महान स्वतंत्रता सेनानियों की जब बात होती है तो चंद्रशेखर आजाद का नाम काफी ऊपर है। आजाद एक महान क्रांतिकारी थे और उन्होंने भारत को स्वतंत्र कराने में अहम भूमिका अदा की थी। ‘आजाद’ ने प्रण लिया था की वह कभी अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे और उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी की हुकूमत से खुद को आखिरी सांस तक आजाद रहने के प्रण को निभाया था। चंद्रशेखर आजाद की वीरगाथा समझना जरूरी है क्योंकि कई बार स्कूल, काॅलेज या आयोजनों में ‘आजाद’ पर भाषण देने के लिए कहा जाता है, इसलिए इस ब्लाॅग में हम चंद्रशेखर आजाद पर भाषण 5 मिनट में भाषण कैसे तैयार करें के बारे में सीखेंगे।
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चंद्रशेखर आजाद के बारे में
चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम सीताराम तिवारी और माता का नाम जगरानी देवी था। इनका प्रारंभिक जीवन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित भाबरा गांव में ही बीता। 13 अप्रैल 1919 को ‘जलियांवाला बाग कांड’ के समय आजाद बनारस में पढ़ाई कर रहे थे।
इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया वहीं बालक आजाद को अंदर से झकझोर दिया था। उस समय ही उन्होंने यह तय कर लिया कि वह भी स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेंगे । वह काकोरी कांड से भी काफी प्रसिद्ध हुए थे। 27 फरवरी 1931 को उन्होंने अन्य साथियों के साथ मिलकर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आगामी योजना बनाई।
जब इस बात की जानकारी अंग्रेजों को गुप्तचरों से मिली तो उन्होंने कई अंग्रेज सैनिकों के साथ मिलकर अचानक से उनपर हमला कर दिया था, लेकिन आजाद ने अपने साथियों को वहां से भगा दिया और अकेले ही अंग्रेजों से लोहा लेने लगे। इस लड़ाई में पुलिस की गोलियों से आजाद काफी घायल हो गए थे, लेकिन वह सैकड़ों पुलिस वालों के सामने काफी देर तक लड़ते रहे।
चंद्रशेखर आजाद ने प्रण लिया था कि वह कभी पकड़े नहीं जाएंगे और न ब्रिटिश सरकार उन्हें फांसी दे सकेगी। इसीलिए अपने प्रण को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी पिस्तौल की आखिरी गोली खुद को मार ली और मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
चंद्रशेखर आजाद पर भाषण 1 मिनट में
1 मिनट में चंद्रशेखर आजाद पर भाषण इस प्रकार हैः
चंद्रशेखर आजाद एक महान क्रांतिकारी थे और उन्होंने भारत को स्वतंत्र कराने में अहम भूमिका अदा की थी। उन्होंने ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आसोसिएशन’ की स्थापना की और स्वतंत्रता संग्राम में अपनी शौर्यगाथाओं से लोगों को प्रेरित किया। आजाद की शहादत ने स्वतंत्रता संग्राम को मजबूती दी और उन्हें ‘आजाद’ के नाम से याद किया जाता है।
उन्होंने अपने आदर्शों के लिए जीवन की बलिदान की और उनकी निष्ठा और समर्पण का प्रतीक बना। उनकी शौर्यगाथाएं हमें स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्णीयता को याद दिलाती हैं। चंद्रशेखर आजाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर योद्धा हैं, जिनका समर्पण और बलिदान हमें आजादी की महत्वपूर्णीयता को समझाते हैं।
चंद्रशेखर आजाद पर भाषण 2 मिनट में
2 मिनट में चंद्रशेखर आजाद पर भाषण इस प्रकार हैः
स्वतंत्रता संग्राम के लिए मैं तैयार हूं…अपनी आखिरी सांस तक। जब तक हम अपने लक्ष्य में सफल नहीं होते, हमें हारने का कोई हक नहीं है। जो आज़ादी के लिए लड़ते हैं, वे जीवन में आज़ाद रहते हैं- चंद्रशेखर आजाद के ये वक्तव्य बताते हैं कि देश के लिए उन्होंने क्या किय? देश की आजादी और अंग्रेजों से संघर्ष में चंद्रशेखर आजादा का नाम ऊंचे स्वरों में लिया जाता है।
