वर्तमान युग इंटरनेट का युग है। जहां करियर अवसर की एक विस्तृत श्रृंखला देखने को मिलती हैं। जिसमें से एक है फुल स्टैक डेवलपर। अधिकतर कंपनी अन्य वेब डेवलपर की तुलना में फुल स्टैक डेवलपर को ज्यादा हायर कर रहीं हैं जिस कारण इनकी मांग बहुत अधिक बढ़ रही है। यदि आप भी एक फुल स्टैक डेवलपर बनने की सोच रहे हैं तो यह काफ़ी अच्छा फैसला है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि Full Stack Developer kaise bane।
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कौन होते हैं फुल स्टैक डेवलपर?
जो वेब डेवलपर कोडिंग के ज़रिए वेबसाइट बनाते हैं, और वेबसाइट के फ्रॉंटेड, बैकेंड साथ ही डेटाबेस पर काम करते हैं उन्हें फुल स्टैक डेवलपर कहा जाता है। इसके अलावा भी एक फुल स्टैक डेवलपर कुछ और चीजों की भी जानकारी रखता है जैसे की वर्जन कंट्रोल और OS आदि।
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फुल स्टैक डेवलपर के काम
फुल स्टैक डेवलपर के काम को हम तीन भागों में बांट सकते हैं।
फ्रॉंटेड वर्क
फुल स्टैक डेवलपर का पहला काम वेबसाइट या सॉफ्टवेयर को डिज़ाइन करना है। फुल स्टैक डेवलपर क्लाइंट के लिए फ्रॉंटेड एप्लीकेशन बनाता है। फ्रॉंटेड किसी वेबसाइट या वेब एप्लीकेशन का विज़िबल पार्ट होता है। किसी भी वेबसाइट या वेब एप्लीकेशन के फ्रॉंटेड भाग का यूजर या क्लाइंट के साथ सीधा इंटरेक्शन होता है। फ्रॉंटेड एप्लीकेशन कुछ प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का उपयोग करके बनाया जाता है। फ्रॉंटेड लैंग्वेज में HTML,CSS, JavaScript आदि शामिल है।
बैकेंड वर्क
बैकेंड वर्क, फ्रॉंटेड वर्क के मुकाबले थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि इसमें फ्रॉंटेड को डेटाबेस से कनेक्ट करना होता है। बैकेंड साइड की कोडिंग से ही फुल स्टैक डेवलपर, डेटाबेस की कनेक्टिविटी की कोडिंग करता है। वेब एप्लीकेशन के बैकेंड भाग में होने वाले कार्य डेटाबेस ऑपरेशन्स, यूजर वेलिडेशन और लॉजिकल ऑपरेशन्स हैं। इसके लिए कुछ लाइब्रेरीज, फ्रेमवर्क और लैंग्वेज का उपयोग किया जाता है जिसे बैकेंड या सर्वर साइड टेक्नोलॉजी कहते हैं। सर्वर साइड टेक्नोलॉजी में PHP, JAVA, C#/.Net, Ruby, Python, C++ आदि शामिल हैं।
डेटाबेस वर्क
एक फुल स्टैक डेवलपर को फ्रॉंटेड और बैकेंड के साथ डेटाबेस पर भी काम करना होता है। जिसमें फ्रॉंटेड को सर्वर साइड की मदद से डेटाबेस को कनेक्ट करना होता है। अतः एक फुल स्टैक डेवलपर डेटाबेस पर भी काम करता है। इसमें डेटाबेस जैसे MySQL, Oracle, MongoDB(NoSQL), MariaDB आदि की नॉलेज होनी चाहिए।
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फुल स्टैक डेवलपर की जिम्मेदारियां
नीचे आप देख सकते है की एक फुल स्टैक डेवलपर की क्या-क्या जिम्मेदारियां होती हैं–
- वेबसाइट के फ्रॉंटेड को आकर्षित बनाना।
- फ्रंट पेज को ऐसे बनाना होता है की जिसे एक आम आदमी भी इस्तेमाल कर सके।
- बैकेंड में होने वाली प्रोग्रामिंग करना।
- सर्वर को बनाना और उसे मैनेज करने के साथ-साथ डेटाबेस की जानकारी रखना।
- API को इस्तेमाल करना और जरुरत पड़ने पर API को खुद से बनाना।
- प्रोजेक्ट के हिसाब से जरुरी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सेलेक्ट करना और सफल बनाना।
- वेबसाइट को रेस्पॉन्सिव बनाना।
- लोगों के जरुरत पूरा करने वाला वेब ऐप्प्स बनाना है।
- वेबसाइट को सिक्योर बनाना ताकि कोई डाटा लीक ना हो।
- सारे डिवाइस के प्रति ( खास करके मोबाइल के लिए ) वेबसाइट को कम्पेटिबल बनाना है।
