दिल्ली सल्तनत के सिंहासन पर कुल 5 राजवंशों ने शासन किया था। ये पांच राजवंश क्रमशः थे- गुलाम वंश, खिलजी वंश, तुगलक वंश, सैयद वंश और लोदी वंश। तो आइए, अब हम इस आलेख में दिल्ली सल्तनत से संबंधित इन पांचों वंशों के प्रमुख शासकों व इनके प्रमुख कार्यों को जानते हैं।
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सल्तनत | दिल्ली सल्तनत |
काल | मध्यकालीन भारत |
दिल्ली पर शासन करने वाले कुल राजवंश | 5 |
दिल्ली पर शासन करने वाला सबसे पहला राजवंश | तुगलक वंश |
दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक | कुबुद्दीन ऐबक |
दिल्ली सल्तनत का अंतिम शासक | इब्राहिम लोदी |
मध्यकालीन भारत के इतिहास में भारत पर राज करने वाले राजवंश
यहाँ मध्यकालीन भारत में दिल्ली पर शासन करने वाले पांचों राजवंशों के बारे में बताया जा रहा है:-
गुलाम वंश
- दिल्ली सल्तनत के पहले वंश ‘गुलाम वंश’ की स्थापना 1206 ईस्वी में कुतुबुद्दीन ऐबक ने की थी। गुलाम वंश को ‘मामलूक वंश’ के नाम से भी जाना जाता है। ‘मामलूक’ एक अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है- स्वतंत्र माता-पिता से उत्पन्न दास।
- कुतुबुद्दीन ऐबक शासक बनने के बावजूद भी स्वयं को मोहम्मद गौरी का गुलाम ही मानता था। वह एक इल्बारी जाति का तुर्क था। कुतुबुद्दीन ऐबक ने लाहौर में अपनी राजधानी स्थापित की थी। ऐसा करने का मुख्य उद्देश्य मोहम्मद गौरी के अन्य 2 गुलामों यलदौज और कुबाचा की ओर से उत्पन्न की जाने वाली चुनौतियां थी।
- कुतुबुद्दीन ऐबक ने एक ‘सूफी संत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी’ की याद में दिल्ली में कुतुब मीनार का निर्माण कार्य आरंभ किया था। उसने दिल्ली में एक मंदिर को तोड़कर कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद का निर्माण भी कराया था। इसके अलावा, वर्तमान राजस्थान के अजमेर में कुतुबुद्दीन ऐबक ने एक संस्कृत विद्यालय को तोड़कर ‘अढाई दिन का झोंपड़ा’ नामक मस्जिद का निर्माण भी कराया था।
- इल्तुतमिश गुलाम वंश का एक अन्य प्रमुख शासक हुआ था। इसे दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक भी कहा जाता है। इल्तुतमिश ने ही दिल्ली सल्तनत की राजधानी लाहौर से दिल्ली स्थानांतरित की थी। बता दें कि इल्तुतमिश ने ही चांदी का सिक्का ‘टंका’ और तांबे का सिक्का ‘जीतल’ आरंभ किया था।
- इल्तुतमिश की प्रमुख उपलब्धियां थीं- इक्ता व्यवस्था की शुरुआत और चालीसा दल का गठन। इक्ता व्यवस्था के अंतर्गत इल्तुतमिश ने अपने साम्राज्य को विभिन्न इक्ताओं में विभाजित किया था। ये इक्ता एक प्रकार से प्रशासनिक और राजस्व इकाई हुआ करते थे और इनके मुखिया को ‘मुक्ती’ या ‘वली’ कहा जाता था।
खिलजी वंश
- खिलजी वंश की स्थापना गुलाम वंश के अंतिम शासक कैयूमर्स की हत्या करके जलालुद्दीन खिलजी ने की थी। अलाउद्दीन खिलजी इस वंश का सबसे प्रमुख शासक था। अलाउद्दीन खिलजी के समय अनेक मंगोल आक्रमण हुए थे, जिनका उसने सफलतापूर्वक सामना किया था।
- अलाउद्दीन खिलजी ने 1299 ईस्वी में गुजरात आक्रमण के दौरान एक हिजड़े मलिक काफूर को हजार दीनार में खरीदा था। बता दें कि मलिक काफूर ने अलाउद्दीन खिलजी के दक्षिण के पहले सफल अभियान का नेतृत्व किया था।
