Guru Gobind Singh History in Hindi: जानिए साहसी गुरु गोबिंद सिंह का इतिहास

1 minute read
Guru Gobind Singh History in Hindi

गुरु गोबिंद सिंह जी सीखो के 10 वें गुरु थे | गुरु गोविंद सिंह का जन्म नौवें सिख गुरु के घर पटना के साहिब में पौष शुक्ल सप्तमी संवत् 1723 यानि की 22 दिसम्बर 1666 को हुआ था । उनके बचपन का नाम गोविन्द राय था । 1670 में गुरु गोबिंद सिंह का परिवार पंजाब में आ गया | गुरु गोबिंद सिंह जी एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे | 1699 बैसाखी के दिन गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी यह दिन सिखों के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। कहा जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा और सच्चाई की राह पर चलते हुए ही गुजार दी थी। गुरु गोबिंद सिंह का उदाहरण और शिक्षाएं आज भी लोगों को प्रेरित करती है। चलिए जानते हैं Guru Gobind Singh History in Hindi के बारे में।

Check Out : बिल गेट्स की सफलता की कहानी

गुरु गोविंद सिंह का इतिहास

गुरु गोविंद का जन्म नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर और माता गुजरी के यहां पटना साहिब में हुआ था। उनका मूल नाम गोविंद राय था। गुरु गोविंद को 10 वर्ष की आयु से ही दसवें सिख गुरु के रूप में जाना जाने लगा था। गुरु गोविंद अपने पिता के निधन के बाद कश्मीरी हिंदुओं की रक्षा के लिए गद्दी पर बैठे। यहीं नहीं उन्होंने बचपन में संस्कृत, उर्दू, हिंदी, ब्रज, गुरुमुखी और फ़ारसी जैसी भाषाएँ भी सीखीं थी। पंजाब के रूपनगर जिले में जोकि हनगर आनंदपुर साहिब शहर में था। 

गुरु गोबिंद सिंह जी ने ‘खालसा पंथ’ में जीवन के पांच सिद्धांत दिए हैं, जिन्हें ‘पंच ककार’ के नाम से जाना जाता है। इसका मतलब ‘क’ शब्द से शुरु होने वाले पांच सिद्धांत हैं, जिनका अनुसरण करना हर खालसा सिख के लिए अनिवार्य है। ये पंच ककार हैं- केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा

Guru Gobind Singh का जीवन

Guru Gobind Singh History in Hindi
Source : Pinterest

गरू गोबिन्द सिंह ने सिखों की पवित्र ग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा कर गुरु रूप में सुशोभित किया | गुरु गोबिंद सिंह जी एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे उन्होंने धर्म के लिए समस्त परिवार का बलिदान किया | जिसके लिए उन्हें ‘सरबंसदानी’ (सर्ववंशदानी) भी कहा जाता है | गुरु गोविंद सिंह कलगीधर, दशमेश, बाजांवाले आदि कई नाम, उपनाम व उपाधियों से भी जाने जाते हैं |

गुरु गोविंद सिंह जी ने सदा प्रेम, एकता, भाईचारे का संदेश दिया | उनकी मान्यता थी कि मनुष्य को किसी को डराना नहीं चाहिए और न किसी से डरना चाहिए | उनकी वाणी में मधुरता, सादगी, सौजन्यता एवं वैराग्य की भावना कूट-कूटकर भरी थी | उनके जीवन का प्रथम दर्शन ही था कि धर्म का मार्ग सत्य का मार्ग है और सत्य की सदैव विजय होती है | गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा और सच्चाई की राह पर चलते हुए ही गुजार दी थी | गुरु गोविंद सिंह की मृत्यु 42 वर्ष की उम्र में 7 अक्टूबर 1708 को नांदेड़, महाराष्ट्र में हुई |

Check Out : Indira Gandhi Biography in Hindi

गुरु गोबिंद जी का विवाह

Source : Pinterest

10वें सिख गुरु, गुरु गोबिंद जी की तीन शादियां हुई थी, उनका पहला विवाह आनंदपुर के पास स्थित बसंतगढ़ में रहने वाले कन्या जीतो के साथ हुआ था। इन दोनों को शादी के बाद जोरावर सिंह, फतेह सिंह और जुझार सिंह नाम की तीन संतान पैदा हुई थी।

इसके बाद माता सुंदरी से उनकी दूसरी शादी हुई थी और शादी के बाद इनसे उन्हें अजित सिंह नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई थी। फिर गुरु गोविंद जी ने माता साहिब से तीसरी शादी की थी, लेकिन इस शादी से उन्हें कोई भी संतान प्राप्त नहीं हुआ था।

