Gandhi Jayanti Shayari 2024 : 156वीं गाँधी जयंती पर शेयर करें बापू के संघर्ष और आदर्शों पर ये शायरी

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Gandhi Jayanti Shayari

स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय समाज को अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले महात्मा गांधी ने अहिंसा के माध्यम से ही ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लिया और भारतीय समाज को एक बड़े आंदोलन का हिस्सा बनाया। महात्मा गांधी के जन्मदिवस को उनकी जन्मजयंती के रूप में मनाई जाती है, यह तारीख भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण तारीख है। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी के महत्वपूर्ण योगदान को याद करने के लिए गांधी जी के जन्म को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस ब्लॉग में आपको गांधी जयंती पर शायरी (Gandhi Jayanti Shayari) दी गई हैं, ये शायरी आपको गांधी जी के आदर्शों पर चलने के लिए प्रेरित करेंगी।

गांधी जयंती पर शायरी – Gandhi Jayanti Shayari

मशहूर शायरों की गांधी जयंती पर शायरी (Gandhi Jayanti Shayari) कुछ इस प्रकार हैं –

“सत्य और अहिंसा की राह दिखाई जिसने
उन गांधी जी को उनकी जयंती पर नमन…”
– मयंक विश्नोई


“उनके आदर्शों पर चलकर समाज को राह दिखाओ
गांधी जयंती के अवसर पर अहिंसा के मार्ग पर कदम बढ़ाओ…”
– मयंक विश्नोई


“जिसने भारतीय समाज को अंग्रेजों के विरुद्ध सशक्त किया
 उसी अहिंसा के पुजारी को हमने आखिर कैसा भारत दिया…”
– मयंक विश्नोई


“गांधी जी के आदर्शों को खुले मन से अपनाओ
 गांधी जयंती के अवसर पर आओ महोत्सव बनाओ…”
– मयंक विश्नोई


“नफरत भरी इस दुनिया को तुम प्रेम की परिभाषा बताओ
 गांधी जयंती के अवसर पर अहिंसा को अपने आचरण में लाओ…”
– मयंक विश्नोई


“गांधी जी के संकल्पों को हम पूरा करके रहेंगे
 गांधी जयंती के अवसर पर हम सब मिलकर ये प्रण लेंगे…”
– मयंक विश्नोई


“अवसाद से परे जो जमाने को हमेशा खुश रहना सिखाएगा
 गांधी जयंती के अवसर पर वही समाज को सत्य का मार्ग दिखाएगा…”
– मयंक विश्नोई


“अन्याय को सहेंगे नहीं और अहिंसा को भी त्यागेंगे नहीं
 गांधी जयंती पर न खुद बाटेंगे और समाज को भी हम बाटेंगे नहीं…”
– मयंक विश्नोई


“गांधी जयंती पर भारत की ओर देखता है संसार
 अन्याय पर न्याय की, असत्य पर सत्य की सदा ही हो जय-जयकार…”
– मयंक विश्नोई

Gandhi Jayanti Shayari in hindi

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गांधी जयंती पर शानदार शायरी – Gandhi Jayanti Shayari in Hindi

गांधी जयंती पर शानदार शायरी (Gandhi Jayanti Shayari in Hindi) पढ़कर आपको उनके जीवन के बारे में जानने का अवसर मिलेगा, जो आपको अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करेगा। गांधी जयंती पर शानदार शायरी कुछ इस प्रकार हैं –

“हमें मिलकर अपने भारत को अखंड बनाना है
गांधी जयंती के उत्सव को पूरे उत्साह के साथ मनाना है…”
– मयंक विश्नोई


“भेदभाव नहीं रखना ऊंच-नीच या छोटे-बड़े का
 गांधी जयंती पर ज़माना देखेगा हमारी ताकत का नज़राना…”
– मयंक विश्नोई


“मायूस नहीं होना बार-बार मिलने वाली असफलता से
 गांधी जयंती का उत्सव तुम्हें गांधी जी के आदर्शों के बारे में बताएगा…”
– मयंक विश्नोई


“गांधी जी के उपदेशों को या उनके एकता के विचारों को
 गांधी जयंती के अवसर पर हम मिलकर जन-जन तक पहुचाएंगे…”
– मयंक विश्नोई


“जिनकी हिम्मत ने किए थे उस वक़्त हौसले पस्त क्रूर ब्रिटिश शासकों के
 गांधी जयंती के अवसर पर हम उनके उपदेशों को अपने आचरण में लाएंगे…”
– मयंक विश्नोई


“आपके जीवन में भी गांधी जी का ऐसा असर हो
 कि सत्य का जयगान हो और गांधी जयंती का अवसर हो…”
– मयंक विश्नोई


“भारत को स्वच्छ, विकसित और समृद्धशाली राष्ट्र बनाएंगे
 इस गांधी जयंती पर हम हर क्रांतिकारी का गुणगान गाएंगे…”
– मयंक विश्नोई


