राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है। राजस्थान का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है। राजस्थान का अर्थ होता है राजा महाराजाओं की भूमि। राजस्थान ऐतिहासिक रूप से समृद्ध होने के साथ साथ खनिजों से भी भरा हुआ है। इसी कारण से अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं में राजस्थान के इतिहास से संबंधित प्रश्न पूछ लिए जाते हैं। यहाँ परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण राजस्थान की 22 रियासतों के नाम दिए जा रहे हैं।
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राजस्थान के बारे में
राजस्थान क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा राज्य है। राजस्थान का पुराना नाम राजपूताना था। यह नाम इसे एक अंग्रेज अधिकारी जार्ज थामस द्वारा सन् 1800 में दिया गया था। इसके बाद प्रसिद्ध इतिहासकार जेम्स टॉड ने अपनी पुस्तक “एनलस एंड एन्टीक्वीटीज ऑफ राजस्थान’ में इस राज्य का नाम रायथान या राजस्थान रखा। राजस्थान पाकिस्तान के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा करता है। राजस्थान राज्य की सीमा पाकिस्तान के साथ 1070 किलोमीटर तक लगती है। इसे रेडक्लिफ लाइन के नाम से जाना जाता है। राजस्थान की साक्षरता दर 66.1% है। राजस्थान की राजधानी जयपुर है।
राजस्थान की रियासत से जुड़े रोचक तथ्य
यहाँ राजस्थान की रियासतों से जुड़े तथ्य दिए जा रहे हैं :
- राजस्थान 22 रियासतों को मिलाकर बना था।
- राजस्थान के एकीकरण के बाद हीरालाल शास्त्री राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री बने।
- राजस्थान की रियासतों, जो अब राजस्थान के जिले बन चुके हैं जैसे चित्तौरगढ़, कुम्भलगढ़, रणथम्भोर, गंगाराव, जैसलमेर और आमेर को UNESCO के द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज घोषित किया जा चुका है।
राजस्थान की रियासातों का भारत में विलय
- सर्वप्रथम 18 मार्च 1948 को अलवर, भरतपुर, धौलपुर और करौली को मिलाकर मत्स्य संघ बना।
- धौलपुर के राजा उदय सिंह इसके प्रमुख बने। अलवर को मत्स्य संघ की राजधानी बनाया गया।
- 25 मार्च 1948 को कोटा, बूंदी, झालवाड़, टोंक, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, किशनगढ़ और शाहपुरा को मिलाकर राजस्थान राज्य का गठन किया गया।
- 30 मार्च 1949 में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों को मिलाकर राजस्थान संघ का निर्माण किया गया। 30 मार्च 1949 को ही राजस्थान दिवस भी मनाया जाता है।
- 15 अप्रैल, 1949 को ‘मत्स्य संघ’ का वृहत्तर राजस्थान संघ में विलय कर दिया गया।
- 26 जनवरी, 1950 को सिरोही रियासत का भी वृहत्तर राजस्थान संघ में विलय किया गया।
- 1 नवंबर, 1956 को आबू, देलवाड़ा तहसील को भी राजस्थान में मिला लिया गया।
- इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश में शामिल सुनेल टप्पा का भी राजस्थान में विलय किया गया।
राजस्थान की 22 रियासतों के नाम
यहाँ राजस्थान की 22 रियासतों के नाम बताए जा रहे हैं :
- अलवर
- भरतपुर
- धौलपुर
