स्वामी विवेकानंद महान ज्ञाता और एक प्रखर वक्ता रहे हैं। उनका सनातन धर्म और संस्कृति के प्रचार प्रसार में अतुलनीय योगदान रहा है। उन्होंने पूरी दुनिया में वेदांत दर्शन का प्रसार करने में अपना अहम योगदान दिया और पूरे विश्व को सनातन धर्म और संस्कृति से परिचित कराया। स्वामी विवेकानंद ने अपने अल्प जीवन में कर्म योग, राज योग, ज्ञान योग, भक्ति योग जैसी किताबों के अपने विचारों को हम तक पहुंचाया है। जो आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत का अहम कारण माना जाता है। Swami Vivekananda Thoughts नीचे दी गई है।
रामकृष्ण मिशन की स्थापना करने वाले विवेकानंद ने 1893 में शिकागो के विश्व धर्म संसद प्रसिद्ध भाषण दिया था जिसने दुनिया को भारत के प्रति देखने का नजरिया बदल दिया था। उन्होंने भारतीय वेदांत और योग के दर्शन को दुनिया के सामने पेश किया। Swami Vivekananda Thoughts आज भी हमें जीवन में कभी भी हार न मानने की प्रेरणा देते हैं।
स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1869 को कोलकाता में एक कुलीन उदार परिवार में हुआ स्वामी विवेकानंद का वास्तविक नाम नरेंद्रनाथ दत्त था उनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था जो कोलकाता हाई कोर्ट में प्रसिद्ध वकील थे उनकी माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों की महिला थी। स्वामी विवेकानंद के कुल 9 भाई-बहन थे। स्वामी विवेकानंद को घर में सभी नरेंद्र के नाम से पुकारते थे।
स्वामी विवेकानंद जी ने महज 25 साल की उम्र में सासंसारिक मोह माया का त्याग कर सन्यासी धर्म अपना लिया था। इस दौरान 1881 में उनकी मुलाकात स्वामी रामकृष्ण परमहंस से भेंट हुई। इस दौरान रामकृष्ण परमहंस कलकत्ता में दक्षिणेश्वर काली मंदिर के पुजारी थे। परमहंस से भेंट के बाद स्वामी विवेकानंद के जीवन में कई परिवर्तन आए।
गुरु रामकृष्ण परमहंस ने अपने निधन से पहले स्वामी विवेकानंद को अपने सभी शिष्यों का प्रमुख और अपना सबसे प्रिय शिष्य घोषित कर दिया। इसके बाद एक सन्यासी के रूप में स्वामी विवेकानंद ने ‘बराहनगर मठ’ की स्थापना की और भारतीय मठ परंपरा का पालन करते हुए उन्होंने कई सालों तक भारतीय उपमहाद्वीप के अलग अलग क्षेत्रों का भ्रमण किया। जहाँ उन्होनें पूरी दुनिया को अपने अल्प जीवन में कर्म योग, राज योग, ज्ञान योग और भक्ति योग के बारे में विस्तार से बताया और वर्ष 1902 में महज 39 की अल्प आयु में उनका देहावसान हो गया। उनके प्रेरणादायक विचार आज भी भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का कार्य करते है। यहां हम जानते है स्वामी विवेकांनद के विश्व प्रसिद्ध अनमोल विचार।
50+ Swami Vivekananda Thoughts
यहां Swami Vivekananda Thoughts की सूची दी जा रही हैं, जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं:-
उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाएं।
जिंदगी का रास्ता बना बनाया नहीं मिलता है, स्वयं को बनाना पड़ता है, जो जैसा मार्ग बनाता है उसे वैसा ही मंज़िल मिलती है।
किसी की निंदा ना करें, अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ज़रुर बढाएं। अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये।
ब्रह्मांड की सारी शक्तियां पहले से हमारी है वह हम ही हैं जो अपनी आंखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है।
जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते।
जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।
हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखिये कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं, विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं।
हम भले ही पुराने सड़े घाव को स्वर्ण से ढक कर रखने की चेष्टा करें एक दिन ऐसा आएगा जब वह स्वर्ण वस्त्र खिसक जाएगा और वह घाव अत्यंत वीभत्स घाव रूप में हमारे आंखों के सामने प्रकट हो जाएगा।
शिक्षा व्यक्ति में अंतर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति है।
पवित्रता, धैर्य और उद्यम ये तीनों गुण मैं एक साथ चाहता हूं।
हिन्दू संस्कृति आध्यात्मिकता की अमर आधारशिला पर स्थित है।
उस ज्ञान उपार्जन का कोई लाभ नहीं जिसमे समाज का कल्याण न हो।
वो मजबूत आदमी है, जो कहता है कि मैं अपनी किस्मत स्वयं बनाऊंगा।
