं 8 अप्रैल 1857 को, उन्हें फांसी दे दी गई, लेकिन उनकी बहादुरी ने देशभर में देशभक्ति की भावना को जगा दिया। 

मंगल पांडे पर 200 शब्दों में निबंध

मंगल पांडे पर निबंध 200 शब्दों में इस प्रकार से है:

मंगल पांडे,भारत के एक महान क्रांतिकारी थे जिनका जन्म 19 जुलाई, 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ था। 22 वर्ष की आयु में, उन्होंने 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री में शामिल होकर भारतीय सेना में अपनी वीरता और देशभक्ति का परिचय दिया। उनके साहस और अटूट प्रयासों ने उन्हें राष्ट्रीय नायक बना दिया। 1857 की शुरुआत में, एनफील्ड पी-53 राइफल के कारतूस, जो गाय और सुअर की चर्बी से बने थे, ने हिंदू और मुस्लिम दोनों सैनिकों में क्रोध पैदा कर दिया। वहीं मंगल पांडे ने ऐसे राइफल का इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया और 29 मार्च 1857 को उन्होंने सार्जेंट-मेजर जेम्स हेवसन और लेफ्टिनेंट बॉघ पर गोली चला दी। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर हिरासत में ले लिया गया। भले ही मंगल पांडे ब्रिटिश अधिकारियों को मारने में असफल रहे और उन्हें  फांसी की सजा सुनाई गई। उनका यह बलिदान लाखों भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया। मंगल पांडे विदेशी शासन के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन गए। मंगल पांडे वीरता, त्याग और देशभक्ति का प्रतीक हैं जिनकी कहानी हमें सिखाती है कि हमेशा अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए और सत्य के लिए लड़ना चाहिए। मंगल पांडे जैसे महान क्रांतिकारी को उनकी बहादुरी और बलिदान के लिए हमेशा याद रखा जाएगा। 

यह भी पढ़ें : मंगल पांडे के बारे में 10 लाइन

मंगल पांडे पर 500 शब्दों में निबंध

मंगल पांडे पर निबंध 500 शब्दों में इस प्रकार से है:   

मंगल पांडे का प्रारंभिक जीवन

मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा नामक गाँव के एक ब्रामण परिवार में हुआ था। उनके पिता दिवाकर पांडे एक किसान थे और उनकी माता का नाम अभय रानी था। मंगल पांडे ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गाँव से ही की थी। बचपन से ही वह बहुत वीर, साहसी थे। और उन्हें तलवारबाजी और घुड़सवारी का भी शौक था। 1849 में वह बंगाल सेना में भर्ती हुए और मार्च 1857 तक 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री की 5वीं कंपनी में एक निजी सैनिक बन गए। भारत को ब्रिटिश अधिकारियों से आज़ाद करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में मंगल पांडे की भूमिका

मंगल पांडे ने 1857 के विद्रोह की शुरुआत की। उस समय के दौरान उन्होंने भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। अंग्रेसी शासन ने अपने बटालियन को एन्फील्ड राइफल दी थी जिसमें गोली भरने के लिए कारतूस को दांतों से खोलना पड़ता था। उस समय यह बात फैल चुकी थी कि इस कारतूस में गाय व सुअर के मांस का उपयोग किया जा रहा है। ऐसे में मंगल पांडे ने उस राइफल का उपयोग करने से इंकार कर दिया। मंगल पांडेय ने इस विद्रोह में अपने वरिष्ठों, सार्जेंट-मेजर जेम्स हेवसन और लेफ्टिनेंट बॉघ पर गोली चला दी। जिसके चलते उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। और 8 अप्रैल 1857 को उन्हें फांसी दे दी गयी। वहीं उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन बलिदान करने पर गर्व महसूस किया। मंगल पांडे की इस बहादुरी और देशभक्ति की भावना पूरे देश में फ़ैल गयी और इसी ने अन्य लोगों में भी स्वतंत्रता की भावना को प्रसारित किया। इसी के साथ मंगल पांडे राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन गए। उन्होंनेसभी भारतीयों को एकजुट होकर ब्रिटिश शासन से लड़ने के लिए प्रेरित किया।

मंगल पांडे की मृत्यु 

वीर मंगल पांडे को 8 अप्रैल 1857 को फांसी दी गई थी। उन्हें 29 मार्च 1857 के विद्रोह की शुरुआत करने और अपने वरिष्ठों, सार्जेंट-मेजर जेम्स हेवसन और लेफ्टिनेंट बॉघ पर गोली चलाने के लिए दोषी ठहराया गया था। जब उन्होंने इस बात को स्वीकार किया तो उन्हें फांसी दे दी गयी। उन्होंने ख़ुशी खुशी अपनी मृत्यु को स्वीकार किया और भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन बलिदान करने पर गर्व महसूस किया।

उपसंहार

भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाने जाने वाले वीर मंगल पांडे, वीरता और साहस के प्रतीक हैं। वह एक ऐसे महान क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी बहादुरी और बलिदान हमेशा याद रखी जाएगी। उनकी वीरता और बलिदान से भरी कहानी हमेशा लोगों को मातृभूमि की रक्षा करने के लिए प्रेरित करेगी। उनकी कहानी आगे आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करेगी। 

यह भी पढ़ें : मंगल पांडे पर कविता 

मंगल पांडे पर निबंध कैसे तैयार करें? 