फुल स्टैक डेवलपर बनने के लिए स्किल
एक फुल स्टैक डेवलपर बनने के लिए आपके पास कुछ स्किल्स होना बहुत ही जरूरी है।
- आपकी प्रोग्रामिंग स्किल अच्छी होनी चाहिए।
- आपको फ्रॉंटेड टेक्नोलॉजीज जैसे HTML,CSS, JavaScript का अच्छा ज्ञान होना चाहिए।
- आपको बैकेंड टेक्नोलॉजीज में PHP, JAVA, C#/.Net, Ruby, Python, C++ आदि लैंग्वेज में एक अच्छी पकड़ होनी चाहिए।
- फुल स्टैक डेवलपर बनने के लिए आपको डेटाबेस जैसे MySQL, Oracle, MongoDB(NoSQL) आदि की बेसिक नॉलेज होना बहुत ही ज़रूरी है।
- वर्जन कंट्रोल और OS (Operating System) की भी नॉलेज होनी चाहिए।
- फुल स्टैक डेवलपर को कई बार वेबसाइट के अलग-अलग लेयर पर भी काम करना होता है। जिसमें सिक्योरिटी लेयर प्रमुख है।
फुल स्टैक डेवलपर कोर्सेज
वर्तमान में ऐसे कई ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफार्म और आर्गेनाइजेशन हैं जो फुल स्टैक डेवलपर संबंधित कोर्सेज प्रदान कर रहे हैं। इन कोर्सेज की अवधि 6 महीने से 1 साल तक की हो सकतीं हैं। आइए फुल स्टैक डेवलपर से संबंधित कुछ ऑनलाइन कोर्सेज और लर्निंग प्लेटफार्म के बारे में इस टेबल के द्वारा जानते हैं।
कोर्सेज | ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफार्म |
Full Stack Web Development with React Specialization | Coursera (The Hongkong University of Science and Technology) |
The Web Developer Bootcamp | Udemy |
Basic of Web Development and Coding Specialization | Coursera (University of Michigan) |
Professional Full Stack Web Developer (Nanodegree certification) | Udacity |
Beginner Full Stack Web Development HTML, CSS, React & Node | Udemy |
Become A Full Stack Developer course | LinkedIn Learning Lynda |
Full Stack Web Developer Courses | edX |
Full Stack Web and Multiplatform Mobile App Development Specialization | Coursera (The Hongkong University of Science and Technology) |
Responsive Website Development and Design Specialization | Coursera (University of London) |
योग्यता
एक फुल स्टैक डेवलपर बनने के लिए कुछ योग्यता होती हैं जो कुछ इस प्रकार है–
- कंप्यूटर साइंस में बैचलर्स डिग्री होनी चाहिए। यदि आप चाहे तो बीटेक भी कर सकते हैं।
- HTML,CSS और JavaScript जैसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में महारत हासिल होनी चाहिए।
- MongoDB, PostgreSQL, AngularJS, Express.js, Oracle, React, Ember और Node.js की वर्किंग समझ के साथ Linux, PHP और MySQL की नॉलेज होनी चाहिए।
- डाटा स्ट्रक्चर, सिस्टम डिज़ाइन और अल्गोरिथम का भी ज्ञान होना चाहिए।
- Java , .Net, Python, PHP या Ruby जैसी लैंग्वेज की नॉलेज होनी चाहिए।
- Backbone.js and jQuery. जैसी लाइब्रेरीज की समझ होनी चाहिए।
- API डिज़ाइन और डेवलपमेंट में अनुभव होना चाहिए।
फुल स्टैक डेवलपर कैसे बनें : स्टेप बाय स्टेप गाइड
फुल स्टैक डेवलपर बनने के लिए आपको कुछ स्टेप को फॉलो करना होगा:
स्टेप 1: प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सीखें।
एक फुल स्टैक डेवलपर बनने के लिए सबसे पहले आपको प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सीखना चाहिए। जैसे–
- HTML और CSS- HTML वह टूल है जो डेवेलपर्स को वेबसाइट में कॉन्टेंट इनपुट करने में मदद करता है। CSS एक डिजाइनिंग टूल है, जिसका उपयोग वेब एप्लीकेशन की अपीयरेंस को बदलने के लिए किया जाता है। दोनों ही एक फुल स्टैक डेवलपर के लिए आवश्यक टूल हैं और सभी कोर्सेज में पढ़ाए जाते हैं, चाहे ऑनलाइन हो या व्यक्तिगत रूप से।
