भारत माता अध्याय हिंदुस्तान की कहानी का पाँचवाँ अध्याय है। इसमें नेहरू जी ने बताया है कि किस तरह देश के कोने-कोने में आयोजित जलसों में जाकर वे आम लोगों को बताते थे कि अनेक हिस्सों में बँटा होने के बाद भी हिंदुस्तान एक है। इस अपार फैलाव के बीच एकता के क्या आधार हैं और क्यों भारत एक देश है, जिसके सभी हिस्सों की नियति एक ही तरीके से बनती-बिगड़ती है। उन्होंने भारत माता शब्द पर भी विचार किया तथा यह निष्कर्ष निकाला कि भारत माता की जय का मतलब है-यहाँ के करोड़ों-करोड़ लोगों की जय। चलिए जानते हैं Bharat Mata Class 11 के बारे में विस्तार से।
किताब | NCERT |
बोर्ड | CBSE |
कक्षा | कक्षा 11 |
विषय | हिंदी आरोह |
पाठ संख्या | पाठ 9 |
पाठ का नाम | भारत माता |
मध्यम | हिंदी |
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लेखक परिचय
जवाहरलाल नेहरू का जन्म इलाहाबाद के एक संपन्न परिवार में 1889 ई. में हुआ। इनके पिता प्रसिद्ध वकील थे। नेहरू की प्रारंभिक शिक्षा घर पर तथा उच्च शिक्षा इंग्लैंड में हैरो तथा कैम्ब्रिज में हुई। इन्होंने वहीं से वकालत की पढ़ाई की। इन पर गाँधी का बहुत प्रभाव था। उनके आहवान पर वे पढ़ाई छोड़कर आजादी की लड़ाई में जुट गए। 1929 ई. में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष बने और पूर्ण स्वतंत्रता की माँग की। इनका झुकाव समाजवाद की ओर भी रहा।
1947 ई. में भारत स्वतंत्र हुआ। ये भारत के पहले प्रधानमंत्री बने तथा जीवनपर्यत भारत के निर्माण में लगे रहे। उन्होंने देश के विकास के लिए कई योजनाएँ बनाई जिनमें आर्थिक और औद्योगिक प्रगति तथा वैज्ञानिक अनुसंधान से लेकर साहित्य, कला, संस्कृति आदि क्षेत्र शामिल थे। बच्चों से इन्हें विशेष लगाव था। वे चाचा नेहरू के रूप में जाने जाते हैं। ये शांति, अहिंसा और मानवता के हिमायती थे। इन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्वशांति और पंचशील के सिद्धांतों का प्रचार किया। इनका निधन 1964 ई. में हुआ।
रचनाएँ- नेहरू जी उच्चकोटि के लेखक भी थे। इन्होंने अंग्रेजी में लिखा। इनकी रचनाओं का हिंदी सहित अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ। इनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
मेरी कहानी (आत्मकथा), विश्व इतिहास की झलक, हिंदुस्तान की कहानी, पिता के पत्र पुत्री के नाम, लेखों और दुनिया।
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पाठ का सारांश
Bharat Mata Class 11 के लिए पाठ सारांश नीचे दिया गया है-
‘भारत माता’ अध्याय हिंदुस्तान की कहानी का पाँचवाँ अध्याय है। इसमें नेहरू ने बताया है कि किस तरह देश के कोने-कोने में आयोजित जलसों में जाकर वे आम लोगों को बताते थे कि अनेक हिस्सों में बँटा होने के बाद भी हिंदुस्तान एक है। इस अपार फैलाव के बीच एकता के क्या आधार हैं और क्यों भारत एक देश है, जिसके सभी हिस्सों की नियति एक ही तरीके से बनती-बिगड़ती है। उन्होंने भारत माता शब्द पर भी विचार किया तथा यह निष्कर्ष निकाला कि भारत माता की जय का मतलब है-यहाँ के करोड़ों-करोड़ लोगों की जय।