उस व्यक्ति ने अमरत्त्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता।
अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है।
जितना हम दूसरों के साथ अच्छा करते हैं उतना ही हमारा हृदय पवित्र हो जाता है और भगवान उसमें बसता है।
जीवन में ज्यादा रिश्ते होना जरुरी नहीं है, पर जो रिश्ते हैं उनमें जीवन होना ज़रूरी है।
मनुष्य जितना अपने अंदर से करुणा, दयालुता और प्रेम से भरा होगा, वह संसार को भी उसी तरह पाएगा।
एक पुस्तकालय महान व्यायामशाला है जहाँ हम अपने मन को मजबूत बनाने के लिए जाते हैं।
जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है तब वह वास्तविक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है।
दिन में एक बार स्वयं से अवश्य बात करें , अन्यथा आप एक बेहतरीन इंसान से मिलने का मौका चूक जाएंगे।
दुनिया मज़ाक करे या तिरस्कार , उसकी परवाह किये बिना मनुष्य को अपना कर्त्तव्य करते रहना चाहिये।
मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य की किरणों के समान हैं। जब वो केन्द्रित होती हैं, चमक उठती हैं।
आप कभी मत सोचिए कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है। ऐसा सोचना सबसे बड़ा अधर्म है । अगर कोई पाप है, तो वो ये कहना है कि तुम निर्बल हो, या अन्य निर्बल हैं।
यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता।
जीवन का रहस्य केवल आनंद नहीं बल्कि अनुभव के माध्यम से सीखना है।
एक बात हमेशा याद रखिए कि संभव की सीमा जानने का केवल एक ही मार्ग है और वह है कि असंभव से भी आगे निकल जाना।
जीवन में संबंध होना बहुत जरूरी है। पर उससे भी जरूरी है उन संबंधों में जीवन होना।
तुम अपनी मंजिल को तो रातों-रात नहीं बदल सकते परंतु अपनी दिशा को रातों रात बदल सकते हैं।
संगति आप को ऊंचा उठा भी सकती है और यह आप की ऊंचाई को खत्म भी कर सकती है।
हम भगवान को खोजने कहां जा सकते हैं अगर उनको अपने दिल और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते।
केवल उन्हीं का जीवन, जीवन है जो दूसरों के लिए जीते हैं। अन्य सब तो जीवित होने से अधिक मृत हैं।
जिस शिक्षा से हम अपना जीवन निर्माण कर सकें, मनुष्य बन सकें, चरित्र गठन कर सकें और विचारों का सामंजस्य कर सकें। वही वास्तव में शिक्षा कहलाने योग्य है।
एक पुस्तकालय महान व्यायामशाला है जहाँ हम अपने मन को मजबूत बनाने के लिए जाते हैं।
जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिये, नहीं तो लोगो का विश्वास उठ जाता है।
एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
एक बात हमेशा याद रखिए कि जीवन का रहस्य ‘भोग’ में नहीं अनुभव के द्वारा शिक्षा प्राप्ति में है ।
जो तुम सोचोगे हो वो हो जाओगे। यदि तुम खुद को कमजोर सोचते हो, तुम कमजोर हो जाओगे, अगर खुद को ताकतवर सोचते हो, तुम ताकतवर हो जाओगे
जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आए, आप यकीन कर सकते है की आप गलत रस्ते पर सफर कर रहे है।
किसी चीज से डरो मत। तुम अद्भुत काम करोगे। यह निर्भयता ही है जो क्षण भर में परम आनंद लाती है।
शिक्षा का अर्थ है उस पूर्णता को व्यक्त करना जो सब मनुष्यों में पहले से विद्यमान है।
कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है, ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है, अगर कोई पाप है, तो वो यही है, ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं।
जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है ; यह अग्नि का दोष नहीं है।
वेदान्त कोई पाप नहीं जानता, वो केवल त्रुटी जानता है और वेदान्त कहता है कि सबसे बड़ी त्रुटी यह कहना है कि तुम कमजोर हो, तुम पापी हो, एक तुच्छ प्राणी हो, और तुम्हारे पास कोई शक्ति नहीं है और तुम ये नहीं कर सकते ।
दिल और दिमाग के टकराव में, हमेशा दिल की सुनो क्योंकि दिमाग गलत निर्णय ले सकता है ,लेकिन दिल कभी नही।
पवित्रता, धैर्य और दृढ़ता ये तीनों सफलता के लिए आवश्यक है लेकिन इन सबसे ऊपर प्यार है।
सच को कहने के हजारों तरीके हो सकते हैं और फिर भी सच तो वही रहता है।
यदि परिस्थितियों पर आपकी मजबूत पकड़ है तो जहर उगलने वाला भी आपका कुछ नही बिगाड़ सकता।
इस दुनिया में सभी भेद-भाव किसी स्तर के हैं, ना कि प्रकार के, क्योंकि एकता ही सभी चीजों का रहस्य है।
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