Chhatrapati Shivaji Biography in Hindi: छत्रपति शिवाजी महाराज जो हैं साहस और शौर्य की मिसाल

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Chhatrapati Shivaji Biography in Hindi

छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम भारत के सबसे महान राजाओं में गिना जाता है। वे मुगल सुल्तान को चुनौती देने वाले वह एक ही योद्धा थे। शिवाजी महाराज ने मराठा विरासत के लिए कई लड़ाईयां लडी़ थी। बचपन में उनकी देख रेख कोडा देव ( उनके ब्राह्मण दादाजी ) और माता जी ने पुणे में की थी। दादा जी और माता जी दोनों ने मिलकर शिवाजी महाराज को महान सैनिक और प्रशासक राजा बनाया । शिवाजी धार्मिक रूप से महाराज गुरु रामदास से प्रभावित थे। आईये जानते हैं Chhatrapati Shivaji Biography in Hindi में

नामशिवाजी भोसले
जन्मतिथि19 फरवरी 1630 या अप्रैल 1627
पिता का नामशाहजी भोंसले
माता का नामजीजाबाई
जन्म स्थलशिवनेरी किला ,पुणे जिला ,महाराष्ट्र
जीवनसाथीसाईं बाई, सोयराबाई, पुतलाबाई, सकवर बाई, लक्ष्मी बाई, काशीबाई
बच्चेसंभाजी, राजाराम, सखुबाई निंबालकर, रणु बाई जाधव, अंबिका बाई महादिक, राजकुमार बाई शिर्के
शासन काल1670-1680
मृत्यु3 अप्रैल 1680
उत्तराधिकारीसंभाजी भोसले
शासकरायगड किल्ला ,महाराष्ट्र

शिवाजी महाराज का आरंभिक जीवन (Chhatrapati Shivaji Biography in Hindi)

छत्रपति शिवाजी
Source : Wikipedia

19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्गा में छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Biography in Hindi) का जन्म हुआ था। पुणे से उत्तर तरफ जुननर नगर के पास शिवनेरी दुर्ग था। बचपन से ही वह माता जीजाबाई के मार्ग दर्शन पर चले, योद्धा और राजनीति की शिक्षा बचपन में ही ले ली थी। शाह जी भोंसले के साथ हमेशा उनके बड़े भाई संभाजी रहते थे। तुकाबाई मोहिते वह शाह जी राजा की दूसरी पत्नी थी। बाल जीवन में ही उनके हृदय में सवाधिनता की लौ प्रज्वलित होने लगी थी।  लाल महल पुणे में सन् 14 मई 1640 में सइबाई निंबालकर के साथ छत्रपति शिवाजी महाराज का विवाह हुआ था। उनकी 8 पत्नियाँ थी।

  • सही बाई निंबालकर:  बच्चे – संभाजी, सखूबाई, रानूबाई, अंबिकाबाई
  • सोयराबाई मोहीते: बच्चे: दीपबै, राजाराम
  • पुतलाबाई पालकर
  • गुणवंताबाई  इंग्ले
  • सगुनाबाई शिरके
  • काशी बाई जाधव
  • लक्ष्मीबाई विचारे
  • सकवरबाई गायकवाड

छत्रपति शिवाजी महाराज का सैनिक वर्चस्व 

बीजापुर का राज्य और विदेशी आक्रमण से गुजर रहा था, मावलों को बीजापुर के खिलाफ संगठित करने लगे ऐसे समय साम्राज्य की सुल्तान को सेवा करना चाहिए। 150 किलो मीटर लंबा और 30 किलोमीटर चौड़ा मार्वलप्रदेश पश्चिम घाट के साथ जुड़ा हुआ है। प्रदेश में मराठा जाति के साथ-साथ बाकी कई और जातियों भी रहती थी। सभी जाति के लोग को मावलो को नाम देकर शिवाजी महाराज ने सबको संगठित किया और प्रदेश के परिचित होने लगे। शिवाजी महाराज का साथ मिलने के बाद मावलों को उनका सहयोग बहुत ही महत्वपूर्ण साबित हुआ जैसे और अफ़ग़ानों के साथ शेर शाह सुरी का हुआ था। सुल्तान आदिल शाह ने दुर्गो से अपनी सेना हटा दी, फिर अपना स्थानीय शासकों को सौंप दिया। उसी समय आदिलशाह बीमार पड़ गए और बीजापुर में अराजकता फैल गई तभी शिवाजी महाराज ने इस अवसर का लाभ उठाया और उस में प्रवेश करने का निर्माण ले लिया।

