क्या आप जानते हैं भारत की ऐतिहासिक विरासत कुतुबमीनार का यह रहस्य

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कुतुबमीनार

देश की राजधानी दिल्ली इतिहास और संस्कृति से समृद्ध एवं कई वास्तुशिल्प चमत्कारों का खजाना है। यहाँ हर इलाक़े में आपको कई शानदार ऐतहासिक इमारतें और जगहें मिलेंगी जो अपनी विविधता, सुंदरता और खास विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। लाल किला, हुमायूं का मकबरा, इंडिया गेट, राजघाट आदि का नाम दिल्ली के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में शुमार है। दिल्ली के व्यस्त शहर में स्थित इन्हीं स्मारकों में से एक कुतुबमीनार भी है जिसने हमेशा से दुनिया भर के पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। आज भी लोग इसकी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व से मंत्रमुग्ध हैं। तो चलिए जानते हैं इस ऐतिहासिक विरासत के बारे में विस्तार से। 

कुतुबमीनार के बारे में

सैकड़ों साल से दिल्ली की पहचान का हिस्सा रही कुतुब मीनार का निर्माण कार्य 1200 ई. में मुस्लिम शासक कुतुबुद्धीन ऐबक द्वारा शुरु कराया गया था। यह दक्षिण दिल्ली के महरौली भाग में स्थित, ईंट से बनी विश्व की सबसे ऊँची मीनार है। यह मीनार करीब 238 फीट ऊँची है जिसमें लगभग 379 सीढ़ियां हैं, जो कि गोलाई में बनाई गई है। पूरे मीनार को लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से तैयार किया गया है। कुतुबमीनार आसपास मौजूद कई दूसरे स्मारकों जैसे अलाई दरवाजा, अलाई मीनार, अलाउद्दीन का मदरसा और मकबरा, इमाम जमीन का मकबरा, इल्तुतमिश का मकबरा आदि से घिरा हुआ है और इस पूरे परिसर को कुतुब मीनार परिसर कहा जाता है।

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क़ुतुबमीनार का इतिहास 

भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित कुतुबमीनार एक पाँच मंजिला इमारत है जो करीब 73 मीटर ऊंची है। मुगल काल की प्रमुख निशानियां में से एक क़ुतुबमीनार का निर्माण 12वीं शताब्‍दी में यानी कि सन् 1199 से 1220 के बीच हुआ था। ऐसी शानदार इमारत को बनाने की शुरुआत दिल्ली सल्तनत के संस्थापक क़ुतुब-उद-दिन ऐबक ने की थी। हालाँकि उनकी मृत्यु के बाद इसका निर्माण कार्य उनके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश द्वारा पूरा किया गया लेकिन 1369 में मीनार का अधिकतर भाग एक दुर्घटना के कारण टूट गया जिसके बाद फिरोजशाह तुगलक ने फिर से मीनार का निर्माण करवाना शुरू किया। इतिहासकारों के मुताबिक, इस ऐतिहासिक मीनार को दिल्ली के तीन राजाओं द्वारा तीन चरणों में बनाया गया था। पहले कुतुब-उद-दीन ऐबक ने मीनार का एक मंजिला बनाया, उनकी मृत्यु के बाद शम्स-उद-दीन इल्तुतमिश ने तीन से ज्यादा मंजिलों का निर्माण किया और अंत में फिरोज शाह तुगलक ने आखिरी और पांचवीं मंजिल का निर्माण किया। इस तरह इसका निर्माण 14वीं सदी में पूरा हुआ। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह मस्जिद भारत की काफी पुरानी मस्जिद है और इसके साथ ही ये मीनार दुनिया की सबसे ऊंची ईंट मीनार है जो यूनेस्को विश्व धरोहर की सूची में भी शामिल है। 

कैसे पड़ा इस ऐतिहासिक मीनार का नाम क़ुतुबमीनार?

