चंद्रयान और मंगलयान की सफलता ने भारत की अंतरिक्ष शक्ति की और मजबूत कर दिया है। स्पेश मिशन हमारी शक्ति का प्रदर्शन है, लेकिन जनरल नाॅलेज के लिए भी अहम होतें हैं। हम देख सकते हैं कि स्पेश मिशन से जुड़े सवाल जैसे- स्पेश मिशन क्या करते हैं, क्यों लाॅन्च किए जाते हैं और इनके उद्देश्य क्या हैं आदि यूपीएससी सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा इंटरव्यू में भी पूछे जाते हैं। इसलिए इस ब्लाॅग में हम शुक्रयान 1 मिशन क्या है और इसका उद्देश्य क्या है के बारे में विस्तृत जानेंगे।
मिशन का नाम | शुक्रयान 1 |
बाॅडी | ISRO |
लाॅन्चिंग डेट | 2024 (अभी तय नहीं) |
शुक्रयान 1 मिशन लाॅन्चिंग जगह | सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (तय नहीं) |
ऑफिशियल वेबसाइट | isro.gov.in |
This Blog Includes:
- शुक्रयान 1 मिशन क्या है?
- शुक्रयान 1 मिशन कब लॉन्च किया जाएगा?
- शुक्रयान 1 मिशन कहां लॉन्च किया जाएगा?
- शुक्रयान 1 लॉन्च करने के लिए किस अंतरिक्ष यान का उपयोग किया जाएगा?
- शुक्रयान 1 मिशन के लिए इसरो का उद्देश्य क्या है?
- शुक्रयान 1 मिशन के डायरेक्ट और टीम में कौन हैं?
- शुक्रयान 1 मिशन के बारे में रोचक तथ्य
- Shukrayaan Mission UPSC
- FAQs
शुक्रयान 1 मिशन क्या है?
चंद्रयान-3 की सफलता ने इसरो को भविष्य के लिए गगनयान और शुक्रयान जैसे अधिक महत्वाकांक्षी मिशनों की योजना बनाने के लिए प्रेरित किया है। इसरो अब सौर मंडल के सबसे गर्म ग्रह की सतह के नीचे का अध्ययन करने के लिए और शुक्र की कक्षा में जाने के लिए एक अंतरिक्ष यान तैयार कर रहा है। शुक्रयान-I एक ऑर्बिटर के लिए एक मिशन होगा। एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन सिंथेटिक एपर्चर रडार और एक जमीन-भेदक रडार इसके दो वर्तमान वैज्ञानिक पेलोड हैं।
शुक्रयान 1 मिशन कब लॉन्च किया जाएगा?
इसरो कई मिशन पर काम कर रहा है। कुछ मिशन कंप्लीट होने के साथ ही अन्य की तैयारी चल रही है। इसरो के मुताबिक, शुक्रयान 1 के प्रक्षेपण (लाॅन्चिग) के लिए दिसंबर 2024 तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अगर 2024 में लाॅन्चिं नहीं हुई तो अगली विंडो 2031 निर्धारित की गई है। उस समय पृथ्वी और शुक्र इतने संरेखित होंगे कि अंतरिक्ष यान को न्यूनतम मात्रा में प्रणोदक (propellant) का उपयोग करके कक्षा में स्थापित किया जा सकता है।
शुक्रयान 1 मिशन कहां लॉन्च किया जाएगा?
शुक्रयान 1 मिशन की लाॅन्चिग का समय और जगह अभी तय नहीं किया गया है। 2031 तक इसकी लाॅन्चि होने की उम्मीद की जा रही है। सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शुक्रयान 1 मिशन को लाॅन्च किया जा सकता है, हालांकि इसरो की ओर से अभी तक इसकी ऑफिशियल अनाउंसमेंट नहीं की गई है।
शुक्रयान 1 लॉन्च करने के लिए किस अंतरिक्ष यान का उपयोग किया जाएगा?
