गोदान: मुंशी प्रेमचंद की अमर कृति 

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गोदान: मुंशी प्रेमचंद की अमर कृति

मुंशी प्रेमचंद को हिंदी साहित्य के सर्वश्रेठ लेखकों में से एक माना जाता हैं। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन साहित्य की साधना में  लगा दिया था। मुंशी प्रेमचंद ने अपने जीवन में 300 से अधिक कहानियों और एक दर्जन उपन्यास लिखे थे। क्या आप जानते हैं उपन्यास के क्षेत्र में उनके विशेष योगदान को देखकर बंगाल के प्रसिद्ध उपन्यासकार ‘शरतचंद्र चट्टोपाध्याय’ ने उन्हें ‘उपन्यास सम्राट’ कहकर संबोधित किया था। 

यूँ तो मुंशी प्रेमचंद ने रंगभूमि, गबन, निर्मला, सेवासदन और कर्मभूमि जैसे कई लोकप्रिय उपन्यास लिखें लेकिन उन्हें सबसे अधिक प्रसिद्धि उनके अंतिम पूर्ण उपन्यास ‘गोदान’ (Godan) से मिली। इस उपन्यास में मुंशी जी ने भारतीय किसानों का शोषण, गरीबी, ग्रामीण और शहरी जीवन के बदलते परिदृश्य का सटीक चित्रण किया हैं। आइए जानते हैं मुंशी प्रेमचंद की अमर कृति गोदान (Godan) के बारे में।  

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गोदान के बारे में 

क्या आप जानते हैं कि ‘गोदान’ (Godan), ‘उपन्यास सम्राट’ कहे जाने वाले मुंशी प्रेमचंद का अंतिम उपन्यास हैं। बता दें कि मुंशी प्रेमचंद जी ने गोदान की रचना वर्ष 1932 से शुरू की थी और इस सर्वोत्तम कृति को वर्ष 1936 में प्रकाशित करवाया। लेकिन आज भी इस उपन्यास की प्रासंगिकता बनी हुई है। गोदान का मुख्य पात्र “होरी” है जो इस उपन्यास का केंद्र बिंदु है। यह कहानी केवल होरी की नहीं बल्कि उस काल के हर एक किसान की कहानी बया करती है। 

गोदान (Godan) उपन्यास ने समांतर रूप से चलने वाली दो कथाएं हैं। जिसमें ग्रामीण जीवन के साथ साथ शहरी जीवन की कथा का मुंशी प्रेमचंद ने सटीक चित्रण किया हैं। गोदान औपनिवेशिक शासन के अंतर्गत किसान का महाजनी व्यवस्था में चलने वाले निरंतर शोषण तथा उससे उत्पन्न संत्रास की कथा है। गोदान उस दौर का ऐसाा आईना है जिसमें तत्कालीन भारतीय समाज का असली चेहरा साफ नज़र आता है। 

‘गोदान’ उपन्यास का मुख्य पात्र ‘होरी’ है, जो अपने संपूर्ण जीवन में केवल मेहनत और संघर्ष करता है, अनेक कष्ट सहता है, केवल इसलिए कि उसकी मर्यादा की रक्षा हो सके और इसीलिए वह दूसरों को प्रसन्न रखने का प्रयास भी करता है, किंतु उसे इसका फल नहीं मिलता और उपन्यास के अंत में कहानी के नायक होरी की मृत्यु हो जाती है। 

गोदान में प्रेमचंद सिर्फ किसान की ही बात नहीं करते बल्कि नारी के शोषण, अछूतों और अन्य पिछड़े हुए वर्गों की आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, समस्याओं का सटीक चित्रण करते हैं। यूँ तो साहित्य जगत में किसान और शोषित वर्गों पर कई अनुपम कृतियों की रचना की गई लेकिन मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास गोदान आज भी उतना ही प्रासंगिक बना हुआ है जितना पहले था। 

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गोदान उपन्यास के मुख्य पात्र 

यहाँ मुंशी प्रेमचंद के गोदान (Godan) उपन्यास के प्रमुख पात्रों के बारे में बताया जा रहा है। जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं:-

  • मुख्य नायक – होरी
  • धनियाँ – होरी की पत्नी
  • गोबर , सोना , रूपा – होरी की संतान
  • झुनियाँ – गोबर की पत्नी
  • हीरा और शोभा – होरी के भाई
  • रायासाहब – जमींदार
  • मेहता- दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर 
  • मालती -आधुनिक नारी व डॉक्टर
  • खन्ना -मिल मालिक
  • गोविंदी – खन्ना के पत्नी
  • सिलिया – दलित स्त्री
  • मातादीन और दतादीन- ब्राह्मण
  • ओंकारनाथ -संपादक

मुंशी प्रेमचंद के बारे में  

मुंशी जी का वास्तविक नाम ‘धनपत राय श्रीवास्तव’ था लेकिन उन्हें साहित्य जगत में ‘नवाब राय’ और ‘मुंशी प्रेमचंद’ के नाम से जाना जाता है। मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को लमही गांव,वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘मुंशी अजायबराय’ था जो डाकखाने में क्लर्क थे और उनकी माता का नाम ‘आनन्दी देवी’ था जो एक गृहणी थी। प्रेमचंद का जीवन बचपन से ही चुनौतियों भरा रहा था, उनकी माता का उनके जन्म के 6 वर्ष बाद ही निधन हो गया था और 16 वर्ष की आयु में उनके पिता मुंशी अजायबराय का भी स्वर्गवास हो गया था। 

मुंशी प्रेमचंद ने अपनी औपचारिक शिक्षा अपने गांव लमही से ही शुरू की इसके बाद सन 1898 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक स्थानीय विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हो गए। लेकिन उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखी और सन 1919 में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। ये वो दौर था जब संपूर्ण भारत में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन हो रहे थे। 

सन 1921 में ‘महात्मा गांधी’ जी के नेतृत्व में शुरू किए गए ‘असहयोग आंदोलन’ में मुंशी जी ने भी अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया और पूर्ण रूप से लेखन कार्य में जुट गए। मुंशी जी ने अपने साहित्यिक जीवन में कई अनुपम रचनाओं की जिसमें कहानी, उपन्यास और निबंध अहम माने जाते हैं। उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन लेखन कार्य में ही लगा दिया था लेकिन लंबी बीमारी के बाद उनका 08 अक्टूबर 1936 को निधन हो गया। बता दें कि हर वर्ष 8 अक्टूबर को मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि मनाई जाती है।

आशा है कि आपको गोदान (Godan) उपन्यास और मुंशी प्रेमचंद के जीवन के बारे में सभी आवश्यक जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ब्लाॅग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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