भारत के इस सुन्दर और भव्य मीनार के नाम को लेकर इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं। कुछ इतिहासकारों के मुताबिक इस भव्य मीनार का नाम दिल्ली सल्तनत के पहले मुस्लिम शासक कुतुब-उद-दिन ऐबक के नाम पर रखा गया है जबकि कुछ अन्य इतिहासकारों का मानना है कि कुतुबमीनार का नाम मशहूर मुस्लिम सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया है। लेकिन इतिहास में इन दोनों ही तथ्यों के बारे में कोई ठोस दस्तावेज उपलब्ध नहीं है।

यूनेस्को की विश्व धरोहरों की लिस्ट में भी शामिल

आपको बता दें कि भारत में 33 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक स्थल और 1 मिश्रित विश्व विरासत स्थल हैं। यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज में सबसे पहले 1983 में अजंता की गुफाएं, एलोरा की गुफाएं, ताजमहल और आगरा के किले को शामिल किया गया था। उसके बाद धीरे धीरे कई खूबसूरत और इतहासिक स्थल जुड़ते चले गए। इसी तरह कुतुबमीनार के आर्कषण की वजह से यूनेस्कों ने इसे सन 1993 विश्व धरोहरों की लिस्ट में भी शामिल किया है। कुतुबमीनार की खूबसूरती केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी मशहूर है।

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इस वजह से झुकी हुई है कुतुब मीनार की इमारत

भारतीय इतिहास की धरोहर मानी जाने वाली कुतुब मीनार का इतिहास अपने आप ही बहुत दिलचस्प है। इसे इंडो इस्लामिक वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण भी माना गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर यह इमारत झुकी हुई क्यों है और इसके पीछे क्या कारण है? आईये इस लेख के माध्यम जानते हैं।

इतिहासकारों के मुताबिक, इस शानदार इमारत का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा वर्ष 1199 में शुरू करवाया गया था और 1220 में पूरा हुआ था। हालाँकि कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के बाद मीनार का निर्माण कार्य उनके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश द्वारा पूरा किया गया लेकिन फिर 1369 में मीनार का अधिकतर भाग एक दुर्घटना के कारण टूट गया जिसके बाद फिरोजशाह तुगलक ने फिर से इसका निर्माण करवाया। इसी तरह एक बार फिर कुतुब मीनार का ऊपरी हिस्सा किसी कारणवश नष्ट हो गया था, जिसके बाद फिर से इसकी मरम्मत की गई। ऐसे में कई बार मरम्मत का काम होने की वजह से मीनार का ऊपरी हिस्सा थोड़ा झुका हुआ है।

FAQs

कुतुबमीनार के आस पास के क्षेत्रों में और क्या देख सकते हैं?

कुतुबमीनार के आस पास हम महरौली पुरातत्व पार्क, अलाई मीनार, हौज खास गाँव, इल्तुतमिश का मकबरा आदि देख सकते हैं। 

कुतुबमीनार में किसका मकबरा है?

कुतुब मीनार में कुतुब-उद-दीन-ऐबक का मकबरा है। 

कुतुबमीनार की ऊंचाई कितनी है?

कुतुबमीनार की ऊंचाई 73 मीटर है।

कुतुबमीनार का निर्माण कब और किसने किया था?

कुतुबमीनार का निर्माण दिल्‍ली के पहले मुस्लिम शासक कुतुबुद्धीन ऐबक ने 1200 ई. में शुरु कराया और उसके बाद उनके उत्‍तराधिकारी अल्तमश ने इसकी तीन मंजिलें बनाई और फिर 1368 में फिरोजशाह तुगलक ने पांचवीं और अंतिम मंजिल बनवाई थी।

कुतुबमीनार  को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में कब शामिल किया गया?

गुलाम वंश के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा बनवाई गई कुतुब मीनार को 1993 में यूनेस्को विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल किया गया। 

आशा है कि आपको कुतुबमीनार से जुड़ी सभी जानकारी इस लेख में मिल गयी होगी। वैश्विक धरोहर से जुड़े ऐसे ही अन्य ब्लॉग पढने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए।

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