शुक्रयान 1 लाॅन्च करने के लिए कई चीजें शामिल हैं, जिनकी जानकारी इस प्रकार दी जा रही हैः
- शुक्रयान 1 इसरो द्वारा शुक्र ग्रह की प्रस्तावित परिक्रमा है।
- अपने वर्तमान विन्यास में ऑर्बिटर का वजन लगभग 2,500 किलोग्राम है और यह सिंथेटिक एपर्चर रडार जैसे विज्ञान पेलोड ले जाएगा।
- शुक्रयान को वर्तमान में भारत के जीएसएलवी एमके II रॉकेट पर लॉन्च किया जाना है। हालाँकि, इसरो अधिक शक्तिशाली जीएसएलवी एमके III रॉकेट के संभावित उपयोग का भी मूल्यांकन कर रहा है, जो शुक्रयान को अधिक उपकरण या ईंधन ले जाने की अनुमति देगा।
- ऑर्बिटर, अपने अंतिम विन्यास के आधार पर, 500 डब्ल्यू उपलब्ध शक्ति के साथ लगभग 100 किलोग्राम की विज्ञान पेलोड क्षमता होगी।
- शुक्र के चारों ओर प्रारंभिक अण्डाकार कक्षा पेरीएप्सिस पर 500 किमी और एपोप्सिस पर 60,000 किमी होने की उम्मीद है।
शुक्रयान 1 मिशन के लिए इसरो का उद्देश्य क्या है?
किसी भी मिशन की लाॅन्चिग के पीछे कई उद्देश्य होते हैं, क्योंकि किसी भी मिशन को लाॅन्च करने में काफी खर्च आता है। यहां इसरो की ओर से शुक्रयान 1 मिशन के निर्धारित उद्देश्य बताए गए हैंः
- शुक्र की उप-सतह की पहले स्टडी नहीं किया गया है तो मिशन पहली बार उप-सतह रडार को उड़ाएगा।
- सक्रिय ज्वालामुखी हॉटस्पॉट और लावा प्रवाह सहित सतह प्रक्रियाओं और उथले उप-सतह स्ट्रैटिग्राफी की जांच करना।
- वायुमंडल की संरचना, संरचना और गतिशीलता का अध्ययन करना।
- शुक्र ग्रह के आयनमंडल के साथ सौर पवन संपर्क की जांच करना।
- यह पृथ्वी जैसे ग्रहों के विकास और वायुमंडलीय स्थितियों के बारे में जानकारी देगा।
- शुक्र पर पिछले मिशनों ने सतह पर ग्रेनाइट जैसी चट्टानें देखी हैं, जिन्हें बनाने के लिए प्रचुर मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, इसलिए उसकी स्टडी आवश्यक है।
- शुक्र का अध्ययन करने से वैज्ञानिकों को सवालों के जवाब पाने में मदद मिलती है जैसे कि शुक्र एक संभावित रहने योग्य दुनिया से अपनी वर्तमान स्थिति में कैसे बदल गया, जो पृथ्वी को एक रहने योग्य ग्रह बनाने के बारे में सही दिशा प्रदान कर सकता है।
- शुक्र वैज्ञानिकों को पृथ्वी की जलवायु का मॉडल तैयार करने में मदद करता है, और एक चेतावनी के रूप में कार्य करता है।
- वैज्ञानिक शुक्र का उपयोग करते हैं कि अन्य तारों के आसपास पृथ्वी के आकार के ग्रह कैसे विकसित होते हैं और वहां मौजूद स्थितियों की स्टडी करना।
शुक्रयान 1 मिशन के डायरेक्ट और टीम में कौन हैं?