नेहरू जी का कहना है कि जब वे जलसों में जाते हैं तो वे श्रोताओं से भारत की चर्चा करते हैं। भारत संस्कृत शब्द है और इस जाति के परंपरागत संस्थापक के नाम से निकला है। शहरों में लोग अधिक समझदार हैं। गाँवों में किसानों से देश के बारे में चर्चा करते हैं। वे उन्हें बताते हैं कि देश के हिस्से अलग होते हुए भी एक हैं। वे उन्हें बताते थे कि उत्तर सँ लेकर दक्षिण तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक उनकी समस्याएँ एक जैसी है और स्वराज्य सभी के लिए फायदेमंद है।
नेहरू ने सारे भारत की यात्रा की। इस दौरान उन्होंने यह समझाने का प्रयास किया कि हर जगह किसानों की समस्याएँ एक-सी हैं-गरीबों, कर्जदारों, पूँजीपतियों के शिकंजे, जमींदार, महाजन, कड़े लगान और सूद, पुलिस के जुल्म। ये सभी बातें विदेशी सरकार की देन हैं तथा सबको इससे छुटकारा पाने के लिए सोचना है। सभी लोगों को देश के बारे में सोचना है। वे लोगों से चीन, स्पेन, अबीसिनिया, मध्य यूरोप, मिस्र और पश्चिमी एशिया में होने वाले परिवर्तनों का जिक्र करते हैं। वे सोवियत यूनियन व अमरीका की उन्नति के बारे में बताते हैं। किसानों को विदेशों के बारे में समझाना आसान न था किंतु उन्होंने जैसा समझ रखा था वैसा मुश्किल भी न था। इसका कारण यह था कि हमारे महाकाव्यों व पुराणों ने इस देश की कल्पना करा दी थी और तीर्थ यात्रा करने वाले लोगों ने या बड़ी लड़ाइयों में भाग लेने सिपाहियों और कुछ ने विदेशों में नौकरी करके देश-दुनिया की जानकारी दी। सन् तीस की आर्थिक मंदी की वजह से दूसरे देशों के बारे में नेहरू जी के दिए गए उदाहरण लोगों के समझ में आ जाते थे।
जलसों में नेहरू का स्वागत अकसर ‘भारत माता की जय’ के नारे से होता था। वे लोगों से इस नारे का मतलब पूछते तो वे जवाब न दे पाते। एक हट्टे-कट्टे किसान ने भारत माता का अर्थ धरती बताया। उन्होंने पूछा कि कौन-सी धरती? उनके गाँव, जिले, सूबे या पूरे देश की धरती। इस प्रश्न पर फिर सब चुप हो जाते। नेहरू उन्हें बताते हैं कि भारत वह है जो उन्होंने समझ रखा है। इसमें नदी, पहाड़, जंगल, खेत व करोड़ों भारतीय शामिल हैं। भारत माता की जय का अर्थ है–इन सबकी जय। जब वे स्वयं को भारत माता का अंश समझते थे तो उनकी आँखों में चमक आ जाती थी।
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शब्दार्थ
Bharat Mata Class 11 के लिए शब्दार्थ नीचे दिए गए हैं-
- अकसर-प्राय:
- जलसा-समारोह
- संस्थापक-स्थापना करने वाला
- सयाने-समझदार
- गिजा-खुराक
- नजरिया-सोचने का तरीका
- महबूद-सीमित
- मसला-मुद्दा
- यक-साँ-एक समान
- स्वराज्य-अपना शासन
- धुर-और परे
- शिकजा-कसने वाला औजार
- महाजन-ब्याज पर धन देने वाले
- लगान-खेती की जमीन पर बुवाई का कर
- सूद-ब्याज
- जुल्म-अत्याचार
- हासिल-प्राप्त
- जुन-अंश
- कशमकश-ऊहापोह, पसोपेश
- अचरज-हैरानी
- तब्दीली-बदलावा जंग-लड़ाई
- धावा-हमला, आक्रमण
- मंदी-व्यापार में कमी
- मुल्क-देश