- करौली
- नीमराणा
- कोटा
- बूंदी
- झालावाड़
- टोंक
- किशनगढ़
- प्रतापगढ़
- डूंगरपुर
- शाहपुर
- बांसबाड़ा
- शाहपुरा
- कुशलगढ़
- जोधपुर
- जैसलमेर
- बीकानेर
- उदयपुर
- अजमेर
- मारवाड़
अलवर रियासत
अलवर रियासत अंगरेजी हुकूमत के समय भारत में राजपूत कछवाह राजवंश के अधीन एक रियासत थी। इसकी राजधानी अलवर नगर हुआ करती थी। अलवर रियासत की स्थापना राव प्रताप सिंह ने 1775 में की थी। इस रियासत के अंतिम राजा महाराजा तेज सिंह प्रभाकर बहदुर थे। 7 अप्रैल 1949 को अलवर रियासत को भारत में मिला लिया गया।
भरतपुर रियासत
भरतपुर रियासत सिनसिनवार जाट राजाओं की रियासत थी। इसके बाद महाराजा सूरजमल ने भरतपुर नगर की स्थापना की थी। इसकी राजधानी भरतपुर नगर हुआ करती थी। भरतपुर राज्य की सीमाएं उत्तर प्रदेश और दिल्ली तक फ़ैली हुई थीं। अंत में राजा ब्रजेन्द्र सिंह ने 1947 में भरतपुर रियासत को भारत में विलय करने वाले समझौते पर हस्ताक्षर कर लिए।
धौलपुर रियासत
धौलपुर की स्थापना जाट राजा राणा कीरत सिंह ने की थी। 1947 में इसका विलय भारत में कर लिया गया। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री, वसुंधरा राजे, धौलपुर के तत्कालीन शासक परिवार की सदस्य थीं, क्योंकि तलाक से पहले उनका विवाह महामहिम महाराजा हेमंत सिंह से हुआ था।
करौली
करौली राज्य 1348 से 1949 तक भारत की एक रियासत हुआ करती थी। यह ब्रज क्षेत्र में स्थित है। इसकी राजधानी करौली नगर थी। 1857 में, 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान, महाराजा मदन पाल ने ब्रिटिश राज का समर्थन किया । उन्होंने करौली के भीतर भारतीय विद्रोहियों से अंग्रेजी सैनिकों को छुपाया या उन्हें राज्य से बाहर कर दिया। इसके अंतिम राजा गणेश पल देव थे। 4 अगस्त 1947 को उन्होंने विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए जिसके बाद इसे भारत में मिला लिया गया।
नीमराणा
नीमराना राजस्थान राज्य के कोटपुतली-बहरोड़ / राठ जिले में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है। नीमराना रियासत चौहान वंश की तीन प्रमुख राजधानियों में से एक थी। 1947 में इसका विलय भारत में कर दिया गया। नीमराना शहर को 1467 में राजा धूपराज ने स्थापित किया था।
कोटा रियासत
कोटा रियासत पहले बूंदी रियासत के अंदर आने वाला एक नगर था। यहाँ हाडा चौहानों का शासन था। कोटा के राजा रतन सिंह के पुत्र माधो सिंह ने इसे कोटा रियासत से अलग करके कोटा रियासत बनाया। 1948 में राजा महाराव सिंह ने इसका विलय भारत में कर दिया।
बूंदी
बूंदी राज्य की स्थापना हाड़ा राव देवदा ( हाड़ा चौहान वंश के शासक) ने की थी जो वर्तमान में आधुनिक राजस्थान में स्थित है । इस पर हाड़ा चौहान राजपूतों का शासन था । सन 1949 में बूंदी का विलय भारत में कर दिया गया।
झालवाड़
झालावाड़ क्षेत्र पर 11वीं-12वीं सदी में परमारों का शासन होने के प्रमाण उपलब्ध हैं। झालरापाटन में 1086 ई. का परमार शिलालेख मिला है। तथा 1142 ई. का एक अन्य परमार शिलालेख मिला है
