भारत के राजस्थान राज्य में अनेक राजवंशों ने शासन किया है। इसलिए राजस्थान को यह नाम दिया गया है। राजस्थान का अर्थ होता है राजा महाराजाओं की भूमि। आजादी के समय राजस्थान में 19 रियासतें थीं। अर्थात 19 राजवंशों की रियासतों का उस समय राजस्थान में शासन था। इन्हीं राजवंशों में से एक भाटी राजवंश भी था। भाटी राजवंश की अलग अलग शाखाएं हैं जिन्होंने राजस्थान के अलावा भारत के अन्य राज्यों पर भी शासन किया है। यहाँ भाटी कितने प्रकार के होते हैं? इस बारे में बताया जा रहा है।
भाटी कितने प्रकार के होते हैं?
- अभोरिया भाटी– बालबंध (बालद) के पुत्र एवं राजा भाटी के अनुज अभेराज के वंशज अभोरिया भाटी कहलाये जो वर्तमान में पंजाब में है।
- जेहा भाटी – राजा भाटी के अनुज जेह के वंशज जेहा भाटी कहलाये।
- सहराव भाटी-राजा भाटी के अनुज सहरा के वंशज सहराव भाटी कहलाए। ये भाटी पंजाब में शासन करते थे।
- भैंसडेचा भाटी-राजा भाटी के अनुज भेंसडेच के वंशज थे।
- लधड – ये राजा भाटी के अनुज लधड के वंशज थे।
- जीया – ये राजा भाटी के अनुज जीया के वंशज थे।
- जंझ– ये राजा भूपत के पुत्र जांझंण के वंशज थे।
- अतेराव – ये अतेराव राजा भूपत के पुत्र अतेराव के वंशज थे।
- धोतड– ये राव मूलराज (मारोठ )प्रथम के पुत्र घोटड के वंशज थे।
- सिधराव– राव उदेराव मारोठ के बेटे सिधराव के वंशज थे।
- गोगली -राव मंझणराव के पुत्र गोपाल के पुत्र थे।
- जेतुंग -राव तनुराव के पुत्र जेतुंग के वंशज थे। जेतुंग का विकमपुर पर अधिकार रहा था।
- छैना और छींकण -रावल सिद्ध देवराज के पुत्र छेना के वंशज कहलाए।
- सिधराव 11 – रावल बाछु (बछराज)रावल बाछू (लुद्र्वा ) के पुत्र सिधराव भाटी कहलाये। सिधराव ने लुद्र्वा से सिंध में जाकर सिधराव गाँव बसाया जो बाद में हिंसार के नाम से जाना गया। इनके वंशक्रम में स्च्चाराव ,बल्ला ,और रत्ना हुए। रत्ना व जग्गा ने मंडोर के प्रतिहारो से पांच सो ऊंट छीनकर अपनी शक्ति का परिचय दिया।
- पाहू – ये रावल वछराज के पुत्र ब्प्पराव के बेटे पाहू के वंशज थे। पाहू भाटियों ने पहले वीकमपुर फिर पुगल पर अधिकार किया। इन्होने जनकल्याण के लिए कई कुए खुदवाये जो पाहुर कुए कहलाये।
- अणधा-रावल वछराज के बेटे इणधा के वंशज थे।
- मूलपसाव– मूलपसाव रावल वछराव के पुत्र मूलपसाव के वंशज थे। इसलिए ये मूलपसाव भाटी कहलाए।
- राहड– ये महारावल विजय राज लान्झा के बेटे राहड के वंशज थे। इनके खडाल में तीन और देरासर के निकट 20 गाँव थे।
- हटा – ये महारावल विजयराज लान्झा के पुत्र हटा के वंशज हटा भाटी कहलाए। हटा भाटी सिहडानो ,करडो ,और पोछिनो क्षेत्र में रहे थे।
- भिंया भाटी – ये महारावल विजयराज लान्झा के पुत्र भीव के वंशज भिन्या भाटी कहलाए ।
- वानर – ये महारावल सालवाहण के पुत्र वादर के वंशज थे। जैसलमेर के डाबलो गाँव इनके शासन क्षेत्र में आते थे।
- पलासिया – ये महारावल सालवाहण (सलिवाहन ) के बेटे हंसराज के वंशज पलासिया थे।
- मोकळ- ये महारवल सालिवाहंण के बेटे मोकल के वंशज मोकल थे। ये पहले जेसलमेर में रहे फिर मालवा में जाकर बस गए। वहां अपने परिश्रम से उद्योगपति के रूप में विशिष्ट पहचान कायम की।
- मयाजल -महारावल सलिवाहंन के पुत्र सातल के वंशज मयाजल कहलाये | म्याजलार इनका गाँव है। इन्होने जैसलमेर के अलावा सिंध के भी कुछ क्षेत्र पर शासन किया था।
- जसोड़ -ये महारावल कालण के पुत्र पालण के पुत्र जसहड के वंशज थे।
भाटी वंश के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
यहाँ भाटी वंश के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य बताए जा रहे हैं :
भाटी राजवंश के लोग खुद को भगवान कृष्ण का वंशज मानते हैं।
छठी शताब्दी में शालिवाहन भाटी राजा हुए, जिन्होंने शालिवाहनपुर बसाया, जो कालांतर में सियालकोट जाना गया। इन्होने ही भाटी वंश की स्थापना की थी और इनके वंशज भाटी कहलाए।
भाटी वंश के राजा राव जैसल ने जसलमेर शहर की स्थापना की थी। बाद में जैसलमेर भाटियों की राजधानी बना था।
भाटियों के राजा रावल विजयराज ने अरबों के कई आक्रमणों का सामना किया और उन्हें कई बार हराया भी था। इस कारण से उनके पड़ोसी राज्य के राजाओं ने उन्हें “उत्तर भड़ किवाड़ भाटी” नाम से नवाज़ा था।
उम्मीद है कि इस ब्लॉग में आपको भाटी कितने प्रकार के होते हैं? इस विषय के बारे में जानकारी मिल गयी होगी। ऐसे ही अन्य रोचक और महत्वपूर्ण ब्लॉग पढ़ने के लिए बने रहिये Leverage Edu के साथ बने रहिए।
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बहुत बढ़िया जानकारी लेकिन derawar और bhatner वाले कौन थे
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अनिल जी, कमेंट करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। आपके प्रश्न एक उत्तर हमने ब्लॉग विस्तार से दे दिया है। ऐसे ही अन्य ज्ञानवर्धक ब्लॉग पढ़ने के लिए हमारे साथ बने रहिए।
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2 comments
बहुत बढ़िया जानकारी लेकिन derawar और bhatner वाले कौन थे
अनिल जी, कमेंट करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। आपके प्रश्न एक उत्तर हमने ब्लॉग विस्तार से दे दिया है। ऐसे ही अन्य ज्ञानवर्धक ब्लॉग पढ़ने के लिए हमारे साथ बने रहिए।