भारत में ऐसी कई जगह हैं जो आपने आप में ही किसी दुनिया के 7 अजूबों से कम नहीं हैं। भारत में ऐसी कई जगह हैं जो दुनिया के 7 अजूबों को भी फीका बना दें। ऐसी ही एक प्राचीन गुफाएं हैं Elephanta ki Gufayen जो कई शताब्दी पुरानी हैं। इन गुफाओं में जाना एक रोमांच पैदा कर देता है। तो आइए, ले चलते हैं आपको Elephanta ki Gufayen की सैर पर। आपको इस ब्लॉग में इनके बारे में विस्तार से देते हैं जानकारी।
इतिहास भी ग़ज़ब का है
एलीफेंटा गुफाओं का रिकॉर्ड बादामी चालुक्य सम्राट पुलकेशिन द्धितीय द्धारा कोंकण के मौर्य शासकों की हार के समय का है। भगवान शिव को समर्पित इन विशाल एलीफेंटा गुफाओं को उस दौरान पुरी या पुरिका के नाम से जाना जाता था और यह घारापुरी द्धीप पहले कोंकण मौर्यों की राजधानी हुआ करती थी। Elephanta ki Gufayen का इतिहास अपने आप में ही इसकी खूबसूरती को निखार देता है।
इसके बारे में इतिहासकारों की अलग राय है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इन प्रसिद्ध एलीफेंटा गुफाओं का निर्माण कोंकण मौर्यों ने करवाया था और यह 6-8 वीं शताब्दी में बनी थी।
वहीँ कुछ इतिहासकार राष्ट्रकूटों और चालुक्यों को इन गुफाओं को बनवाने का श्रेय देते हैं। पुर्तगालियों से भी इन गुफाओं का इतिहास जुड़ा हुआ है। ऐसा मानते है कि 16 सदी में यहां पुर्तगालियों का अधिकार था, वहीं इसी दौरान पुर्तगालियों ने यहां के राजघाट में स्थित हाथी की विशाल प्रतिमा को देखते हुए इस द्धीप को एलिफेंटा का नाम दिया था।
हालांकि, एलिफेंटा की प्रसिद्द गुफाओं का इतिहास स्पष्ट नहीं है, क्योंकि इसके बारे में इतिहासकारों की राय अलग-अलग हैं। वहीं इन गुफाओं को कब और किसने बनवाया, इसका भी कोई ठोस प्रमाण नहीं है। हालांकि, कुछ विद्धानों का मानना है कि इनका निर्माण पांडवों द्धारा करवाया गया था। जबकि कुछ विद्धान एलीफेंटा गुफाओं का निर्माण शिव भक्त बाणासुर द्धारा भी मानते हैं।
एलीफेंटा की गुफाएं कहाँ पर हैं?
दुनिया भर में मशहूर एलीफेंटा की गुफाएं भारत के महाराष्ट्र राज्य के मुंबई से कुछ किलोमीटर की दूरी पर घारपुरी द्धीप पर स्थित हैं। भगवान शिव को समर्पित इन गुफाओं में भगवान शिव के तीन स्वरुपों की भव्य मूर्ति स्थापित हैं। Elephanta ki Gufayen के काफी प्रसिद्ध होने से यह हर दर्शकों से घिरा रहता है।
एलिफेंटा की गुफाओं में क्यों जाना चाहिए
एलिफेंटा की गुफाएं भारतीय इतिहास से जुड़ी धरोहर है जिसके बारे में आपको पता होना चाहिए कि इतिहास में उनकी क्या महत्ता है। एलीफेंटा की गुफाओं में रॉक-कट पत्थर की मूर्तियां हैं जो हिंदू और बौद्ध विचारों और आइकनोग्राफी के मिश्रण को दिखाती है। गुफाएँ ठोस बेसाल्ट चट्टान से तराशी गई हैं। कुछ अपवादों को छोड़कर, अधिकांश कलाकृति विरूपित और क्षतिग्रस्त है।
मुख्य मंदिर का अभिविन्यास, साथ ही साथ अन्य मंदिरों के सापेक्ष स्थान को मंडल पैटर्न में रखा गया है। नक्काशी हिंदू पौराणिक कथाओं का वर्णन करती है, जिसमें बड़े अखंड 20 फीट (6.1 मीटर) त्रिमूर्ति सदाशिव (तीन मुखी शिव), नटराज (नृत्य के भगवान), और योगीश्वर (योग के भगवान) सबसे प्रसिद्ध हैं।
क्यों हैं इतनी ख़ास?
