3 नवंबर 2023 स्टेट एजुकेशन पॉलिसी (SEP) समिति ने कहा कि कर्नाटक में एजुकेशन सिस्टम के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन और समीक्षा करने के लिए 9 वर्किंग ग्रुप्स बनाए गए हैं। 11 अक्टूबर 2023 को गठित 15 सदस्यीय समिति ने कहा था कि SEP पर रिपोर्ट तथ्यों और आंकड़ों पर आधारित होगी न कि अनुमानों पर। यह नीति कर्नाटक की एजुकेशन सिस्टम के सामने आने वाली शॉर्टटर्म और लोंगटर्म चुनौतियों को ठीक करेगी।
यह कार्य होंगे समिति के
SEP के अध्यक्ष और यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव थोराट ने संवाददाताओं से कहा कि “SEP पॉलिसी कम्प्रेहैन्सिव और भविष्य को देखते हुए होगी। समिति शिक्षा की गुणवत्ता, वित्तपोषण, शासन, स्टूडेंट एनरोलमेंट, बिज़नेस एजुकेशन, ऑनलाइन और टेलीकम्यूनिकेशन एजुकेशन और एम्प्लॉयमेंट योग्यता फैक्टर्स को रिव्यु करेगी और उसमें जो भी बदलाव हों,गे उनके बारे में सुझाव देगी। डिजिटल बुनियादी स्ट्रक्चर और स्किल डेवलपमेंट भी रिपोर्ट का हिस्सा होगा।
इस पॉलिसी में सभी के इनपुट को शामिल करने के लिए विभिन्न स्टेकहोल्डर्स से काउन्सलिंग किया जाएगा। सुखदेव थोराट ने कहा, “चांसलर्स, टीचर्स, छात्रों, स्कूलों, हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस के मैनेजमेंट, सिटीजन कम्युनिटी और अन्य जैसे विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के साथ बैठकें आयोजित की जाएंगी।”
यह समिति कर्नाटक राज्य के चार चुनिंदा संभागों में बैठकें करेगी और रिपोर्ट तैयार करने के लिए अखिल इंडियन सर्वे, नेशनल सैंपल सर्वे, एनएएसी रिपोर्ट और अन्य अध्ययनों का संदर्भ लेगी।
वहीं सदस्यों ने कहा कि वे 28 फरवरी, 2024 तक रिपोर्ट सौंप देंगे, लेकिन जरूरत पड़ने पर सरकार से विस्तार की मांग कर सकते हैं। थोराट ने यह भी कहा कि “जहां तक कार्यान्वयन का सवाल है, यह सरकार को तय करना है।”
आखिर क्या होती है स्टेट एजुकेशन पॉलिसी
भारतीय संविधान के आर्टिकल 45 के अनुसार “सभी स्टेट इस संविधान के शुरू होने से दस वर्ष की अवधि के अंदर-अंदर सभी बच्चों को चौदह वर्ष की आयु पूरी करने तक फ्री और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करेंगे”।
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