“सत्य और अहिंसा का हर शब्द पवित्र होता है
 गांधी जयंती का उत्सव हर साल एक नया ख्वाब बुनता है…”
– मयंक विश्नोई


“गांधी जयंती पर बापू के संदेशों को दुनिया में फैलाएंगे
 हम भारतीय अब हर स्वतंत्रता सेनानी की शौर्य गाथाएं गाएंगे…”
– मयंक विश्नोई

Gandhi Jayanti Shayari in hindi

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प्रसिद्ध लोगों की महात्मा गांधी पर शायरी – Mahatma Gandhi Shayari by Famous Person

महात्मा गांधी पर शायरी (Mahatma Gandhi Shayari) कुछ इस प्रकार हैं –

उठी चारों तरफ़ से जब ज़ुल्म-ओ-जब्र की आँधी 
पयाम-ए-अम्न ले कर आ गए रूह-ए-ज़माँ गाँधी
– कँवल डिबाइवी


तस्वीर मैंने मांगी थी शोखी तो देखिए
इक फूल उसने भेज दिया है गुलाब का 
– कँवल डिबाइवी


वतन के आसमाँ पर एक रख़्शंदा सितारे थे 
हमें ये फ़ख़्र है अहल-ए-जहाँ गाँधी हमारे थे
– कँवल डिबाइवी


हज़ार-दर-हज़ार हैं अगरचे रहबरान-ए-मुल्क 
मगर वो पीर-ए-नौजवाँ, वो एक मर्द-ए-सफ़-शिकन 
वही महात्मा वही शहीद-ए-अम्न-ओ-आश्ती 
प्रेम जिस की ज़िंदगी, ख़ुलूस जिस का पैरहन
– जिगर मुरादाबादी


वही सितारे हैं, मगर कहाँ वो माहताब-ए-हिन्द 
वही है अंजुमन, मगर कहाँ वो सद्र-ए-अंजुम
– जिगर मुरादाबादी


राहबर देश-भगती का वो 
शाह था इक लंगोटी का वो
प्यार के वो लुटाता था फूल 
था अहिंसा उसी का उसूल 
– अबरार किरतपुरी


सुना रहा हूँ तुम्हें दास्तान गाँधी की 
ज़माने-भर से निराली है शान गाँधी की
बिस्मिल इलाहाबादी


रहे रहे न रहे इस में जान गाँधी की 
न रुक सकी न रुकेगी ज़बान गाँधी की
बिस्मिल इलाहाबादी


भलाई सब की हो जिस से वो काम उस का है 
जहाँ भी जाओ वहीं एहतिराम उस का है
बिस्मिल इलाहाबादी


स्वराज का झंडा भारत में गड़वा दिया गाँधी बाबा ने 
दिल क़ौम-ओ-वतन के दुश्मन का दहला दिया गाँधी बाबा ने 
– आफ़ताब रईस पानीपती


उल्फ़त की राह में मर जाना पर नाम जहाँ में कर जाना 
ये पाठ वतन के बच्चों को सिखला दिया गाँधी बाबा ने
– आफ़ताब रईस पानीपती

गांधी जयंती पर शायरी

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महात्मा गांधी पर नज़्में

महात्मा गांधी पर नज़्में कुछ इस प्रकार हैं, जो आपको उनके जीवन के बारे में बताएंगी –

गाँधी जी

राहबर देश-भगती का वो
शाह था इक लंगोटी का वो
प्यार के वो लुटाता था फूल
था अहिंसा उसी का उसूल

नर्मी से ज़िंदगी तंग की
उस ने अंग्रेज़ों से जंग की
हौसले हो गए उन के पस्त
आन पहुँची जो पंद्रह अगस्त

दिल हर इक शाद हो ही गया
देश आज़ाद हो ही गया
दोस्ती का सबक़ दे गया
मर के जावेद वो हो गया

फिर करें याद उस के उसूल
और चढ़ाएँ अक़ीदत के फूल

-अबरार किरतपुरी

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महात्मा-गाँधी

सुना रहा हूँ तुम्हें दास्तान गाँधी की
ज़माने-भर से निराली है शान गाँधी की
रहे रहे न रहे इस में जान गाँधी की
न रुक सकी न रुकेगी ज़बान गाँधी की
यही सबब है जो वो दिल से सब को प्यारा है
वतन का अपने चमकता हुआ सितारा है
बना था मस्त कोई और कोई सौदाई
हर एक सम्त थी ग़फ़्लत की जब घटा छाई
तो उस की अक़्ल-ए-रसा काम वक़्त पर आई
मरीज़-ए-मुल्क है मम्नून-ए-चारा-फ़रमाई
नए ख़याल में इक इक का दिल असीर हुआ
उधर अमीर हुआ और उधर फ़क़ीर हुआ
जफ़ा-ओ-जौर ने की ख़ूब अपनी बर्बादी
ख़राब-हाल न दिल रात क्यूँ हूँ फ़रियादी
बना दिया था क़फ़स का बुरी तरह आदी
मगर है शुक्र मिला हम को दर्स-ए-आज़ादी
ज़माना कहता है गाँधी महात्मा वो है
बशर नहीं है हक़ीक़त में देवता वो है
जो दिल में याद है तो लब पे नाम उस का है
जो है तो ज़िक्र फ़क़त सुब्ह-ओ-शाम उस का है