झालवाड़ रियासत पर 12वीं शताब्दी में परमार राजाओं का शासन था। इसके बाद इस पर मुगलों ने अधिकार कर लिया। स्वतंत्रता के बाद सन 1947 में राजस्थान के एकीकरण के समय दूसरे चरण में इसका विलय राजस्थान में कर दिया गया।
टोंक
ब्रिटिश राज के समय टोंक भारत की एक रियासत थी। यह चारो तरफ से दीवार से घिरा एक नगर था। इसके अंतिम शासक नवाब फारुख अली खान थे। स्वतंत्रता के बाद इसके नवाबों ने भारत के विलय के संधि पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए जिसके बाद यह राजस्थान राज्य का एक जिला बन गया।
किशनगढ़
किशनगढ़ रियासत की स्थापना राठौर वंश के राजा किशन सिंह ने की थी। राजा किशन सिंह में सन 1612 में किशनगढ़ नामक नए शहर स्थापना की। किशनगढ़ के अंतिम शासक राजा सुमेर सिंह थे। 25 मार्च 1948 को किशनगढ़ भारत में शामिल हो गया।
प्रतापगढ़
प्रतापगढ़ राजा कृष्ण पाल सिंह की रियासत थी। इसके अंतिम राजा जगतपाल थे। 1947 में इसका भी विलय में भारत में कर दिया गया।
डूंगरपुर
डूंगरपुर ब्रिटिश शासन के दौरान एक रियासत थी। इसकी राजधानी वर्तमान के डूंगरपुर नगर के दक्षिणी क्षेत्र में डूंगरपुर नगर थी। डूंगरपुर नगर की स्थापना रावल वीर सिंह ने 1282 ईं. में की थी। इसके अंतिम राजा लक्ष्मण सिंह थे। 1947 में उन्होंने डूंगरपुर रियासत का विलय भारत में कर लिया।
शाहपुर
ब्रिटिश शासन के दौरान भीलवाड़ा में शाहपुर एक रियासत थी। इसकी स्थापना अंग्रेजों के साथ एक संधि के तहत की गई थी। अंग्रेजों के साथ इसके संबंधों के प्रबंधन की जिम्मेदारी राजपूताना एजेंसी को मिली हुई थी। शाहपुर के अंतिम शासक सुदर्शन देव सिंह ने वर्ष 1949 में संधि पत्र पर हस्ताक्षर करके इसे भारत में मिला लिया।
बांसबाड़ा
बांसबाड़ा रियासत पूर्व में डूंगरपुर रियासत का ही एक भाग था। बांसबाड़ा के राजा बंसिया के नाम पर इसका नाम बांसबाड़ा पड़ा था। इसकी स्थापना भील राजा बंसिया भील ने की थी। 1948 में बांसबाड़ा का विलय राजस्थान राज्य में कर दिया गया।
शाहपुरा
राजस्थान की शाहपुरा रियासत राजस्थान के भीलवाड़ा रियासत के अंदर ही आने वाली एक अन्य रियासत थी। यह जाट राजा सूरजमल की जागीर थी। शाहपुरा वर्ष 1947 में भारत में मिला गया।
कुशलगढ़
कुशलगढ़ रियासत अंग्रेजों के समय भारत की प्रमुख रियासतों में से एक थी। इसकी अंग्रेजों से संबंधों की जिम्मेदारी राजपूताना एजेंसी के पास थी। कुशलगढ़ रियासत की स्थापना महाराज ठाकुर मालदेव सिंह ने की थी। इसके अंतिम शासक राव उदय सिंह थे। वर्ष 1949 में उन्होंने इसका विलय राजस्थान में कर दिया।
जोधपुर
जोधपुर रियासत की स्थापना 1459 में महाराज राव जोधा ने की थी। इसके अंतिम शासक महाराज हनवंत सिंह थे। जोधपुर की राजधानी जोधपुर नगर थी। काफी मना करने के बाद आखिर 1947 में जोधपुर के राजा हनवंत सिंह इसे भारत में मिलाने के लिए राजी हो गए।
जैसलमेर रियासत
जैसलमेर रियासत की स्थापना 1156 में राजपूत राजा रावल जैसल ने की थी। यह साम्राज्य मुग़ल शासन के समय से लेकर स्वतंत्रता प्राप्ति के समय तक जीवित रहा। आज़ादी के बाद इसका विलय राजस्थान में हो गया।
बीकानेर रियासत
