भारत एक ऐसा महान देश है जिसने अपने ऊपर अनेकों विदेशी आक्रमण सहकर भी मनावता को नहीं त्यागा। इतिहास में हुए अनेकों युद्धों में से एक चंदेरी का युद्ध भी था, इस युद्ध में अनेकों वीरों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की भी आहुति दी। इस युद्ध को खानवा युद्ध के परिणामों के रूप में भी जाना जाता है। इतिहास पर नज़र डाली जाए तो हम पाते हैं कि विदेशी आक्रमणकारियों के हमलों ने भारत में भीषण नरसंहार किया, जिनका प्रतिकार भारत के महान शूरवीरों ने किया। इस पोस्ट के माध्यम से आप चंदेरी का युद्ध कब हुआ, के बारे में सटीक जानकारी के साथ-साथ मातृभूमि पर मर-मिटने वाले शूरवीरों के बारे में भी जान पाएंगे।
चंदेरी का युद्ध कब हुआ?
20 जनवरी 1528 ई. में चंदेरी का युद्ध मेदिनी राय और मुगल शासक बाबर के बीच के बीच हुआ। इस युद्ध में मेवाड़ के महाराणा सांगा के साथी यानि कि मालवा नरेश मेदिनी राय एवं मुग़ल सेना के साथ बाबर आमने-सामने थे। खानवा में मेवाड़ के शूरवीरों और महाराणा सांगा को पराजित न कर पाने की खिसियाहट के चलते और महाराणा सांगा को परास्त करने के चलते बाबर ने मालवा पर आक्रमण किया। इस युद्ध ने जन्म दिया एक ऐसे भीषण जौहर की, जिसमें अनेकों नारियों ने अग्नि में समाकर अपनी लाज को बचाने का निर्णय लिया। बाबर की क्रूरता ने चंदेरी को श्मशान में बदला और बाबर ने इस युद्ध के बाद मुगल शासन को मजबूती से स्थापित किया।
चंदेरी के युद्ध से जुड़ी मुख्य बातें
चंदेरी का युद्ध कब हुआ, इसका जवाब जानने के बाद आपको चंदेरी के युद्ध से जुड़ी मुख्य बातों के बारे में भी जान लेना चाहिए, जो कि निम्नलिखित हैं;
- मेवाड़ नरेश महाराणा सांगा से खानवा युद्ध में मिली हार ने बाबर को विचलित किया।
- बाबर उत्तर भारत में अपने वर्चस्व और खानवा युद्ध की हार से खिसियाकर, बाबर ने महाराणा सांगा के साथी मालवा नरेश मेदिनी राय पर आक्रमण करने का निर्णय लिया।
- दिसंबर 1527 में, बाबर एक घुमावदार रास्ते से मालवा की राजधानी चंदेरी के किले की ओर बढ़ने लगा।
- 20 जनवरी 1528 को क्रूर मुग़ल बाबर चंदेरी की देहलीज पर आ पंहुचा।
- बाबर ने शांति प्रस्ताव के रूप में चंदेरी के बदले में, मेदिनी राय को शमशाबाद की पेशकश की।
- बाबर के इस प्रस्ताव को ठुकराकर मेदिनी राय ने मातृभूमि की रक्षा के लिए युद्ध लड़ना स्वीकार किया।
- बाबर के प्रस्ताव ठुकराए जाने के बाद, बाबर बौखला गया और उसने चंदेरी के बाहरी किले पर आक्रमण किया।
- रात में ही चंदेरी के बाहरी किले अपने कब्जे में ले लिया और अगली सुबह ऊपरी किले पर भी कब्जा कर लिया।
- इतिहासकारों की माने तो इस युद्ध में बाबर की क्रूरता से बचने के लिए किले में एक जौहर का आयोजन किया गया, जिसमें असंख्य महिलाओं ने अपने सम्मान की रक्षा के लिए अग्नि में समाना स्वीकार किया।
- इस युद्ध में मेदिनी राय की पराजय से बाबर का शासन मजबूत हुआ।
FAQs
1528 में चंदेरी का युद्ध हुआ था, जिसमें बाबर ने मालवा नरेश मेदिनी राय को हराया था।
चंदेरी का युद्ध बाबर ने जीता था, जिसके बाद उत्तर भारत में उसका शासन काफी हद तक मजबूत होने की स्तिथि में था।
भारत के इतिहास में सबसे बड़ा जौहर मालवा का जौहर माना जाता है। इस जौहर ने चंदेरी के युद्ध में बाबर की जीत को भी फीका कर दिया था।
आशा है कि आपको चंदेरी का युद्ध कब हुआ था, के बारे में संपूर्ण जानकारी मिली होगी। इसी प्रकार इतिहास से जुड़े अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।