किसी भी स्पेश मिशन की सफलता के पीछे पूरी टीम होती है और इन मिशन के डायरेक्टर होते हैं जो टीम के साथ मिशन की रूपरेखा बनाते हैं। 2018 के अंत तक वीनस यानि शुक्रयान 1 मिशन कॉन्फ़िगरेशन अध्ययन चरण में है। IUCAA के निदेशक सोमक रायचौधरी ने 2019 में कहा कि ड्रोन जैसी जांच को मिशन का एक हिस्सा माना जा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में सतीश धवन प्रोफेसर और इसके अंतरिक्ष विज्ञान कार्यक्रम के सलाहकार पी. श्रीकुमार ने कहा कि संगठन को अभी तक शुक्र मिशन के लिए भारत सरकार से मंजूरी नहीं मिली है।
शुक्रयान 1 मिशन के बारे में रोचक तथ्य
शुक्रयान 1 मिशन के बारे में रोचक तथ्य इस प्रकार हैंः
- इसे वीनस मिशन भी कहा जाता है।
- शुक्रयान I मिशन एक ऑर्बिटर मिशन होगा।
- मिशन से शुक्र की भूवैज्ञानिक और ज्वालामुखीय गतिविधि, जमीन पर उत्सर्जन, हवा की गति, बादल आवरण और अण्डाकार कक्षा से अन्य ग्रह संबंधी विशेषताओं का अध्ययन करने की उम्मीद है।
- इसके वैज्ञानिक पेलोड में वर्तमान में एक हाई-रिज़ॉल्यूशन सिंथेटिक एपर्चर रडार और एक जमीन-भेदक रडार शामिल है।
- पृथ्वी से शुक्र तक लॉन्च विंडो हर 19 महीने में एक बार होती है तो इसे इस दौरान ही लाॅन्च किया जाएगा।
- शुक्र को अक्सर “पृथ्वी का जुड़वां” कहा जाता है क्योंकि वे आकार और संरचना में समान हैं, लेकिन शुक्र की सतह अत्यधिक गर्म है और घना, जहरीला वातावरण है।
- शुक्रयान 1 को जीएसएलवी मार्क-II से लॉन्च किया जाएगा, जो एक भारी उपग्रह प्रक्षेपण यान है जिसका इस्तेमाल इसरो अपने चंद्रयान और मंगलयान मिशनों में अक्सर करता है।
- मिशन शुक्र की भूवैज्ञानिक और ज्वालामुखीय गतिविधि, हवा की गति आदि का अध्ययन करेगा।
- इस मिशन से यह जानने में मदद मिलेगी कि पृथ्वी जैसे ग्रह कैसे विकसित होते हैं और पृथ्वी के आकार के एक्सोप्लैनेट (हमारे सूर्य के अलावा किसी अन्य तारे की परिक्रमा करने वाले ग्रह) पर क्या स्थितियां मौजूद हैं।
- शुक्रयान 1 मिशन ऐसा मिशन होगा, जिससे पृथ्वी की जलवायु के मॉडलिंग में मदद मिलेगी।
Shukrayaan Mission UPSC
यूपीएससी देश की सबसे कठिन परीक्षा है और इस एग्जाम को क्लियर करने के लिए काफी पढ़ाई करनी होती है। यूपीएससी के एग्जाम में जनरल नाॅलेज और इंटरव्यू में क्वैश्चंस शामिल होते हैं। यहां शुक्रयान 1 (Shukrayaan Mission UPSC) यूपीएससी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है के बारे में बताया गया हैः
- बीते वर्षों की यूपीएससी की परीक्षाओं में स्पेश मिशन से जुड़ें काफी प्रश्न पूछे गए हैं।
- यूपीएससी की तैयारी में देश-दुनिया की जानकारी शामिल होती है, इसलिए स्पेश मिशन को भी इसमें जोड़ा जा सकता है।
- शुक्रयान 1 मिशन की लाॅन्चिग, उद्देश्य, स्थिति आदि के बारे में यूपीएससी की परीक्षा में पूछा जा सकता है।
- यूपीएससी की तैयारी में शुक्रयान 1 की लाॅन्चिग के बाद की स्थिति, मिशन की सफलता या असफलता भी शामिल की जा सकती है।
- किसी भी स्पेश मिशन पर दुनिया के देशों की निगाहें होती हैं और कई बार उन देशों की प्रतिक्रिया भी होती हैं, इसलिए कैंडिडेट्स को मिशन की जानकारी के साथ ही उसके बारे में अन्य देशों की प्रतिक्रियाएं पता हों।
- यूपीएससी की परीक्षा में शुक्रयान 1 मिशन से देश-दुनिया को होने वाले लाभ के बारे में भी पूछा जा सकता है।
- यूपीएससी के इंटरव्यू में शुक्रयान 1 मिशन के बारे में कई सवाल पूछे जा सकते हैं।
सम्बंधित आर्टिकल
FAQs
भारत के पहले शुक्र मिशन का नाम शुक्रयान 1 है।
शुक्रयान मिशन की लाॅन्चिग डेट अभी तक अनाउंस नहीं की गई है, इसे 2024 के अंत तक लाॅन्च किया जा सकता है।
वीनस का दूसरा नाम शुक्र है।
भारत का पहला मिशन चंद्रयान 2008 में लांच हुआ।
उम्मीद है कि इस ब्लाॅग में आपको शुक्रयान 1 मिशन के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी, जिससे आपको UPSC परीक्षा क्लियर करने में मदद मिलेगी। ऐसे ही UPSC से जुड़े ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।