- हवाले-संदर्भ
- ताज्जुब-हैरानी
- जवाब न बन पाना-उत्तर न दे पाना
- किसानी-खेती
- सूबा-प्रदेश
- अजीज-प्रिय
प्रश्नोत्तर
Ans: भारत की चर्चा नेहरू जलसे में आए श्रोताओं से करते थे। नेहरू जी प्रायः जलसों में जाते रहते थे। तब वह जलसे में आए हुए श्रोताओं से भारती की चर्चा किया करते थे।
Ans: नेहरू जी भारत के सभी किसानों से ‘भारतमाता की जय’ के विषय में प्रश्न बार-बार किया करते थे। वह उनसे पूछते थे कि किसान जिस भारतमाता की जय करते हैं, वह कौन है? नेहरू जी के इस प्रश्न पर जब लोग जवाब देते की धरती को वे भारतमाता कहते हैं, तो नेहरू जी उनसे फिर प्रश्न करते कि कौन-सी धरती के बारे में बात की जा रही है? इसमें वे अपने गाँव की धरती की बात कर रहे हैं। जिले, सूबे अथवा हिन्दुस्तान की बात कर रहे हैं। इस तरह वह किसानों से प्रश्न बार किया करते थे।
Ans : नेहरू जी किसानों को दुनिया के बारे में बताते थे। उन्हें इनके बारे में बताना नेहरू जी के लिए आसान था। किसान पुराणों तथा महाकाव्यों से जुड़ी कथा व कहानियों से अंजान नहीं थे। अतः इन्हीं के माध्यम से नेहरू जी ने देश के विषय में ज्ञान करवा दिया। जलसे में उन्हें इस तरह के लोग भी मिल जाते थे, जिन्होंने कई यात्राएँ तथा तीर्थ किए हुए थे। वे हिन्दुस्तान के कोने-कोने से वाकिफ थे। इनमें से कई सैनिक भी थे, जो युद्ध करने के लिए विदेशों में भी गए थे। अतः जब नेहरू जी दुनिया के बारे में उन्हें बताते, तो उनकी समझ में आ जाता था।
Ans. किसानों के अनुसार उनके देश की धरती ही भारतमाता थी। वह सामान्यतः भारतमाता का यही अर्थ लेते थे।
Ans : भारतमाता के प्रति नेहरू जी की अवधारण किसानों से बिलकुल अलग थी। उनका मानना था कि हमारे देश की धरती, खेत, पहाड़, जंगल, झरने इत्यादि इसके अंग हैं। मगर भारत के सभी लोग जो पूरे देश में हैं, सही मायनों में ये ही भारतमाता हैं।
Ans: आजादी से पूर्व किसानों को इन समस्याओं का सामना करना पड़ता था।
कर्ज से युक्त जीवन
भूखमरी
जमींदारों द्वारा शोषण
महाजनों द्वारा शोषण
आय से अधिक लगान
Ans: आजादी से पहले भारत-निर्माण को लेकर नेहरू के ये सपने थे।
भारत को आर्थिक रूप से मज़बूत बनाया जाए।
भारत का चहुँमुखी विकास हो।
भारत से गरीबी का उन्मूलन हो।
भारतीय किसानों की विपत्तियों की समाप्ति हो।
भारत में औद्योगिकी क्रांति तथा उसका विकास हो।
आजादी से पहले भारत-निर्माण को लेकर नेहरू ने जो सपने देखे थे, उनमें से कई साकार हो गए हैं। आज भारत आर्थिक रूप से मज़बूत बन गया है। भारत का चहुँमुखी विकास हो रहा है। भारत में औद्योगिकी क्रांति भी हुई है और आज उसका विकास चरम पर है। कुछ सपने हैं, जो आज भी सफल नहीं हुए हैं। आज भी किसानों की विपत्तियों का अंत नहीं हुआ है तथा गरीबी उन्मूलन नहीं हुआ है।
Ans : भारत के विकास को लेकर मैं बहुत से सपने देखती हूँ। वे इस प्रकार हैं-
• चारों तरफ शिक्षा का प्रचार-प्रसार हो। देश में कोई अशिक्षित न रहे।
• भारत में कोई गरीब और भूखा न हो।
• सबके पास पक्के मकान और हर प्रकार की सुख-सुविधाएँ हों।