बीकानेर राज्य 1465 से 1947 तक बीकानेर क्षेत्र में एक रियासत थी। राज्य के संस्थापक, राव बीका, जोधपुर के शासक राव जोधा के बेटे थे। आजादी के बाद इसका विलय भारत में कर दिया गया।
उदयपुर रियासत
उदयपुर रियासत ब्रिटिश काल में एक रियासत थी। इसे मेवाड़ राज्य के नाम से भी जाना जाता था। इसकी स्थापना 530 ई. में हुई थी। पहले इसकी राजधानी चित्तौड़ हुआ करती थी। बाद में इसकी राजधानी उदयपुर बना दी गई। कालान्तर में इस रियासत का नाम उदयपुर रियासत पड़ गया। 1949 में आज़ादी के बाद यह भारत के राजस्थान राज्य का एक प्रमुख नगर बन गया।
अजमेर रियासत
अंग्रेजों के समय में अजमेर एक रियासत थी। इसे मेरवाड़ा प्रान्त के नाम से भी जाना जाता था। इसके अलावा इसका एक अन्य नाम नसीराबाद भी था। इस क्षेत्र को दौलत राव सिंधिया ने सन 1818 को अंग्रेजों को सौंप दिया था। 1936 तक यह बंगाल प्रेसिडेंसी के अधीन भी रहा। आखिर में 1871 में यह अजमेर मेरवाड़ा केकरी के रूप में एक अलग प्रांत के रूप में स्थापित हो गया। 15 अगस्त 1947 को यह राजस्थान का हिस्सा बन गया।
मारवाड़
मारवाड़ रियासत 1818 ई. में ब्रिटिश शासन के अधीन एक रियासत थी। इसके अंतिम राजा महाराज हनवंत सिंह थे। आज़ादी के बाद सन 1947 में इस रियासत का विलय भारत में कर दिया।
राजस्थान की तीन सबसे बड़ी रियासतें
आज़ादी से पूर्व राजस्थान 23 रियासतों, एक सरदारी, एक जागीर और अजमेर – मेवाड़ के ब्रिटिश जिले के रूप में विभाजित था। विभिन्न चरणों में इन सब रियासतों को मिलाकर राजस्थान का गठन एक राज्य के रूप में किया गया। दक्षिण पूर्व राजपूताना के कुछ पुराने क्षेत्र अब मध्य प्रदेश राज्य का भाग बन गए हैं तो वहीं दक्षिण पश्चिम राजपूताना के कुछ भाग अब गुजरात राज्य का हिस्सा बन चुके हैं।
राजस्थान रियासत पर आधारित प्रश्न
यहाँ राजस्थान की रियासत पर आधारित प्रश्न दिए जा रहे हैं :
- राजस्थान की सभी रियासतों का विलय करने का श्रेय किसे जाता है?
उत्तर : सरदार वल्लभ भाई पटेल - बांसबाड़ा रियासत पूर्व में किस रियासत का भाग था?
उत्तर : डूंगरपुर रियासत - राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया कुल कितने चरणों में सम्पूर्ण हुई?
उत्तर : 7 - मारवाड़ रियासत के राजा कौन थे?
उत्तर : राजा हनवंत सिंह - मत्स्य संघ के प्रधानमंत्री कौन नियुक्त किए गए थे?
उत्तर : शोभराज - मत्स्य संघ को राजस्थान में मिलाने का प्रस्ताव सर्वप्रथम किस समिति की तरफ से आया था?
उत्तर : डॉ. शंकर राव देव समिति - राजस्थान राज्य में विलय होने वाली पहली रियासत कौनसी थी?
उत्तर : बीकानेर - राजस्थान के एकीकरण की बात स्वतंत्रता से वर्षों पूर्व किसने प्रस्तावित की थी?
उत्तर : जनरल लिनलिथगो - राजस्थान स्थापना दिवस कब मनाया जाता है?
उत्तर : 30 मार्च - जैसलमेर का प्राचीन नाम क्या था?
उत्तर : माडधरा
FAQs
लेफ्टिनेंट राजा मान सिंह
महाराणा राज सिंहजी प्रथम
गुहादत्त
उम्मीद है कि इस ब्लॉग में आपको राजस्थान की 22 रियासतों के नाम के बारे में जानकारी मिल गयी होगी। ऐसे ही राजस्थान जीके से संबंधित अन्य रोचक और महत्वपूर्ण ब्लॉग पढ़ने के लिए बने रहिये Leverage Edu के साथ।