मंगल पांडे पर निबंध कैसे लिखें, इसके बारे में नीचे बताया गया है-

  • निबंध लिखने के लिए सबसे पहले स्ट्रक्चर बनाएं। 
  • स्ट्रक्चर के अनुसार जानकारी इक्कठा करें। 
  • कोई भी जानकारी निबंध में लिखने से पहले उसकी अच्छी तरह से पुष्टि कर लें। 
  • निबंध लिखने से पहले ध्यान रखें कि भाषा सरल हों। 
  • निबंध का शीर्षक आकर्षक बनाएं। 
  • निबंध की शुरुआत प्रस्तावना से करें और निबंध का अंत निष्कर्ष से। 
  • निबंध में शब्द चिन्ह का खास ध्यान रखें। 
  • अलग-अलग अनुच्छेद को एक दूसरे से जोड़े रखें। 

मंगल पांडे पर 10 लाइन्स

मंगल पांडे पर 10 लाइन्स इस प्रकार से है:

  1. भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ सबसे पहले 1857 में विद्रोह शुरू किया था।
  2. 19 जुलाई 1827 को मंगल पांडे का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था।
  3. उनके पिता का नाम दिवाकर पांडे और माता का नाम अभय रानी देवी था।
  4. वह एक हिंदू ब्राह्मण थे।
  5. मंगल पांडे जब 22 वर्ष के थे तब वे ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में एक सैनिक थे। 
  6. बचपन से वह बहुत वीर, साहसी और दृढ़ निश्चयी वाले थे।
  7. वे अपने सारे कर्तव्यों का पालन बहुत ही लगन के साथ करते थे।
  8. मंगल पांडे को जब ब्रिटिशरों ने कारसूत भरने का आर्डर दिया तो उन्होंने इसका विद्रोह किया क्योंकि उस समय यह अफवाह फ़ैल गई थी की कारसूत में गाय और सुअर की चर्बी का उपयोग किया जाता है।
  9. मंगल पांडे ने ही 1857 में पहली गोली चलाकर आजादी की लड़ाई की शुरुआत की थी।
  10. दुर्भाग्यवश 8 अप्रैल 1857 को उन्हें फाँसी की सजा सुना दी गई।

मंगल पांडे को फांसी क्यों हुई थी?

1850 के दशक में, अंग्रेजों ने भारत में एनफील्ड रायफल से भारतीय सैनिकों को परिचित करायाI इस रायफल की खासियत यह थे कि इसमें कारतूस भरने के लिए पहले उसे मुंह से काटना होता थाI कुछ दिनों के बाद ऐसी अफवाह फैलने लगी कि कारतूस पर सूअर और गाय की चर्बी लगी हुई हैI ब्रिटिश फ़ौज में हिन्दू और मुसलमान भारतीय सैनिक थेI हिन्दू गाय को पवित्र मानते हैं और मुसलमान सूअर को अपवित्र मानते हैंI इन दोनों के लिए ही गाय और सूअर का मांस वर्जित हैI इस कारण से भारतीय सिपाही भड़क गएI उस समय मंगल पांडे बैरकपुर गैरीसन में नियुक्त थेI मंगल पांडे, इस बारे में जांनने के बाद क्रोधित हो गए उन्होंने अंग्रेजों के सामने अपनी नाराज़गी रखने का निर्णय लियाI 

यह माना जाता है कि मंगल पांडे ने ही अपने साथी सैनिकों को अंग्रेजों के खिलाफ भड़काया थाI  29 मार्च, 1857 को बैरकपुर में तैनात 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री के सहायक लेफ्टिनेंट बॉग को पता चला कि उनकी रेजिमेंट के कुछ सिपाही परेशान थे और मंगल पांडे नामक एक व्यक्ति, जो भरी हुई बंदूक लेकर अपने साथी सैनिकों को विद्रोह के लिए उकसा रहा था। पहले यूरोपीय पांडे ने जो देखा, उसे गोली मारने की धमकी दी। यह जानने के बाद कि ब्रिटिश सैनिकों की एक टुकड़ी एक जहाज पर आ गई है और छावनी के पास उतर रही है, क्रोधित पांडे ने कथित तौर पर हथियार उठाए और क्वार्टर-गार्ड हाउस में चले गए। अंगेजों के खिलाफ विद्रोह करने के कारण मंगल पांडे को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें फांसी दे दी गईI 

यह भी पढ़ें: आजादी के महानायक मंगल पांडे का जीवन परिचय

FAQs

मंगल पांडेय का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

उनका जन्म 19 जुलाई 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ था।

स्वतंत्रता संग्राम के पहले शहीद कौन थे?

स्वतंत्रता संग्राम के पहले शहीद मंगल पांडेय थे।

1857 में मंगल पांडे ने क्या किया था?

भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, मंगल पांडे ने 29 मार्च, 1857 को कलकत्ता में दो ब्रिटिश अधिकारियों – ह्यूसन और बाउ को मारा था।

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