हंसों के बीच कौवा मुहावरे का अर्थ (Hanso Ke Beech Kauwa Muhavare Ka Arth) ‘शोभा न देना’ होता है। जब कोई व्यक्ति किसी विशिष्ट समूह या स्थिति में अनुपयुक्त या असंगत होता है। तब उसके लिए हंसों के बीच कौवा मुहावरे का प्रयोग किया जाता है। इस ब्लॉग के माध्यम से आप हंसों के बीच कौवा मुहावरे का अर्थ (Hanso Ke Beech Kauwa Muhavare Ka Arth) और इसके वाक्यों में प्रयोग के बारे में जानेंगे।
मुहावरे किसे कहते हैं?
किसी विशेष शब्द के अर्थ को आम जन की भाषा में समझाने के लिए जिस वाक्यांश का प्रयोग किया जाता है उसे ‘मुहावरा’ कहते हैं। इसमें वाक्यांश का सीधा-सीधा अर्थ न लेकर बात को घुमा फिराकर कहा जाता है। इसमें भाषा को थोड़ा मजाकिया, प्रभावशाली और संक्षिप्त रूप में कहा जाता है।
हंसों के बीच कौवा मुहावरे का अर्थ क्या है?
हंसों के बीच कौवा मुहावरे का अर्थ (Hanso Ke Beech Kauwa Muhavare Ka Arth) ‘शोभा न देना’ होता है।
हंसों के बीच कौवा मुहावरे का वाक्यों में प्रयोग
हंसों के बीच कौवा मुहावरे का वाक्यों में प्रयोग निम्नलिखित है :-
- दीपक के बुरे और बेतुके बर्ताव के कारण वह हंसों के बीच कौवा लग रहा था।
- रवि बेतुके तर्क के साथ बैठक में शामिल हो गया, जैसे- हंसों के बीच कौवा।
- कंपनी में मीटिंग में अनावश्यक व्यक्तिगत बातें करना हंसों के बीच कौवा जैसा प्रतीत होता है।
- जब रोहन कवि सम्मेलन में आर्किटेक्चर की बातें करने लगा, तो वह हंसों के बीच कौवा बन गया।
- ऑफिस में रीमा हंसों के बीच कौवा की तरह है, उसे आता कुछ नहीं पर ज्ञान सबको देना है उससे।
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आशा है कि आपको हंसों के बीच कौवा मुहावरे का अर्थ (Hanso Ke Beech Kauwa Muhavare Ka Arth) से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी मिल गई होगी। हिंदी मुहावरों के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।