हाल ही में एक रिपोर्ट के माध्यम से यह पता चला है कि अब से देश के सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में, छात्रों को होने वाली समस्याओं का 30 दिन के भीतर निपटारा किया जायेगा। जिसके लिए लोकपाल शिकायतों का निवारण करेगा।
गौरतलब है कि यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने नियमों में संसोधन करके एक क्रांतिकारी क़दम उठाया है, जिसके तहत छात्रों की शिकायतों के लिए ग्रीवांस रेड्रेसल रेगुलेशन-2023 को अधिसूचित कर दिया गया है। यह रेगुलेशन 2019 की जगह काम करेगा।
जानिए किस प्रकार की होंगी शिकायतें दर्ज?
इस नए नियम के अनुसार यूनिवर्सिटी में प्रवेश प्रक्रिया से संबंधित गड़बड़ी, फीस, सर्टिफिकेट वापस न करना, उत्पीड़न, परीक्षा संचालन में गड़बड़ी, छात्रवृति, प्रवेश के लिए अलग से पैसे की मांग करना, आरक्षण नियमों का ठीक से पालन न करना आदि प्रकार की अन्य शिकायतों पर अब 15 कार्य दिवस के तहत समिति को रिपोर्ट और 30 दिनों में निपटारा करना होगा। नए रेगुलेशन 2023 के अनुसार विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को छात्रों की शिकायतों के निवारण के लिए समिति बनाने और लोकपाल नियुक्त करने के आदेश पारित हुए है।
किसकी होगी लोकपाल के रूप में नियुक्ति?
लोकपाल के रूप में उन पूर्व कुलपति या सेवानिवृत्त प्रोफेसर की नियुक्ति की जाएगी, जिन्हें डिपार्टमेंट के प्रेजिडेंट या डीन के रूप में काम करने का अनुभव हो। लोकपाल को पद ग्रहण करने के बाद पूरा कार्यकाल हो जाने पर अतिरिक्त कार्यकाल के लिए पुर्ननियुक्ति का अवसर उसके आचरण पर निर्धारित होगा। दुराचरण और दुव्र्यवहार के आरोपों पर विश्वविद्यालय लोकपाल को हटा सकता है।
हर यूनिवर्सिटी में शिकायत निवारण समिति का गठन किया जाएगा जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर करेंगे। इसके अलावा चार प्रोफेसर सदस्य के रूप में भी काम करेंगे। तो वहीं इस समिति में छात्रों में से एक प्रतिनिधि नियुक्त किया जायेगा।
इस समिति के गठन के दौरान अध्यक्ष और सदस्यों में कम से कम एक सदस्य महिला, एक OBC, एक SC और एक ST वर्ग से होना चाहिए। इस समिति में अध्यक्ष और बाकी सदस्यों का कार्यकाल दो वर्ष का होगा।
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