छत्रपति शिवाजी महाराज का शासन और व्यक्तित्व 

छत्रपति शिवाजी
Source : Wikipedia

बचपन में शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Biography in Hindi) को शिक्षा की प्राप्ति अच्छे से नहीं हुई थी परंतु उन्हें भारतीय इतिहास और राजनीति के बारे में सुपरिचित थे। शिवाजी पर यह दोषारोपण लगाया जाता है कि वह मुस्लिम विरोधी थे, परंतु उनकी सेना में अनेक मुस्लिम नायक सरदारों और सब उतारे जैसे लोग भी थे। ग्रीष्मा ऋतु के समय सन् 1674 में धामधूम से शिवाजी महाराज को सिंहासन पर बिठाया गया। 6 वर्ष तक शिवाजी महाराज ने अपने 8 मंत्रियों के साथ शासन किया और उनके साथ कई मुसलमान लोग भी शामिल थे। हिंदू जनता इनकी शासन में भय मुक्त हो गई। 

बचपन से ही खेल-खेल में छत्रपति शिवाजी महाराज ने किला जितना सिखा

अपने बाल आयु में ही शिवाजी अपने मित्रों के साथ किला जीतने का खेल खेला करते थे। वही युवा अवस्था में आकर वास्तविक में किला जितना शुरू कर दिया। शत्रुओं के साथ आक्रमण करके किला जीतने लगे यह बात सारे दक्षिण इलाके में आग की तरह फैल गई। आगरा दिल्ली ऐसे कई इलाकों में उनकी चर्चा होने लगी। 

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बाल साहित्यकार

विश्व का सबसे प्रथम बाल साहित्यकार संभाजी को माना जाता है। बुधभूषणम्, नायिका भेद, सात शतक, नखशिख ऐसे कई ग्रंथों की रचना संभव जी ने 14 वर्ष की आयु में ही कर ली थी इसके कारण वह प्रथम बाल साहित्यकार माने जाते हैं । उन्होंने कई भाषाओं में प्रभुत्व फेलाया था जैसे मराठी, हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, कन्नड़ आदि । साथ ही साथ उतनी तेजी से तलवार चलाना भी सीख लिया। शिवाजी महाराज की कई पत्नियाँ और दो बेटे थे, अंतिम वर्ष के समय में उनके जेष्ठ पुत्र धर्मविमुखता के कारण कहीं परेशानियां हुई थी। उनका यह पुत्र एक बार मुग़लों से बड़ी मुश्किलों से वापस लाया गया था तभी कई झगड़ों और मंत्रियों के आपसी मामलों के कारण शत्रु से रक्षा करना इस बात की चिंता शिवाजी को कागार पहुंचा रही थी, उस समय वह बहुत ही बीमार पड़ गए थे। 3 अप्रैल को राजधानी पहाड़ी दुर्ग रायगढ़ में उनकी मृत्यु हो गई थी। 

छत्रपति शिवाजी को जब धोखे से मारना चाहा

बीजापुर के शासक आदिलशाह शिवाजी के बढ़ते प्रभाव को देख ना सके तभी उन्होंने शिवाजी को बंदी बनाने की चाल रची परंतु वह कामयाब नहीं हो पाए तभी उन्होंने शिवाजी के पिता जी को गिरफ्तार कर लिया । तभी शिवाजी ने अपनी नीति , सहर्ष का सहारा लेकर छापा मारी मारी और अपने पिताजी को कैद से आजाद किया।  मिर्जापुर के शासक ने मक्कार सेनापति अफजल खा को शिवाजी को जीवित अथवा मुर्दा पकड़ कर लेकर आने का आदेश दिया । तभी भाईचारे को बढ़ावा दिखा कर झूठा नाटक करके अफजल खा  ने शिवाजी महाराज को अपनी बाहों में बिठा कर घर पर लेकर आया, उसी समय शिवाजी महाराज ने अपने हाथों में छुपी बर्घनखे को निकालकर उन्हें मार दिया। उसी समय उनके सेनापति और सेनाएँ डर कर भाग गई ।

छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रमुख लड़ाइयां

प्रतापगढ़ की लड़ाई, 1659यह युद्ध महाराष्ट्र के सतारा शहर के पास प्रतापगढ़ के किले में अफज़ल खान की सेना और छत्रपति शिवाजी महाराज के बीच लड़ा गया था
पावनखिंड की लड़ाई, 1660यह लड़ाई महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर के पास एक दर्रे में लड़ी गई थी। यह युद्ध मराठा सरदार बाजी प्रभु देशपांडे और आदिलशाही के बीच लड़ा गया था।
सिंहगढ़ की लड़ाई, 1670शिवाजी महाराज के सेनापति तानाजी मालुसरे और जय सिंह प्रथम के अधीन गढ़वाले उदयभान राठौड़ के बीच लड़ा गया था
संगमनेर की लड़ाई, 1679मुगल और मराठाओं की आखरी लड़ाई थी, जिसमें मराठा राजा शिवाजी ने भाग लिया था।

छत्रपति शिवाजी के 9 रोचक तथ्य

  1. शिवाजी बहुत बुद्धिमान थे
  2. उन्होंने एक शक्तिशाली नौसेना का निर्माण किया था
  3. वह गोरिल्ला युद्ध के प्रशासक थे
  4. उनकी ख़ासियत थी वह अपने राज्य के लिए बाद में लड़ते थे
  5. वह महिलाओं के सम्मान में कट्टर समर्थक थे
  6. क्या आप जानते हैं कि मिर्जापुर को जिता ने के लिए
  7. शिवाजी युद्ध की रणनीति बनाने में माहिर थे
  8. पहला किले को घेराबंदी से भगाने में शिवाजी कामयाब हुए थे
  9. बाय शिवाजी थे जिन्होंने मराठों को एक पेशेवर सेना का गठन किया

गोरिल्ला युद्ध के आविष्कारक छत्रपति शिवाजी महाराज थे

सबसे पहले योद्धा भारत में शिवाजी महाराज से जिन्होंने गोरिल्ला युद्ध का आरंभ किया था। इसी युद्ध नीति से प्रेरित होकर हमारे वियतनामियों ने अमेरिका से जंगल जीत लिया था। शिव सूत्र में इस युद्ध का उल्लेख किया गया है। या गोरिल्ला युद्ध एक प्रकार का छापामार युद्ध कहा जाता है। काफी कुशलता के साथ शिवाजी महाराज ने खुद की सेना खड़ी की थी। साथ ही उनके पास नौसेना थी जिसके प्रमुख मयंक भंडारी थे। गनिमी कावा नाम की एक पुस्तक लिखी गई है जिसमें उनके शत्रु के द्वारा अचानक आक्रमण किए गए किससे के बारे में लिखा गया है । 

स्वतंत्र शासक के समय उन्होंने अपने नाम का एक सिक्का चलाया जो शिव राई नाम से जाना जाता है उस के पर संस्कृत भाषा का लेखन हुआ है । हर साल 15 मार्च को शिवाजी महाराज की जयंती मनाई जाती है। यह कहा जाता है कि शिवाजी महाराज की तलवार पर 10 हीरे जड़े हुए हैं और यह तलवार लंदन में है। प्रिंस ऑफ वेल्स एडवर्ड की तलवार उनके कोल्हापुर के महाराज ने 1875 में शिवाजी महाराज को भेंट की थी। परंतु अभी तक यह तलवार वापस नहीं ले आई गई। 

Chhatrapati Shivaji Biography in Hindi Life Lesson

Life Lesson जो हम छत्रपति शिवाजी महाराज से सीख सकते है-

  1. हमें हमेशा अपनी संस्कृति का सम्मान करना चाहिए। 
  2. लीडरशिप quality अपने अंदर विकसित करें। 
  3. हमेशा सतर्क और जागरूक रहें। 
  4. खुद पर विश्वास रखें। खुद पर विश्वास रखने से कोई भी काम मुश्किल नहीं होता। 
  5. साहस से किसी भी जंग को जीता जा सकता है। 
  6. बड़े विजन के साथ खुले दिमाग से सोचें। 
  7. हमेशा विनम्र स्वभाव रखें। क्रोध से कई बार बनते काम बिगड़ जाते हैं।

छत्रपति शिवाजी महाराज निबंध

छत्रपति शिवाजी

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