यह भारत के प्रमुख ऐतिहासिक एवं प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। यह भव्य गुफाएं 2 अलग-अलग वर्गों में बंटी हुई हैं, जिसके एक भाग में हिन्दू धर्म से संबंधित गुफाएं, जबकि अन्य भाग में बौद्ध धर्म से संबंधित गुफाएं शामिल हैं। इन गुफाओं को इन ऐतिहासिक महत्व के कारण 1987 में UNESCO द्धारा विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल किया गया है। Elephanta ki Gufayen को प्रत्येक वर्ष नवंबर से मार्च इसको देखने वालों की भीड़ लगी रहती है।
अद्भुत रचना और वास्तुकला का मिश्रण
Elephanta ki Gufayen 60 हजार वर्ग फीट के क्षेत्रफल में फैली हुई हैं। इसके परिसर में कुल 7 गुफाएं हैं , जिनमें से 5 गुफाएं हिंदू धर्म से संबंधित है, जबकि अन्य दो गुफाएं बौद्ध धर्म से संबंधित हैं।
घारपुरी द्धीप में स्थित एलीफेंटा गुफा की गुफा नंबर 1, ग्रेट गुफा के नाम से जानी जाती है, जिसके अंदर भगवान शिव की कई मूर्तियां विराजित हैं। इस गुफा के बीच में भगवान शिव को समर्पित त्रिमूर्ति स्थापित हैं, जो कि सदाशिव के नाम से जानी जाती हैं।
इस गुफा में भगवान शिव की अन्य एक और मूर्ति है, जिसमें गंगा को धरती पर लाते हुए शिव का चित्रण दिखाया गया है। वहीं ऐलीफेंटा गुफा की गुफा नंबर 2 से गुफा नंबर 5 कैनन हिल के नाम से जानी जाती हैं। यहां पर गुफा नंबर 6 और 7 के लिए स्तूप हिल्स हैं। वहीं गुफा नंबर 6 को सीताबाई गुफा के नाम से भी जाना जाता है। वहीं इसकी गुफा नंबर 7 के आगे एक तालाब है, जो कि बौद्ध तालाब के नाम से जाना जाता है।
रोचक तथ्य
Elephanta ki Gufayen का जब इतिहास ही इतना रोचक रहा है तो आपको यह रोचक तथ्य तो बताने ही पड़ेंगे, क्या आप जानते हैं इन रोचक तथ्यों को, नहीं, तो चलिए बताते हैं आपको विस्तार से-
- मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया से करीब 10 किमी की दूरी पर स्थित यह एलिफेंटा की गुफाएं 7 गुफ़ाओं का ब्लेंड हैं, जिनमें से महेश मूर्ति गुफ़ा प्रमुख गुफा है।
- एलीफेंटा की कुल सात गुफाओं में 5 गुफा हिन्दू और अन्य 2 गुफाएं बौद्ध धर्म से संबंधित हैं। महेश मूर्ति गुफा, हिन्दू गुफाओं में सबसे प्रमुख गुफा है, जिसमें बने 26 खंभों में भगवान शंकर के अलग-अलग रूपों को बेहद शानदार ढंग से उकेरा गया है।
- ऐलीफेंटा गुफा में भगवान शिव की त्रिमूर्ति प्रतिमा सबसे विशाल और पर्यटकों के मुख्य आर्कषण का केंद्र है। इस मूर्ति में भगवान शिव के तीन रुपों का बेहद उत्कृष्ट तरीके से चित्रण किया गया है। यह विशाल त्रिमूर्ति करीब 23 या 24 फीट लंबी और 17 फीट ऊँची है।
- एलीफेंटा गुफा के मुख्य हिस्से में पोर्टिकों के अलावा तीन तरफ से खुले सिरे हैं और इसके पिछली ओर 27 मीटर का चौकोर स्थान है और इसे 6 खम्भों के द्वारा सहारा दिया जाता है।
- इस गुफा में भगवान शिव की अर्धनारीश्वर प्रतिमा भी स्थापित हैं, इस प्रतिमा में बायां अंग स्त्री और दायां अंग पुरुष रुप में दर्शाया गया है। इन गुफाओं में से यह सबसे प्रचलित प्रतिमा है।
- एलीफेंटा गुफा में भगवान् शिव के विभिन्न स्वरूपों के कारण इन्हें ‘टेंपल केव्स’ भी कहा जाता हैं। यहां पर शिव-पार्वती के विवाह समेत रावण द्वारा कैलाश पर्वत को ले जाने एवं शिव के नटराज रुप का बेहद आर्कषक चित्रण किया गया है।
- वर्तमान में एलीफेंटा गुफा की देखरेख भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा किया जा रहा है।
एलिफेंटा गुफाओं में शीर्ष आकर्षण
1. ईस्ट विंग
कई प्रांगण हैं और उनमें से एक गुफाओं के पूर्वी भाग में स्थित है। प्रांगण में एक सुंदर दीवार पेंटिंग है।
2. पश्चिम विंग
साइट के वेस्ट विंग में खंभे हैं जिन पर हिंदू देवताओं के चित्र उकेरे गए हैं। तीन मुख वाले ब्रह्मा की मूर्ति है जो उन सभी में सबसे महत्वपूर्ण है।
3. त्रिमूर्ति
एलीफेंटा गुफाओं की सबसे महत्वपूर्ण मूर्तियां होने के नाते, त्रिमूर्ति को गुप्त-चालुक्य कला के प्रतिमानों में से एक माना जाता है।
4. मुख्य गुफा मंदिर
मुख्य गुफा तीर्थ या केंद्रीय तीर्थ एक वर्गाकार कक्ष है जिसमें प्रत्येक तरफ प्रवेश द्वार होते हैं। भगवान शिव के प्रतीकों सहित अन्य हिंदू देवी-देवताओं के भी प्रतीक हैं।
FAQs
गुफा में बना यह मंदिर भगवान शिव का समर्पित हैं।
एलीफैंटा गुफाओं में अर्धनारीश्वर की प्रतिमा, जिसमें बांया अंग स्त्री व दायां अंग पुरुष रूप में है। यह दोनों हिन्दू देवी पार्वती व भगवान शिव के रूप हैं।
इन गुफाओं को इन ऐतिहासिक महत्व के कारण 1987 में यूनेस्को द्धारा विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल किया गया है।
एलीफेंटा गुफाओं का निर्माण कोंकण मौर्यों ने करवाया था।
6-8 शताब्दी
हमें उम्मीद है कि Elephanta ki Gufayen के इस ब्लॉग ने आपको महत्वपूर्ण जानकारी दी होगी। ऐसे ही ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu पर बने रहें।
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Yaha sirf Buddh ke astitva hai Mahesh modified name he
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नरेश जी आपका आभार, ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर बने रहें।
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2 comments
Yaha sirf Buddh ke astitva hai Mahesh modified name he
नरेश जी आपका आभार, ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर बने रहें।