Check Out : साहस और शौर्य की मिसाल छत्रपति शिवाजी महाराज

गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रमुख कार्य

Guru Gobind Singh History in Hindi
Source : HistoricNation

गुरु गोबिंद सिंह के द्धारा किए गए प्रमुख कामों की सूची इस प्रकार है-

  • गुरु गोबिंद साहब जी ने ही सिखों के नाम के आगे सिंह लगाने की परंपरा शुरु की थी, जो आज भी सिख धर्म के लोगों द्धारा चलाई जा रही है।
  • गुरु गोबिंद सिंह जी ने कई बड़े सिख गुरुओं के महान उपदेशों को सिखों के पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित कर इसे पूरा किया था।
  • वाहेगुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही गुरुओं के उत्तराधिकारियों की परंपरा को खत्म किया, सिख धर्म के लोगों के लिए गुरु ग्रंथ साहिब को सबसे पवित्र एवं गुरु का प्रतीक बनाया।
  • सिख धर्म के 10वें गुरु गोबिंद जी ने साल 1669 में मुगल बादशाहों के खिलाफ विरोध करने के लिए खालसा पंथ की स्थापना की थी।
  • सिख साहित्य में गुरु गोबिन्द जी के महान विचारों द्धारा की गई “चंडी दीवार” नामक साहित्य की रचना खास महत्व रखती है।
  • सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिन्द साहब ने ही युद्द में हमेशा तैयार रहने के लिए ‘5 ककार’ या ‘5 कक्के’ को सिखों के लिए जरूरी बताया, इसमें केश (बाल), कच्छा, कड़ा, कंघा, कृपाण (छोटी तलवार) आदि शामिल हैं।
  • गुरु गोबिंद सिंह द्धारा लड़े हुए कुछ प्रमुख युद्ध – Guru Gobind Singh Battles
  • सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह जी ने अ्पने सिख अनुयायियों के साथ मुगलों के खिलाफ कई बड़ी लड़ाईयां लड़ीं।
  • इतिहासकारों की माने तो गोबिंद सिंह जी ने अपने जीवन में 14 युद्ध किए, इस दौरान उन्हें अपने परिवार के सदस्यों के साथ कुछ बहादुर सिख सैनिकों को भी खोना पड़ा।
  • लेकिन गुरु गोविंद जी ने बिना रुके बहादुरी के साथ अपनी लड़ाई जारी रखी। 

Check Out : डॉ भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय

Guru Gobind Singh History in Hindi

गुरु गोबिंद सिंह  Guru Gobind Singh द्धारा लड़ी गई लड़ाईयां इस प्रकार है –

  • भंगानी का युद्ध (1688) (Battle of Bhangani)
  • नंदौन का युद्ध (1691) (Battle of Nadaun)
  • गुलेर का युद्ध (1696) (Battle of Guler)
  • आनंदपुर का पहला युद्ध (1700) (Battle of Anandpur)
  • निर्मोहगढ़ का युद्ध (1702) (Battle of Nirmohgarh)
  • बसोली का युद्ध (1702) (Battle of Basoli)
  • चमकौर का युद्ध (1704) (Battle of Chamkaur)
  • आनंदपुर का युद्ध (1704) (Second Battle of Anandpur)
  • सरसा का युद्ध (1704) (Battle of Sarsa)
  • मुक्तसर का युद्ध (1705) (Battle of Muktsar)
  • गुरु गोबिंद सिंह जी की प्रमुख रचनाएं – Guru Gobind Singh Books

Check Out: पीएम नरेंद्र मोदी की कहानी

गुरु गोबिंद सिंह की रचनाऐं

गुरु गोविंद जी Guru Gobind Singh की कुछ रचनाओं के नाम निम्नलिखित हैं –

  • चंडी दी वार
  • जाप साहिब
  • खालसा महिमा
  • अकाल उस्तत
  • बचित्र नाटक
  • ज़फ़रनामा

Check Out: Sarojini Naidu Biography in Hindi

गुरु गोबिंद सिंह जी की मृत्यु कब हुई थी? 

मुगल बादशाह औरंगजेब की मृत्यु के बाद उसके बेटे बहादुर शाह को उत्तराधिकरी बनाया गया था। बहादुर शाह को बादशाह बनाने में गुरु गोबिंद जी ने मद्द की थी।इसकी वजह से बहादुर शाह और गुरु गोबिंद जी के बीच काफी अच्छे संबंध बन गए थे। वहीं सरहद के नवाब वजीद खां को गुरु गोविंद सिंह और बहादुर शाह की दोस्ती बिल्कुल पसंद नहीं थी, इसलिए उसने अपने दो पठानो से गुरु गोबिंद जी की हत्या की साजिश रखी और फिर 7 अक्तूबर 1708 में महाराष्ट्र के नांदेड़ साहिब में गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपनी आखिरी सांस ली।

गुरु गोबिंद ने न सिर्फ अपने जीवन में लोगों को गरीबों की मद्द करना, जीवों पर दया करना, प्रेम-भाईचारे से रहने का उपदेश दिया बल्कि समाज और गरीब वर्ग के उत्थान के लिए कई काम किए एवं अत्याचार के खिलाफ लड़ाई की।आज भी उनके अनुयायी उनके उपदेशों का अनुसरण करते हैं, और उनके ह्दय में अपने गुरु जी के प्रति अपार प्रेम और सम्मान है।