आज हम सब यहां चंद्रशेखर आजाद का व्यक्तित्व समझने के लिए उपस्थित हुए हैं, क्योंकि चंद्रशेखर आजाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख योद्धा और नेता थे। उनका जन्म 23 जुलाई 1906 को प्रयागराज (इलाहाबाद) में हुआ था। उन्होंने ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आसोसिएशन’ की स्थापना की जो स्वतंत्रता संग्राम के संघर्षी रूप को बदलने का प्रयास करता था।
आजाद ने अपने बलिदानी क्रियाकलापों के माध्यम से ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष किया।
उनकी शौर्यगाथाएं उनके संघर्ष और समर्पण के प्रतीक हैं। उन्होंने आलाहाबाद के चांदी चौक पर ब्रिटिश पुलिस के साथ मुकाबले में आत्महत्या कर ली। उनकी शहादत ने स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनका संघर्षी और निष्ठावान व्यक्तित्व आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया। ‘आजाद’ के नाम से वे महान स्वतंत्रता सेनानी और योद्धा के रूप में याद किए जाते हैं।
चंद्रशेखर आजाद पर भाषण 5 मिनट में
5 मिनट में चंद्रशेखर आजाद पर भाषण इस प्रकार हैः
स्पीच की शुरुआत में
चंद्रशेखर आजाद पर स्पीच की शुरुआत में सबसे पहले जहां स्पीच दे रहे हैं वहां के लोगों का संबोधन करना है और फिर चंद्रशेखर आजाद के ऊपर थोड़ी स्पीच देनी है, जैसे- चन्द्रशेखर आज़ाद को लोकप्रिय रूप से आज़ाद के नाम से जाना जाता था। उनकी मां चाहती थीं कि वह पढ़ाई करें और एक महान संस्कृत विद्वान बनें, लेकिन 1919 में हुआ जलियांवाला बाग का नरसंहार तब हुआ जब उन्होंने 1920 में महात्मा गांधी के नेतृत्व वाले असहयोग आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया था।
स्पीच में क्या बोलें?
स्पीच में बोलने के लिए एक लाइन देकर अपने भाषण की शुरुआत कर सकते हैं। उदाहरण के लिए- 15 वर्ष की उम्र में आजाद को किया गया था गिरफ्तार। आज़ाद केवल 15 वर्ष के थे जब उन्हें गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल होने के कारण पहली बार गिरफ्तार किया गया था।
कहा जाता है कि जज के सामने पेश किये जाने पर उन्होंने अपना नाम ‘आजाद’, पिता का नाम ‘स्वतंत्रता’ और निवास स्थान ‘जेल’ बताया।
वीरता और संघर्षशीलता ने आजाद को बनाया महान स्वतंत्रता सेनानी
आजाद का विशेष योगदान उनकी वीरता और दृढ़ संकल्प में दिखता है। उन्होंने कई बार ब्रिटिश पुलिस से बचने के लिए जान की परवाह नहीं की और आखिरकार 27 फरवरी 1931 को अल्लाहाबाद के चांदी चौक पर ब्रिटिश पुलिस से मुकाबले में आत्महत्या कर ली थी। चंद्रशेखर आजाद की वीरता और अद्वितीय संघर्षशीलता ने उन्हें एक महान स्वतंत्रता सेनानी बनाया। उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अपने बलिदानी क्रियाकलापों से भारतीय जनता को प्रेरित किया।
युवा पीढ़ियों को प्रेरित करती है आजाद की वीरता
चंद्रशेखर आजाद का संघर्ष सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक और आदर्शों से भरपूर भी था। उनका निष्ठावान स्वभाव, वीरता और दृढ़ संकल्प आजादी के लिए संघर्ष करने वाले युवा पीढ़ियों को प्रेरित करता है। चंद्रशेखर आजाद की शहादत ने उनके साहस, निष्ठा और आत्मा की अद्वितीयता को स्पष्ट किया। उनकी वीरता, उत्कृष्ट दिल्ली की राजघाट पर स्थित ‘आजादी की दिल्ली’ वीर स्मारक में प्रतिष्ठित है।
स्पीच के अंत में
आजाद की यादें हमें उनके संघर्ष, समर्पण, और देशभक्ति की प्रेरणा देती हैं और उनके योगदान को सदैव याद रखने के लिए प्रेरित करती हैं। आजाद का योगदान हमारे राष्ट्रीय इतिहास में अमूल्य है। उनके अद्वितीय संघर्ष और साहस को याद रखकर हमें भारतीय समर्पण और आत्मसमर्पण की महत्वपूर्णता का अनुभव होता है। आजाद ने हमें यह सिखाया कि स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन की बलिदानी प्राथमिकता को देने की आवश्यकता होती है। इन वाक्यों के साथ मैं अपने भाषण को विराम देता हूं। आशा करता हूं कि आपको मेरे वक्तव्य अच्छे लगे होंगे। धन्यवाद।
चंद्रशेखर आजाद पर भाषण कैसे दें?