- JavaScript- यह किसी भी फुल स्टैक डेवलपर के लिए महत्वपूर्ण है। इसका उपयोग फ्रॉंटेड और बैकेंड दोनों प्रक्रियाओं में किया जाता है। JavaScript का उपयोग सर्वर साइड लैंग्वेज के रूप में भी किया जा सकता है।
- Backend Technologies– HTML,CSS और JavaScript में महारत हासिल करने के बाद, आपको बैकेंड टेक्नोलॉजी को कोड करने के लिए उपयोग की जाने वाली कम से कम एक लैंग्वेज सीखनी होगी। जैसे– PHP, Java, python, SQL आदि। किसी एक भाषा को सीखना पर्याप्त होगा, लेकिन आपको उसमें माहिर होना चाहिए।
स्टेप 2: ज्ञान को परिष्कृत करें
- टेस्ट वेब पेज बनाएं और अब तक सीखे हुए कॉन्सेप्ट्स को अप्लाई करें।
- JavaScript सभी वेब एप्लीकेशन के 99% भाग में पाया जा सकता है। इसलिए इसका सम्पूर्ण ज्ञान हासिल करें और इसमें बेस्ट स्किल हासिल करें।
- प्रोग्रामिंग कांसेप्ट का ज्ञान आपके कोडिंग स्किल को बेहतर बनाने में मदद करता है। प्रोग्रामिंग कांसेप्ट और थ्योरी के बारे में जानें जैसे –
- सर्वर और उनकी फंक्शनिंग
- नेटवर्क और उनकी बारीकियां
- वेब होस्टिंग एन्वॉयरन्मेंट
- अल्गोरिथम और उनका फार्मूलेशन
- डाटा स्ट्रक्चर
- प्रोग्रामिंग टेक्नोलॉजी
- डेटाबेस और उनका मैनेजमेंट
स्टेप 3: सभी टेक्नोलोजी के बारे में जानें लेकिन एक टेक्नोलॉजी में मास्टर हों
- जैसे-जैसे आपके झुकाव का दायरा बढ़ता है, आप महसूस करेंगे कि जितना आप सीख रहें हैं या सीख चुके हैं, उससे कहीं ज्यादा सीखने के लिए है। अधिकांश प्रोग्रामर असफल हो जाते हैं क्योंकि वे बहुत अधिक चीजों को सीखने की कोशिश करते हैं। ऐसे प्रयासों की कोई आवश्यकता नहीं है। “एक में महारत हासिल करो और बाकी को समझो।”
- जैसे-जैसे आपका अनुभव बढ़ेगा, टेक्नोलॉजी को समझना आपके लिए आसान होता जाएगा। एक टेक्नोलॉजी में स्पेशलाइजेशन हासिल करने के लिए मेहनत करें। क्लाइंट के बीच लोकप्रिय टेक्नोलॉजी को चुनें। इससे आपको इस क्षेत्र में दूसरों के साथ प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करने और बेहतर काम करने में मदद मिलेगी।
स्टेप 4: फुल स्टैक डेवलपर सेसंबंधित कोर्स करें।
- एक फुल स्टैक डेवलपर को भी रिलेवेंट बने रहने के लिए नई चीजें सीखने की ज़रूरत होती है। नई–नई टेक्नोलॉजी आती रहती हैं, परिवर्तन होते रहते हैं। एक फुल स्टैक डेवलपर बनने के लिए आपको इन परिवर्तनों से अवेयर रहने की ज़रूरत है। उपस्किलिंग बनाए रखने के लिए ऑनलाइन या वर्चुअल कोर्स करना एक आसान तरीका है। ऑनलाइन टेक्नोलॉजी कोर्स ऑफर करने वाले कुछ आर्गेनाइजेशन हैं–
- The Odin project
- Codecademy
- Coursera
- Udemy
स्टेप 5: प्रैक्टिकल एक्सपोजर
- जब आपको सभी आवश्यक तकनिकी – HTML,CSS, JavaScript, backend programming, database और http आदि की पूरी समझ आ जाती है। तब कह सकते हैं कि इन सब की बेस्ट नॉलेज आपने हासिल कर ली है। इस नॉलेज का उपयोग करने के लिए आपको यह जानना होगा:
- कोड स्ट्रक्चर करने का सही तरीका।
- उपयोग करने के लिए सही डाटा स्ट्रक्चर।
- सैद्धांतिक ज्ञान, ऑनलाइन सामग्री को पढ़कर प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन एप्लीकेशन आर्किटेक्चर को ठीक से समझने के लिए, आपको एक वास्तविक वेब एप्लीकेशन पर काम करना जरूरी है।
स्टेप 6: जॉब सर्च करें।
अब जब आप वेब डेवलपमेंट में माहिर हो चुके हैं तो आप एक बेस्ट फुल स्टैक डेवलपर बन सकते हैं। अब आप एक अच्छी फुल स्टैक डेवलपर की जॉब खोजना शुरु कर दें और एक अच्छी पोजीशन और सैलरी की जॉब मिलते ही अप्लाई करिए।