Check Out : Rajiv Gandhi Biography in Hindi

Source: Bharat Swabhiman

Guru Gobind Singh से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

  1. गुरु गोबिन्द सिंह को पहले गोबिन्द राय से जाना जाता था। जिनका जन्म सिक्ख गुरु तेग बहादुर सिंह के घर पटना में हुआ, उनकी माता का नाम गुजरी था।
  2. 16 जनवरी को गुरु गोबिन्द सिंह का जन्म दिन मनाया जाता है। गुरूजी का जन्म गोबिन्द राय के नाम से 22 दिसम्बर 1666 में हुआ था। लूनर कैलेंडर के अनुसार 16 जनवरी ही गुरु गोबिन्द सिंह का जन्म दिन है।
  3. बचपन में ही गुरु गोबिन्द सिंह के अनेक भाषाए सीखी जिसमें संस्कृत, उर्दू, हिंदी, ब्रज, गुरुमुखी और फारसी शामिल है। उन्होंने योद्धा बनने के लिए मार्शल आर्ट भी सिखा।
  4. गुरु गोबिन्द सिंह आनंदपुर के शहर में जो की वर्तमान में रूपनगर जिल्हा पंजाब में है। 
  5. उन्होंने इस जगह को भीम चंड से हाथापाई होने के कारण छोडा और नहान चले गए जो की हिमाचल प्रदेश का पहाड़ी इलाका है।
  6. नहान से गुरु गोबिन्द सिंह पओंता चले गए जो यमुना तट के दक्षिण सिर्मुर हिमाचल प्रदेश के पास बसा है। 
  7. वहा उन्होंने पओंता साहिब गुरुद्वारा स्थापित किया और वे वहाँ सिक्ख मूलो पर उपदेश दिया करते थे फिर पओंता साहिब सिक्खों का एक मुख्य धर्मस्थल बन गया। वहाँ गुरु गोबिन्द सिंह पाठ लिखा करते थे। वे तिन वर्ष वहाँ रहे और उन तीनो सालो में वहा बहुत भक्त आने लगे।
  8. सितम्बर 1688 में जब गुरु गोबिन्द सिंह 19 वर्ष के थे तब उन्होंने भीम चंड, गर्वल राजा, फ़तेह खान और अन्य सिवालिक पहाड़ के राजाओ से युद्ध किया था। 
  9. युद्ध पुरे दिन चला और इस युद्ध में हजारो जाने गई। जिसमे गुरु गोबिन्द सिंह विजयी हुए। इस युद्ध का वर्णन “विचित्र नाटक” में किया गया है जोकि दशम ग्रंथ का एक भाग है।
  10. नवम्बर 1688 में गुरु गोबिन्द सिंह आनंदपुर में लौट आए जोकि चक नानकी के नाम से प्रसिद्ध है वे बिलासपुर की रानी के बुलावे पर यहाँ आए थे।
  11. 1699 में जब सभी जमा हुए तब गुरु गोबिंद सिंह ने एक खालसा वाणी स्थापित की “वाहेगुरुजी का खालसा, वाहेगुरुजी की फ़तेह” ऊन्होने अपनी सेना को सिंह (मतलब शेर) का नाम दिया। साथ ही उन्होंने खालसा के मूल सिध्दांतो की भी स्थापना की।
  12. ‘दी फाइव के’ ये पांच मूल सिध्दांत थे जिनका खालसा पालन किया करते थे। इसमें ब़ाल भी शामिल है जिसका मतलब था बालो को न काटना। कंघा या लकड़ी का कंघा जो स्वछता का प्रतिक है, कडा या लोहे का कड़ा (कंगन जैसा), खालसा के स्वयं के बचाव का, कच्छा अथवा घुटने तक की लंबाई वाला पजामा; यह प्रतिक था। और किरपन जो सिखाता था की हर गरीब की रक्षा चाहे वो किसी भी धर्म या जाती का हो।
  13. गुरु गोबिन्द सिंह को गुरु ग्रंथ साहिब के नाम से शोभित किया गया है क्योकि उन्होंने उनके ग्रंथ को पूरा किया था। गुरु गोबिन्द सिंह ने अपने प्राण 7 अक्टूबर 1708 को छोड़े।

Books

FAQs

गुरु गोबिंद सिंह जी की कितनी पत्नियां थी?

गुरु गोबिंद जी की तीन शादियां हुई थी । 

गुरु गोविन्द सिंह का जन्म कहाँ हुआ?

पटना

गुरु गोविन्द सिंह के कितने पुत्र थे?

गुरु गोविन्द सिंह के चार सुपुत्र थे। 

गुरु गोविन्द सिंह की माता का नाम क्या था?

माता गुजरी

गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पटना में कब हुआ था ?

22 दिसंबर , 1666

गुरु गोविन्द सिंह की मृत्यु कहाँ हुई थी?

7 अक्तूबर 1708

गुरु गोविंद सिंह जी के बचपन का क्या नाम था?

उनके बचपन का नाम गोविन्द राय था । 

आशा करते हैं कि Guru Gobind Singh History in Hindi  का ब्लॉग अच्छा लगा होगा। Leverage Edu में आपको ऐसे कई प्रकार के ब्लॉग मिलेंगे जहां आप अलग-अलग विषय की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*