• बेरोज़गारी समाप्त हो जाए।
• भारत की आत्मनिर्भरता हर क्षेत्र में हो।
• प्रदूषण की समस्या से निजात पा सकें।
• देश की तेज़ी से बढ़ती आबादी को रोका जा सके।
• भारत शीघ्र ही विकसित राष्ट्र कहलाए।
Ans : मेरी दृष्टि में भारतमाता और हिन्दुस्तान की संकल्पना नेहरू जी की बतायी अवधारणा से अलग नहीं है। भारतामाता और हिन्दुस्तान मात्र धरती की संकल्पना से नहीं हो सकता। उसमें रहने वाले लोग उसे सुंदर और जीवंत बनाते हैं। उसमें रंग भरते हैं। उनके कारण ही एक धरती स्वरूप पाती है, और नाम पाती है। भारत का स्वरूप तो सबसे निराला है। उसके मस्तक में हिमालय मुकुट के रूप में और सागर उसके चरणों को धोता हुआ प्रतीत होता है। यहाँ सभी धर्मों के लोग प्रेम से साथ रहते हैं।
Ans: वर्तमान समय में किसानों की स्थिति में बहुत बदलाव आया है। अब खेती में अत्याधुनिक मशीनों से काम लिया जाने लगा है। मगर यह अनुपात बहुत कम है। आज भी ऐसे स्थानों पर जो बहुत दूर हैं, वहाँ के किसानों की स्थिति पहले के समान ही है। प्रकृति की मार उनकी मेहनत को नष्ट कर रही है। कर्ज के बोझ तले दबकर वे आत्महत्या करने के लिए विवश हो रहे हैं। आज भी उनके बच्चे भूख से मर रहे हैं। सभी सुख-सुविधाओं से विहीन किसान विपन्नता का जीवन जीने के लिए मजबूर हैं।
Ans: आजादी से पूर्व निम्नलिखित नारे प्रचलित थे-
1. अंग्रेज़ों भारत छोड़ो। (यह नारा 8 अगस्त, 1942 को कांग्रेस कमेटी के सत्र में आंदोलन पारित किया गया था, जिसका नाम अंग्रेज़ों भारत छोड़ो था।)
2. जय हिंद (सुभाषचंद्र बोस ने आज़ाद हिन्द फ़ौज ने युद्ध घोषण के समय बोला था। यह नारा सबसे पहले डॉ. चम्पकरमण पिल्लई द्वारा बोला गया।)
3. वंदे मातरम (बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने किया था। आगे चलकर यह बहुत प्रसिद्ध हुआ।)
4. भारतमाता की जय (माना जाता है कि भगत सिंह ने अदालत में इसे बोला था।)
5. स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा। (बाल गंगाधार तिलक ने एक भाषण के दौरान मराठी भाषा में बोला था।)
6. तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा। (सुभाषचंद्र बोस ने यह नारा अपनी सेना में भर्ती होने आए सैनिकों से बोला था।)
7. दिल्ली चलो। (सुभाषचंद्र बोस ने यह नारा 1942 में आज़ाद हिंद फौज को दिया था।)
दक्खिन, पच्छिम, यक-सां, एक जुज, ढढ्ढे
Ans : दक्खिन- दक्षिण, पच्छिम- पश्चिम, एक-सां- एक समान, एक जुज- एक भाग, ढढ्ढे-बोझ
आजादी, चमक, हिन्दुस्तान, विदेश, सरकार, यात्रा, पुराण, भारत।
Ans: आजादी- आजाद
चमक-चमकीला
हिन्दुस्तान-हिन्दुस्तानी
विदेश-विदेशी
सरकार-सरकारी
यात्रा- यात्री
पुराण-पौराणिक
भारत-भारतीय
‘भारत’ शब्द के बारे में लेखक बताता है कि यह संस्कृत का शब्द है और यह इस जाति के परंपरागत संस्थापक ‘ के नाम से निकला हुआ है।
लेखक ने शहरी लोगों को ज्यादा सयाना कहा है, क्योंकि शहरी लोगों की रुचि अलग किस्म की होती है। वे दूसरी बातों में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं। .”
