भारत का इतिहास गौरवपूर्ण रहा है और इस इतिहास के पीछे अनेक कथाओं के साथ-साथ कई कहानियां भी हैं। प्राचीन भारत को सभी शुरुआती पढ़ाई से ही जानें, इसके लिए बुक्स और सिलेबस पर काम किया जा रहा है।
खगोलविद (Astronomer) और गणितज्ञ (Mathematician) पठानी सामंत द्वारा उपयोग किए जाने वाले छोटे यंत्रों को पकड़ने से लेकर रामानुजन, ब्रह्मगुप्त, आचार्य पिंगला, आर्यभट्ट और माधव जैसे ग्रेट इंडियन स्काॅलर्स के कार्यों की स्टडी से भारत के प्राचीन ज्ञान की झलक मिलेगी।
ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) के तहत इंडियन नाॅलेज सिस्टम (IKS) के रिसर्चर NE के हिस्से के रूप में भारत के प्राचीन से सीख को शामिल करने वाले स्कूलों के लिए बुक्स औऱ सिलेबस पर काम कर रहे हैं।
‘दो खगोलीय पिंडों के बीच कोण को मापने के लिए करते हैं उपकरणों का प्रयोग’
IKS के सीनियर रिसर्च असिस्टेंट दीपक कुमार पटनायक ने कहा कि ओडिया ज्योतिषी सामंत चंद्रशेखर द्वारा लिखित सिद्धांत दर्पण की स्टडी करने के बाद खगोल विज्ञान और गणित का अध्ययन करने के लिए सदियों पहले उनके द्वारा डेवलप उपकरणों का निर्माण किया गया। हमने उनके प्रोटोटाइप डेवलप किए हैं और वह कंपास बॉक्स में आएंगे। ये उपकरण काफी अच्छे हैं जिनका उपयोग दो खगोलीय पिंडों के बीच के कोण को आसानी से मापने के लिए कर सकते हैं।
‘वैज्ञानिक ज्ञान के भंडार हैं हमारे वेद और शास्त्र’
प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर नचिकेता खमारी शर्मा ने कहा कि पश्चिमी प्रभाव और अन्य विभिन्न कारणों से हमारे प्राचीन विद्वानों और गणितज्ञों के कार्यों को जनता के बीच डिकोड या लोकप्रिय नहीं किया गया है। हमारे वेद और शास्त्र वैज्ञानिक ज्ञान के भंडार हैं और विभिन्न प्रोजेक्ट्स के माध्यम से IKS इन पारंपरिक ज्ञान को पुनर्जीवित करने पर काम कर रहा है।
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