टॉप विदेशी यूनिवर्सिटी
जब आप अपनी रुचियों के अनुरूप कोर्स चुन लेते हैं, तो अगला कदम एक ऐसे विश्वविद्यालय का चयन करना है, जो आपको आपके चुने हुए क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन प्राप्त करने के लिए एक आदर्श मंच प्रदान कर सके। नीचे कुछ प्रमुख विश्वविद्यालय दिए गए हैं, जिनके माध्यम से आप इंजीनियरिंग के इस विशेष क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं–
- मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी
- यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन
- साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय
- मिशिगन यूनिवर्सिटी
- मेलबर्न विश्वविद्यालय
- ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय
- टेक्सास ए एंड एम विश्वविद्यालय
- तस्मानिया विश्वविद्यालय
- न्यू ऑरलियन्स विश्वविद्यालय
- वाशिंगटन विश्वविद्यालय
- नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (NUS)
- यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास एट ऑस्टिन
- स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय
- टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डेनमार्क
- इंपीरियल कॉलेज लंदन
- यूनिवर्सिटी ऑफ एडिलेड
- यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा
- हीरियट–वाट यूनिवर्सिटी
भारत के टॉप विश्वविद्यालय
इंजीनियरिंग कोर्सेज की पेशकश करने वाले कुछ टॉप भारतीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की लिस्ट नीचे दी गई है–
- सभी IIT
- आंध्र यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, विशाखापत्तनम
- एनआईटी सुरथकल – नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कर्नाटक
- इंस्टीट्यूशंस ऑफ इंजीनियर्स इंडिया, कोलकाता
- सीवी रमन ग्लोबल यूनिवर्सिटी, भुवनेश्वर
- वेल्स विश्वविद्यालय – वेल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी एंड एडवांस्ड स्टडीज
- श्रीनिवास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मैंगलोर
- शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुरी
- इंडियन मैरीटाइम यूनिवर्सिटी, चेन्नई
- पार्क कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, कोयंबटूर
- समुंद्रा इंस्टिट्यूट ऑफ मैरीटाइम स्टडीज, पुणे
- जीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, चेन्नई
आवेदन प्रक्रिया
विदेश के विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए आवेदन प्रक्रिया इस प्रकार है–
- आपकी आवेदन प्रक्रिया का फर्स्ट स्टेप सही कोर्स चुनना है, जिसके लिए आप AI Course Finder की सहायता लेकर अपने पसंदीदा कोर्सेज को शॉर्टलिस्ट कर सकते हैं।
- एक्सपर्ट्स से कॉन्टैक्ट के पश्चात वे कॉमन डैशबोर्ड प्लेटफॉर्म के माध्यम से कई विश्वविद्यालयों की आपकी आवेदन प्रक्रिया शुरू करेंगे।
- अगला कदम अपने सभी दस्तावेजों जैसे SOP, निबंध (essay), सर्टिफिकेट्स और LOR और आवश्यक टेस्ट स्कोर जैसे IELTS, TOEFL, SAT, ACT आदि को इकट्ठा करना और सुव्यवस्थित करना है।
- यदि आपने अभी तक अपनी IELTS, TOEFL, PTE, GMAT, GRE आदि परीक्षा के लिए तैयारी नहीं की है, जो निश्चित रूप से विदेश में अध्ययन करने का एक महत्वपूर्ण कारक है, तो आप Leverage Live कक्षाओं में शामिल हो सकते हैं। ये कक्षाएं आपको अपने टेस्ट में उच्च स्कोर प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण कारक साबित हो सकती हैं।