लेखक को हिंदुस्तान की एकता बताता बहुत जरूरी लगता था, क्योंकि गाँव के लोग हिंदुस्तान का अर्थ नहीं समझते थे। लेखक उन्हें बताता कि सारा देश एक है। सारे देश के किसानों की समस्याएँ एक जैसी हैं। सभी लोग स्वराज्य के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
लेखक ने उत्तर-पश्चिम में खैबर के दरें से लेकर धुर दक्षिण में कन्याकुमारी तक की यात्रा की थी। वह सारे देश के लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित कर रहा था।
लेखक विदेशी शासन से छुटकारा पाने की बात करता है जिसके कारण सभी का शोषण हो रहा है।
लेखक किसानों के दृष्टिकोण में व्यापकता लाना चाहता है। वह कोशिश करता है कि लोग अपने देश के बारे में सोचें। वह उन्हें पूरे विश्व से भी जोड़ना चाहता है। अर्थात् क्षेत्रीयता की भावना त्याग कर पूरे राष्ट्र के बारे में अपनी सोच विकसित करें।
जब नेहरू किसी सभा में पहुंचे, तो उनका स्वागत ‘भारत माता की जय!’ के नारे लगाकर किया जाता था। लोग उन्हें स्वतंत्रता सेनानी मानते थे।
लेखक लोगों को बताता था कि जितना कुछ वे सभी जानते हैं, वह सब हिंदुस्तान है। लेकिन इसके अलावा हिंदुस्तान बहुत विस्तृत है जिसमें यहाँ की नदियाँ, पहाड़, झरने, जंगल, खेत सब कुछ आ जाते हैं। देश के नदी, पहाड़, खेत और हिंदुस्तान के लोग भी भारत माता हैं। ये सारे देश में फैले हुए हैं।
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भारत माता कक्षा 11 MCQ
A. प्रेमचंद
B. जवाहर लाल नेहरू
C. कृष्ण नाथ
D. कृष्णचंद्र
उत्तर – B. जवाहर लाल नेहरू
A. हिंदी
B. संस्कृत
C. फ़ारसी
D. अंग्रेज़ी
उत्तर – B. संस्कृत
A. उत्तर-पश्चिम
B. उत्तर-पूर्व
C. दक्खिन-पूर्व
D. दक्खिन उत्तर
उत्तर – A. उत्तर-पश्चिम
A. पूर्व
B. पश्चिम
C. उत्तर
D. दक्षिण
उत्तर – D. दक्षिण
A. मजदूर
B. किसान
C. व्यापारी
D. डॉक्टर
उत्तर – B. किसान
A. ज़मीन
B. सेना
C. नेता
D. करोड़ों देशवासी
उत्तर – D. करोड़ों देशवासी
A. जाट ने
B. अध्यापक ने
C. नेता ने
D. डॉक्टर ने
उत्तर – A. जाट ने
A. विस्तृत
B. सीमित
C. मध्यम
D. निकृष्ट
उत्तर – A. विस्तृत
A. एक समान
B. अलग-अलग
C. विभाजित
D. मज़बूत
उत्तर – A. एक समान
A. बीस
B. तीस
C. चालीस
D. पचास
उत्तर -B. तीस
A. राष्ट्रपति
B. प्रधानमंत्री
C. गवर्नर
D. राष्ट्रपिता
उत्तर – B
A. चाचा
B. ताऊ
C. मामा
D. भाई
उत्तर – A
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FAQs
भारत माता पाठ लिखा है भारत के सबसे पहले और पूर्व प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू जी ने।
भारत माता पाठ कक्षा 11वीं का पाठ है।
भारत माता केवल भारत की ज़मीन ही नहीं बल्कि भारत के लोगों के साथ वहां की हर चीज़ है, जैसे ज़मीन, पहाड़, पेड़, टेक्नोलॉजी आदि।
सृष्टि के प्रत्येक प्राणी को जन्म देने वाली मां को विश्व की समस्त संस्कृतियों में सबसे बड़ा दर्जा दिया गया है। भारत में तो मातृ पूजा हजारों साल से चली आ रही है।
भारत माता से मतलब है भारत के लोग।
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