बालकृष्ण भट्ट हिंदी साहित्य के प्राम्भिक निर्माताओं में से एक हैं। आज की गद्य प्रधान कविता उन्हीं की देन है। बालकृष्ण भट्ट एक सफल नाटककार, पत्रकार, उपन्यासकार और निबन्धकार थे। उन्होंने अपने निबंधों में आत्मपरक शैली का प्रयोग किया था। उन्होंने भारतेन्दु हरिश्चंद से प्रेरित होकर हिंदी की सेवा करने का प्रण लिया था। उनकी क्रांतिकारी पत्रिका ने अंग्रेजों की नींद उड़ा दी थी। यहाँ बालकृष्ण भट्ट का जन्म कब हुआ था और उनकी प्रमुख साहित्यिक रक्चनाओं के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है।
बालकृष्ण भट्ट का जन्म कब हुआ था?
बालकृष्ण भट्ट का जन्म उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (इलाहबाद) में 3 जून 1844 ई. को हुआ था। इनके पिता का नाम पंडित वेणी प्रसाद था। पंडित वेणी प्रसाद शिक्षा को बहुत महत्व देते थे। इस कारण से उन्होंने बालकृष्ण भट्ट की शिक्षा पर खास ध्यान दिया। उन्हें 16 वर्ष की आयु तक उनके माता पिता ने घर पर ही संस्कृत की शिक्षा प्रदान की थी। इसके बाद वे स्कूल गए और उन्होंने 10वीं तक की पढाई की।
बालकृष्ण भट्ट की प्रमुख साहित्यिक रचनाएं
बालकृष्ण भट्ट का जन्म कब हुआ था में अब जानिए बालकृष्ण भट्ट की प्रमुख साहित्यिक रचनाओं के नाम :
- निबन्ध संग्रह – साहित्य सुमन, भट्ट निबन्धावली।
- उपन्यास – नूतन ब्रह्मचारी, सौ अजान एक सुजान।
- नाटक – दमयंती स्वयंवर, बाल-विवाह, चंद्रसेन, रेल का विकट खेल।
- अनुवाद – वेणीसंहार, मृच्छकटिक, पद्मावती।
बालकृष्ण भट्ट जी का हिंदी साहित्य में स्थान
बालकृष्ण भट्ट की हिंदी निबंधकारों में एक खास जगह है। उन्हें एक प्रकार से निबंध का युगपुरुष भी कहा जा सकता है। निबंधों को लिखने की कला में वे आचार्य रामचंद्र शुक्ल के बराबर के कद के निबंधकार थे। वे न केवल उच्च कोटि के निबंधकार थे, बल्कि उन्हें हिंदी साहित्य का आरंभिक निबंधकार भी कहा जाता है। उन्होंने साहित्यिक, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, दार्शनिक, नैतिक और सामयिक आदि सभी विषयों पर निबंध लिखे हैं।
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