चंद्रशेखर आजाद पर भाषण देते समय इन बातों का ध्यान रखना आवश्यक हैः
- अपना भाषण बड़ा न रखें।
- भाषण देते समय तय वक्त का भी ध्यान रखें।
- अपनी स्पीच को तैयार करते समय गलतियों से बचें।
- स्पीच देने से पहले उसे लिखें या समझ कर तैयार करें।
- स्पीच देने से पहले एक-दो बार उसे बोलने का प्रयास करें।
- अपनी स्पीच में सब्जेक्ट से रिलेटेड ही चीजें रखें, टाॅपिक से न भटकें।
- अपनी स्पीच को बोलते समय फैक्ट्स का ध्यान रखें।
- स्पीच देने के समय भूलने से बचने को शाॅर्ट नोट तैयार कर सकते हैं।
- स्पीच देते समय अपनी आवाज को भी सही रखना जरूरी है।
चंद्रशेखर आजाद से जुड़े रोचक तथ्य
चंद्रशेखर आजाद से जुड़े रोचक तथ्य इस प्रकार हैंः
- चंद्रशेखर आजाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख योद्धा और नेता थे।
- आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को प्रयागराज (इलाहाबाद) में हुआ था।
- आज़ाद केवल 15 वर्ष के थे जब उन्हें गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल होने के कारण पहली बार गिरफ्तार किया गया था।
- कहा जाता है कि जज के सामने पेश किए जाने पर उन्होंने अपना नाम ‘आजाद’, पिता का नाम ‘स्वतंत्रता’ और निवास स्थान ‘जेल’ बताया था।
- 1919 में हुआ जलियांवाला बाग का नरसंहार तब हुआ जब उन्होंने 1920 में महात्मा गांधी के नेतृत्व वाले असहयोग आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया।
- वह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचएसआरए) के मुख्य रणनीतिकार थे।
- 1925 में काकोरी ट्रेन डकैती और 1928 में सहायक अधीक्षक सॉन्डर्स की हत्या के बाद वह बहुत लोकप्रिय हुए थे।
- आज़ाद का हमेशा मानना था कि लोगों द्वारा उनकी पार्टी को दान दिया गया पैसा पूरी तरह से देश के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
- लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद, भगत सिंह अंग्रेजों से लड़ने के लिए आज़ाद के साथ शामिल हो गए।
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FAQs
चंद्रशेखर आजाद के पिता का नाम सीताराम तिवारी था।
चंद्रशेखर आजाद का पूरा नाम चंद्रशेखर सीताराम तिवारी था।
जब चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु हुई उस समय उनकी उम्र महज 24 वर्ष थी।
चंद्रशेखर आजाद की माता का नाम जागरानी देवी था।
उम्मीद है कि इस ब्लाॅग में आपको चंद्रशेखर आजाद पर भाषण कैसे दें के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।