- अलाउद्दीन खिलजी की विभिन्न उपलब्धियों में से बाजार नियंत्रण प्रणाली भी एक विशिष्ट उपलब्धि है। वह वित्तीय और राजस्व सुधारों के प्रति गंभीरता दिखाने वाला दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान था। उसने ‘दीवान-ए-मुस्तखराज’ नामक नए राजस्व विभाग की स्थापना भी की थी।
- दिल्ली सल्तनत के दौरान भूमि की पैमाइश के माध्यम से राजस्व निश्चित करने वाला अलाउद्दीन खिलजी पहला सुल्तान था। उसने भूमि पैमाइश की ‘मसाहत प्रणाली’ विकसित की थी। इस प्रणाली के आधार पर अलाउद्दीन खिलजी ने भू राजस्व की दर 50% निर्धारित की थी, लेकिन इससे पूर्व यह दर एक तिहाई हुआ करती थी।
सैयद वंश
- सैयद वंश की स्थापना खिज्र खां ने की थी। वहीं उसे अपने शासन काल में ‘रैयत-ए-आला’ की उपाधि मिली थी। एक अन्य सैयद वंशी शासक मुबारक शाह ने याहिया बिन सरहिंदी नामक लेखक को संरक्षण प्रदान किया था। इस लेखक ने ‘तारीख ए मुबारकशाही’ नामक पुस्तक की रचना की थी।
लोदी वंश
- लोदी वंश की स्थापना बहलोल लोदी ने की थी। बहलोल लोदी एक अफगान था और लोदी वंश दिल्ली सल्तनत का पहला अफगान बादशाह था। इसके बाद सिकंदर लोदी शासक बना। सिकंदर लोदी ने अपनी गुप्तचर व्यवस्था को सुदृढ़ किया। बता दें कि वह गुलरूखी नाम से फारसी भाषा में कविताएं लिखा करता था। सिकंदर लोदी ने भूमि की पैमाइश के लिए ‘गजे सिकंदरी’ नामक माप का आरंभ किया था।
- ‘इब्राहिम लोदी’ लोदी वंश का और इस सल्तनत का अंतिम शासक था। 1517-18 ईस्वी में मेवाड़ के शासक राणा सांगा के साथ लड़े गए खातोली (घाटोली) के युद्ध में इब्राहिम लोदी बुरी तरह पराजित हुआ था। इसके बाद 1526 ईस्वी में इब्राहिम लोदी ने बाबर के साथ पानीपत का पहला युद्ध लड़ा था और युद्ध मैदान में ही मारा गया था। युद्ध मैदान में ही मरने वाला इब्राहिम लोदी दिल्ली सल्तनत का पहला और एकमात्र सुल्तान था।
दिल्ली सल्तनत से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
इस सल्तनत से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं :
- दिल्ली सल्तनत पर कुल पांच राजवंशो ने शासन किया।
- दिल्ली पर शासन करने वाली पहली महिला शासक रजिया सुल्ताना थी।
- दिल्ली सल्तनत में बाजार नियंत्रण प्रणाली अलाउद्दीन ख़िलजी ने प्रारम्भ की।
- अलाउद्दीन खिलजी ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली भी आरम्भ की थी।
FAQs
दिल्ली सल्तनत में पाँच वंश थे- गुलाम वंश (1206 – 1290), ख़िलजी वंश (1290- 1320), तुग़लक़ वंश (1320 – 1414), सैयद वंश (1414 – 1451), तथा लोदी वंश (1451 – 1526)।
कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली सल्तनत का स्थापक और गुलाम वंश का पहला सुल्तान था। यह गोरी साम्राज्य का सुल्तान मुहम्मद गोरी का एक गुलाम था। वर्ष 1206 में मुहम्मद गोरी ने कुतुबुद्दीन ऐबक को अपना उत्तराधिकारी बनाया।
बाबर का आक्रमण दिल्ली सल्तनत के पतन का अंतिम महत्वपूर्ण कारण साबित हुआ। इब्राहीम लोदी मुगल सेना से हार गया और उसके सामने गिर पड़ा। बाबर की सुसज्जित और अनुशासित सेना ने दिल्ली सल्तनत को पूरी तरह से अस्थिर कर दिया।
दिल्ली में शासन करने वाली प्रथम महिला कौन थी?
दिल्ली सल्तनत पर सबसे लंबा शासन तुगलक वंश ने किया था।
आशा है इस ब्लॉग से आपको दिल्ली सल्तनत के इतिहास से संबंधित बहुत सी जानकारी प्राप्त हुई होगी। भारत के इतिहास से जुड़े हुए ऐसे ही अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।