जामिया मिलिया इस्लामिया में अगले सेशन से FYUP होगा शुरू, जानिए इससे होने वाले बदलाव

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दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी भी अन्य सेंट्रल यूनिवर्सिटीज की तरह आने वाले अकादमिक सेशन में स्टूडेंट्स के लिए कई एग्जिट और एंट्री ऑप्शन्स के साथ चार साल के अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम (FYUP) के प्रस्ताव लाने की संभावना है।

इस संबंध में FYUP के प्रपोजल को हाल ही में आयोजित अकादमिक काउंसिल की मीटिंग में अपनाया गया था। अब इस मेटर को अगली एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग में रखा जाएगा, जो यूनिवर्सिटी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है।

जामिया यूनिवर्सिटी भी अन्य सेंट्रल यूनिवर्सिटीज की तरह नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के सभी आस्पेक्ट्स को अडॉप्ट करने की कोशिश का रही है। अभी हाल ही में आयोजित अकादमिक काउंसिल की मीटिंग में मौजूद मेंबर्स ने हायर एजुकेशन इंस्टीटूशन्स में पेश किये जाने वाले अकादमिक प्रोग्राम में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट ऑप्शंस के लिए UGC की गाइडलाइन्स को अपनाया और चार वर्ष के अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम के रिस्ट्रक्चरिंग के इम्प्लीमेंटेशन के बारे में बताया हैं। 

यदि एग्जीक्यूटिव काउंसिल द्वारा इस प्रस्ताव को पास किया जाता है, तो अंडरग्रेजुएट डिग्री प्रोग्राम इसी साल से कई एग्जिट और एंट्री ऑप्शंस के साथ तीन या चार साल की ड्यूरेशन की होगी। यूनिवर्सिटी में अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम (FYUP) नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 का ही पार्ट है। वर्तमान समय में सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटीज़ में अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम तीन वर्ष की ड्यूरेशन के होते हैं। 

इस नए प्रोग्राम में मल्टीपल एग्जिट और एंट्री ऑप्शन के तहत अगर स्टूडेंट एक वर्ष के बाद एग्जिट करते हैं तो उन्हें सर्टिफिकेट दिया जाएगा। दो साल के बाद छोड़ने वाले स्टूडेंट डिप्लोमा के लिए एलिजिबल होंगे, और तीन पूरे करने के बाद स्टूडेंट को ग्रेजुएशन की डिग्री दी जाएंगी। 

स्टूडेंट्स जो पूरे चार वर्ष की पढ़ाई करेंगे तो वह बैचलर डिग्री के साथ ऑनर्स और रिसर्च के लिए एलिजिबल होंगे। दिल्ली यूनिवर्सिटी सहित कुछ अन्य इंस्टीट्यूशंस ने पहले ही FYUP को अपना लिया है।

यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन ने माना है कि मल्टीपल एंट्री और एग्जिट से सिलेबस में फ्लेक्सिबिलिटी के साथ डिसिप्लिन स्पेसिफ़िक स्पेशलिसशन के अलावा स्टूडेंट्स को नावेल कोर्सेज सिलेबस का ऑप्शन मिलेगा। स्टूडेंट्स जो को पोस्ट ग्रेजुएशन प्रोग्राम के डिफ्रेंट डिजानइस को अडॉप्ट करने में सहायक होगा। 

हालांकि, UGC ने यह भी स्पष्ट किया है कि चार वर्ष के प्रोग्राम के पूरी तरह से लागू होने तक तीन साल के अंडरग्रेजुएट सिलेबस को बंद नहीं किया जाएगा और नए पैटर्न के तहत ग्रेजुएट्स सीधे पीएचडी प्रोग्राम्स में शामिल हो सकते हैं।

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