भलाई सब की हो जिस से वो काम उस का है
जहाँ भी जाओ वहीं एहतिराम उस का है
उठाए सर कोई क्या सर उठा नहीं सकता
मुक़ाबले के लिए आगे आ नहीं सकता
किसी से उस को मोहब्बत किसी से उल्फ़त है
किसी को उस की है उस को किसी की हसरत है
वफ़ा-ओ-लुत्फ़ तरह्हुम की ख़ास आदत है
ग़रज़ करम है मुदारात है इनायत है
किसी को देख ही सकता नहीं है मुश्किल में
ये बात क्यूँ है कि रखता है दर्द वो दिल में
वो रश्क-ए-शम-ए-हिदायात है अंजुमन के लिए
वो मिस्ल-ए-रूह-ए-रवाँ उंसुर-ए-बदन के लिए
वो एक साग़र-ए-नौ महफ़िल-ए-कुहन के लिए
वो ख़ास मसलह-ए-कुल शैख़-ओ-बरहमन के लिए
लगन उसे है कि सब मालिक-ए-वतन हो जाएँ
क़फ़स से छूट के ज़ीनत-दह-ए-चमन हो जाएँ

जफ़ा-शिआ’र से होता है बर-सर-ए-पैकार
न पास तोप न गोला न क़ब्ज़े में तलवार
ज़माना ताबा-ए-इरशाद हुक्म पर तय्यार
वो पाक शक्ल से पैदा हैं जोश के आसार
किसी ख़याल से चर्ख़े के बल पे लड़ता है
खड़ी है फ़ौज ये तन्हा मगर अकड़ता है
तरह तरह के सितम दिल पर अपने सहता है
हज़ार कोई कहे कुछ ख़मोश रहता है
कहाँ शरीक हैं आँखों से ख़ून बहता है
सुनो सुनो कि ये इक कहने वाला कहता है
जो आबरू तुम्हें रखनी हो जोश में आओ
रहो न बे-खु़द-ओ-बे-होश होश में आओ
उसी को घेरे अमीर-ओ-ग़रीब रहते हैं
नदीम-ओ-मूनिस-ओ-यार-ओ-हबीब रहते हैं

अदब के साथ अदब से अदीब रहते हैं
नसीब-वर हैं वो बड़े ख़ुश-नसीब रहते हैं
कोई बताए तो यूँ देख-भाल किस की है
जो उस से बात करे ये मजाल किस की है
रिफ़ाह-ए-आम से रग़बत है और मतलब है
अनोखी बात निराली रविश नया ढब है
यही ख़याल था पहले यही ख़याल अब है
फ़क़त है दीन यही बस यही तो मज़हब है
अगर बजा है तो ‘बिस्मिल’ की अर्ज़ भी सुन लो
चमन है सामने दो-चार फूल तुम चुन लो

-बिस्मिल इलाहाबादी

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बाबा गाँधी

स्वराज का झंडा भारत में गड़वा दिया गाँधी बाबा ने
दिल क़ौम-ओ-वतन के दुश्मन का दहला दिया गाँधी बाबा ने
उल्फ़त की राह में मर जाना पर नाम जहाँ में कर जाना
ये पाठ वतन के बच्चों को सिखला दिया गाँधी बाबा ने

इक धर्म की ताक़त दिखला कर ज़ालिम के छक्के छुड़वा कर
भारत का लोहा दुनिया से मनवा दिया गाँधी बाबा ने
ऐ क़ौम वतन के परवानो लो अपने फ़र्ज़ को पहचानो
अब जेल से ये पैग़ाम हमें भिजवा दिया गाँधी बाबा ने

चर्ख़े की तोप चला दो तुम ग़ैरों के छक्के छुड़ा दो तुम
ये हिन्द का चक्र-सुदर्शन है समझा दिया गाँधी बाबा ने
नफ़रत थी ग़रीबों से जिन को हैं शाद अछूतों से मिल कर
इक प्रेम-प्याला दुनिया को पिलवा दिया गाँधी बाबा ने

गिर्दाब में क़ौम की कश्ती थी तूफ़ान बपा थे आफ़त के
नेशन का बेड़ा साहिल पर लगवा दिया गाँधी बाबा ने
भगवान भगत ने हिम्मत की इक प्रेम-ज्वाला जाग उठी
करवा कर शीर-ओ-शकर सब को दिखला दिया गाँधी बाबा ने

हँस हँस कर क़ौम के बच्चों ने सीनों पर गोलियाँ खाई हैं
भारत की रह में मर मिटना सिखला दिया गाँधी बाबा ने
ग़ैरों के झानसों में आना दुश्वार है हिन्द के लालों को
आँखों से ग़फ़लत का पर्दा उठवा दिया गाँधी बाबा ने

-आफ़ताब रईस पानीपती

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