- आपका एप्लीकेशन और सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करने के बाद, एक्सपर्ट्स आवास, छात्र वीजा और छात्रवृत्ति / छात्र लोन के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू करेंगे ।
- अब आपके प्रस्ताव पत्र की प्रतीक्षा करने का समय है जिसमें लगभग 4-6 सप्ताह या उससे अधिक समय लग सकता है। ऑफर लेटर आने के बाद उसे स्वीकार करके आवश्यक सेमेस्टर शुल्क का भुगतान करना आपकी आवेदन प्रक्रिया का अंतिम चरण है।
भारत के विश्वविद्यालयों में आवेदन प्रक्रिया, इस प्रकार है–
- सबसे पहले अपनी चुनी हुई यूनिवर्सिटी की ऑफिशियल वेबसाइट में जाकर रजिस्ट्रेशन करें।
- यूनिवर्सिटी की वेबसाइट में रजिस्ट्रेशन के बाद आपको एक यूजर नेम और पासवर्ड प्राप्त होगा।
- फिर वेबसाइट में साइन इन के बाद अपने चुने हुए कोर्स का चयन करें जिसे आप करना चाहते हैं।
- अब शैक्षिक योग्यता, वर्ग आदि के साथ आवेदन फॉर्म भरें।
- इसके बाद आवेदन फॉर्म जमा करें और आवश्यक आवेदन शुल्क का भुगतान करें।
- यदि एडमिशन, प्रवेश परीक्षा पर आधारित है तो पहले प्रवेश परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन करें और फिर रिजल्ट के बाद काउंसलिंग की प्रतीक्षा करें। प्रवेश परीक्षा के अंको के आधार पर आपका चयन किया जाएगा और लिस्ट जारी की जाएगी।
आवश्यक दस्तावेज़
कुछ जरूरी दस्तावेज़ों की लिस्ट नीचे दी गई हैं–
- आधिकारिक शैक्षणिक ट्रांसक्रिप्ट
- स्कैन किए हुए पासपोर्ट की कॉपी
- IELTS या TOEFL, आवश्यक टेस्ट स्कोर
- प्रोफेशनल/एकेडमिक LORs
- SOP
- निबंध (यदि आवश्यक हो)
- पोर्टफोलियो (यदि आवश्यक हो)
- अपडेट किया गया सीवी / रिज्यूमे
- एक पासपोर्ट और छात्र वीजा
- बैंक विवरण
सैलरी
एक फुल स्टैक डेवलपर की सैलरी अनुभव और कंपनी के हिसाब से अलग–अलग हो सकती है। आइए एक फुल स्टैक डेवलपर की औसत सैलरी इस टेबल के माध्यम से जानें।
अनुभव | मासिक वेतन (INR में) | वार्षिक वेतन (INR में) |
फ्रेशर्स | 25,000-41,000 | 25,000-41,000 |
1 से 4 साल | 41,000-1,00,000 | 5,00,000-12,00,000 |
5 से 9 साल | 1,00,000-1,16,000 | 12,00,000 -14,00,000 |
9 से ऊपर | 1,16,000-3,16,000 | 14,00,000-38,00,000 |
FAQ
अगर आपको फुल स्टैक डेवलपर बनना है तो आपको डेटाबेस मैनेजमेंट भी सीखना होगा । हमने नीचे कुछ प्रोग्रामिंग लैंग्वेज दिए है जिनके जरिये अप्प डेटाबेस को मैनेज करना सीख सकते है । इसके अलावा भी बहुत सारे लैंग्वेज है मार्किट में पर आप कोई एक को सीख के भी एक सफल फुल स्टैक डेवलपर बन सकते है ।
तीन महीने आम तौर पर आवश्यक न्यूनतम समय होता है, और यह समयरेखा अत्यधिक प्रेरित शिक्षार्थियों के लिए सबसे उपयुक्त होती है।
फुल स्टैक डेवलपर उस व्यक्ति या डेवेलपर को कहा जाता है जो बैकेंड, फ्रॉंटेड और अलग-अलग लेयर पर काम कर सकता है।
आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको Full Stack Developer kaise bane समझने में सफ़ल रहा होगा। यदि आप विदेश में पढ़ने की योजना बना रहे हैं तो आज ही 1800572000 पर कॉल करके हमारे Leverage Edu के एक्सपर्ट के साथ 30 मिनट का फ्री सेशन बुक कीजिए।
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very interesting , good job and thanks for sharing such a good information.
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बहुत-बहुत आभार
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2 comments
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बहुत-बहुत आभार